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पेरेंट्स बनने के बाद बच्चे को गोदी में खेलाते समय आप यह महसूस कर सकती हैं कि इस नए सफर में आपको बहुत सारी चीजें सीखनी होंगी। बच्चे के साथ आपके बहुत सारे पहले अनुभव होंगे। बच्चे को पहली बार नहलाना इन्हीं अनुभवों में से एक है और यह अनुभव थोड़ा सा कठिन भी लगता है। बच्चे को नहलाते समय उसकी देखभाल के लिए आपको कई सारी चिंताएं सता सकती हैं। पर इसका अभ्यास करने पर आपको चिंता करने की जरूरत नहीं होगी और आप इसे भी अच्छी तरह से कर पाएंगी। यदि आपको बच्चे को नहलाने से संबंधित कोई भी शंका या सवाल है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। बच्चे को पहली बार देरी से क्यों नहलाया जाता है और आप बच्चे को पहली बार कब नहलाएं व इससे संबंधित कुछ टिप्स जानने के लिए आगे पढ़ें।
छोटे बच्चों को पहली बार कब नहलाना चाहिए?
पहले बच्चे को जन्म के तुरंत बाद ही नहला दिया जाता था पर अब यह नहीं किया जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन स्टैंडर्ड के अनुसार बच्चे को नहलाने के लिए 24 से 48 घंटों तक का इंतजार करना चाहिए। आप बच्चे को नहलाने के लिए जल्दबाजी बिलकुल भी न करें क्योंकि आप जितना ज्यादा इंतजार करेंगी उतना ज्यादा अच्छा होगा। इसके अलावा बच्चों को रोजाना नहलाना जरूरी नहीं है। अक्सर यह सलाह दी जाती है कि आपको बच्चे की अम्बिलिकल कॉर्ड पूरी तरह से ठीक होने तक इंतजार करना चाहिए। हालांकि यदि पेरेंट्स होने के नाते यदि आप बच्चे को नहलाना चाहती हैं तो स्पंज बाथ का उपयोग करें। आप बच्चे के चेहरे, हाथ और जेनिटल्स को साफ करने के लिए एक सॉफ्ट व साफ कपड़े का उपयोग कर सकती हैं।
छोटे बच्चे को पहली बार नहलाने में देरी क्यों करनी चाहिए
ज्यादातर अस्पताल बच्चे को पहली बार नहलाने का इंतजार करने के लिए एक दो दिन का स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल फॉलो करते हैं। ऐसा माना गया है कि यह हाल ही में जन्मे बच्चे के लिए सुरक्षित है जिससे संबंधित कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
1. बच्चे व माँ के बीच का संबंध मजबूत करने के लिए
बच्चे के पहले कुछ मिनट माँ व उसके अच्छे बॉन्ड के लिए बहुत जरूरी हैं। यह ऑब्जर्व किया गया है कि जो मांएं जन्म के तुरंत बाद बच्चे को अपनी त्वचा के संपर्क में रखती हैं उन बच्चों का तापमान नियंत्रित रहता है, ब्लड शुगर के लेवल में सुधार होता है और वह अच्छी तरह से ब्रेस्टफीडिंग कर सकता है।
2. इन्फेक्शन होने का खतरा कम करने के लिए
जन्म के दौरान बच्चे की त्वचा में एक सफेद लेयर होती है जिसे वर्निक्स कहते हैं। इसमें प्रोटीन होता है जो बच्चे को कई हानिकारक इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है जो उसे जन्म के दौरान हो सकते हैं, जैसे मेनिन्जाइटिस, इ. कोली, निमोनिया, खून में इन्फेक्शन आदि। वर्निक्स बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए काम करता है और उसे नहलाने से यह लेयर निकल सकती है जिससे उसे इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ता है। ज्यादातर अस्पताल में ग्लव्स पहने जाते हैं जिसका अर्थ है जो लोग बच्चे के सीधे संपर्क में आते हैं उन्हें ग्लव्स पहनना चाहिए। यह सिर्फ बच्चे को इन्फेक्शन से सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है।
