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शिशुओं को पित्ती होना: कारण, लक्षण और उपचार

यदि आप नोटिस करती हैं कि आपके बच्चे के शरीर पर रैशेस नजर आ रहे हैं, तो हो सकता है कि वह हाइव्स या पित्ती से पीड़ित हो। पैरेंट होने के नाते आपका चिंतित होना और घबराना स्वाभाविक है। बच्चों में पित्ती होने के कई कारण हैं। इसके लक्षण, कारण और उपचार के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख पढ़ें, ताकि आप बच्चे में इस स्किन प्रॉब्लम को ठीक कर सकें।

छोटे बच्चों में पित्ती होना क्या है?

पित्ती एक स्किन कंडीशन है जिसमें बच्चे की त्वचा पर छोटे लाल रैशेस होने लगते हैं। ये रैशेस शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकते हैं या पूरे शरीर में फैल सकते हैं। पित्ती कुछ घंटों में ठीक हो जाती है और कुछ केस में यह कुछ दिनों तक भी बनी रह सकती है। कई कारणों से बच्चों में पित्ती होती है। ये आर्टिकल आपको बच्चों में होने वाली पित्ती के बारे में अधिक जानकारी देने में मदद करेगा।

यह कितना कॉमन है?

पित्ती बच्चों में होने वाली बहुत ही कॉमन स्किन प्रॉब्लम्स में से एक है जो ज्यादातर सीरियस नहीं होती है। लगभग 20 प्रतिशत लोग कभी न कभी पित्ती की समस्या से पीड़ित होते हैं। जब इसका समय पर और सही तरीके से इलाज किया जाता है, तो केस सीरियस नहीं होता है।

शिशुओं में पित्ती होने के कारण क्या हैं?

कई कारण हैं जो बच्चों में पित्ती की वजह हो सकते हैं। इन कारणों में से कुछ नीचे दिए गए हैं:

  1. कीड़े के काटने या डंक मारने से पित्ती हो सकती है।
  2. अंडा, नट्स दूध या शेलफिश जैसी चीजों का सेवन करने से होने वाले एलर्जिक रिएक्शन के कारण पित्ती हो सकती है।
  3. बहुत ज्यादा ठंड या धूप के बहुत ज्यादा संपर्क में आने से पित्ती हो सकती  है।
  4. कुछ दवाओं जैसे कि पेनिसिलिन, सल्फोनामाइड आदि से एलर्जीक रिएक्शन हो सकता है।
  5. पौधों के पॉलेन से होने वाली एलर्जी।
  6. त्वचा को बहुत ज्यादा खरोंचना या अत्यधिक पसीना आने से पित्ती हो जाती है।
  7. घर में पालतू जानवरों के कारण भी ये एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है।
  8. कुछ क्रीम और लोशन के कारण एलर्जी हो सकती है।
  9. पित्ती सर्दी-जुकाम जैसे इन्फेक्शन के कारण भी हो सकती है।

बच्चे में पित्ती के लक्षण क्या हैं?

यदि आप जानना चाहती हैं कि आपके बच्चे को पित्ती है या नहीं, तो यहाँ बताए गए इन संकेत और लक्षणों को ध्यान में रखें,  ताकि आपको इसे पहचानने में मदद मिल सके:

  1. वेल्ट्स हो जाना:  त्वचा पर वेल्ट्स के होने के कारण पित्ती के लक्षण को बहुत आसानी से देखा जा सकता है। वेल्ट्स त्वचा पर छोटे लाल चकत्तों की तरह होता है, जो ऐसा नजर आता है जैसे मच्छर के काटने पर दिखाई देता है। ये शरीर के कई जगहों पर देखे जा सकते हैं।
  2. त्वचा पर व्हील्स होना: पित्ती स्किन पर गुलाबी या लाल रंग के चकत्तों की तरह उभरने लगती है और इस कंडीशन को व्हील्स कहा जाता है। व्हील्स ज्यादातर चेहरे, गर्दन, पीठ और पैरों वाले हिस्से पर देखे जाते हैं।
  3. वेल्ट्स और व्हील्स का शेप बदलना: शरीर पर इन वेल्ट्स और व्हील्स का शेप बदलता रह सकता है।
  4. लोकेशन बदलना: शेप और साइज बदलने के अलावा, ये वेल्ट्स और व्हील्स अपनी जगह भी बदलते रहते हैं। ये अचानक से नजर आने लगते हैं और अचानक से ही गायब हो जाते हैं।
  5. बच्चे का रोना: यदि आपका बच्चा पित्ती से पीड़ित है, तो वह इससे होने वाले डिस्कम्फर्ट और खुजली के कारण बहुत ज्यादा परेशान हो सकता है।

बच्चों में एलर्जी के कारण पित्ती कैसे ट्रिगर हो जाती है?

जैसे ही एक बच्चा एक एलर्जेन के संपर्क में आता है, उसका शरीर हिस्टामाइन रिलीज करने लगता है और यह तुरंत रिएक्ट करता है। हिस्टामाइन मास्ट सेल्स द्वारा ब्लडफ्लो में रिलीज होने लगता है, और जब यह त्वचा के नीचे जमा हो जाता है, तो यह ब्लड वेसल्स से लीक करना शुरू कर देता है। इस त्वचा के अंदर रिलीज होने वाले फ्लूइड के कारण अलग-अलग शेप और साइज के चकत्ते त्वचा के ऊपर दिखाई देने लगते हैं। हिस्टामाइन ब्लड फ्लो के साथ बहने लगता है, और यही कारण है कि यह त्वचा के विभिन्न हिस्सों पर पित्ती नजर आने लगती है। यह तब तक जारी रह सकता है जब तक हिस्टामाइन ब्लड फ्लो से साफ नहीं हो जाता है। एलर्जी की गंभीरता हिस्टामाइन की मात्रा पर निर्भर करती है।

बच्चों में पित्ती का डाइग्नोसिस कैसे किया जाता है?

यदि आपको लग रहा है कि आपके बच्चे को पित्ती है, तो आपको यह सलाह दी जाती है कि आप तुरंत अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं। सबसे पहले डॉक्टर बेबी के शारीरिक लक्षणों की अच्छी तरह से जाँच करेंगे। डॉक्टर आपको बच्चे के हेल्थ रिकॉर्ड, किसी भी एलर्जी और उसके रूटीन के बारे में पूछ सकते हैं। यदि डॉक्टर को पैथोजन की मौजूदगी पर संदेह होता है, तो इसके लिए वह ब्लड टेस्ट कराने को कह सकते हैं। आखिर में डॉक्टर शारीरिक लक्षणों और टेस्ट के रिजल्ट चेक करते हैं। डाइग्नोसिस पूरा होने के बाद, डॉक्टर आपके बच्चे के लिए बेहतर ट्रीटमेंट लिखते हैं।

क्या इससे बच्चों में कोई कॉम्प्लिकेशन पैदा होते हैं?

ज्यादातर मामलों में, पित्ती सीरियस कॉम्प्लिकेशन की वजह नहीं बनती है और ये कुछ घंटों या कुछ दिनों के अंदर ठीक हो जाती है। हालांकि, कभी-कभी इससे सीरियस एलर्जिक रिएक्शन भी हो जाते हैं।

  • किसी कीड़े के काटने या डंक मारने के बाद एलर्जिक रिएक्शन हो जाना।
  • अगर घरेलू उपचार से लक्षणों में सुधार नहीं दिख रहा है ।
  • अगर बच्चे के सांस लेने में घरघराहट महसूस हो।
  • बच्चे को मतली या उल्टी हो जाती है।
  • आपके बच्चे की हार्ट बीट बढ़ रही हो।
  • यदि आपको आँखों में सूजन दिखाई दे या आँखों पर पित्ती नजर आ रही हो साथ ही बच्चे को ठीक से साँस लेने में मुश्किल हो रही हो।
  • बच्चे के होंठ सूज गए हों।
  • यदि आपके बच्चे की त्वचा ठंडी पड़ जाती है।
  • स्किन रैशेस की समस्या गंभीर हो जाए और बहुत खुजली होने लगे।
  • अगर आप नोटिस करती हैं कि बच्चे के लक्षण खराब होते जा रहे हैं।

