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ऐसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं जिनके साथ एक बच्चे का जन्म हो सकता है और ऐसी ही एक बीमारी है बच्चे में कंजेनिटल हार्ट डिजीज यानी जन्मजात हार्ट डिफेक्ट या हृदय रोग होना। यह हार्ट डिफेक्ट मामूली से गंभीर तक कुछ भी हो सकता है, जिसमें जान जाने तक का खतरा हो सकता है। यहाँ आपको इस बीमारी के बारे में जानकारी दी गई है और यह भी बताया गया है कि पेरेंट्स कैसे अपने बच्चे की इस स्थिति को प्रभावी तरीके से मैनेज करें।
जन्मजात हृदय रोग एक एब्नार्मेलिटी है जो बच्चे के जन्म के समय से ही मौजूद हो सकती है। ये डिफेक्ट हार्ट की वॉल, वाल्व और वेसल्स में मौजूद हो सकते हैं। ऐसे हृदय संबंधी बर्थ डिफेक्ट ब्लड में नॉर्मल फ्लो को बाधित कर सकते हैं। कंजेनिटल हार्ट डिजीज का असल कारण अभी तक नहीं पता नहीं किया जा सका है, लेकिन यह जींस में होने के कारण भी हो सकता है। नवजात शिशु में ज्यादातर जन्मजात हृदय की समस्याएं बहुत ही कम या बिना मेडिकल हस्तक्षेप के मैनेज की जाती हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में जन्म के बाद तुरंत मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है । कुछ मामलों में, पूरे जीवन भर आपको बच्चे की विशेष देखभाल करने और एहतियात बरतने की आवश्यकता हो सकती है।
बच्चों में कई प्रकार के कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट हो सकते हैं। हालांकि, दिल के जन्मजात दोषों को मोटे तौर पर तीन प्रमुख श्रेणियों में डिवाइड किया गया है:
इस प्रकार के हार्ट डिफेक्ट तब होते हैं जब दिल के अंदर के वाल्व रिसाव या क्लोज-अप करते हैं। वाल्व में ऐसे डिफेक्ट ब्लड पंप करने की क्षमता को बाधित करते हैं।
इस प्रकार के डिफेक्ट तब होते हैं जब हार्ट के अंदर की वॉल्स ठीक से डेवलप नहीं होती हैं। इस तरह के डिफेक्ट ब्लड फ्लो को बाधित कर सकते हैं और ब्लड उन जगहों तक पहुंच सकता है जहाँ यह नहीं होना चाहिए। ऐसी स्थिति में बच्चे का हृदय नॉर्मल से ज्यादा काम करने लगता है और इससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है।
इस प्रकार के डिफेक्ट हार्ट आर्टरी और वेन में होते हैं। इसमें ब्लड फ्लो कम होने लगता है और वेसल ब्लॉक हो जाता है। इस तरह के डिफेक्ट स्वास्थ्य की घातक समस्या को जन्म दे सकते हैं।
कंजेनिटल हार्ट डिजीज को सायनोटिक और एसयानोटिक कंजेनिटल हार्ट डिजीज के रूप में भी बांटा जा सकता है। इन दोनों दोषों के कारण हार्ट ठीक से ब्लड पंप करने में असमर्थ हो जाता है। ब्लड में ऑक्सीजन लेवल में कमी के कारण सायनोटिक हार्ट डिफेक्ट होता है। इस तरह के हार्ट डिफेक्ट वाले बच्चों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और उनकी त्वचा पर छाले पड़ सकते हैं। हालांकि, एसयानोटिक हार्ट डिफेक्ट वाले बच्चों में ऑक्सीजन का लेवल कम नहीं होता है, लेकिन बाद में उन्हें जीवन में कॉम्प्लिकेशन का अनुभव हो सकता है (उदाहरण के लिए- हाई ब्लड प्रेशर)।
बच्चों में दिल की जन्मजात बिमारियों के कारण जेनेटिक या गर्भावस्था के दौरान के वातावरण संबंधी फैक्टर हो सकते हैं।
एनवायरमेंटल फैक्टर में शामिल हैं:
जेनेटिक फैक्टर में शामिल हैं:
ऊपर बताए गए इन लक्षणों के अलावा, जो जन्म के तुरंत बाद स्पष्ट होते हैं, उसके अलावा भी कुछ लक्षण हो सकते हैं जो आगे चलकर बच्चे में नजर आ सकते हैं, जैसे:
