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पेरेंट्स होने के नाते आप अपने बच्चे की पूरी देखभाल करने और उसे पर्याप्त गर्माहट देने का प्रयास करते हैं। हालांकि कभी-कभी बहुत कुछ करने के बाद भी बेबी के शरीर का तापमान नॉर्मल से कम रहता है। खैर आपको पता होगा कि ज्यादा तापमान होने से बुखार होता है पर कई पेरेंट्स को यह नहीं पता होता है कि बच्चे के शरीर का तापमान कम होने से उसे क्या समस्याएं हो सकती हैं। बच्चे के शरीर का टेम्परेचर कम क्यों होता है, इसके कारण, लक्षण व उपचार जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
यह थोड़ा आश्चर्यजनक हो सकता है पर बड़ों से बच्चों का वजन बहुत कम होते हुए भी उनका सरफेस एरिया ज्यादा होता है और इसलिए उनके शरीर की गर्मी बड़ों की तुलना में जल्दी कम हो जाती है। प्रीमैच्योर बच्चों में यह समस्या अधिक गंभीर रूप से होती है क्योंकि उनमें गर्माहट के लिए ज्यादा फैट नहीं होता है।
यदि बच्चे के शरीर का तापमान कम है तो शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए ज्यादा काम करने की जरूरत पड़ सकती है। इससे बच्चा अधिक ऑक्सीजन का उपयोग करेगा और उसकी एनर्जी अन्य फंक्शन के लिए कम हो जाएगी।
बॉडी टेम्परेचर लगातार कम होने की वजह से बच्चे को किसी भी तकलीफ या बीमारी से सिर्फ ठीक होने में ही कठिनाई नहीं होती है बल्कि इससे उसे हाइपोथर्मिया होने का भी खतरा होता है।
यदि बच्चे का बॉडी टेम्परेचर कम है तो आप चिंतित हो सकते हैं और आपके मन में कुछ सवाल आ सकते हैं, जैसे ऐसा क्यों है, इससे क्या हो सकता है आदि। बच्चे के शरीर का तापमान कम होने के निम्नलिखित कई कारण हो सकते हैं, जैसे;
चूंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, इस वजह से उन्हें बहुत जल्दी इन्फेक्शन हो सकता है और इससे विशेषकर प्रीमैच्योर बच्चों में कई जोखिम बढ़ सकते हैं। इन्फेक्शन के कई प्रकार हैं, जैसे मेनिन्जाइटिस या सेप्सिस जिससे बच्चे का टेम्परेचर कम हो सकता है। ये कारण बच्चे के जीवन को जोखिम में डाल सकते हैं और इसमें मेडिकल हेल्प की जरूरत पड़ सकती है।
यदि सर्दी का मौसम होने से या एयर कंडीशन में रहने से बच्चे के आसपास बहुत ज्यादा ठंडक होती है तो इससे भी बच्चे का तापमान कम हो सकता है। बच्चे को गर्माहट देते रहने और उसे कोजी रखने से हाइपोथर्मिया की समस्या होने का खतरा कम रहता है।
ऐसा देखा गया है कि शरीर में कुछ प्रकार की कमियां जैसे आयरन, आयोडीन और अन्य कुछ न्यूट्रिएंट्स का कम होना, बच्चे का तापमान होने की वजह हो सकता है। यदि बच्चे का बॉडी टेम्परेचर कुछ दिनों तक कम रहता है तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
जन्म के दौरान जिन बच्चों का वजन कम होता है या जो बच्चे गर्भावस्था के 28वें सप्ताह से पहले जन्म लेते हैं उन्हें तुरंत ही हाइपोथर्मिया होने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में बच्चे को कुछ सप्ताह या जब तक वह स्ट्रॉन्ग न हो जाए तब तक हॉस्पिटल के नियोनेटल केयर में रखा जाता है।
ऊपर बताए हुए कारणों के अलावा अन्य कई कारण हैं जिनसे बच्चे के शरीर का तापमान कम हो सकता है, जैसे हाइपोग्लाइकेमिया, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, मेटाबोलिक या एंडोक्राइन रोग।
छोटे बच्चों में हाइपोथर्मिया के प्रकार के आधार पर ही लक्षण दिखाई देते हैं। माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर (गंभीर) हापोथर्मिया के कुछ निम्नलिखित लक्षण हैं, आइए जानें;
