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बीन्स को न्यूट्रिशनल पावर हाउस माना जाता है, क्योंकि ये विटामिंस, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होती हैं। आपके बढ़ते बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बीन्स बेहद फायदेमंद हो सकती हैं। यही कारण है, कि दूध से ठोस आहार की ओर बढ़ते हुए, अपने बेबी के भोजन में, आपको बीन्स को शामिल करना चाहिए। शुरुआत में, बच्चों को इसे सीमित मात्रा में देने में ही समझदारी है। साथ ही, पहले दालों से शुरू करना अच्छा होगा, क्योंकि ये पचने में आसान होती हैं और फिर आपको धीरे-धीरे ग्रीन बीन्स (जिसमें मटर, फ्रेंच बीन्स और अन्य कई तरह की हरी फलियां आती हैं), ब्लैक बीन्स, पिंटो बीन्स और काबुली चने जैसे अन्य प्रकार के बीन्स की ओर बढ़ना चाहिए। पहली बार बच्चे को बीन्स खिलाने के लिए, आप बीन्स की कुछ सिंपल रेसिपीज आजमा सकती हैं, जिसमें बीन्स को पीसा या मसला जाता है।
ज्यादातर डॉक्टर, बच्चे के 6 महीने पूरे होने के बाद, केवल दूध से ठोस आहार की शुरुआत की ओर बढ़ने के लिए, सिस्टमैटिक तरीके को अपनाने की सलाह देते हैं। हालांकि, बच्चे के शुरुआती ठोस आहार के रूप में बीन्स को चुनना एक अच्छा आईडिया नहीं है, क्योंकि बच्चे का अपरिपक्व डाइजेस्टिव सिस्टम, बीन्स को पचाने के लिए सक्षम नहीं होता है और उसे गैस से पेट फूलने और अपच की समस्या हो सकती है। 8 महीने से 1 साल की उम्र के बीच, जब बच्चे का पाचन तंत्र ठोस आहार को स्वीकार करने में बेहतर रूप से सक्षम हो जाता है, तब आप उसे बीन्स खिलाने की शुरुआत कर सकती हैं। इसके अलावा, किसी तरह की शंका की स्थिति में गाइडेंस के लिए आप अपने डॉक्टर से परामर्श ले सकती हैं।
विभिन्न प्रकार के बीन्स में न्यूट्रिशनल गुण भी भिन्न होते हैं। यहाँ पर हमने रेफरेंस के लिए ग्रीन बीन्स (फ्रेंच बीन्स) का इस्तेमाल किया है:
पोषक तत्व | मात्रा (100 ग्राम) |
कार्बोहाइड्रेट | 7.13 ग्राम |
प्रोटीन | 1.82 ग्राम |
टोटल फैट | 0.34 ग्राम |
डाइटरी फाइबर | 3.4 ग्राम |
नियासिन | 0.752 ग्राम |
थियामीन | 0.084 मिलीग्राम |
सोडियम | 6 मिलीग्राम |
आयरन | 1.04 मिलीग्राम |
स्रोत: Source: https://www.nutrition-and-you.com/green_beans.html
बच्चों के स्वास्थ्य को बीन्स से मिलने वाले फायदे इस प्रकार हैं:
काबुली चने जैसी कुछ बीन्स, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती हैं और इनसे पेट के भरे हुए होने का एहसास होता है। बच्चे को इन्हें खिलाने से ओवरफीडिंग से बचा जा सकता है।
राजमा और काबुली चने में फाइबर अधिक पाया जाता है, इससे बच्चे का पाचन तंत्र मजबूत होता है।
सोयाबीन जैसी कुछ बीन्स, विटामिन ‘सी’ से भरपूर होती हैं और आपके बच्चे के इम्यून सिस्टम को बनाती हैं। ये बच्चे को खांसी, जुकाम और फ्लू जैसी आम बीमारियों का शिकार होने से बचाती हैं। ये फ्री-रेडिकल्स को कंट्रोल करने में भी मदद करती हैं और इस प्रकार ये बच्चे के संपूर्ण स्वास्थ्य को इम्युनिटी प्रदान करती हैं।
राजमा जैसी बीन्स, फोलेट के बेहतरीन स्रोत होती हैं, जो कि शिशुओं में रेड ब्लड सेल के विकास में मदद करती हैं। इस प्रकार जरूरी अंगों के सामान्य विकास और कार्यप्रणाली को बढ़ावा मिलता है। शिशुओं को उनके दिमाग के स्वस्थ विकास के लिए भी फोलेट की जरूरत होती है।
