गर्भावस्था

फुल टर्म गर्भावस्था

गर्भावस्था का समय पूरे परिवार में खुशियां लाता है, लेकिन इसके साथ आप अपनी गर्भावस्था से जुड़ी कुछ चीजों को लेकर चिंतित भी हो सकती हैं। माँ और बच्चे दोनों की सुरक्षा सबसे पहले आती है। ज्यादातर महिलाएं चाहती हैं कि वो नॉर्मल डिलीवरी से ही बच्चे को जन्म दें, हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक यह है कि आपकी प्रेगनेंसी का फुल टर्म तक पहुँचना जरूरी। फुल टर्म गर्भावस्था से जुड़े बहुत सारे फैक्ट और मिथ हैं और इसलिए हर गर्भवती महिला या जो गर्भवती होने का प्रयास कर रही हैं उन्हें यह जानना चाहिए ताकि वह इसके लिए तैयार हो सकें।

फुल टर्म गर्भावस्था क्या है?

एक फुल टर्म प्रेगनेंसी वो होती है जब आप अपनी गर्भावस्था के 39 सप्ताह पूरे कर लेती हैं। यद्यपि, किसी मेडिकल इमरजेंसी के दौरान डॉक्टर पहले ही डिलीवरी करा सकते हैं, लेकिन जब आपकी 39 सप्ताह के बाद डिलीवरी होती है, तो इस समय परिस्थिति नॉर्मल होती है। कुछ साल पहले तक, 37 सप्ताह के पूरे किए जाने पर इसे फुल टर्म प्रेगनेंसी  माना जाता था, लेकिन अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑबस्टेट्रीशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (एसीओजी) के लेटेस्ट निर्देश के अनुसार, 2013 में उनकी रिसर्च से, यह निष्कर्ष निकाला गया कि 39 सप्ताह की प्रेगनेंसी को फुल टर्म माना जा सकता है।

गर्भावस्था की अलग-अलग टर्म्स क्या होती है?

यह निर्भर करता है कि जेस्टेशन पीरियड कितने समय तक रहता है, इसके आधार पर प्रेगनेंसी टर्म को वर्गीकृत किया जाता है:

अर्ली टर्म

इसे प्रेगनेंसी ऐज के रूप में जाना जाता है और यह 37 सप्ताह से 0 दिन और 38 सप्ताह से 6 दिन के बीच होता है। 

फुल टर्म

एक गर्भावस्था जो 39 सप्ताह 0 दिन और 40 सप्ताह 6 दिन के बीच रहती है, उसे फुल टर्म प्रेगनेंसी वीक के रूप में माना जाता है।

लेट टर्म

वो जेस्टेशन पीरियड जो 41 सप्ताह 0 दिन और 41 सप्ताह 6 दिनों के बीच रहता है, उसे लेट टर्म के रूप में जाना जाता है। 

पोस्ट टर्म

एक गर्भावस्था जो 42 सप्ताह 0 दिन और उससे अधिक समय तक रहती है, उसे पोस्ट टर्म कहा जाता है।

39 सप्ताह में, बच्चे का सामान्य सामान्य विकास हो जाता है, इसलिए इसे फुल टर्म प्रेगनेंसी कहा जाता है और इसके बाद डिलीवरी में बहुत कम समय बचता है।

39 सप्ताह को फुल टर्म गर्भावस्था क्यों माना जाता है?

कई रिसर्च स्टडीज के बाद मेडिकल एक्सपर्ट द्वारा यह रिजल्ट निकाला गया कि 39 सप्ताह को फुल टर्म प्रेगनेंसी के रूप में माना जाए, जो पहले फुल टर्म के लिए 37 सप्ताह माना गया था। ऐसा माना जाता है कि जो बच्चे 39 सप्ताह में जन्म लेते हैं उनमें 37 सप्ताह में जन्मे बच्चों की तुलना में हेल्थ इशू कम पाए जाते हैं । 39 सप्ताह में पैदा हुए बच्चों में उनके मस्तिष्क, लिवर और फेफड़े का विकास ज्यादा होता है यह ऑर्गन जेस्टेशन के दौरान डेवलप होने में अधिक समय लेते हैं। ऐसे बच्चों का वजन भी हेल्दी होता है और ये जन्म के बाद अच्छी तरह से लैच भी कर सकते हैं।

फुल टर्म गर्भावस्था में बच्चे का विकास

37 सप्ताह के बाद, बच्चे के शरीर के विभिन्न अंग मैच्योर होने लगते हैं ताकि वो पूरी तरह से ग्रोथ कर सके। बच्चे का पाचन तंत्र मेकोनियम बनाना शुरू कर देता है, जो बच्चे के जन्म के बाद उसका पहला मलत्याग होता है। 

