गर्भावस्था

इमरजेंसी सी सेक्शन

बच्चे को जन्म देना एक बहुत ही अप्रत्याशित प्रक्रिया है। हो सकता है कि आपकी बर्थ प्लानिंग स्ट्रांग हो, लेकिन लेबर की प्रक्रिया उतनी आसान नहीं होती है जितना आपने सोचा होता है। बहुत बार ऐसी स्थिति हो जाती है जहाँ आपको नॉर्मल डिलीवरी के बजाय सी-सेक्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। संक्षेप में कहें तो इसे एक अनप्लांड यानी अनियोजित सी सेक्शन कहा जा सकता है और यह लेबर में तेजी लाने और गर्भ में पल रहे बच्चे में ब्रेन डैमेज जैसे खतरे पैदा करने की संभावना को दूर करने का एकमात्र तरीका होता। हालांकि कोई भी माँ यह नहीं चाहती की उसे इस प्रक्रिया से गुजरना पड़े, मगर कभी-कभी बच्चे और माँ की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाना अनिवार्य हो जाता है। 

एक इमरजेंसी सी-सेक्शन क्या होता है?

लेबर प्रोसेस के दौरान डॉक्टरों को निर्णय लेना होता है और यह तय करना होता है कि क्या सी-सेक्शन आवश्यक है, और यदि बच्चा या माँ ज्यादा तकलीफ में हो तो अनप्लांड सी सेक्शन करना पड़ सकता है। यह आमतौर पर तब किया जाता है जब इमरजेंसी डिलीवरी ही एकमात्र विकल्प होता है।

इमरजेंसी सी-सेक्शन करने के कारण

  • बच्चे को तकलीफ: जब गर्भावस्था या लेबर के दौरान फीटस यानी गर्भ में पल रहे बेबी को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलती है।
  • माँ को तकलीफ: जब एक गर्भवती महिला लेबर के दौरान मानसिक और शारीरिक रूप से थका हुआ महसूस करती है, आमतौर पर लंबे समय तक लेबर की प्रक्रिया जारी रहना, डिहाइड्रेशन या गंभीर मामले में डिहाइड्रेशन और लंबे समय तक लेबर के कारण कीटोएसिडोसिस की समस्या पैदा हो सकती है।
  • एक प्रोलैप्सड गर्भनाल जहाँ गर्भनाल बच्चे से पहले यूटरिन सर्विक्स के माध्यम से वजाइना तक पहुँचती है, जिससे गर्भनाल में जकड़न हो जाती है और फीटस को रक्त और ऑक्सीजन पहुँचना बंद हो जाता है। जब तक इमरजेंसी लेबर नहीं किया जाता, ऑक्सीजन की कमी के कारण उसकी मृत्यु हो सकती है या ब्रेन डैमेज हो सकता है।
  • माँ को ब्लीडिंग होना।
  • प्लेसेंटा अब्रप्टिया जहाँ प्लेसेंटा यूट्रस वॉल से अलग हो जाता है।
  • लेबर स्ट्रेस यूटराइन रप्चर का कारण बनता है जिसमें पिछले सी-सेक्शन के कारण हुए निशान के साथ यूट्रस फट जाता है।

क्या एक इमरजेंसी सी-सेक्शन एक अनियोजित सी-सेक्शन के समान होता है?

एक इमरजेंसी सी-सेक्शन प्रक्रिया एक अनप्लांड सी-सेक्शन से भिन्न होती है। जब लेबर आगे नहीं बढ़ रहा होता है, बच्चा ब्रीच या किनारे होता है, या जब कॉन्ट्रैक्शन कम होता है, तो एक अनप्लांड सी-सेक्शन किया जाता है। डिलीवरी अत्यावश्यक है लेकिन माँ या बच्चे की जान को खतरा नहीं होना चाहिए।

इमरजेंसी सी-सेक्शन शेड्यूल्ड सी-सेक्शन से कैसे अलग होता है?

