शिशु

शिशुओं में चोकिंग और सीपीआर – फर्स्ट एड एवं अन्य जानकारी

छोटे बच्चे हमेशा नई-नई चीजों के बारे में जानने और समझने के लिए उत्साहित रहते हैं और इसलिए उनके साथ दुर्घटना होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। चोकिंग और गैगिंग उन सबसे आम दुर्घटनाओं में शामिल हैं, जिनका खतरा छोटे बच्चों को अधिक होता है। यह समझना जरूरी है, कि चोकिंग कई तरह से गैगिंग से अलग होती है। गैगिंग एक नेचुरल रिफ्लेक्स है और यह मुंह के काफी नीचे होता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, यह कंठ से काफी नीचे चला जाता है। गैगिंग एक सुरक्षात्मक रिफ्लेक्स है, जो कि चोक होने से बचाता है। 

वहीं दूसरी ओर चोकिंग यानी दम घुटना आंशिक या पूर्ण हो सकता है। आंशिक चोकिंग में बच्चा खांसने में सक्षम होता है और वह किसी बाहरी ऑब्जेक्ट को बाहर निकालने की कोशिश कर सकता है। वहीं पूर्ण चोकिंग में एयरवेज बाधित हो जाते हैं, जिससे खांसी नहीं हो पाती है और बच्चा बहुत जल्दी बेहोश हो सकता है। अगर एक बच्चा चोक होने पर प्रभावी रूप से खांस रहा है, तो खांसी को जारी रहने देना ही बेहतर है, क्योंकि इससे एयरवेज खाली होने में मदद मिलती है। वहीं अगर ऐसा नहीं होता है, तो बाधित एयरवेज को तुरंत खाली करने के लिए फर्स्ट एड और अन्य प्रभावी तरीके पता होने से, आपके बच्चे की जिंदगी बच सकती है। इसके बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें। 

छोटे बच्चों में चोकिंग के लिए फर्स्ट एड

शिशु और छोटे बच्चे सेंसिटिव होते हैं और उन्हें चोकिंग जैसी दुर्घटनाओं का खतरा ज्यादा होता है। यही कारण है, कि उन्हें हर वक्त सावधानी पूर्वक हैंडल करना जरूरी है। पेरेंट्स और गार्जियन्स को इसकी जानकारी होनी ही चाहिए, कि अगर बच्चे का दम घुटता है, तो उसे तुरंत राहत दिलाने के लिए और खतरनाक नतीजों से बचाने के लिए क्या करना चाहिए। 

खाना, दम घुटने का सबसे आम कारण होता है, क्योंकि छोटे बच्चे अपने खाने को अच्छी तरह से चबाने में सक्षम नहीं होते हैं और उसे निगल लेते हैं। चोकिंग के लक्षणों को समझना जरूरी है, ताकि बच्चे को तुरंत और असरदार फर्स्ट एड दिया जा सके। 

कैसे पता करें कि बेबी को चोक हुआ है?

बच्चे में निम्नलिखित लक्षण दिखना उसके दम घुटने की पहचान हो सकती है: 

  • बच्चे के हाथ उसके कंठ पर होना दम घुटने का यूनिवर्सल संकेत है
  • सांस लेने में कठिनाई
  • त्वचा का रंग नीला पड़ जाना
  • हवा की नली में रुकावट होने से बेहोशी
  • सांस लेने के दौरान तेज आवाज
  • कोई आवाज निकालने में या लगातार रोने में अक्षमता

बेबी को दम घुटने से कैसे बचाएं?