बच्चे का सिर माँ के पेल्विक की ओर मूव करने लगता है। मेडिकल टर्म में इस स्थिति को ‘इंगेज’ के रूप में जाना जाता है। कुछ मामलों में, यह स्थिति केवल लेबर के बाद ही होती है। इस समय तक, बच्चा लैनुगो (बेबी हेयर फॉलिकल द्वारा बने बच्चे के पहले कुछ बाल) से ढंका होता है, लेकिन 39 सप्ताह में, या जब गर्भावस्था फुल टर्म तक पहुँच जाती है, तब  ये बाल चले जाते हैं। हाँ, कुछ ऐसे बच्चे भी हो सकते हैं जिनके जन्म के बाद भी यह पैच दिखाई दें। माँ के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से बच्चे का जननांग (जेनिटल) भी जन्म के समय सूजा हुआ दिखाई देता है, लेकिन यह जल्द ही अपने नॉर्मल साइज में आ जाता है।

39 से 40 सप्ताह में माँ के शरीर में होने वाले परिवर्तन

जब गर्भावस्था अपने 39वें सप्ताह तक पहुँच जाती है, तो गर्भाशय की मांसपेशियां खिंचने लगती हैं और आपको लेबर के गलत संकेत भी मिलने लगते हैं। इस स्थिति को ब्रेक्सटन हिक्स के नाम से भी जाना जाता है। आपको जो भी बदलाव महसूस हों, उनके बारे में तुरंत डॉक्टर को सूचित करें।

बच्चा जब पेल्विक क्षेत्र में मूव करना शुरू करता है तो इससे आपको असुविधा होती है और आप तेज चुभन का अनुभव कर सकती हैं। बच्चे के सिर मोड़ने के कारण आपको ऐसा महसूस होता है। 

इस समय पर आपकी योनि से सफेद म्यूकस के रूप में डिस्चार्ज होता है जिसमें आपको थोड़ा बहुत रक्त भी दिखाई दे सकता है।

क्या बच्चे का अधिक से अधिक समय तक गर्भ में रहना ठीक है?

जैसा कि कहा जाता है कि किसी भी चीज का हद से ज्यादा होना बुरा होता है, ठीक यही बात बच्चे के लिए भी लागू होती है, जो माँ के गर्भ में फुल टर्म हो जाने बाद भी रहता है। फुल टर्म की अवधि पूरी हो जाने बाद आप एक सप्ताह और बच्चे को गर्भ में रख सकती हैं लेकिन इससे ज्यादा नहीं। बच्चे को फुल टर्म प्रेगनेंसी के पूरा हो जाने बाद पैदा हो जाना चाहिए, बच्चे का न तो समय से पहले और न ही समय के बाद पैदा होना स्वस्थ माना जाता है और कुछ मामलों में, यह बच्चे की जान को भी खतरे में डाल सकता है।

अगर मुझे अर्ली प्रेगनेंसी है तो क्या होगा?

अर्ली टर्म प्रेगनेंसी तब होती है जब बच्चा फुल टर्म प्रेगनेंसी तक पहुँचने से पहले 37 सप्ताह में पैदा हो जाता है। रिसर्च स्टडीज से पता चला है कि अर्ली टर्म में पैदा हुए बच्चे शारीरिक रूप से मैच्योर नहीं होते हैं। यह भी पाया गया कि अर्ली टर्म प्रेगनेंसी में बच्चे को कई बीमारियों के होने का खतरा होता है, खासतौर पर इम्युनिटी से संबंधित, जैसे कि घरघराहट, अस्थमा और बहुत कुछ आदि । गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर फुल टर्म प्रेगनेंसी   वाले शिशुओं की तुलना में अर्ली टर्म वाले शिशुओं में ज्यादा पाए गए हैं।

क्या लेट टर्म प्रेगनेंसी जोखिम भरा है?

लेट टर्म प्रेगनेंसी माँ और बच्चे दोनों के लिए रिस्की हो सकती है। यह बच्चे में सांस संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकता है, बच्चे का विकास अचानक रुक सकता है, हृदय गति धीमी हो सकती है आदि कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। एमनियोटिक फ्लूड कम होने लगता है जिसका मतलब है कि यह शिशु के लिए घातक हो सकता है। स्टिलबर्थ के भी कुछ मामले सामने आ सकते हैं। इसके अलावा, चूंकि लेट टर्म प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे का वजन काफी बढ़ जाता है, इसलिए डिलीवरी के दौरान भी आपको परेशानी हो सकती हैं और हो सकता कि सी-सेक्शन करने की जरूरत पड़े।

पोस्ट टर्म प्रेगनेंसी के क्या जोखिम हैं?