कई हेल्थ इमरजेंसी स्थितियों में इमरजेंसी सी-सेक्शन एकमात्र विकल्प होता है, ताकि बच्चे को जल्द से जल्द बाहर निकाला जा सके।

शेड्यूल्ड सी-सेक्शन एक प्लांड सिजेरियन है, जिसे आमतौर पर इलेक्टिव सेक्शन कहा जाता है, जो उन मामलों में किया जाता है जहाँ:

  • गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे हों।
  • यदि ड्यू डेट आने पर बच्चा ब्रीच पोजीशन में है।
  • जब बच्चा ड्यू डेट के करीब सिर नीचे की पोजीशन में न हो।
  • जब माँ को कोई स्वास्थ्य समस्या होती है जैसे कि हृदय रोग जो लेबर के स्ट्रेस को और बुरा बना सकता है।
  • अगर माँ को कोई इंफेक्शन है जो वेजाइनल बर्थ के दौरान बच्चे को पास हो सकता है, जैसे जेनिटल हर्पीज, क्लैमाइडिया और गोनोरिया।

प्लांड सी-सेक्शन को कभी-कभी कुछ नॉन मेडिकल कारणों जैसे डर और बर्थ टाइम के आधार पर प्लांड किया जाता है, जो तब तक स्वीकार्य है जब तक कि माँ इसे समझती है, हालांकि एक प्लांड सी-सेक्शन आम है और आमतौर पर सुरक्षित होता है, बावजूद इसके, इसे अभी भी एक मेजर सर्जरी माना जाता है जिसमें सर्जिकल प्रोसेस का रिस्क रहता है ।

इमरजेंसी सी-सेक्शन से जुड़े कॉम्प्लिकेशंस क्या हैं?

इमरजेंसी सी-सेक्शन इसलिए किया जाता है क्योंकि लेबर प्रोसेस में कॉम्प्लिकेशंस होती हैं। ये कॉम्प्लिकेशंस प्रोसेस के दौरान और बाद में कुछ ऐसे रिस्क पैदा करते हैं और ये प्लांड सी-सेक्शन से काफी अलग होते हैं।

  • टाइम लिमिट होने के कारण सर्जरी के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने की संभावना होती है, प्री ऑपरेटिव प्लानिंग में समय लगता है।
  • एनेस्थीसिया को जल्दी दिया जाता है। कॉम्प्लिकेशंस की संभावना अधिक होती है क्योंकि पेशेंट की एलर्जी और संवेदनशीलता का ध्यान रखने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता है।
  • इस प्रक्रिया के दौरान माँ के अंदरूनी अंग, आंत और ब्लैडर के घायल होने का अधिक खतरा होता है।
  • इसी तरह, इमरजेंसी सी-सेक्शन में बच्चे को चोट लगने की संभावना भी अधिक होती है।
  • जब तक पर्याप्त प्री-सर्जिकल स्वैबिंग नहीं की जाती है – तब तक इमरजेंसी सर्जरी के दौरान इन्फेक्शन की संभावना अधिक होती है।

इमरजेंसी सी सेक्शन प्रोसीजर – आप क्या उम्मीद कर सकती हैं

इमरजेंसी सी सेक्शन का मकसद बच्चे को जल्द से जल्द बाहर लाना होता है, बच्चे और माँ को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाता है जिसमें से यह एक है। डॉक्टरों और नर्स की टीम के साथ असिस्टेंट्स बच्चे की डिलीवरी पर काम करते हैं। उस समय जब बच्चा तकलीफ में होता है, निओनेटल टीम बच्चे को स्टेबल करने के लिए वहाँ मौजूद होती है। 

जनरल एनेस्थेटिक का उपयोग किया जाता है और बर्थ पार्टनर को ऑपरेशन थिएटर में आने की इजाजत नहीं दी जाती है।