माइल्ड हाइपोथर्मिया के लक्षण
मॉडरेट हाइपोथर्मिया के लक्षण
गंभीर हापोथर्मिया के लक्षण
बच्चे को चाहे हल्का हाइपोथर्मिया हो या गंभीर पर यदि उसमें ऊपर बताए हुए लक्षण दिखाई देते हैं तो आप तुरंत डॉक्टर से बात करें।
बच्चे के तापमान को कई तरीकों से ठीक किया जा सकता है, आइए जानें;
अक्सर कमरे के तापमान से बच्चे के शरीर का तापमान कम हो सकता है। यद्यपि बच्चे का बॉडी टेम्परेचर अपने आप ही नियंत्रित हो सकता है पर यह बड़ों की तरह नहीं होता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि सर्दियों व गर्मियों में आप रूम टेम्परेचर को बनाए रखें।
न्यूबॉर्न बच्चों को टब में नहलाने की जरूरत नहीं होती है और उन्हें गुनगुने पानी से स्पंज बाथ देना ही काफी है। हालांकि यदि आप बच्चे को नहलाना चाहती हैं तो अम्बिलिकल कॉर्ड (नाल) ठीक होने तक का इंतजार करें। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को बहुत ज्यादा ठंडे या गर्म पानी से न नहलाएं। बच्चे को नहलाना शुरू करने से पहले पानी जरूर चेक कर लें। बेबी को बहुत ज्यादा देर तक पानी में न रखें और नहलाने के बाद उसे तुरंत रैप कर लें।
बच्चे को गर्माहट देने के लिए ज्यादातर पेरेंट्स बच्चे को स्वैडल यानी लपेट कर रखते हैं क्योंकि ऐसा करने से उसे गर्भ में रहने जैसा एहसास होता है। गर्मियों में एसी चलाते समय और सर्दियों में टेम्परेचर कम रहने के दौरान बच्चे को गर्माहट देने का यह सबसे सही तरीका है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि 4 से 5 महीने के बच्चे को आप स्वैडल न करें।
ज्यादातर अस्पताल में बच्चे को जन्म के तुरंत बाद ही माँ की छाती पर रखा जाता है क्योंकि इससे माँ और बच्चे का बॉण्ड बेहतर होता है। इससे भी प्रीमैच्योर बच्चे को गर्माहट मिलती है। कंगारू केयर एक ऐसा तरीका है जिससे माँ बच्चे को अपने शरीर के संपर्क में रखकर गर्माहट देती है और बच्चे के बॉडी टेम्परेचर को नियंत्रित रखने में मदद करती है।
बच्चे के शरीर के तापमान को लगातार नापने व चेक करने की सलाह दी जाती है। इस तरीके से आप बच्चे के तापमान में बदलाव का पता कर सकती हैं। बच्चे के बॉडी टेम्परेचर को बनाए रखने के लिए आप अपने पास डिजिटल थर्मामीटर रखें। बच्चे को नहलाने से पहले और बाद में या एसी में ले जाने के बाद भी उसका तापमान चेक करें।
बच्चे के शरीर का तापमान कम होना अच्छा नहीं है। हालांकि यदि बच्चे का तापमान 32 डिग्री सेल्सियस से कम होता है तो यह हाइपोथर्मिया का लक्षण है और इसके लिए मेडिकल मदद की जरूरत पड़ती है। आपको तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए और साथ ही बच्चे को इमरजेंसी केयर देने की जरूरत पड़ सकती है। बॉडी टेम्परेचर कम होने से बच्चे में कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जीवन को खतरा हो सकता है या अंगों में खराबी आ सकती हैं
चाहे दिन हो या रात, बच्चे के शरीर का तापमान किसी भी समय पर कम हो तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि शरीर का तापमान बगल से नापा जाता है जो सही नहीं भी हो सकता है और ऐसे में रेक्टल टेम्परेचर लेने की जरूरत हो सकती है जो सिर्फ डॉक्टर ही कर सकते हैं।
यद्यपि कभी-कभी बचाव के कुछ तरीके काम करते हैं पर फिर भी यह सलाह दी जाती है कि बच्चों के मामले में आपको डॉक्टर से ही परामर्श करना चाहिए। समय से इलाज कराने से आपके शिशु को कई गंभीर समस्याओं से बचाया जा सकता है।
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