पोस्ट टर्म प्रेगनेंसी वह स्थिति है जब डिलीवरी 42 सप्ताह बाद भी नहीं होती है, इसका मतलब, फुल टर्म प्रेगनेंसी के पूरे हो जाने के बाद यानि 39 सप्ताह बीतने के तीन सप्ताह बाद भी डिलीवरी न होना । पोस्ट टर्म प्रेगनेंसी से माँ और बच्चे दोनों को स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएएफपी) ने पोस्ट टर्म प्रेगनेंसी से जुड़े कई जोखिमों को सूचीबद्ध किया है जिनमें शामिल हैं:

  • बच्चे का वजन अधिक हो सकता है: पोस्ट टर्म शिशुओं का वजन 8 पाउंड से अधिक होता है। मेडिकली इस स्थिति को फेटल मैक्रोसोमिया के रूप में जाना जाता है जो आगे चलकर मोटापे और डायबिटीज का कारण बन सकता है। बच्चे का ज्यादा वजन होना माँ के स्वास्थ्य के लिए खतरा होता है, क्योंकि शरीर का साइज बड़ा होने के कारण डिलीवरी के समय यूटरस फट सकता है और इसकी वजह से जेनिटल ट्रैक में इन्फेक्शन भी हो सकता है। इसका यह भी मतलब है कि आपको हैवी ब्लीडिंग भी होगी।
  • बच्चे में ऑक्सीजन कम होना: प्रेगनेंसी के दौरान फुल टर्म अवधि पूरा होने तक प्लेसेंटा जो बच्चे को पोषण और ऑक्सीजन प्रदान करती है वो अपनी क्षमता अनुसार अधिकतम आकार ले लेती है। पोस्ट टर्म के आने तक इसके कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। इसका मतलब यह है कि बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाने का खतरा होता है, जो बच्चे में गंभीर जन्म संबधी विकारों को पैदा कर सकता है, जो सेरेब्रल पाल्सी जैसी एक समस्या भी हो सकती है।
  • मेकोनियम एस्पिरेशन: पोस्ट टर्म प्रेग्नेंसी में मेकोनियम एस्पिरेशन नामक एक समस्या भी हो सकती है जिसमें बच्चा एमनियोटिक फ्लूड में सांस लेता है, इसके कारण ऑक्सीजन की कमी हो सकती और शिशु में लंग डिसऑर्डर (फेफड़ों से जुडी बीमारी) हो सकती है।

माओं के लिए, इन्फेक्शन, डिलीवरी के बाद बवासीर, सी-सेक्शन और यहाँ तक ​​कि पेरिनेम इंजरी जैसी कई  स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं पैदा हो सकती है।

निष्कर्ष: अगर आपको कोई सेहत से जुडी किसी तरह की कोई परेशानी या समस्या नहीं है, तो बेहतर है कि आप अपनी फुल टर्म प्रेगनेंसी का समय पूरा करें, क्योंकि यह माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

यह भी पढ़ें:

डिलीवरी के कुछ लक्षण जिन पर आपको नज़र रखनी चाहिए
प्राकृतिक रूप से लेबर को प्रेरित करने के लिए 12 खाद्य पदार्थ

समर नक़वी

Recent Posts

अं अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | Am Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

बच्चों को कोई भी भाषा सिखाते समय शुरुआत उसके अक्षरों यानी स्वर और व्यंजन की…

6 days ago

बच्चों में अपोजीशनल डिफाएंट डिसऑर्डर (ओडीडी) – Bacchon Mein Oppositional Defiant Disorder (ODD)

बच्चों का बुरा व्यवहार करना किसी न किसी कारण से होता है। ये कारण बच्चे…

6 days ago

ओ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | O Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है, अंग्रेजी का उपयोग आज लगभग हर क्षेत्र…

1 week ago

ऐ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | Ai Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी भाषा में हर अक्षर से कई महत्वपूर्ण और उपयोगी शब्द बनते हैं। ऐ अक्षर…

1 week ago

ए अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | Ee Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी भाषा में प्रत्येक अक्षर से कई प्रकार के शब्द बनते हैं, जो हमारे दैनिक…

1 week ago

ऊ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | Oo Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी की वर्णमाला में "ऊ" अक्षर का अपना एक अनोखा महत्व है। यह अक्षर न…

1 week ago