एनेस्थीसिया देने के बाद पेट को स्वैब करके इसे डिसइनफेक्ट किया जाता है। एब्डोमिनल वॉल को कट किया जाता है और मसल्स को अलग करके यूट्रस तक पहुँचा जाता है। यूट्रस को कट करके और एमनियोटिक फ्लूइड को खाली कर दिया जाता है। फिर बच्चे को बाहर निकाला जाता है, पहले सिर और उसकी नाक और मुँह को सक्शन किया जाता है ताकि वह सांस ले सके। इसके बाद नाल को हटा दिया जाता है और पूरे क्षेत्र को सुखाकर बंद कर दिया जाता है। पहले चीरे से लेकर बच्चे के जन्म होने तक का समय लगभग दो मिनट तक हो सकता है।

इमरजेंसी सी सेक्शन से रिकवर होना

इमरजेंसी सी-सेक्शन से रिकवरी इस बात पर निर्भर करती है कि इमरजेंसी की स्थिति में किस लेवल के कॉम्प्लिकेशन देखे जा रहे हैं। यदि इमरजेंसी स्थिति को समय पर संभाल लिया गया तो रिजल्ट बेहतर देखने को मिल सकते हैं – रिकवरी और बेहतर देखभाल सी-सेक्शन के समान ही होती है – लेकिन वेजाइनल बर्थ में ज्यादा समय लगता है। ऑपरेट करने से आपको चलने फिरने में परेशानी और दर्द का अनुभव हो सकता है । इसलिए आपको 5-6 दिनों के लिए हॉस्पिटल में ही भर्ती रहने की सलाह दी जाती है और 6-8 सप्ताह के लिए किसी प्रकार की एक्सरसाइज या भारी वजन उठाने के लिए मना किया जाता है।

अगली गर्भावस्था और डिलीवरी पर इमरजेंसी सी-सेक्शन के प्रभाव

सी सेक्शन के बाद गर्भवती होने और वीबीएसी (वेजाइनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन) यानी सी सेक्शन के बाद अगली बार नार्मल डिलीवरी का प्रयास करने की संभावना अलग है यदि आपकी डिलीवरी इमरजेंसी सी-सेक्शन की गई है, और यह निर्भर करती है:

  • अब आपकी सेहत की स्थिति पर
  • आपकी पहली इमरजेंसी सी-सेक्शन करने का क्या कारण था
  • क्या उन स्थिति के दोबारा होने की संभावना है
  • क्या ऐसी कोई नई स्थिति है जो गर्भावस्था की संभावना को नुकसानदेह बनाती है या वीबीएसी की संभावना नहीं है।

चूंकि ये कॉम्प्लेक्स फैक्टर इस स्थिति को आपके लिए मुश्किल बनाते हैं – गर्भवती होने और इमरजेंसी सी-सेक्शन के बाद वीबीएसी का प्रयास करने का निर्णय लेने से पहले आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। आपकी डिलीवरी इस बात पर निर्भर करती है कि इमरजेंसी या सी सेक्शन के लिए क्या सुविधाएं मौजूद हैं। इसके बाद तय किया जाता है कि वीबीएसी के लिए प्रयास जारी रखना है या नहीं। इसका फैसला आपको एक अनुभवी डॉक्टर पर छोड़ देना चाहिए।

हालांकि इमरजेंसी सी-सेक्शन आखिरी उपाय के रूप में देखा जाता है, लेकिन कभी-कभी माँ और बच्चे को बचाने के लिए यह आवश्यक होता है। इस लेख में दी गई सभी जानकारी आपको इस विषय में खुद को शिक्षित करने और उसके अनुसार प्लानिंग करने में आपकी मदद करेगी।

यह भी पढ़ें:

सी-सेक्शन प्रसव – इसके लाभ और जोखिम क्या हैं?
सिजेरियन डिलीवरी से कैसे बचें – 9 आसान तरीके
सिजेरियन डिलीवरी : सी-सेक्शन प्रसव के बारे में विस्तृत वर्णन

समर नक़वी

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