अगर आप ऊपर बताए गए किसी भी लक्षणों को नोटिस करती हैं, तो यह सलाह दी जाती है कि बच्चे बच्चे के तुरंत इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाएं। समय पर और सही से इलाज करना बहुत जरूरी है, ताकि आगे चलकर बच्चे को किसी बड़ी समस्या का सामना नहीं करना पड़े।

पित्ती का इलाज कैसे किया जाता है?

पित्ती के ज्यादातर मामलों में, कोई खास मेडिकल हेल्प की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि यह खुद ही कुछ समय के बाद ठीक हो जाती है। हालांकि, डॉक्टर लक्षणों को कम करने के लिए दवा लिख ​​सकते हैं और इसका इलाज करने के लिए ट्रीटमेंट भी दे सकते हैं। यहाँ आपको बेबी को होने वाली पित्ती का इलाज करने के कुछ ट्रीटमेंट बताए गए हैं: 

  • बच्चे के लिए डॉक्टर द्वारा लिखी जाने वाली सबसे कॉमन मेडिसिन एंटीहिस्टामाइन है। यह दवा रेडनेस, खुजली और सूजन को कम करने में मदद करती है, लेकिन यह बीमारी का इलाज नहीं करती है। यह दवा बच्चे को नुकसान नहीं पहुँचाती और उसके लिए बिलकुल सुरक्षित है। आप इसे आसानी से किसी भी फार्मेसी से खरीद सकती हैं, लेकिन आपको यह सलाह दी जाती है कि आप पहले डॉक्टर से बात कर लें।
  • पित्ती के सीरियस केस में, डॉक्टर स्टेरॉयड का यूज करने की सलाह दे सकते हैं । इस तरह की मेडिसिन को आमतौर पर उनके साइड इफेक्ट्स की वजह से देने के लिए टाला जाता है। हालांकि, अगर एंटीहिस्टामाइन से भी बच्चे को कोई फायदा नहीं हो रहा हैं, तो इसके लक्षणों को कम करने के लिए स्टेरॉयड का उपयोग किया जा सकता है।

हालांकि ऊपर बताए गए सभी उपचार लक्षणों को कम में मदद करते हैं, तो आप कुछ घरेलू उपचार भी अपना सकती हैं।

बच्चों में पित्ती के घरेलू उपचार

यहाँ उन सभी आसान और प्रभावी घरेलू उपचारों के बारे में बताया गया है, जो बच्चे में पित्ती के लक्षणों को दूर करने में मदद करते हैं। ये सभी उपचार लंबे समय से उपयोग किए जा रहे हैं, जो बच्चों में पित्ती के लक्षणों को दूर करते हैं। पित्ती के लिए इन घरेलू उपचारों में शामिल है:

1. ठंडी सिकाई

आप ठंडा पानी (बर्फीला ठंडा नहीं) ले सकती हैं और इसमें किसी भी सॉफ्ट कॉटन या मलमल के कपड़े को डुबोएं और चकत्ते पर रखें। ठंडी सिकाई करने से तुरंत पित्ती के कारण होने वाली खुजली और रेडनेस से राहत मिलती है।

2. ठंडे पानी से स्नान कराएं

आप अपने बच्चे को ठंडे पानी से नहला सकती हैं। हालांकि, आपको यह सलाह दी जाती है कि बहुत ठंडे पानी का उपयोग न करें, क्योंकि इससे बच्चा बेहद असहज महसूस कर सकता है और उसे ठंड लग सकती है। ठंडे पानी से स्नान कराने से एलर्जी की समस्या दूर होती है और खुजली भी कम होती है। खुशबूदार साबुन का उपयोग करने से बचें, इसके बजाय, किसी भी माइल्ड बेबी सोप का इस्तेमाल करें। इसके बाद बच्चे को धीरे से किसी सॉफ्ट तौलिया से पोछें और आप अपने बच्चे की त्वचा को राहत प्रदान करने के लिए किसी भी लाइट बेबी क्रीम का इस्तेमाल करें।

3. बच्चे को आरामदायक कपड़े पहनाएं

अपने बच्चे को ढीले कॉटन के कपड़े पहनाएं। कॉटन सॉफ्ट होता है और इससे त्वचा पर जलन नहीं होती है। जिससे आपका बच्चा आरामदायक महसूस करता है और बहुत ज्यादा परेशान भी नहीं होता है।

4. बच्चे के नाखून काटें

पित्ती से होने वाली खुजली से न केवल बच्चा असहज महसूस करता है, बल्कि बच्चे रैश को अपने नाखून से स्क्रैच कर सकते हैं, जिससे यह कंडीशन और भी ज्यादा खराब हो सकती है। इसलिए, उसके नाखूनों को ट्रिम करके रखें।

5. आप खुजली कम करने वाले मलहम का उपयोग कर सकती है

आपको यह सलाह दी जाती है कि आपको गाइडलाइन के अनुसार ही किसी भी बेबी लोशन या क्रीम का उपयोग करना चाहिए और बताई गई लिमिट से ज्यादा इसका उपयोग करने से बचना चाहिए। कैलेमाइन लोशन पित्ती के लक्षणों को कम करने में मदद करता है और आप इसे घर पर भी लगा सकती हैं। हालांकि बेहतर यही रहेगा कि आप बच्चे के डॉक्टर की सलाह लेने के बाद इसका उपयोग करें।

आप बच्चे को पित्ती होने से कैसे रोक सकते हैं?

यहाँ बच्चों में पित्ती को रोकने के लिए कुछ तरीके बताए गए हैं, आइए जानते हैं:

1. बच्चे को इन्फेक्शन से सुरक्षित रखें

हाइजीन बनाए रखने से बच्चों को इन्फेक्शन से बचाया जा सकता है, जो पैथोजन के कारण हो सकता है। बच्चे को सही तरीके से खाना दें, ताकि उसकी इम्युनिटी मजबूत हो सके।

2. बच्चे को साफ रखें

गंदे कपड़े पहने रहने से, त्वचा पर जमी हुई गंदगी से भी पित्ती की समस्या पैदा हो सकती हैं। इसलिए रोजाना अपने बच्चे के कपड़े बदलें और उसे अच्छी तरह से साफ करें।

3. ऐलर्जन से सुरक्षा बरतें

बच्चे को सभी एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों से दूर रखें, इससे उसे एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है और पित्ती जैसी कंडीशन पैदा हो सकती है।

4. बच्चे को अनुकूल वातावरण रखें

यदि मौसम गर्म और ह्यूमिड है, तो बेबी को एयर कंडीशन एंवायरमेंट में रखें। यदि मौसम ड्राई और ठंडा है, तो ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें।

5. हार्श डिटर्जेंट का उपयोग न करें

हार्श केमिकल डिटर्जेंट का उपयोग करने से बच्चों को स्किन रैशेस होने का खतरा होता है। इसलिए बेबी सेफ या माइल्ड डिटर्जेंट का उपयोग करें।

पित्ती का सही तरीके से इलाज किए जाने पर इसका केस नहीं बिगड़ता है। इसके लक्षणों पर ध्यान दें और बच्चे पर नजर रखें। अगर बच्चे में आपको पित्ती के कोई भी लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। इससे समय पर सिचुएशन को संभालने में मदद मिलती है।

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समर नक़वी

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