शिशु

छोटे बच्चों में जन्मजात हृदय रोग

ऐसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं जिनके साथ एक बच्चे का जन्म हो सकता है और ऐसी ही एक बीमारी है बच्चे में कंजेनिटल हार्ट डिजीज यानी जन्मजात हार्ट डिफेक्ट या हृदय रोग होना। यह हार्ट डिफेक्ट मामूली से गंभीर तक कुछ भी हो सकता है, जिसमें जान जाने तक का खतरा हो सकता है। यहाँ आपको इस बीमारी के बारे में जानकारी दी गई है और यह भी बताया गया है कि पेरेंट्स कैसे अपने बच्चे की इस स्थिति को प्रभावी तरीके से मैनेज करें।  

जन्मजात हृदय रोग क्या हैं?

जन्मजात हृदय रोग एक एब्नार्मेलिटी है जो बच्चे के जन्म के समय से ही मौजूद हो सकती है। ये डिफेक्ट हार्ट की वॉल, वाल्व और वेसल्स में मौजूद हो सकते हैं। ऐसे हृदय संबंधी बर्थ डिफेक्ट ब्लड में नॉर्मल फ्लो को बाधित कर सकते हैं। कंजेनिटल हार्ट डिजीज का असल कारण अभी तक नहीं पता नहीं किया जा सका है, लेकिन यह जींस में होने के कारण भी हो सकता है। नवजात शिशु में ज्यादातर जन्मजात हृदय की समस्याएं बहुत ही कम या बिना मेडिकल हस्तक्षेप के मैनेज की जाती हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में जन्म के बाद तुरंत मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है । कुछ मामलों में, पूरे जीवन भर आपको बच्चे की विशेष देखभाल करने और एहतियात बरतने की आवश्यकता हो सकती है।

जन्मजात हृदय रोगों के प्रकार

बच्चों में कई प्रकार के कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट हो सकते हैं। हालांकि, दिल के जन्मजात दोषों को मोटे तौर पर तीन प्रमुख श्रेणियों में डिवाइड किया गया है

1. हार्ट वाल्व डिफेक्ट

इस प्रकार के हार्ट डिफेक्ट तब होते हैं जब दिल के अंदर के वाल्व रिसाव या क्लोज-अप करते हैं। वाल्व में ऐसे डिफेक्ट ब्लड पंप करने की क्षमता को बाधित करते हैं।

2. हार्ट वॉल डिफेक्ट

इस प्रकार के डिफेक्ट तब होते हैं जब हार्ट के अंदर की वॉल्स ठीक से डेवलप नहीं होती हैं। इस तरह के डिफेक्ट ब्लड फ्लो को बाधित कर सकते हैं और ब्लड उन जगहों तक पहुंच सकता है जहाँ यह नहीं होना चाहिए। ऐसी स्थिति में बच्चे का हृदय नॉर्मल से ज्यादा काम करने लगता है और इससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है।

3. ब्लड वेसल डिफेक्ट

इस प्रकार के डिफेक्ट हार्ट आर्टरी और वेन में होते हैं। इसमें ब्लड फ्लो कम होने लगता है और वेसल ब्लॉक हो जाता है। इस तरह के डिफेक्ट स्वास्थ्य की घातक समस्या को जन्म दे सकते हैं।

कंजेनिटल हार्ट डिजीज के लिए अन्य नाम क्या हैं?

कंजेनिटल हार्ट डिजीज को सायनोटिक और एसयानोटिक कंजेनिटल हार्ट डिजीज के रूप में भी बांटा जा सकता है। इन दोनों दोषों के कारण हार्ट ठीक से ब्लड पंप करने में असमर्थ हो जाता है। ब्लड में ऑक्सीजन लेवल में कमी के कारण सायनोटिक हार्ट डिफेक्ट होता है। इस तरह के हार्ट डिफेक्ट वाले बच्चों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और उनकी त्वचा पर छाले पड़ सकते हैं। हालांकि, एसयानोटिक हार्ट डिफेक्ट वाले बच्चों में ऑक्सीजन का लेवल कम नहीं होता है, लेकिन बाद में उन्हें जीवन में कॉम्प्लिकेशन का अनुभव हो सकता है (उदाहरण के लिए- हाई ब्लड प्रेशर)।

जन्मजात हृदय रोगों के कारण

बच्चों में दिल की जन्मजात बिमारियों के कारण जेनेटिक या गर्भावस्था के दौरान के वातावरण संबंधी फैक्टर हो सकते हैं।

1. एनवायरमेंटल फैक्टर

एनवायरमेंटल फैक्टर में शामिल हैं:

  • कुछ निश्चित दवाओं का उपयोग: गर्भावस्था के दौरान मां द्वारा कुछ दवाओं के उपयोग से बच्चों में हार्ट डिफेक्ट का खतरा बढ़ जाता है। इनमें से कुछ दवाओं में एक्यूटेन (मुँहासे के लिए दवा), लिथियम (बाइपोलर डिसऑर्डर के लिए उपयोग), दौरे की दवाएं आदि शामिल हैं।
  • धूम्रपान/स्मोकिंग: गर्भावस्था में धूम्रपान करने से जन्मजात हृदय रोग वाले बच्चे होने का खतरा बढ़ सकता है।
  • अल्कोहल: गर्भावस्था में अल्कोहल का सेवन आपके बच्चे के दिल के लिए हानिकारक हो सकता है और इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि बच्चा हार्ट डिफेक्ट के साथ पैदा हो। अल्कोहल बच्चे में एफएएस यानी फीटल अल्कोहल सिंड्रोम का जोखिम पैदा कर सकता है, जिससे बच्चों में हार्ट प्रॉब्लम भी हो सकती है।
  • माँ को वायरल इन्फेक्शन होना: अगर आप किसी वायरल इन्फेक्शन से बीमार पड़ जाती हैं, जैसे कि प्रेगनेंसी के दौरान रूबेला (पहली तिमाही में), तो आपके बच्चे को कंजेनिटल हार्ट डिजीज होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
  • माँ को होने वाली क्रॉनिक बीमारी: यदि माँ को किसी प्रकार की क्रॉनिक बीमारी (फेनिलकीटोन्यूरिया, डायबिटीज या विटामिन की कमी) है तो इस बात की संभावना है कि बच्चा हृदय दोष के साथ जन्म ले।

2. जेनेटिक फैक्टर

जेनेटिक फैक्टर में शामिल हैं:

  • म्यूटेशन: कई जेनेटिक म्यूटेशन हैं जिसकी वजह से बच्चों में कंजेनिटल हार्ट डिजीज हो सकती हैं, जैसे कि एट्रियल सेप्टिक डिफेक्ट।
  • आनुवंशिकता: यदि जन्म से दिल की बीमारी माता-पिता या भाई-बहन को हो या आपके परिवार के लोगों में इसका इतिहास रहा हो, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि यह आपके बच्चे में भी ट्रांसफर हो जाए।
  • अन्य जन्म दोष: कंजेनिटल हार्ट डिजीज अन्य जन्म दोषों के कारण भी हो सकती है। टर्नर या डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा होने वाले बच्चों को जन्मजात हृदय रोग होने का भी खतरा होता है।

जन्मजात हृदय रोग से जुड़े लक्षण

जन्म से दिल की कुछ बीमारियों के लक्षण नहीं होते हैं या लगभग न के बराबर होते हैं, जबकि कुछ हार्ट डिफेक्ट में नोटिस किए जाने वाले लक्षण होते हैं, जैसे:

  • बच्चे को फीडिंग में परेशानी होना।
  • बच्चे की त्वचा (होंठ, अंगुलियां, पैर की अंगुलियां) पर नीलापन दिखना।
  • साँस लेने में तकलीफ हो सकती है या सांस फूलने का अनुभव हो सकता है।
  • बच्चे को सीने में तकलीफ या दर्द महसूस हो सकती है।
  • हो सकता है कि बच्चे का वजन ठीक से न बढ़े।

ऊपर बताए गए इन लक्षणों के अलावा, जो जन्म के तुरंत बाद स्पष्ट होते हैं, उसके अलावा भी कुछ लक्षण हो सकते हैं जो आगे चलकर बच्चे में नजर आ सकते हैं, जैसे:

  • सिर चकराना
  • बेहोशी
  • हार्ट बीट अनियमित होना
  • थकान या सुस्ती
  • सूजन

प्रेगनेंसी के अल्ट्रासाउंड के दौरान ज्यादातर मामलों में जन्मजात हृदय रोग होने का खतरा होता है। यदि आपके डॉक्टर को फीटल हार्ट बीट में किसी भी प्रकार की एब्नॉर्मेलिटी दिखती है, तो और भी कई टेस्ट करवाने की जरूरत पड़ सकती है।

दिल के जन्मजात दोषों का निदान कैसे किया जाता है?

प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड के दौरान कंजेनिटल हार्ट डिजीज के बहुत गंभीर मामले पता चल जाते हैं। हालांकि, कई ऐसे दोष होते हैं जो आपके बच्चे की जाँच करते समय आपके डॉक्टर द्वारा बाद में निदान किए जा सकते हैं। एक बार जब डॉक्टर को इसकी संभावना होने का संदेह हो जाता है, तो बेबी में हृदय रोग की जाँच करने के लिए निम्नलिखित तकनीक रेकमेंड की जाती हैं:

  • छाती का एक्स-रे: छाती का एक्स-रे दिल में एब्नॉर्मेलिटी चेक करने के लिए किया जाता है।
  • इकोकार्डियोग्राम: यह एक अल्ट्रासाउंड की तरह ही होता है और इसमें हार्ट की इमेज ली जाती है।
  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम: यह हार्ट में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी करने में मदद करता है।
  • एमआरआई: एमआरआई में हृदय का पूरा तरह स्कैन हो जाता है।
  • पल्स ऑक्सीमेट्री: यह ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा को स्थापित करने में मदद करता है।

क्या जन्म से पहले हार्ट प्रॉब्लम का पता लगाना संभव है?