3. तापमान को नियंत्रित करने के लिए
बच्चा माँ की गर्भ में कोजी रहता है जिसका तापमान 98.6 डिग्री होता है। पर डिलीवरी के बाद बच्चा बहुत कम तापमान के संपर्क में आता है (ज्यादातर 70 डिग्री) और इसलिए शरीर में गर्माहट के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत होती है। इसके अलावा यदि आप बच्चे को नहलाती हैं तो इससे उसका तापमान बहुत कम हो सकता है और उसे हाइपोथर्मिया होने का खतरा बढ़ता है।
4. ब्लड शुगर में सुधार के लिए
यदि आप जन्म के कुछ घंटों के बाद बच्चे को नहलाती हैं तो इससे उसका शुगर लेवल कम हो सकता है। हाल ही में जन्मे बच्चे को बाहरी वातावरण में एडजस्ट करने की जरूरत पड़ती है और शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने वाली प्लेसेंटा के न होने से उसे बाहरी वातावरण में एडजस्ट करना कठिन होता है। इसके अलावा यदि आप बच्चे को नहलाती हैं तो इससे उसे स्ट्रेस हो सकता है जिससे स्ट्रेस हॉर्मोन्स उत्पन्न होते हैं और बच्चे का शुगर लेवल कम हो जाता है।
5. त्वचा को मुलायम रखने के लिए
बच्चे की त्वचा को सुरक्षित व मॉइश्चराइज रखना जरूरी है। वर्निक्स नेचुरल मॉइश्चराइजर का काम करता है और बच्चे की त्वचा को सुरक्षित रखता है। हालांकि बच्चे को नहलाने से वर्निक्स बच्चे की त्वचा से हट जाता है। इसलिए बच्चे को कुछ दिनों तक नहलाने से बचें।
6. ब्रेस्टफीडिंग के अनुभव में सुधार के लिए
बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय कई मांओं को कुछ समय के लिए दिक्क्तें होती हैं। यह देखा गया है कि जो महिलाएं जन्म के बाद पहले आधे घंटे के लिए बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने में व्यस्त रहती हैं उन्हें बाद में इससे संबंधित कोई भी दिक्कत नहीं होती है। इसलिए बच्चे को पहले कुछ घंटों के लिए नहलाना सही नहीं है। इस विशेष समय में मांएं अपने बच्चे को ज्यादा से ज्यादा दूध पिलाएं और उससे अपनी संबंध को मजबूत करें।
7. बच्चे को साथ में पहली बार नहलाने के लिए
आप और आपके पार्टनर बच्चे को पहली बार नहलाना चाहते होंगे और उसके इस अनुभव का पार्ट भी बनना चाहते होंगे। इसके लिए बच्चे को जब तक आप उसे घर न ले जाएं तब तक पहली बार देरी से नहलाना ही सही है। बच्चे को साथ में नहलाने से आपके व उसके संबंध में सुधार होता है।
इसलिए यदि आप सोच रही हैं कि बच्चे को पहली बार नहलाने में देरी कैसे करें तो निर्णय लेने में मदद के लिए आप ऊपर बताए हुए टिप्स पर जरूर विचार करें या डॉक्टर से सलाह लें।
बच्चे को पहली बार नहलाने के टिप्स
बच्चे को नॉर्मल तरीके से नालाना शुरू करने से पहले आप इस बात का ध्यान रखें कि वह इसके लिए तैयार है या नहीं। यदि बच्चा चिड़चिड़ा होता है तो उसे नहलाना शुरू करने से पहले कुछ और दिनों स्पंज बाथ ही देना चाहिए।
