गर्भावस्था

डिलीवरी से पहले आपका रेगुलर चेकअप शेड्यूल

आपको अपनी गर्भावस्था के लिए बधाई हो! अब जब आप माँ बनने वाली हैं तो आप चाहेंगी कि आपकी प्रेगनेंसी में कोई परेशानी न आए और आप अपने बच्चे को सुरक्षित रूप से जन्म दे सकें। इसके लिए सबसे पहले आपको एक सही डॉक्टर या दाई की तलाश करनी होगी, जो आपको सही एडवाइस दे और आपकी प्रेगनेंसी का यह सफर अच्छी तरह से बीते! जैसे ही पता चलता है कि आप गर्भवती हैं, आपको एक अच्छा गायनेकोलॉजिस्ट देखना चाहिए और अपॉइंटमेंट शेड्यूल करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान होने वाले हेल्थ चेकअप या अपॉइंटमेंट को एंटीनेटल चेकअप कहा जाता है और इस दौरान आप कई बार अपने डॉक्टर से मुलाकात करेंगी, तो जाहिर अब आप यह जानना चाहेंगी कि इन एंटीनेटल चेकअप के दौरान क्या होता है? तो आइए यह जानने के लिए लेख पढ़ते हैं।

आपके एंटीनेटल चेकअप के कितने अपॉइंटमेंट होते हैं?

अगर यह आपकी पहली प्रेगनेंसी है और बिना किसी मेडिकल इशू और कॉम्प्लिकेशन के आप हेल्दी प्रेगनेंसी के साथ साथ आगे बढ़ रही हैं, तब आपको अपने डॉक्टर से औसतन 8 से 10 बार मिलने की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, यदि यह आपकी पहली प्रेगनेंसी नहीं है और आप किसी भी मेडिकल इशू का सामना नहीं कर रही हैं, तो आप एंटीनेटल चेकअप के लिए 7 से 9 डॉक्टर के पास जा सकती हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी हेल्थ कंडीशन और कॉम्प्लिकेशन क्या हैं, जिसका आप अपनी प्रेगनेंसी के दौरान सामना कर रही हैं। अगर आपकी प्रेगनेंसी हाई रिस्क केस में आती हैं तो डॉक्टर आपकी प्रेगनेंसी की बहुत करीब से जांच करेंगे और इसके लिए आपको लगातार चेकअप के लिए जाना पड़ सकता है।

प्रीनेटल अपॉइंटमेंट में क्या होता है?

डॉक्टर या दाई आपको आपकी प्रेगनेंसी स्टेज के अनुसार एंटीनेटल केयर की सलाह देते हैं, अगर आप या आपका बच्चा प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी प्रकार के हेल्थ रिस्क या कॉम्प्लिकेशन का सामना कर रहा है, तो आपको कई सारे टेस्ट, स्कैन और चेकअप से गुजरना पड़ सकता है, जिसमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं, जिसमें आपकी पिछली प्रेगनेंसी, मिसकैरेज या अन्य मेडिकल कंडीशन शामिल हो सकती है।
  • आप जो भी मेडिसिन ले रही हैं उसके बारे में डॉक्टर आपसे पूछ सकते हैं।
  • आपके मेंटल हेल्थ की जांच की जा सकती हैं यह देखने के लिए कि कहीं आप किसी भी प्रकार की एंग्जायटी, डिप्रेशन आदि से पीड़ित तो नहीं हैं।
  • डॉक्टर आपको ड्यू डेट के बारे में बता सकते हैं।
  • डॉक्टर आपको कुछ यूरिन और ब्लड टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं।
  • आपके वजन और ब्लड प्रेशर पर भी नजर रखी जाएगी।
  • आपको अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में कुछ चेंजेस करने के सलाह दी जा सकती है।
  • डॉक्टर आपके साथ बर्थ प्लान पर चर्चा कर सकते हैं।
  • डॉक्टर आपके बच्चे की ग्रोथ और डेवलपमेंट पर नजर रखने के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन करवा सकते हैं।
  • आपसे ऐसे किसी भी फिजिकल और इमोशनल लक्षण के बारे में पूछा जा सकता है, जिसके बारे में आप चिंतित हैं।
  • आपको अपनी प्रेगनेंसी से संबंधित चिंताओं या प्रश्नों के बारे में बात करने के लिए कहा जा सकता है जो आपको परेशान कर रही हों।

सप्ताह के अनुसार एंटीनेटल चेकअप शेड्यूल

अब हम सप्ताह के अनुसार एंटीनेटल चेकअप शेड्यूल पर चर्चा करेंगे, जिसे आपको अपनी प्रेगनेंसी के दौरान जारी रखना होगा।

1. सप्ताह 8 से 12

यह आपका पहला एंटीनेटल विजिट हो सकती है और यह आदर्श रूप से गर्भावस्था के 10 सप्ताह से पहले होनी चाहिए। इस चेकअप के दौरान आपसे नीचे बताई गई डिटेल पूछी जाएगी:

  • आपकी लाइफ लाइफस्टाइल और डाइट।
  • आपकी मेडिकल हिस्ट्री।
  • कोई भी हेल्थ इशू जिसका सामना आप कर रही हों।
  • आपका बर्थ प्लान।
  • क्या आप वर्किंग वुमन हैं या नहीं।
  • क्या आप ब्रेस्टफीडिंग कराने की प्लानिंग कर रही हैं या नहीं।

यहाँ आपको कुछ जानकारियां दी गई हैं जो आपके डॉक्टर या दाई आपके साथ साझा कर सकते हैं:

  • जब आप अल्ट्रासाउंड स्कैन के लिए जा रही होंगी।
  • आपको कौन से सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता हो सकती है।
  • आपको कौन से टेस्ट और स्कैन करवाने पड़ सकते हैं और डॉक्टर उनके फायदे और नुकसान के साथ जानकारी साझा करेंगे।
  • आपको चेकअप के बाद आपकी रिपोर्ट की एक कॉपी सौंप दी जाएगी।

2. सप्ताह 10 से 14

इस चेकअप के दौरान, डॉक्टर आपका पहला अल्ट्रासाउंड स्कैन करते हैं। चेकअप के बाद आपको अपनी डिलीवरी की एक्सपेक्टेड डेट या ईडीडी बता दी जाएगी और इसकी मदद से यह भी पता चल सकता है कि बच्चा गर्भ में कितना विकसित हुआ है। आपको यह भी पता चल सकता है कि आपके गर्भ में दो या अधिक बच्चे पल रहे हैं या नहीं। इन सभी अहम बातों के अलावा आपके डॉक्टर को बच्चे में किसी प्रकार की जेनेटिक अब्नोर्मलिटी का भी पता चलता है जैसे डाउन सिंड्रोम और अन्य कॉम्प्लिकेशन। 

3. सप्ताह 16

इस दौरान डॉक्टर आपके  ब्लड और यूरिन टेस्ट के रिजल्ट आपसे डिस्कस करेंगे। यदि डायग्नोसिस के जरिए आयरन की कमी का पता चलता है, तो डॉक्टर आपको इसके लिए सप्लीमेंट प्रेसक्राइब्ड कर सकते हैं। इसके अलावा, प्रोटीन की जांच करने के लिए यूरिन टेस्ट किया जाएगा। आपका वजन और ब्लड प्रेशर भी चेक किया  जाएगा। आपको अगले अल्ट्रासाउंड स्कैन के बारे में भी बताया जा सकता है, जो आपके अगले चेकअप में किया जा सकता है। इस स्टेज पर, अगर आप किसी भी प्रकार की असुविधा या चिंता का सामना करती हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि वह आपको जरूरी कदम उठाने की सलाह दे सकें।

4. सप्ताह 18 से 21

इस चेकअप के दौरान डॉक्टर एनॉमली स्कैन कर सकते हैं। यह स्कैन ये देखने के लिए किया जाता है कि बेबी आपके गर्भ के अंदर कैसे विकसित हो रहा है और यह भी जांच की जाती है कि गर्भ के अंदर फीटस में कोई फिजिकल अब्नोर्मलिटी तो नहीं है। जिन देशों में यह लीगल है, वहाँ पेरेंट्स फीटस के जेंडर के बारे में भी पूछ सकते हैं। इसके अलावा, हेपेटाइटिस बी, सिफलिस या एचआईवी की भी जांच की जाएगी।

5. सप्ताह 25

यदि आप पहली बार माँ बनी हैं, तो आपको चेकअप के लिए जाना पड़ सकता है। आपके ब्लड प्रेशर की जांच की जा सकती है, और एहतियात के तौर पर आपके यूरिन में फिर से प्रोटीन की जांच की जा सकती है। डॉक्टर आपके बेबी बंप के ऊपर से पेल्विक बोन तक के साइज की माप लेगा, यह इसलिए किया जाता है ताकि पता लगाया जा सके की बच्चे का विकास ठीक से से हो रहा है या नहीं।

6. सप्ताह 28

डॉक्टर आयरन लेवल और एंटीबॉडी की जांच करने के लिए आपको ब्लड टेस्ट करने के लिए कहेंगे। यदि आपके लेवल नॉर्मल रेंज के अंदर नहीं आते हैं, तो डॉक्टर सप्लीमेंट प्रेसक्राइब कर सकते हैं। यहाँ से डॉक्टर हर बार चेकअप के दौरान आपके बेबी बंप का माप लेंगे, यह देखने के लिए कि बच्चे की पहले से कितनी ग्रोथ हुई। रूटीन ब्लड और यूरिन वर्क को फॉलो किया जा सकता है। यदि आपको पता चला है कि रीसस नेगेटिव ब्लड टाइप है और इस बात की संभावना हो सकती है कि आपका बच्चा रीसस पॉजिटिव हो, तो आपका डॉक्टर किसी भी एंटीबॉडी को मारने के लिए आपको एंटी-डी इंजेक्शन दे सकते हैं, जो आपके शरीर में डेवलप हो सकते हैं।

