बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

शिशुओं और बच्चों में एल्टीट्यूड सिकनेस

बच्चों और एल्टीट्यूड सिकनेस का साथ काफी पुराना है। लेकिन, इनके बीच के संबंध को हाल ही में समझा गया है। आपने कई बार ऐसा सुना होगा, कि हिल स्टेशन पर जाने के बाद बच्चों को काफी परेशानी होती है या फिर हो सकता है, कि आपका खुद का बच्चा भी इससे जूझ रहा हो। जहाँ एक ओर हिल स्टेशन की ऊंचाई छुट्टियां बिताने के लिए सबसे अच्छी जगह लगती है, वहीं अगर आपके बच्चे को एल्टीट्यूड सिकनेस की समस्या हो, तो आपको यह प्लान टालना या बदलना भी पड़ सकता है। लेकिन, अच्छी बात यह है, कि कुछ टिप्स और ट्रिक्स का इस्तेमाल करके, एल्टीट्यूड सिकनेस से बचा जा सकता है और प्रभावी रूप से इसका इलाज भी किया जा सकता है। 

एल्टीट्यूड सिकनेस क्या है?

एल्टीट्यूड सिकनेस एक मेडिकल कंडीशन है, जो कि लोगों को और बच्चों को तब परेशान करता है, जब वे समुद्र के स्तर से काफी ऊंचाई पर होते हैं। मतली, सिरदर्द और उल्टियों से लेकर भूख की कमी जैसे, इसके ऐसे कई लक्षण हैं, जो कि एल्टीट्यूड सिकनेस के कारण होने वाली तकलीफ की ओर इशारा करते हैं। आमतौर पर यह समुद्र के स्तर से 2.4 किलोमीटर से ज्यादा की ऊंचाई की स्थिति में होती है। जहाँ कुछ मामलों में, सौम्य लक्षण दिखते हैं, वहीं कभी-कभी कुछ ऐसे लक्षण दिखने की संभावना भी होती है, जो कि व्यक्ति के लिए जानलेवा हो सकता है। 

एल्टीट्यूड सिकनेस के प्रकार

ऊंची जगह पर जाने के बाद दिखने वाले विभिन्न प्रकार के लक्षणों के अनुसार, एल्टीट्यूड सिकनेस को आमतौर पर तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है: 

1. एक्यूट माउंटेन सिकनेस

संक्षेप में इसे एएमएस कहा जाता है और मतली और उल्टी की मौजूदगी एक्यूट माउंटेन सिकनेस को दर्शाती है। इसके साथ ही तेज सिर दर्द और भूख की कमी भी देखी जाती है। इस स्थिति के कारण, ज्यादातर लोगों को थकावट की शिकायत भी होती है। ऊंची जगह पर अनुभव किए जाने वाले सिकनेस में यह सबसे आम है। 

2. हाय एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा

संक्षेप में इसे एचएसीई कहा जाता है। इस स्थिति में भी एक्यूट माउंटेन सिकनेस के सभी लक्षण देखे जाते हैं और इसके साथ ही अचानक होने वाली सुस्ती, सही तरह से चलने में असमर्थता और परिस्थिति के बारे में उलझन की स्थिति पैदा हो जाना शामिल है। अगर एचएसीई का इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकता है। 

3. हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा

एचएसीई की तरह ही, इस स्थिति को एचएपीई कहा जाता है और इसमें भी मतली, उल्टी, सिरदर्द, थकावट जैसे सभी लक्षणों के साथ-साथ, रेस्पिरेट्री एक्टिविटी भी प्रभावित होती है। जिसके कारण लगातार सांस न ले पाना, खांसी, और अत्यधिक कमजोरी पैदा हो सकती है। हालांकि एचएपीई बहुत ही दुर्लभ है, लेकिन अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह भी एचएसीई की तरह ही जानलेवा हो सकता है। 

बच्चों में एल्टीट्यूड सिकनेस क्यों होता है?

एल्टीट्यूड सिकनेस कुछ बच्चों में होता है और कुछ में नहीं होता है। ऐसा क्यों है, इसे समझने के लिए कोई सटीक कारण उपलब्ध नहीं है। जमीनी स्तर पर मौजूद ऑक्सीजन की तुलना में ऊंची जगह पर ऑक्सीजन का गिरा हुआ स्तर, इस स्थिति का एक संभावित कारण हो सकता है। इसके कारण आमतौर पर शरीर को सभी फंक्शंस को ठीक से पूरा करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। जिससे पहले की तुलना में और भी अधिक ऑक्सीजन की खपत होती है। इसके अलावा हाइकिंग या ट्रैकिंग जैसी थकाने वाली एक्टिविटी ऑक्सीजन की मांग को बढ़ा सकती है, जिसके कारण सिकनेस और भी बिगड़ सकती है। 

बच्चे में एल्टीट्यूड सिकनेस के कुछ संभावित लक्षण

शिशुओं या बच्चों में एल्टीट्यूड सिकनेस के लक्षण काफी स्पष्ट होते हैं और इन्हें किसी व्यक्ति में आसानी से पहचाना जा सकता है। आमतौर पर इसमें निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं: 