छोटे बच्चों को पहली बार नहलाने से संबंधित कुछ टिप्स यहाँ बताए गए हैं, आइए जानें;
1. सही समय का इंतजार करें
बच्चे को नहलाना शुरू करने से पहले सही समय का इंतजार करना बहुत जरूरी है। जब तक बच्चे की अम्बिलिकल कॉर्ड न गिर जाए, सर्कमसिजन ठीक न हो जाए और उसकी नाभी पूरी तरह से सही न हो जाए तब तक उसे नहलाना शुरू न करें। हालांकि आप उसे स्पंज बाथ दे सकती हैं।
2. रूटीन बनाएं
आप बच्चे को नहलाने का जो भी समय चुनती हैं उसे ठीक उसी समय नियमित रूप से नहलाएं। इससे बच्चे को यह समझने में मदद मिलेगी कि आगे क्या होने वाला है, जैसे ज्यादातर मामलों में बच्चा नहाने के बाद सो जाता है।
3. बच्चे की सभी चीजों को साथ में रखें
आप बच्चे को नहलाते समय उसे छोड़ कर चीजों को लेने जाना नहीं चाहती होंगी। बच्चे को नहलाना शुरू करने से पहले आप उसकी चीजों की लिस्ट बनाएं और सभी चीजें साथ में रख लें। वह चीजें हैं, जैसे साबुन, शैम्पू, बेबी टॉवल, बेबी टब में गुनगुना पानी भरा हुआ, ब्लैंकेट आदि। यह वो कुछ चीजें हैं जिन्हें आप बच्चे को नहलाते समय पास में ही रखें।
4. गर्माहट बनाए रखें
जिस बाथरूम में आप बच्चे को नहलाना चाहती हैं उसमें गर्माहट बनाएं रखें क्योंकि उसके शरीर की हीट बहुत जल्दी खत्म हो सकती है। बच्चे को बाथरूम में ले जाने से पहले आप थोड़ी देर के लिए हॉट शॉवर चलाएं या अपने कमरे की थर्मोस्टेट सेटिंग लगभग 75 से 80 डिग्री तक रखें।
5. बच्चे को ठीक से पकड़ें
बच्चे को ठीक से पकड़ें ताकि वह साइड से फिसलने न पाए। साबुन, शैम्पू और पानी से ग्रिप खत्म हो सकती है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि आप बच्चे के सिर को हथेली में रखकर उसे अच्छी तरह से पकड़ें और उसके बाद दूसरे हाथ से साबुन व पानी का उपयोग करें।
6. साबुन बहुत ज्यादा न लगाएं
साबुन का बहुत ज्यादा उपयोग करने से बच्चे की स्किन रूखी हो सकती है। इसलिए आप बच्चे की त्वचा पर साबुन का बहुत ज्यादा उपयोग करने से बचें। बच्चे के हाथ व डायपर एरिया को साफ करने के लिए ही आप साबुन का उपयोग करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे का साबुन माइल्ड व हापोएलर्जेनिक होना चाहिए।
7. जेनिटल को आराम से साफ करें
बच्चे के जेनिटल भाग को साफ करने के लिए आप पूरी सावधानी बरतें। आप इसे रगड़ें न और फोल्ड के बीच में आराम से साफ करें। यदि बच्चा अनसरकमसाइस्ड है तो उसके फोरस्किन को न खींचें। साथ ही बच्चे के जेनिटल्स में साबुन न लगाएं।
8. बच्चे को कपड़े से अच्छी तरह लपेटें
बच्चे को नहलाने के बाद तुरंत एक सॉफ्ट तौलिए में लपेट लें। उसे धीरे-धीरे टब से बाहर निकालें और तौलिए से लपेटें। उसके जेनिटल्स को कपड़े से पैट करके पानी सुखाएं।
बच्चे को पहली बार नहलाने के अनुभव को यादगार बनाने के लिए आप इन टिप्स का उपयोग जरूर करें। हम जानते हैं कि आप बच्चे को जल्दी से जल्दी नहलाना शुरू करना चाहती हैं पर उसे सेफ और खुश रखने के लिए इंतजार करने जरूरी है। जब बच्चा तैयार होगा तब आप उसे नॉर्मल तरीके से नहला सकती हैं। हालांकि कुछ दिनों तक आप उसे स्पंज बाथ ही दें।
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