ब्लैक बीन्स जैसी बीन्स, अल्कलॉइड्स, फ्लेवोनॉयड और एंथोसायनिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती हैं, जो कि बच्चे के शरीर में मेटाबॉलिज्म के दौरान पैदा होने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में मदद कर सकते हैं। फ्री-रेडिकल्स को निष्क्रिय करना जरूरी होता है, क्योंकि यह बच्चे की कोशिकाओं और कभी-कभी डीएनए तक को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
बीन्स में भारी मात्रा में डाइटरी फाइबर मौजूद होते हैं, जो कि बच्चे के बॉवेल मूवमेंट को रेगुलेट करने में मदद कर सकते हैं और कब्ज जैसी डाइजेस्टिव समस्याओं से बचा सकते हैं। बड़ी आंत से गंदगी को बाहर निकालने में भी, डाइटरी फाइबर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इस प्रकार ये बच्चे के शरीर को बीमारियों से बचाते हैं। लेकिन, आपको इन्हें बच्चे को कम मात्रा में खिलाना चाहिए, अन्यथा इनसे गैस और ब्लोटिंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
सोयाबीन जैसी बीन्स में भारी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो कि मांसपेशियों के विकास में मदद कर सकता है। जो पेरेंट्स अपने बच्चे को मीट नहीं देना चाहते हैं, उनके लिए यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है।
नीचे बीन्स के कुछ प्रकार दिए गए हैं, जो कि शिशुओं के लिए अच्छे हो सकते हैं:
पिंटो बीन्स यानी आम भाषा में छितरी वाला राजमा आयरन से भरपूर होता हैं और इसलिए शिशुओं के लिए ये काफी फायदेमंद है। पिंटो बीन्स की कंसिस्टेंसी क्रीमी होती है और बड़े बच्चे इसे साबुत ही खा सकते हैं। छोटे बच्चों के लिए खाने से पहले इन्हें मसलना बेहतर है। पिंटो बीन्स को पीस कर अगर इसमें थोड़े मसाले डाल दिए जाएं, तो इसे रिफ्राइड बीन्स भी कहा जाता है। चावल के साथ रिफ्राइड बीन्स बच्चे के लिए एक संपूर्ण भोजन हो सकता है।
काबुली चना या चिकपीज़, कैल्शियम और फोलिक एसिड से भरपूर होता है, जो कि बच्चे की हड्डियों की मजबूती, मस्तिष्क के निर्माण और खून बनने के लिए जरूरी है। काबुली चना, जिंक, आयरन, प्रोटीन, विटामिन ‘के’ और फाइबर से भरपूर होता है, जो कि शिशुओं के अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।
आयरन, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होने के कारण, राजमा शिशुओं के लिए एक पौष्टिक आहार है। साथ ही यह बहुत मुलायम होते हैं और बच्चे इसे आसानी से खा सकते हैं। इसके हल्की रंगत और गहरी रंगत वाले दोनों ही प्रकार अच्छे विकल्प हैं। आप चाहें, तो कैनेलिनी बीन्स या सफेद किडनी बीन्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
ब्लैक बीन्स यानी काली सेम में प्रोटीन, फाइबर और दूसरे मुख्य मिनरल्स के साथ-साथ, कैल्शियम, आयरन व मैग्नीशियम जैसे विटामिन भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो कि बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं और इसलिए यह शिशुओं के लिए एक पौष्टिक भोजन बन जाता है।
अब माँओं के मन में यह सवाल आ सकता है, कि बच्चे के लिए बीन्स कैसे पकाएं। इसलिए, यहाँ पर बच्चे के लिए बीन्स तैयार करने के कुछ बेहतरीन तरीके दिए गए हैं:
शिशुओं के लिए कुछ हेल्दी बीन्स रेसिपी इस प्रकार हैं:
बेबी फूड के लिए कई तरह की ग्रीन बीन्स रेसिपी के लिए आपको यह बेसिक प्यूरी बनाने की जरूरत पड़ेगी।
सामग्री
विधि
आपके बच्चे को यह कलरफुल खाना बहुत पसंद आएगा।
सामग्री
विधि
शिशु को बीन्स खिलाने के दौरान आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:
बीन्स में पोषक तत्वों का संतुलित कॉन्बिनेशन होता है, जो कि आपके बच्चे के सही विकास और बढ़ोतरी में मदद करता है।
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