प्रेगनेंसी के अल्ट्रासाउंड के दौरान ज्यादातर मामलों में जन्मजात हृदय रोग होने का खतरा होता है। यदि आपके डॉक्टर को फीटल हार्ट बीट में किसी भी प्रकार की एब्नॉर्मेलिटी दिखती है, तो और भी कई टेस्ट करवाने की जरूरत पड़ सकती है।
प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड के दौरान कंजेनिटल हार्ट डिजीज के बहुत गंभीर मामले पता चल जाते हैं। हालांकि, कई ऐसे दोष होते हैं जो आपके बच्चे की जाँच करते समय आपके डॉक्टर द्वारा बाद में निदान किए जा सकते हैं। एक बार जब डॉक्टर को इसकी संभावना होने का संदेह हो जाता है, तो बेबी में हृदय रोग की जाँच करने के लिए निम्नलिखित तकनीक रेकमेंड की जाती हैं:
हाँ, जन्म से पहले हार्ट प्रॉब्लम का पता लगाना संभव है। अगर डॉक्टर को गर्भ में बच्चे की हार्ट बीट में किसी प्रकार की असामान्यता का संदेह होता है, तो फीटल इकोकार्डियोग्राफी कराने की सलाह दी जाती है। इस सोनोग्राम में बच्चे के दिल की जानकारी प्राप्त करने के लिए स्पेशल साउंड वेव का उपयोग शामिल है। सोनोग्राम इमेज के आधार पर, डॉक्टर बच्चे का ट्रीटमेंट शुरू कर सकते हैं। हार्ट की स्थिति किस हद तक गंभीर है उसके आधार पर डॉक्टर आपकी प्रेगनेंसी के दौरान या बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ट्रीटमेंट शुरू कर सकते हैं।
हार्ट डिफेक्ट का निदान करने के बाद, डॉक्टर आपके बच्चे के लिए इलाज के सबसे बेहतरीन ऑप्शन बताएंगे। यहाँ कुछ स्टेप दिए गए हैं जो कंजेनिटल हार्ट डिजीज के लिए सुझाए जा सकते हैं:
हृदय रोग के सौम्य मामले में इसका इलाज दवाओं से किया जा सकता है। प्रिसक्राइब दवा ब्लड क्लॉटिंग और अनियमित हार्ट बीट को रोकने में मदद करती हैं।
यह प्रक्रिया किसी भी सर्जिकल हस्तक्षेप के बिना दिल की कुछ प्रकार की बिमारियों को ठीक करने में मदद करती है।
आईसीडी या इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर, पेसमेकर आदि कुछ इम्प्लांटेबल डिवाइस हैं जो कुछ प्रकार के जन्मजात हृदय रोगों (असामान्य और अनियमित हार्ट बीट) को ठीक करने में मदद करते हैं।
इस प्रक्रिया में हार्ट को सर्जिकली ओपन किया जाता है और हार्ट डिफेक्ट को ठीक किया जाता है, जिसमें ब्लड वेसल को चौड़ा करना, दिल में छेद को बंद करना या हार्ट वाल्व को रिपेयर करना शामिल है।
यह दिल की बीमारी की एक जटिल सर्जरी है जिसमें बच्चे के दिल को डोनर के हेल्दी हार्ट के साथ बदल दिया जाता है।
बच्चे में कंजेनिटल हार्ट डिजीज के जोखिम को कम करने के लिए गर्भावस्था के दौरान अपनाए जाने वाले कुछ उपायों में शामिल हैं:
जन्म से मिली दिल की बीमारी के ज्यादातर मामलों में इसका इलाज किया जा सकता है। आमतौर पर, ऐसे जन्म दोष का बच्चे की ग्रोथ और डेवलपमेंट पर बहुत बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। फिर भी इसके अलावा, कुछ ऐसे दोष हैं जिनका निदान तब तक नहीं किया जाता है जब तक बच्चा किशोरावस्था में नहीं पहुँच जाता। वहीं जन्मतः मिली दिल की कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं जिनके लिए निरंतर उपचार और देखभाल की आवश्यकता होती है।
आज के समय में मेडिकल और टेक्नोलॉजी काफी तरक्की कर चुकी है, इसलिए जन्मजात हृदय रोगों के ज्यादातर मामलों में इसका प्रभावी ढंग से समय पर निदान और उपचार किया जा सकता है।
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