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एक नए जीवन को इस दुनिया में लाना आसान नहीं होता है और एक नई माँ होने के नाते अपने बच्चे को जन्म देने के लिए आपको खुद पर गर्व होना चाहिए। नई-नई माँ बनने के लिए आपको ढेरों बधाइयां और जागती रातों, ढेर सारी गंदगी की सफाई और ढेर सारी खुशियों के एक साल की ओर आपका स्वागत है। मातृत्व जीवन के सबसे बेहतरीन चरणों में से एक है और अपने बच्चे के पालन-पोषण का यह समय आपके लिए काफी खूबसूरत साबित होने वाला है। लेकिन हर नई माँ की तरह आप भी एक माँ के तौर पर अपनी क्षमताओं को लेकर आशंकित हो सकती हैं। अगर आपके ब्रेस्ट छोटे हैं, तो अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने आदि को लेकर आपके मन में कई तरह के सवाल या संदेह पैदा हो सकते हैं। आपको ऐसा लग सकता है, कि अगर आपके ब्रेस्ट छोटे हैं, तो आप लंबे समय तक अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिला पाएंगे। लेकिन, क्या आपके ब्रेस्ट का साइज आपके मातृत्व और ब्रेस्टफीडिंग के आनंद के बीच आ सकता है? शायद नहीं!
इस लेख में हम ब्रेस्ट के आकार और ब्रेस्टफीडिंग पर उसके प्रभाव के बारे में कुछ आम शंकाओं को दूर करने की कोशिश करेंगे।
इसका सिंपल सा जवाब है, नहीं ! आपके ब्रेस्ट का आकार आपके बच्चे को ब्रेस्टफीड कराने की आपकी क्षमता के ऊपर किसी भी तरह से कोई प्रभाव नहीं डालता है। जो महिलाएं गर्भवती नहीं होती हैं, उनके ब्रेस्ट का आकार उनमें मौजूद फैट की मात्रा पर निर्भर करता है। ब्रेस्टमिल्क पैदा करने वाले टिशू महिला के गर्भवती होने के बाद ही बनते हैं, इसलिए इसका ब्रेस्ट के आकार से कोई लेना देना नहीं होता है। जहाँ प्रेगनेंसी के दौरान ब्रेस्ट का आकार बढ़ने के बावजूद भी, आपको ऐसा लग सकता है, कि बच्चे को दूध पिलाने के लिए इनका आकार अभी भी काफी नहीं है। वहीं, सच्चाई यह है, कि ब्रेस्ट का आकार छोटा होने का मतलब यह होता है, कि आपके ब्रेस्ट में फैट की कमी है ना कि दूध बनाने वाले टिशू की। इसलिए जिन महिलाओं के ब्रेस्ट छोटे होते हैं, उनमें दूध की सप्लाई और भी हेल्दी होती है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है, छोटे ब्रेस्ट होने का मतलब होता है, कि आपके ब्रेस्ट में टिशू की मात्रा कम है, जो कि किसी भी तरह से दूध बनाने की क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं डालता है। दूध बनाने वाले टिशू केवल महिला के गर्भवती होने के बाद ही बनते हैं और प्रेगनेंसी के दौरान उनके आकार में बढ़ोतरी का कारण भी यही है। इसलिए ब्रेस्ट का साइज किसी भी तरह से दूध बनाने की क्षमता का संकेत नहीं देता है। इसलिए आपके ब्रेस्ट का साइज चाहे जो भी हो, आप अपने बच्चे के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन कर पाएंगे।