7. सप्ताह 31

इस चेकअप के दौरान, आप यूरिन के जरिए फिर से प्रोटीन की जांच की जाएगी और आपका ब्लड प्रेशर भी चेक किया जाएगा। डॉक्टर पहले विजिट के दौरान किए गए टेस्ट रिजल्ट पर डिस्कस कर सकते हैं। आपके डॉक्टर या दाई आपके यूट्रस के साइज को मॉनिटर करके बच्चे की ग्रोथ का पता लगा सकते हैं।

8. सप्ताह 34

यह वह समय है जब आपको लेबर पेन के बारे में बताया जा सकता है कि एक्टिव लेबर पेन और फॉल्स लेबर पेन के बीच अंतर क्या है, लेबर को कैसे मैनेज करें और कैसे प्लान करें। डॉक्टर नॉर्मल और सीजेरियन डिलीवरी को लेकर भी चर्चा कर सकते हैं। यदि कोई चेंजेस के कारण आपको सी-सेक्शन डिलीवरी करवानी पड़ती है, तो डॉक्टर इसे भी डिस्कस करेंगे। हालांकि, इस स्टेज में यह तय करना थोड़ा जल्दी होगा कि आपकी डिलीवरी किस प्रक्रिया के जरिए होगी। यदि आप रीसस नेगेटिव हैं, तो आपको इस दौरान एंटी-डी इंजेक्शन का दूसरा शॉट दिया जा सकता है।

9. सप्ताह 36

आप अपनी डिलीवरी के बहुत करीब हैं और इस प्रकार डॉक्टर या दाई आपके साथ नीचे बताई गई कुछ जानकारियां साझा कर सकते हैं:

  • अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कैसे कराएं।
  • कोई भी स्क्रीनिंग टेस्ट जो आपके न्यूबॉर्न बेबी के लिए आवश्यक हो सकता है।
  • डिलीवरी के बाद आप अपनी सेहत का कैसे खयाल रखें।
  • आपको डिलीवरी के बाद डिप्रेशन होने या बेबी ब्लूज के बारे में भी बताया जाएगा।

ऊपर बताए गए मुद्दों पर डिस्कस करने के अलावा, डॉक्टर बच्चे के पोजीशन की जांच करेंगे। आपके यूरिन और ब्लड प्रेशर की फिर से जांच होगी। आपके बेबी बंप या यूट्रस का भी माप लिया जा सकता है।

10. सप्ताह 38

बच्चे की ग्रोथ की जांच करने के लिए आपके यूट्रस को चेक किया जाएगा, इसके साथ यूरिन टेस्ट के जरिए प्रोटीन लेवल की भी जांच की जाएगी। इस स्टेज पर, डॉक्टर कई ऑप्शन को लेकर डिस्कस कर सकते हैं, अगर आपकी प्रेगनेंसी 41 सप्ताह से अधिक हो जाती है। डिलीवरी का समय नजदीक आते ही आपको चिंता और घबराहट महसूस हो सकती है, अपने डॉक्टर से इसके बारे में खुल कर बात करें।

11. सप्ताह 40

अगर आप पहली बार माँ बनने जा रही हैं तो आप इस चेकअप के लिए जाएं वरना आप इसे मिस भी कर सकती हैं। इस दौरान आपका रूटीन यूरिन टेस्ट, ब्लड प्रेशर, यूट्रस का माप आदि लिया जाएगा, ताकि बच्चे की ग्रोथ पर नजर रखी जा सके। अगर आपकी गर्भावस्था 41 सप्ताह से अधिक जा सकती है, तो आपको इसके बारे में अधिक जानकारी दी जा सकती है।

12. सप्ताह 41

हालांकि इस दौरान अधिकांश महिलाएं लेबर पेन का सामना करती हैं, हालांकि कभी-कभी महिलाओं को इस समय लेबर के कोई लक्षण नहीं दिखाई देती हैं। इस तरह के मामलों में, डॉक्टर एक मेम्ब्रेन स्वाइप ऑफर कर सकते हैं। पहली बार की प्रेगनेंसी में, लगभग 40 सप्ताह की एंटीनेटल चेकअप के दौरान मेम्ब्रेन स्वाइप किया जा सकता है। हालांकि, डॉक्टर आपको फिर से मेम्ब्रेन स्वाइप करने से पहले पूछेंगे कि यह पूरी तरह से आपका फैसला होगा। इसके अलावा, ब्लड और यूरिन टेस्ट भी किया जाएगा, लेबर में आपको डॉक्टर या दाई की निगरानी में लगातार रखा जाएगा।

डॉक्टर आपकी प्रेगनेंसी को मॉनिटर करेंगे ताकि ऐसी किसी भी प्रकार के रिस्क का पता लगाया जा सके, जो प्रेगनेंसी के दौरान आपके बच्चे को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, यदि आप डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या अन्य किसी भी मेडिकल कॉम्प्लिकेशन का सामना कर रही हैं, तो आपकी गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर के देख-रेख में मॉनिटर किया जाएगा।

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था के दौरान खून की जांच करवाना
पहली तिमाही में 16 आवश्यक ब्लड टेस्ट जो आपको पता होने चाहिए
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समर नक़वी

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