जब बच्चा पैदा होता है, तो शुरुआती कुछ महीनों तक वो अपनी माँ के दूध पर निर्भर रहता है। जैसे-जैसे वह बढ़ना शुरू करता है, उसकी भूख भी बढ़ने लगती है और इस प्रकार वह धीरे-धीरे सॉलिड फूड लेना शुरू कर देता है। बच्चे के ब्रेस्ट मिल्क से सॉलिड फूड तक आने के इस ट्रांजीशन को अंग्रेजी में वीनिंग कहते है।
जब बच्चे से ब्रेस्ट मिल्क छुड़ाया जा रहा होता है, तो उसे नए खाद्य पदार्थों का टेस्ट डेवलप कराने के लिए विभिन्न प्रकार की चीजें दी जाती हैं। जब बच्चे को चम्मच या हाथ से खाना खिलाया जाता है, तो बच्चा अपने होंठ, जबड़े और जीभ के इस कोआर्डिनेशन को सीखता है। यह एक बेहतरीन सोशलाइजिंग एक्टिविटी भी है, क्योंकि फैमिली के लोग बच्चे को इस तरह फीड कराने में एन्जॉय करते हैं।
वीनिंग के फायदे जो आपको जरूर जानना चाहिए
एक बच्चे के लिए वीनिंग सबसे महत्वपूर्ण ट्रांजिशनल फेज होता है, क्योंकि इसके जरिए वो नए खाने को टेस्ट करना और खाना शुरू कर देता है, जो उसके शरीर में न्यूट्रिएंट देने में मदद करते हैं। आमतौर पर बच्चों में दूध छुड़ाने की ये प्रक्रिया 6 महीने की उम्र से शुरू होती है और यह 12 महीने से 2 साल तक चलती है, क्योंकि ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपका बेबी कितनी मात्रा में और किस प्रकार का खाना खाता है और यह कितने पोर्शन में होता है आदि। लेकिन चूंकि उसका पेट अभी भी बहुत नाजुक होता है, इसलिए उसे अभी केवल वही भोजन दिया जाना चाहिए जो पचाना उसके डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए आसान हो। आप जिन खाद्य पदार्थों को अपने बच्चे को दे सकती हैं, उनमें अच्छी तरह पकाई और मैश की हुई सब्जियां, नरम फल और ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क के साथ मिलाया हुआ बेबी सीरियल हो सकता है।
बच्चे के सही समय पर ब्रेस्टफीडिंग छुड़ाने को बहुत ज्यादा दबाव में नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह उसके संपूर्ण डेवलपमेंट में मदद करता है।
1. बच्चे आत्मनिर्भर होने लगते हैं
जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, वह खुद से खाना खाने की कोशिश करने लगता है, जो शायद मेसी हो सकता है। लेकिन इससे बच्चे के हाथ और मुँह के बीच बेहतर कोआर्डिनेशन होने लगता है। इस प्रकार, आप खुद बेबी को अपने आप से खाना खाने के लिए प्रोत्साहित करें।
2. पर्सनालिटी डेवलपमेंट
बच्चा अपनी पसंद और नापसंद को इस प्रकार धीरे-धीरे डेवलप करने लगता है, ये प्रक्रिया धीमी होती है लेकिन लगातार जारी रहती है। इस प्रकार बच्चा परिवार के बाकी लोगों के साथ खाने लगता है, जिससे उसके अंदर कॉन्फिडेंस डेवलप होता है और उसकी पर्सनालिटी बेहतर होने लगती है।
3. स्पेशल खाना बनाने की जरूरत नहीं होती है
दूध और बच्चे के लिए स्पेशली तैयार किए गए खाने के अलावा वह तरह-तरह के पदार्थों को टेस्ट करना सीखता है। आप अपने खाने का बेबी वर्जन उसके आहार में शामिल कर सकती हैं, ताकि वो भी जान सके कि आप क्या खाती हैं। अगर आपका अलग से खाना तैयार करने का मन नहीं है, तो हमेशा एक ऐसा मील चुनें जो बच्चे की भूख के अनुसार हो।
4. माँ के लिए फ्री टाइम
माँ को अपनी फीडिंग ड्यूटी से ब्रेक मिल जाता है और उसे कुछ समय अपने लिए बिताने का मौका मिल जाता है। अब आपको कोई रूटीन ब्रेस्टफीडिंग और ब्रेस्ट पम्पिंग करने की जरूरत नहीं है, जिसका मतलब है कि अब आपके पास अपना समय होगा। यह वो समय भी है जब आपको बच्चे की फीडिंग सेशन एक्टिविटी में अपने पति को शामिल करने का मौका होता है।
5. बैलेंस डाइट
नए, न्यूट्रिएंट रिच फूड का मतलब है कि अब बच्चे को सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स प्राप्त होंगे जो उसकी ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए आवश्यक है। पहले ब्रेस्ट मिल्क बच्चे के लिए न्यूट्रिएंट्स प्राप्त करने का एकमात्र स्रोत था, लेकिन अब उसके शरीर को विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों को खाने से आयरन, प्रोटीन, मिनरल आदि प्राप्त होते हैं।
6. डेवलपमेंटल स्किल बढ़ाता है
चबाने और निगलने से लेकर बच्चा अपनी जीभ, होंठ और जबड़े के बीच ठीक तरह से कोआर्डिनेशन बनाने लगता है, वीनिंग के दौरान बच्चे के मोटर और डेवलपमेंटल स्किल में सुधार होता है। इसके अलावा वो हाथ-आँख और हाथ-मुँह के कोआर्डिनेशन को कंट्रोल करना भी सीखता है, क्योंकि अब वह खुद अपना खाना उठाता है और खाता है।
वीनिंग से बच्चे को न्यूट्रिएंट्स प्राप्त करने के कई सोर्स मिल जाते हैं, जो उसकी शारीरिक जरूरतों को पूरा करते हैं। इसके साथ ही यह बच्चे में खाने की अच्छी आदतें डालता है, उसे खाने में क्या पसंद है, यह तय करता है, सोशल और मोटर स्किल डेवलप करता है और सबसे अहम बात यह कि इसके बाद बच्चा अपने भोजन के लिए लिए पूरी तरह से माँ पर निर्भर नहीं रहता।
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