एक मां होने के नाते आप हर कोशिश करती हैं कि अपने बच्चे को हर वो छोटी से छोटी और बड़ी सी बड़ी चीजें दे सकें, जिसका वो हकदार है। सभी माएं अपने बच्चे के लिए नेचुरल चीजों का ही इस्तेमाल करना पसंद करती हैं, लेकिन कुछ ऐसी चीजें जिनका उपयोग करने से जुड़े कुछ संदेह हैं और आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि आप जो कर रही हैं वो आपके बेबी के लिए सही है या नहीं? अपने इस डर को दूर करने के लिए, हम आपके सामने लोगों के सुझाव और सलाह पेश करेंगे। लेकिन विडंबना यह है कि ये सुझाव और सलाह खुद भी सवालों के घेरे में आते हैं, तो ऐसे में क्या सही है और क्या गलत यह जानना और भी मुश्किल हो जाता है!
मां के साथ-साथ, एक बच्चे के अनगिनत शुभचिंतक घर में मौजूद होते हैं, जैसे चाची, काकी, नानी, दादी और पड़ोस की महिलाएं, जो आपको बच्चे की देखभाल करने के तमाम तरीके बताती हैं। लेकिन एक नई मां के रूप में, बच्चे की केयर से संबंधित अफवाहों से बचने की जरूरत होती है, खासकर जब बात उनकी त्वचा की हो। शिशुओं की त्वचा बड़ों की त्वचा की तुलना में सॉफ्ट और पतली होती है साथ ही बहुत सेंसिटिव भी होती है। बच्चे की त्वचा नाजुक होने के कारण, इसका बड़ों की त्वचा की तुलना में पांच गुना तेजी से मॉइस्चर खोने का खतरा होता है। हालांकि बच्चे की त्वचा से संबंधित आपको कई ऐसी सदियों पुरानी मान्यताएं मिल जाएगी जो सच हो सकती हैं, और हमारे बुजुर्ग इसका वर्षों से पालन करते आ आ रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी बातें है जिन पर आपको बिलकुल भी यकीन नहीं करना चाहिए।
आइए अब कुछ ऐसे मिथ को दूर करें जिन पर आपको यकीन नहीं करना चाहिए
मिथ 1: नवजात शिशुओं के लिए तेल मालिश जरूरी है!
सच्चाई: तेल मालिश का असली उद्देश्य आपके बच्चे की त्वचा को मॉइस्चराइज करना और उसे रूखेपन से बचाना है। यह बात सच है कि शिशु की त्वचा के लिए मॉइश्चराइजेशन बहुत जरूरी होता है, खासकर सर्दियों में जब त्वचा के ड्राई होने की संभावना और भी ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन तेल मालिश हर बच्चे के लिए उपयुक्त नहीं होती है, खासकर अगर उन्हें हेरेडिटरी एक्जिमा की समस्या है, या मौसम बहुत गर्म है। बच्चों के पसीने की ग्रंथियां पैदा होने के बाद तुरंत डेवलप नहीं होती हैं, जिसका अर्थ है कि तेज गर्मी में उन्हें ऐसी समस्या होने की ज्यादा संभावना होती है। पैक किए गए तेलों में कुछ ऐसे एलिमेंट भी हो सकते हैं जो बच्चे में एलर्जिक रिएक्शन पैदा कर सकते हैं या इन्फेक्शन को ट्रिगर कर सकते हैं क्योंकि इस स्टेज में बच्चे का इम्यून सिस्टम अभी डेवलप हो ही रहा होता है। इसलिए आपको अपने बच्चे की त्वचा पर ऑयल का उपयोग करना है या नहीं, यह तय करने में आपको क्या सावधानी बरतनी चाहिए उसके अनुसार चलें।
बच्चे की त्वचा को पोषण देने के लिए, एक सौम्य और नरिशिंग बॉडी लोशन का उपयोग करना बेहतर रहेगा, जो सभी प्रकार की त्वचा के अनुरूप बनाया गया हो। लोशन अधिकतम समय तक नमी बनाए रखने में मदद करने वाला और अच्छी सुगंध वाला भी हो तो बेबी को भी पसंद आएगा। लोशन का उपयोग करने से शुष्क त्वचा को राहत मिलती है। आपके बच्चे की नाजुक त्वचा पूरे दिन सॉफ्ट बनी रहती है।
मिथ 2: बेसन से बच्चों की त्वचा को स्क्रब करना अच्छा होता है