जब बच्चे का दम घुट रहा हो, तो उसे गंभीर नुकसान से बचाने के लिए तुरंत उचित कदम उठाना सबसे ज्यादा जरूरी है। यहां पर कुछ जरूरी स्टेप्स दिए गए हैं, जिन्हें बच्चे को चोक होने पर आपको फॉलो करना चाहिए: 

1. परिस्थिति को तुरंत समझना

अगर बच्चा सांस नहीं ले पा रहा है या खांस नहीं पा रहा है या रो नहीं पा रहा है, तो इसका मतलब है, कि उसकी सांस की नली में कुछ अटक गया है। ऊपर दिए गए लक्षणों जैसे कई लक्षण बच्चे के दम घुटने को का संकेत देते हैं। स्थिति को तुरंत समझने से उसकी जिंदगी बचाने में मदद मिल सकती है। 

2. ब्लॉकेज क्लियर करना

बच्चे को आराम दिलाने के लिए और उसकी सांसों को नार्मल करने के लिए, ब्लॉकेज को क्लियर करना बहुत जरूरी है। जब बच्चे में चोक के लक्षण दिखते हैं, तब एक उंगली के इस्तेमाल से ठुड्डी को उपर उठाएं और उसके मुंह और नाक में देखें, ताकि कोई रुकावट दिखने पर उसे निकाला जा सके। अगर बच्चा खांस रहा है, तो जब तक अटकी हुई वस्तु बाहर नहीं निकल जाती, तब तक उसे खांसने दें। जब बच्चा खांस रहा हो, तो उसकी पीठ पर न थपथपाएं, क्योंकि ऐसा करने से वह वस्तु फिसल कर और अंदर जा सकती है। 

3. बैक ब्लो और चेस्ट थ्रस्ट

एक साल से कम उम्र के बच्चे को यदि चोक हुआ हो और वह रेस्पॉन्ड कर रहा हो, तो उसमें एब्डोमिनल थ्रस्ट के बजाय बैक ब्लो और चेस्ट थ्रस्ट का इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें हमने अगले बिंदु में विस्तार से बताया है। 

बैक ब्लो और चेस्ट थ्रस्ट देने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया को अपनाएं: 

  • बच्चे को अपनी गोद में कुछ इस तरह से पकड़ें, कि उसका चेहरा नीचे की ओर हो और उसका सिर छाती से नीचे हो। बच्चे का शरीर आपके हाथ पर होना चाहिए, और अपने हाथ को अपनी जांघ पर रखें।
  • अपने हाथ से बच्चे के सिर और गर्दन को सपोर्ट दें और इस बात का ध्यान रखें कि उसके कंठ पर दबाव न पड़े।
  • अपने दूसरे हाथ की हील का इस्तेमाल करते हुए शोल्डर ब्लेड के बीच 5 बार बैक ब्लो करें।

  • दोनों हाथों और बाहों के इस्तेमाल से, बच्चे को सीधा करें, जिससे उसका चेहरा ऊपर की ओर हो और वह आपके दूसरे हाथ पर हो और आपका यह हाथ आपकी जांघ पर होना चाहिए।
  • फिर से इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चे का सिर उसकी छाती से नीचे होना चाहिए।
  • अपने खाली हाथ की उंगलियों का इस्तेमाल करते हुए ब्रेस्टबोन के आधे निचले हिस्से पर जल्दी-जल्दी 5 डाउनवार्ड चेस्ट थ्रस्ट दें (हर सेकंड में एक थ्रस्ट)।

  • ऐसा करने पर भी, यदि वस्तु बाहर न निकले, तो फिर से अपने दूसरे हाथ का इस्तेमाल करते हुए बच्चे का सिर नीचे की ओर करें और इसी प्रक्रिया को दोहराएं।
  • जब तक बच्चा सामान्य रूप से सांस लेना शुरू नहीं कर देता या नॉर्मल दिखने नहीं लगता, तब तक इन स्टेप्स को लगातार करती रहें।

4. एब्डोमिनल थ्रस्ट

इन स्टेप्स को केवल तभी करना चाहिए, जब बच्चा रेस्पॉन्सिव हो और उसकी उम्र एक साल से अधिक हो। 

एब्डोमिनल थ्रस्ट को अच्छी तरह से करने के लिए, नीचे दी गई प्रक्रिया को अपनाएं: 