हाँ, जन्म से पहले हार्ट प्रॉब्लम का पता लगाना संभव है। अगर डॉक्टर को गर्भ में बच्चे की हार्ट बीट में किसी प्रकार की असामान्यता का संदेह होता है, तो फीटल इकोकार्डियोग्राफी कराने की सलाह दी जाती है। इस सोनोग्राम में बच्चे के दिल की जानकारी प्राप्त करने के लिए स्पेशल साउंड वेव का उपयोग शामिल है। सोनोग्राम इमेज के आधार पर, डॉक्टर बच्चे का ट्रीटमेंट शुरू कर सकते हैं। हार्ट की स्थिति किस हद तक गंभीर है उसके आधार पर डॉक्टर आपकी प्रेगनेंसी के दौरान या बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ट्रीटमेंट शुरू कर सकते हैं।

इलाज

हार्ट डिफेक्ट का निदान करने के बाद, डॉक्टर आपके बच्चे के लिए इलाज के सबसे बेहतरीन ऑप्शन बताएंगे। यहाँ कुछ स्टेप दिए गए हैं जो कंजेनिटल हार्ट डिजीज के लिए सुझाए जा सकते हैं:

1. दवाइयां

हृदय रोग के सौम्य मामले में इसका इलाज दवाओं से किया जा सकता है। प्रिसक्राइब दवा ब्लड क्लॉटिंग और अनियमित हार्ट बीट को रोकने में मदद करती हैं।

2. कैथेटर प्रोसेस

यह प्रक्रिया किसी भी सर्जिकल हस्तक्षेप के बिना दिल की कुछ प्रकार की बिमारियों को ठीक करने में मदद करती है।

3. इम्प्लांट

आईसीडी या इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर, पेसमेकर आदि कुछ इम्प्लांटेबल डिवाइस हैं जो कुछ प्रकार के जन्मजात हृदय रोगों (असामान्य और अनियमित हार्ट बीट) को ठीक करने में मदद करते हैं।

4. ओपन हार्ट सर्जरी

इस प्रक्रिया में हार्ट को सर्जिकली ओपन किया जाता है और हार्ट डिफेक्ट को ठीक किया जाता है, जिसमें ब्लड वेसल को चौड़ा करना, दिल में छेद को बंद करना या हार्ट वाल्व को रिपेयर करना शामिल है।

5. हार्ट ट्रांसप्लांट

यह दिल की बीमारी की एक जटिल सर्जरी है जिसमें बच्चे के दिल को डोनर के हेल्दी हार्ट के साथ बदल दिया जाता है।

बचाव

बच्चे में कंजेनिटल हार्ट डिजीज के जोखिम को कम करने के लिए गर्भावस्था के दौरान अपनाए जाने वाले कुछ उपायों में शामिल हैं:

  • अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं, जैसे डायबिटीज, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, ताकि प्रेगनेंसी के दौरान आपका प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सके।
  • यदि आप कुछ प्रिसक्राइब की हुई दवाएं ले रही हैं, तो इस बारे में गर्भवती होने से पहले या इसके तुरंत बाद अपने डॉक्टर से बात करें।
  • अगर आपकी फैमिली हिस्ट्री में जन्मतः दिल की बीमारी रही हो, तो जेनेटिक काउंसलर की सहायता लें।
  • आपको स्मोकिंग या अल्कोहल का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • यदि आपको वायरल इन्फेक्शन (जर्मन मीजल्स या रूबेला) से बचने के लिए वैक्सीन नहीं लगी है, तो अपने डॉक्टर से बचाव के बारे में पूछें।

क्या जन्मजात हृदय रोग का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है?

जन्म से मिली दिल की बीमारी के ज्यादातर मामलों में इसका इलाज किया जा सकता है। आमतौर पर, ऐसे जन्म दोष का बच्चे की ग्रोथ और डेवलपमेंट पर बहुत बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। फिर भी इसके अलावा, कुछ ऐसे दोष हैं जिनका निदान तब तक नहीं किया जाता है जब तक बच्चा किशोरावस्था में नहीं पहुँच जाता। वहीं  जन्मतः मिली दिल की कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं जिनके लिए निरंतर उपचार और देखभाल की आवश्यकता होती है।

आज के समय में मेडिकल और टेक्नोलॉजी काफी तरक्की कर चुकी है, इसलिए जन्मजात हृदय रोगों के ज्यादातर मामलों में इसका प्रभावी ढंग से समय पर निदान और उपचार किया जा सकता है।

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समर नक़वी

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