  • सनकी बर्ताव, जिसमें चिड़चिड़ापन से लेकर अचानक होने वाले चुप्पी भी शामिल है।
  • डिप्रेशन की शुरुआत और इसके कारण एक्टिविटी और एनर्जी की कमी।
  • अत्यधिक कमजोरी और थकान।
  • अचानक होने वाला उनींदापन, जिसे संभाला न जा सके।
  • सिर चकराना।
  • अपच के संकेत और भूख की कमी।
  • मतली के साथ उल्टी।

बच्चे के एल्टीट्यूड सिकनेस का इलाज कैसे किया जाए

ज्यादातर बच्चों में एल्टीट्यूड सिकनेस के सौम्य लक्षण ही देखे जाते हैं। कुछ आसान तरीकों से इसे कम किया जा सकता है या इसका इलाज किया जा सकता है। इनमें से ज्यादातर शरीर को बेहतर महसूस कराने और मानसिक शांति और स्थिरता देने के लिए काम करते हैं। 

  • ठंडी पहाड़ी हवाओं से बचने के लिए बच्चे को स्वेटर या ग्लव्स पहनाएं। अगर संभव हो, तो बच्चे को प्यार से बाहों में थाम कर उसके शरीर को गर्मी देने की कोशिश करें।
  • हाइड्रेटेड रहें। बच्चे को बेहतर महसूस कराने के लिए जितना संभव हो उतना पानी पीने दें। बच्चे को ब्रेस्टफीड कराएं ताकि उसे बेहतर महसूस हो सके।
  • अगर लक्षण बहुत गंभीर होने लगें, तो जितनी जल्दी हो सके, बच्चे को हॉस्पिटल लेकर जाएं।

बच्चे को हाई एल्टीट्यूड सिकनेस से कैसे बचाएं?

कुछ आसान बेसिक सावधानियां बरतकर शिशुओं और बच्चों को एल्टीट्यूड सिकनेस से बचाया जा सकता है: 

  • अगर आपके बच्चे की उम्र 3 महीने से कम है या अगर उसे इसके पहले ऐसी ही परेशानियां हो चुकी हैं, तो ऊंची जगह पर स्थित स्थलों पर जाने से बचें।
  • जगह पर पहुँचने पर इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चा पूरी तरह से आराम करे और वह किसी भी एक्टिविटी में शामिल न हो।
  • अगर आप किसी वाहन में हैं, तो पहाड़ियाँ पार करते समय, धीमा ड्राइव करने की कोशिश करें और शार्प टर्न लेने से बचें।
  • अगर आप लंबी यात्रा पर हैं, तो बीच-बीच में आराम और ताजगी के लिए पर्याप्त ब्रेक्स लेते रहें।
  • पूरे समय बच्चे को पानी के घूंट लेने दें या अगर संभव हो तो उसे थोड़ा जूस भी दें।
  • लक्षणों को लेकर सतर्क रहें और उन्हें ठीक करने के लिए तुरंत एक्शन लें।

बच्चों के साथ ऊंचे हिल स्टेशन की यात्रा मुश्किल हो सकती है, खासकर अगर बच्चे बहुत छोटे हों तो। एल्टीट्यूड के ज्यादातर लक्षण, बच्चों के बड़े होने के बाद अपने आप ही चले जाते हैं। कुछ अन्य मामलों में किसी दुर्लभ स्थिति की पहचान के लिए डॉक्टर से जांच करवाई जा सकती है। 

यह भी पढ़ें:

शिशुओं और बच्चों में सेरेब्रल पाल्सी
शिशुओं और बच्चों में सिस्टिक फाइब्रोसिस
छोटे बच्चों में होने वाले मोशन सिकनेस से कैसे डील करें

पूजा ठाकुर

Recent Posts

रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध (Rabindranath Tagore Essay In Hindi)

भारत के इतिहास में कई प्रसिद्ध और महान कवि और लेखक रहे हैं, जिनमें रबीन्द्रनाथ…

3 days ago

मदर्स डे पर 30 फनी व मजेदार लाइन्स जो ला दे आपकी माँ के चेहरे पर मुस्कान

माँ एक परिवार के दिल की धड़कन होती है। यह वो प्राकृतिक ताकत है जो…

3 days ago

अक्षय तृतीया पर क्या करने से मिलेगा ज्यादा से ज्यादा लाभ

अक्षय तृतीया एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है, जो आमतौर पर वैशाख के महीने में शुक्ल…

3 days ago

मातृ दिवस पर निबंध (Essay on Mother’s Day in Hindi)

माँ अपने में ही एक संपूर्ण शब्द है। इस संसार में माँ से ज्यादा बच्चे…

3 days ago

इस साल मदर्स डे सेलिब्रेट कैसे करें?

मदर्स डे पर हर बार वही ग्रीटिंग कार्ड और फूल गिफ्ट करना बहुत कॉमन हो…

3 days ago

30 सबसे अलग माँ के लिए गिफ्ट आइडियाज

माएं हमेशा अपने बच्चों की इच्छाओं और जरूरतों को समझ जाती हैं, और इसलिए यह…

3 days ago