  • बच्चे के पीछे खड़ी हो जाएं। उसकी पसलियों के नीचे, कमर के इर्द-गिर्द अपनी बाहों को लपेट दें।
  • अपनी मुट्ठी के किनारे को बच्चे के पेट के बीच में नाभि के ऊपर रखें। स्टर्नम यानी छाती की हड्डी के निचले हिस्से पर दबाव न डालें।
  • अपने दूसरे हाथ से पहली मुट्ठी को पकड़ें और बच्चे के पेट और छाती के ऊपर की ओर जोर से दबाएं।
  • जब तक वस्तु बाहर न निकल जाए या बच्चा बेहतर महसूस न करने लगे, तब तक इन स्टेप्स को जारी रखें।

दोनों तकनीकों को ठीक तरह से समझने के लिए इस वीडियो को देखें। 

वीडियो: चोकिंग इमरजेंसी के लिए फर्स्ट एड

जब बच्चा रिस्पॉन्स ना कर रहा हो या बेहोश हो और चोकिंग के लिए फर्स्ट एड देने के बाद भी उसकी सांसे और हृदय गति रुक गई हो, तो आपको सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) जरूर देना चाहिए और तुरंत मेडिकल अटेंशन लेना चाहिए। सीपीआर क्या है और कैसे किया जाता है, यह समझने के लिए आगे पढ़ें। 

सीपीआर क्या है?

सीपीआर या कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन, एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है और यह तब अपनाई जाती है, जब किसी व्यक्ति की सांसे और हृदय की गति रुक जाती है और उसमें जीवन के कोई संकेत नहीं दिखते हैं। सीपीआर में फोर्सफुल रेस्क्यू ब्रीदिंग दी जाती है, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है। इस प्रक्रिया में चेस्ट कंप्रेशन भी शामिल होते हैं, जो कि खून के प्रवाह में मदद करते हैं। 

जब तक बच्चा ठीक नहीं हो जाता या मेडिकल मदद नहीं पहुंच जाती, तब तक इन प्रक्रियाओं को जारी रखना चाहिए, क्योंकि ऑक्सीजन की कमी या रक्त प्रवाह रुकने से बच्चे को स्थाई नुकसान हो सकता है। बच्चों में सीपीआर उसी व्यक्ति को करना चाहिए, जिसे सीपीआर एक्रेडिटेड कोर्स के साथ ट्रेनिंग दी गई हो। लेकिन इसे पेरेंट्स भी कर सकते हैं। इन टेक्निक की जानकारी होना जरूरी है, ताकि ऐसी स्थिति पैदा होने पर, स्थिति को बेहतर बनाया जा सके। 

छोटे बच्चों में सीपीआर क्यों किया जाना चाहिए?

जैसा कि पहले बताया गया है, जब शरीर में जीवन के कोई संकेत न दिखें, तब सीपीआर किया जाता है, जैसे बच्चे ने सांस लेना बंद कर दिया हो या उसके दिल ने धड़कना बंद कर दिया हो तब। जब स्थिति को सुधारने के लिए किए गए बाकी सभी तरीके फेल हो जाएं, तब सीपीआर की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए। अक्सर इसे बच्चों में या शिशुओं में कार्डियक अरेस्ट या चोकिंग, सफोकेशन, शॉक, गंभीर इंजरी या अन्य गंभीर एक्सीडेंट होने पर, ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन के प्रवाह को शुरू करने के लिए किया जाता है। 

छोटे बच्चों पर सीपीआर कब करें?

बच्चे में नीचे दिए गए संकेतों में से कोई भी संकेत दिखने पर सीपीआर की प्रक्रिया की जानी चाहिए:

  • सांस ना लेने पर
  • पल्स ना होने पर
  • बेहोशी की स्थिति में

छोटे बच्चों में सीपीआर कैसे करें?