शरीर के लगभग सभी अन्य हिस्सों की तरह ही, आपके ब्रेस्ट भी प्रेगनेंसी के दौरान एवं बच्चे के जन्म के बाद भी बहुत सारे बदलावों से गुजरते हैं। इनका साइज बड़ा हो जाता है और बहुत ही कम समय में ये भरे हुए नजर आते हैं। यह ग्रोथ बच्चे के जन्म के बाद भी रुकती नहीं है। आप यह महसूस कर पाएंगे, कि बच्चे के जन्म के बाद भी लगभग 2 सप्ताह तक, ये बढ़ते रहते हैं। गर्भावस्था के दौरान शुरुआत में आपके ब्रेस्ट, खानपान में आने वाले बदलावों के कारण बढ़ते हैं और फैक्ट यह है, कि जो टिशू दूध बनाने का काम करते हैं, वे इसी दौरान ब्रेस्ट में बनते हैं। डिलीवरी के बाद भी ब्रेस्ट के आकार में आने वाला यह बदलाव चलता रहता है, क्योंकि बच्चे की जरूरतों के अनुसार दूध के उत्पादन को ये एडजस्ट करते रहते हैं और यह बढ़ोतरी 2 सप्ताह के बाद रुक जाती है। यह बदलाव आप तुरंत भी महसूस कर सकते हैं या फिर हो सकता है, कि आपको इनके बारे में कुछ भी महसूस ही न हो। लेकिन आपके ब्रेस्ट का आकार चाहे जो भी हो, आप अपने बच्चे को अपना दूध पिलाने में जरूर सक्षम होंगी।
छोटे ब्रेस्ट की तुलना में बड़े ब्रेस्ट अधिक मात्रा में दूध को रख सकते हैं, इसलिए इस विकास के दौरान आपको अपने बच्चे को बार-बार दूध पिलाना पड़ सकता है।
छोटे ब्रेस्ट और ब्रेस्टफीडिंग को लेकर आपके मन में कई सवाल होंगे, जिनमें से एक मुख्य सवाल यह हो सकता है, कि अगर ब्रेस्ट छोटे हैं, तो आपको अपने बेबी को कितनी बार ब्रेस्टफीड कराना पड़ेगा? अगर आपके ब्रेस्ट छोटे हैं, तो आपको अपने बच्चे को और अधिक बार दूध पिलाने की कोशिश करनी चाहिए। आपको उसे ब्रेस्टफीड कराने के लिए समय तय करने के बजाय, जरूरत पड़ने पर दूध पिलाना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर वह भूख लगने पर रोता है, तो उसे दूध पिलाएं। अगर आपको हर घंटे भी दूध पिलाने की जरूरत पड़े, तो पिलाएं, क्योंकि इससे आपके बच्चे को पर्याप्त दूध मिल पाएगा।
आप अपने बच्चे को किसी भी ऐसी पोजीशन में दूध पिला सकती हैं, जिसमें आप दोनों कंफर्टेबल हों, फिर चाहे वह नेचुरल पोजीशन ही क्यों न हो।
हालांकि छोटे ब्रेस्ट के साथ ब्रेस्टफीडिंग कराना आमतौर पर आसान होता है, फिर भी शुरुआत में आपको कुछ परेशानी आ सकती है। ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए यहाँ पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनसे आपको मदद मिलेगी:
अगर आपके ब्रेस्ट छोटे हैं, आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं और आपके बच्चे का वजन सही तरह से नहीं बढ़ रहा है, या उसे डिहाइड्रेशन है, तो आपको अपने डॉक्टर से बात करने की जरूरत है। साथ ही अगर आपका बच्चा एक दिन में 6 से कम बार पेशाब कर रहा है, तो ऐसे मामले में भी, आपको एक पीडियाट्रिशियन और एक लेक्टेशन कंसलटेंट से मिलना चाहिए।
अगर इस प्रक्रिया में ब्रेस्ट के मिल्क डक्ट को कोई नुकसान पहुंचा है या उसे निकाल दिया गया है, तो इससे दूध का उत्पादन कम हो सकता है। लेकिन फिर भी आप दूध पिलाने में सक्षम हो सकती हैं। अपने डॉक्टर से परामर्श लेकर आप सप्लीमेंट लेकर बच्चे को ब्रेस्टफीड करा सकती हैं।
ब्रेस्ट छोटे होने का मतलब यह नहीं है, कि आप ब्रेस्टफीड नहीं करा सकते हैं। इसका मतलब सिर्फ इतना ही है कि आपके ब्रेस्ट में फैट कम है। आपको डॉक्टर की मदद से अपने मिल्क प्रोडक्शन को मॉनिटर करने की जरूरत है, ताकि फीडिंग के दौरान यह सुनिश्चित हो सके, कि आपके बच्चे को पर्याप्त दूध मिल रहा है।
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