छोटे बच्चे नींद से रोते हुए क्यों जागते हैं?

छोटे बच्चे नींद से रोते हुए क्यों जागते हैं?

छोटे बच्चे अक्सर बीच रात में जागने के बाद दो कारणों से रोना शुरू कर देते हैं। पहला यह समय उनका डायपर बदलने का होता है और दूसरा बच्चा इस समय भूखा हो सकता है। पर कभी-कभी शिशु बिना किसी कारण के ही जागने के बाद रोने लगता है। बच्चे अक्सर नींद में बाधा आने की वजह से रोते हैं क्योंकि उन्हें दोबारा सोने में कठिनाई होती है। कभी-कभी जो बच्चे बहुत ज्यादा सोते हैं उन्हें भी नींद में दिक्कत हो सकती हैं। बच्चे को दूध पिलाने या झुलाने से अच्छी नींद आ सकती हैं। हालांकि वे अपनी नींद के लिए अक्सर इन्हीं चीजों पर निर्भर हो जाते हैं। इसलिए जागने के बाद बच्चा क्यों रोने लगता है इसके कारणों को जानना बहुत जरूरी है। 

बच्चे के जागते ही रोना शुरू करने के कारण 

यदि बच्चे को रात में सहज होने में समस्या होती है और फिर वह पूरी रात ठीक से नहीं सोता है तो जाहिर है आपको चिंता होगी। आपको बच्चे को दिन के समय में नैप लेने और सही समय पर रात में सोने के संबंध में निरंतरता बनाए रखने की आवश्यकता होगी। यदि बच्चा हल्का-फुल्का रोता या आवाज निकालता है तो आपको उसे तुरंत अटेंड करने की जरूरत नहीं है क्योंकि सोते समय बच्चा अक्सर रो सकता है और ऐसे में आप हर बार उसे पकड़ के या बिस्तर से उठाकर उसकी नींद खराब नहीं करना चाहेंगी। इसलिए आपको यह जानना चाहिए कि बच्चा रात में क्यों रोता है। इसके कुछ आम कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  1. यदि बच्चा जागते ही बहुत तेज रोने लगता है तो यह शरीर में तकलीफ होने से भी हो सकता है। उदाहरण के लिए कमरे का तापमान बहुत ज्यादा ठंडा या गर्म होना, बहुत थोड़ा पीना या खाना या बहुत ज्यादा खाना व पीना भी उसे रुला सकता है। यदि बच्चे की नैपी गीली है व उसे असुविधा हो रही है तो भी वह रो सकता है। कभी-कभी एक ही पोजीशन में बहुत देर तक सोने से भी अकड़न हो जाती है और बच्चा दर्द के कारण उठते ही रोने लगता है। बच्चे को रोल कराने या उसकी पोजीशन को बदलने से उसे आराम मिल सकता है। कभी बहुत ज्यादा थकना या न थकना भी कारण हो सकता है। बच्चे का एक रूटीन बनाना बहुत जरूरी है ताकि वह सो कर उतने समय के बाद पर्याप्त रूप से एक्टिविटी व खेलों में व्यस्त रहे। 
  2. समय के साथ बच्चे को अकेला महसूस होता है और वह डर भी सकता है। यदि बच्चे को बुरे सपने आते हैं तो इससे वह डिस्टर्ब हो सकता है और जागते ही खुद को अकेला पाकर वह रोना शुरू कर सकता है। बच्चे के साथ प्यार से बात करने व उसे अटेंशन देकर शांत करने से उसे दोबारा सोने में मदद मिलती है। यदि बच्चा उठने के बाद आंखें बंद किए-किए रोता है तो उसे नींद से डर का अनुभव हो सकता है। रात में डर लगना बुरा सपना से अलग है और इससे भी नींद में बाधा आ सकती है। बच्चा बैठकर रोना शुरू कर सकता है और चीजों को इधर-उधर फेंक सकता है। रात में डर लगने के मामले में बच्चा पूरी तरह से जागा नहीं रहता है। बच्चे को रात में डर क्यों लगता है इसका कोई भी विशेष कारण नहीं है। हालांकि इससे बच्चे की नींद जरूर खराब हो सकती है। 
  3. छोटे बच्चों में दांत निकलने से लेकर इंफेक्शन तक कुछ-कुछ समस्याएं रहती ही हैं। इसके अलावा रात में बीमारी से भी प्रभाव पड़ता है। चूंकि छोटा बच्चा अपनी परेशानी नहीं बता सकता है इसलिए वह सिर्फ रोना शुरू करेगा। कभी-कभी बेबी अपच की वजह से भी रो सकता है। आपने नोटिस किया होगा कि बच्चा बहुत ज्यादा गुस्से में या चिड़चिड़ा है जो बहुत तेज नहीं होता है पर फिर एक न्यूबॉर्न के लिए बहुत ज्यादा है। ऐसे मामलों में वह हिल-डुल सकता है, मुड़ सकता है और उसे काफी पसीना भी आ सकता है। रोने का कारण पेट में दर्द भी हो सकता है। इन कारणों से बच्चा बहुत तेज रोना शुरू कर सकता है और उसके पेट में ऐंठन हो सकती है। बच्चे को सर्दी-जुकाम या साइनस होने से भी उसे रोना आ सकता है। कुछ मामलों में म्यूकस कंजेशन होता है जो बच्चे के रोने के दौरान दिखाई भी देता है। कभी-कभी बुखार, कान या गले में दर्द के कारण बच्चा बहुत तेज रोने लगता है और चिड़चिड़ा भी हो जाता है। हालांकि इनमें से ज्यादातर कारण बहुत गंभीर नहीं हैं और इन्हें भी मेडिकल की मदद से ठीक किया जा सकता है।बच्चे के जागते ही रोना शुरू करने के कारण 
  4. कभी-कभी बच्चे को सेपरेशन एंग्जायटी हो सकती है। यदि पेरेंट्स बच्चे को अकेला छोड़ देते हैं या आसपास नहीं रहते हैं तो इससे वह डर सकता है। रात में अचानक उठने के बाद यदि बच्चा अपने पेरेंट्स या केयर गिवर को नहीं देखता है तो इससे उसे डर लग सकता है या एंग्जायटी हो सकती है। ऐसे में बच्चे के साथ पी-क-बू खेलने से उसे चीजों की जगह समझने में मदद मिलती है और उसे डैडी के पास छोड़कर जाने पर इससे काफी फायदे हो सकते हैं। 
  5. कुछ समय के बाद बच्चे में कई अलग-अलग माइलस्टोन पूरे होंगे, जैसे एक तरफ लुढ़कना, बैठना, क्रॉलिंग, पहला कदम उठाना, चलना जिससे बच्चे की रात की नींद पर असर पड़ता है। उदाहरण के लिए बच्चा टेबल या कुर्सी का सहारा लेकर खुद खड़ा हो सकेगा पर बैठने पर उसका बैलेंस डगमगा सकता है। बच्चे का हर एक माइलस्टोन उसके दिमाग को प्रभावित करता है जिससे उसकी नींद कम हो जाती है। दिन में एक एक्साइटिंग एक्टिविटी से बच्चे की नींद खराब हो सकती है। 
  6. यद्यपि बच्चे के खाने का पैटर्न बन चुका होता है पर इसका यह मतलब नहीं है कि वह भूख के कारण नहीं रोएगा। यदि आपने बच्चे का दूध पीना छुड़ा दिया है तो उसे दिन में ज्यादा भोजन खिलाएं। बच्चे को सॉलिड फूड खिलाना शुरू करने के बाद उसे दूध पिलाना भी कम न करें। यदि इससे बच्चे को अच्छी नींद आती है तो आप उसे उतना ही दूध पिलाएं। 

यह कहना कठिन है कि ऊपर बताए हुए टिप्स सभी बच्चों के लिए उपयोगी हैं। हर बच्चा अलग होता है। इसलिए यदि कोई मेथड काम करता है तो बच्चों से संबंधित चीजों को जांचने और परखने के बाद इसके कारण व समाधानों का पता करना चैलेंजिंग है। ज्यादातर मामलों में आप सिर्फ इंतजार कर सकती हैं जिसमें हर एक चरण में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। यदि आपने सब कुछ ट्राई कर लिया है और बच्चे के लिए कुछ भी काम नहीं कर रहा है तो आप पेडिअट्रिशन की मदद ले सकती हैं। 

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