किसी इमरजेंसी की स्थिति में, जितनी जल्दी हो सके एंबुलेंस को बुलाना सबसे उचित होता है। अगर आप शिशु के साथ अकेली हैं, तो सीपीआर की जानकारी होने पर आपको आसानी हो सकती है। एक मिनट के लिए सीपीआर करें और फिर एंबुलेंस को बुलाएं और जब तक एंबुलेंस पहुंच नहीं जाती, तब तक इस प्रक्रिया को दोहराएं। बच्चे पर सीपीआर परफॉर्म करने के लिए, यहां पर कुछ स्टेप्स दिए गए हैं, जिन्हें आपको फॉलो करना चाहिए।  

1. समस्या को तुरंत समझना

ऊपर दिए गए लक्षणों को समझ कर, समस्या को पहचानें। अगर बच्चा होश में नहीं है, तो उसके तलवे पर थपथपा कर और उसका नाम पुकार कर प्रतिक्रिया पाने की कोशिश करें। यह पूरी प्रक्रिया 10 सेकेंड के अंदर हो जानी चाहिए। अगर बच्चा बेहोश है और उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है, तो उसकी एयरवेज को खोलें, उसकी पल्स को चेक करें और उसे रेस्क्यू ब्रीथ दें। 

2. एयरवेज को खोलें और पल्स चेक करें

बच्चे की छाती पर सही एंगल पर उसकी सामान्य सांस को देखें और सुनें। उसके फोरहेड को नीचे करें, सिर को पीछे की ओर झुकाएं और एक हाथ से ठुड्डी को ऊपर उठाएं। अब मुंह और नाक में किसी तरह की अटकी हुई वस्तु को ढूंढें और बाहर निकालें। कोहनी की अंदर की ओर अपनी मिडिल फिंगर और इंडेक्स फिंगर की मदद से पल्स चेक करें। अगर पल्स नहीं चल रही हो या बच्चा सांस न ले रहा हो, तो तुरंत मदद/एंबुलेंस के लिए कॉल करें और सीपीआर परफॉर्म करें। 

3. दो रेस्क्यू ब्रीथ दें

बच्चे को रेस्क्यू ब्रीथ देने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें: 

  • बच्चे के एयरवेज को खोलें और यह सुनिश्चित करें कि वह क्लियर हो।
  • बच्चे के नाक और मुंह के आसपास अपने होंठों को सील करें। बच्चे के फेफड़ों में हवा भरें और देखें कि जब आप हवा ब्लो करती हैं, तो वह ऊपर उठता है या नहीं।
  • अगर बच्चे की छाती ऊपर उठती है, तो उठने के बाद, हवा देना बंद करें और उसे वापस नीचे गिरने दें।
  • इस प्रक्रिया को दो बार दोहराएं।

4. 30 चेस्ट कंप्रेशन दें

  • बच्चे को किसी सख्त सतह पर रखें और उसकी छाती के केंद्र को ढूंढें।
  • स्टर्नम के मिड-पॉइंट को ढूंढें, निप्पल को जोड़ने वाली एक काल्पनिक लाइन के बीच और जहां पर सबसे निचली पसली बीच में जुड़ती है।
  • छाती की गहराई की एक तिहाई तक दबाएं। 100 कंप्रेशन प्रति मिनट की दर पर 30 बार दबाएं।
  • 30 कंप्रेशन के बाद दो रेस्क्यू ब्रीथ दें।
  • 30 कंप्रेशन और दो ब्रीथ के इस सायकल को कम से कम 5 बार या मदद मिलने तक रिपीट करें।

बच्चों पर सीपीआर की प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझने के लिए इस वीडियो को देखें। 

वीडियो: छोटे बच्चों में सीपीआर कैसे करें

सीपीआर की प्रक्रिया के दौरान सावधानियां

बच्चे पर सीपीआर करते समय इन सावधानियों को फॉलो करना चाहिए: 

  • अगर बच्चा नार्मल सांस ले रहा हो या उसमें खांसी या कोई एक्टिविटी दिख रही हो, तो सीपीआर की प्रक्रिया को शुरू न करें, क्योंकि ऐसा करने से उसके दिल की धड़कन रुक सकती है।
  • अगर आपको सीपीआर परफॉर्म करने की ट्रेनिंग नहीं दी गई है या सीपीआर कैसे किया जाता है इसकी बेसिक अंडरस्टैंडिंग आपको नहीं है, तो आपको तुरंत प्रोफेशनल मदद लेनी चाहिए और खुद सीपीआर देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
  • अगर आपके बच्चे को कोई स्पाइनल इंजरी है, तो जबड़े को ऊपर खींचते समय, सिर या गर्दन को न हिलाएं और मुंह को बंद न होने दें।

