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डिलीवरी के बाद गर्भधारण को लेकर लोगों के बीच बहुत गलतफहमियां हैं। इस सवाल के संदर्भ में कई गलत थ्योरी और मान्यताएं मौजूद हैं। आप यह जानना चाहती होंगी, कि डिलीवरी के कितने दिनों बाद प्रेग्नेंट होना संभव है। यह लेख मिथकों का खंडन करता है और इस विषय पर मौजूदा साइंटिफिक समझ के आधार पर जानकारी देता है।
इसका आसान सा जवाब है, हां। डिलीवरी के बाद प्रेग्नेंट होने की संभावना होती है, वह भी पहले पोस्टपार्टम पीरियड से भी पहले। यानी कि आप अपनी डिलीवरी के शुरुआती 4 सप्ताह के अंदर प्रेग्नेंट हो सकती हैं। डिलीवरी के बाद पहले पीरियड से पहले गर्भवती होना भी हर महिला के लिए अलग हो सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ महिलाएं डिलीवरी के बाद स्टेराइल पीरियड का अनुभव करती हैं, यानी कि उनका ओवुलेशन नहीं होता है। वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाएं पीरियड्स के पहले ओवुलेट होती हैं, यानी कि डिलीवरी के कुछ दिनों बाद ही वे गर्भधारण कर सकती हैं। यह बता पाना कठिन है, कि अपने पहले पीरियड के पहले, महिला के पीरियड पहले आएंगे या उसका ओवुलेशन पहले होगा। जो महिलाएं प्लानिंग के साथ गर्भधारण करने में विश्वास रखती हैं, उन्हें गर्भनिरोधक का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली ज्यादातर मांओं में सामान्य मासिक धर्म की शुरुआत होने में औसतन 4 से 6 महीनों का समय लग सकता है, यानी कि डिलीवरी के बाद का पहला पीरियड। जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग नहीं करा रही होती हैं, उनमें डिलीवरी के बाद सामान्य पीरियड शुरू होने में 6 से 12 सप्ताह का समय लग सकता है। वहीं, यहां पर इस बात का ध्यान रखना जरूरी है, कि हर महिला का शरीर अलग होता है और इसलिए कुछ महिलाएं ऊपर बताए गए समय से पहले या उसके बाद भी ओवुलेट कर सकती हैं। डिलीवरी के बाद, अगली गर्भावस्था के लिए टाइम फ्रेम को तय कर पाना, देखा जाए तो असंभव ही है।
सामान्य स्थितियों में ब्रेस्टफीडिंग ऑक्सीटोसिन नामक एक हॉर्मोन को रिलीज होने के लिए ट्रिगर करती है, जो कि ओवुलेशन में रुकावट पैदा करता है। आमतौर पर यह भी देखा गया है, कि जो महिलाएं ब्रेस्टफीड कराती हैं, उनमें ब्रेस्टफीडिंग ना कराने वाली महिलाओं की तुलना में ओवुलेशन की शुरुआत देर से होती है। हालांकि ऐसा होना निश्चित नहीं है और इसे बर्थ कंट्रोल के रूप में इस्तेमाल करना विश्वसनीय नहीं हो सकता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं में डिलीवरी के बाद 6 सप्ताह के बाद भी पीरियड देखे गए हैं। वहीं कुछ अन्य मामलों में पीरियड आने में 18 महीने का समय भी लग सकता है।
डिलीवरी के कितने दिनों बाद महिला प्रेग्नेंट हो सकती है? यह एक ऐसा सवाल है, जो कि कई लोगों को उलझन में डाल सकता है। इनमें वैसे पेरेंट्स और परिवार भी शामिल हैं, जो एक से अधिक बच्चे चाहते हैं। मेडिकल प्रैक्टिशनर, ऑब्सटेट्रिशियन और गाइनेकोलॉजिस्ट की राय यह है, कि दो गर्भावस्थाओं के बीच कम से कम एक साल का अंतर होना जरूरी है। वहीं कुछ लोग दो गर्भावस्थाओं के बीच 18 महीनों का अंतर रखने की सलाह भी देते हैं। डिलीवरी के बाद 18 महीनों के अंदर गर्भधारण करने से आने वाली गर्भावस्थाओं में कुछ खास कॉम्प्लिकेशन की संभावना बढ़ जाती है। इनमें नए बच्चे के लिए प्रीमैच्योर डिलीवरी या जन्म के समय वजन कम होना जैसी स्थितियां शामिल हैं, जिनसे बच्चे में अस्थमा, सुनने में दिक्कत और विकास में रुकावट के साथ-साथ जन्मजात विकलांगता का खतरा भी हो सकता है ।
एक अन्य विचारणीय तथ्य यह है, कि एक महिला के शरीर को डिलीवरी के तनाव से पूरी तरह से ठीक होने के लिए थोड़े समय की जरूरत होती है। इस तनाव में गर्भाशय में कोई बची हुई इन्फ्लेमेशन भी शामिल है। एक महिला के शरीर को पिछली प्रेगनेंसी के दौरान शरीर से खर्च हुए विटामिन और न्यूट्रिएंट्स की आपूर्ति के लिए भी थोड़े समय की जरूरत होती है।
जो महिलाएं एक से अधिक बच्चे चाहती हैं, उन्हें खुद को और अपने बच्चे को जटिलताओं से बचाने के लिए अपने शरीर को स्वस्थ रखने की जरूरत होती है। डिलीवरी के बाद अनचाहे गर्भ से बचने के लिए सबसे अच्छा तरीका होता है, गर्भनिरोधक का इस्तेमाल और महिला ब्रेस्टफीडिंग करा रही हो या न करा रही हो, गर्भनिरोधक की सलाह दी जाती है।
बच्चों की परवरिश एक बहुत ही कठिन काम है। इसलिए माता-पिता के लिए यह जरूरी है, कि दूसरे बच्चे की प्लानिंग करने से पहले एक बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी को पूरी तरह से सीख लें। इसके बीच की समय अवधि इसलिए भी जरूरी है, ताकि दूसरे बच्चे के आने से पहले, पहले बच्चे के पोषण की जरूरतें अच्छी तरह से पूरी हो सकें। एक से अधिक बच्चों की देखभाल करने से पेरेंट्स पर शारीरिक और मानसिक तनाव बहुत अधिक बढ़ सकता है। इसके अलावा, दूसरी प्रेगनेंसी की प्लानिंग से पहले, पहली डिलीवरी से मां का पूरी तरह से रिकवर होना बहुत जरूरी है।
एक्सपर्ट सलाह देते हैं, कि दो गर्भावस्थाओं के बीच 12 से 18 महीनों का अंतर होना जरूरी है। कई अध्ययनों से भी यह पता चला है, कि जो महिलाएं डिलीवरी के 6 महीनों के अंदर गर्भवती हो जाती हैं, उनमें जटिलताओं का खतरा बहुत बढ़ जाता है। इन जटिलताओं में प्रीमैच्योर बर्थ, मिसकैरेज और जन्म के समय कम वजन वाले बच्चे शामिल हैं। मां और बेबी के अच्छे स्वास्थ्य और कुशलता को सुनिश्चित करने के लिए दो गर्भावस्थाओं के बीच रेकमेंडेड अंतराल को बनाए रखना बहुत जरूरी है।
एक के बाद एक प्रेगनेंसी होने की संभावना हो सकती है और महिलाओं में ऐसा देखा भी गया है। ऐसे में विवेकशीलता बहुत जरूरी है। मां और बच्चों की सुरक्षा के लिए दो गर्भावस्थाओं के बीच समय अंतराल के संबंध में कुछ खास बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है।
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