सच्चाई: यह व्यापक रूप से माना जाता है कि बेसन, जब बच्चे की त्वचा पर लगाया जाता है, तो ये बच्चे के शरीर के बारीक बालों को हटा देता है। लेकिन ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहाँ बेसन का इस्तेमाल करने से बच्चे की त्वचा में जलन पैदा हो गई और त्वचा पर क्रैक व रेडनेस को नोटिस किया गया है! जहाँ तक शरीर के बालों की बात है, तो ज्यादातर बच्चों के फाइन हेयर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं।
मिथ 3: इन्फेक्शन के लिए एंटीसेप्टिक का प्रयोग करें
सच्चाई: यह बात आपको लॉजिकल लग सकती है, लेकिन ओवर-द-काउंटर एंटीसेप्टिक्स बच्चों में स्किन इर्रिटेशन का कारण बन सकती है! बच्चे की त्वचा को साबुन और पानी से धोने से काफी हद तक उनका हाइजीन बना रहता है। इसी तरह, एंटीसेप्टिक्स में कपड़े भिगोने का आईडिया भी अच्छा नहीं है। इसका सबसे बेहतर तरीका यह है कि आप बेबी को डॉक्टर के पास ले जाएं, वो आपको बेहतर रूप से बताएंगे कि बच्चे के लिए क्या सही रहेगा।
मिथ 4: डायपर का प्रयोग न करें क्योंकि इसे रैशेस हो जाते हैं
सच्चाई: डायपर बहुत उपयोगी होते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। ये आपके बच्चे को ड्राई रखते हैं जिससे आप भी कुछ समय आराम से सो पाती हैं। लेकिन एक नई मां के रूप में, हमें अक्सर बताया जाता है कि डायपर हमारे बच्चे की त्वचा पर रैशेस और लाली पैदा करते हैं! लेकिन सच्चाई यह है कि अगर आप हाइजीन बनाए रखेंगी और समय-समय पर बच्चे का डायपर बदलती रहेंगी तो उसे यह समस्या नहीं होगी।
डायपर बदलते समय, डायपर एरिया को अच्छे से साफ करने के लिए वाइप्स का उपयोग करें। ये अल्कोहल-फ्री और बच्चे के लिए सॉफ्ट भी होने चाहिए जो उसकी सेंसिटिव त्वचा को नुकसान न पहुंचाएं। वाइप्स बच्चे की त्वचा को गंदगी को अच्छी तरह से साफ करते हुए तुरंत इसे मॉइस्चराइज करते हैं। डायपर रैश क्रीम लगाने से बच्चे को इर्रिटेशन से राहत मिलती है।
मिथ 5: अगर गर्भवती मां केसर के साथ दूध पीती है तो बच्चे की त्वचा गोरी होगी
सच्चाई: दूध में केसर मिला कर पीना कई भारतीय घरों में बहुत आम बात है। हालांकि, इस बात को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिलता है, जो यह बताए कि इससे बच्चे कि त्वचा का रंग गोरा होता है। त्वचा का रंग जेनेटिक पर निर्भर करता है और तरह की प्रैक्टिस का कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं मिलता है।
इसलिए मांओं को यह सुझाव दिया जाता है कि ट्रेडिशन और कस्टम को फॉलो करना बुरा नहीं है, लेकिन आपका सावधानी बरतना जरूरी है, हर वो चीज जो पहले से होती आ रही है जरूरी नहीं है कि आपके बच्चे के लिए सही और असरदार हो। अपने आप पर भरोसा करना सबसे अहम है, क्योंकि आप अपने बच्चे के सबसे करीब हैं और आप उसकी सभी जरूरतों को सबसे अच्छी तरह से समझ सकती हैं। बस आपको सभी चीजों को अपनी समझ और डॉक्टर की सलाह के अनुसार करना होगा।
याद रखें, आप कुछ भी ऐसा करने से इंकार कर सकती हैं, जो आपके बच्चे की बेहतरी के लिए न हो या मां होने के नाते आपके इंस्टिंक्ट उस चीज से इंकार कर रहे हों, तो अपने मन की सुनें। मां होने में कोई भी तरीका सही या गलत तरीका नहीं है, बस वो आपका अपना तरीका है, जो बच्चे के लिए बेहतर ही सोचेगा।
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