छोटे बच्चों में चोकिंग से बचने के टिप्स

ज्यादातर दुर्घटनाएं जिनमें सीपीआर की जरूरत पड़ती है, उचित सावधानियां बरतकर, उनसे बचाव संभव होता है। जिनमें से कुछ नीचे दी गई हैं:

  • इस बात का ध्यान रखें, कि जब आप बच्चे को ठोस आहार देना शुरू करें, तब, जब तक बच्चे के दांत आने शुरू नहीं होते हैं और वह फिंगर फूड खाने के लायक नहीं हो जाता है, तब तक आप उसे मसला हुआ या पिसा हुआ खाना दें।
  • दांत आने के समय दवाओं के इस्तेमाल से बचें, क्योंकि इससे बच्चे का कंठ सुन्न पड़ सकता है और उसे खाना निगलने में कठिनाई हो सकती है।
  • जब बच्चा ठोस आहार लेने की शुरुआत करता है, तो इस बात का ध्यान रखें, कि वह बैठ कर खाना खाए।
  • इस बात का ध्यान रखें, कि सभी सब्जियां पकी हुई हों और मुलायम हों।
  • फिंगर फूड छोटे टुकड़ों में कटे हुए होने चाहिए।
  • बच्चे को धीरे-धीरे अच्छी तरह से चबा-चबा कर खाने के लिए प्रेरित करें।
  • ऐसे स्नैक का चुनाव करें, जिन्हें निगलना आसान हो।
  • बटन और बीज जैसी छोटी चीजों को बच्चे की पहुंच से दूर रखें।
  • सबसे ज्यादा जरूरी है, कि अपने बच्चे पर नजर रखें, विशेषकर जब वह खा रहा हो, क्योंकि अगर उसे चोकिंग होती है, तो वह आपको सावधान करने में सक्षम नहीं होगा।

मेडिकल मदद कब लें?

किसी इमरजेंसी की स्थिति में, सबसे बेहतर है, कि बिना देर किए हुए तुरंत मेडिकल मदद लें। अगर आपका बच्चा जानलेवा दुर्घटना का शिकार हुआ है, तो तुरंत डॉक्टर को कॉल करें और जब तक प्रोफेशनल्स की टीम पहुंच नहीं जाती, तब तक फर्स्ट एड देना जारी रखें। 

माता-पिता अपने बच्चे के स्वास्थ्य के साथ कभी भी समझौता नहीं करते। फर्स्ट एड देने की उचित जानकारी होने पर, चोकिंग जैसी दुर्घटना होने की स्थिति में आपको मदद मिल सकती है। हालांकि ऐसी दुर्घटनाओं से बचाव के लिए उचित कदम उठाए जा सकते हैं। लेकिन, जरूरत पड़ने पर इस लेख में दिए गए दी गई जानकारी और टिप्स स्थिति को मैनेज करने में और मेडिकल मदद लेने में आपकी मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही, हम पेरेंट्स को यह सख्त सलाह देते हैं, कि अगर आपके पास उचित ट्रेनिंग नहीं है तो ऐसी किसी भी तकनीक को करने से बचें। किसी प्रोफेशनल के निर्देश के अंदर एक सही ट्रेनिंग लेने से आपको जरूरत पड़ने पर सही तरीके को अपनाने में मदद मिल सकती है। 

यह भी पढ़ें: 

शिशुओं में साइनस की समस्या
शिशुओं में साइटोमेगालोवायरस (सीएमवी)
टर्नर सिंड्रोम – कारण, लक्षण और इलाज

पूजा ठाकुर

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

22 hours ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

22 hours ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

22 hours ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago