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अचानक लेबर शुरू होकर तेज होना और इमरजेंसी में घर पर बच्चे को जन्म देना एक ऐसा विचार है, जो कि हर गर्भवती महिला के मन में एक न एक बार जरूर आता है। चूंकि बच्चे को जन्म देना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, ऐसे में शरीर को नैसर्गिक रूप से यह पता होता है, कि इसे कैसे करना है। अगर महिला की गर्भावस्था में कॉम्प्लीकेशन्स न हों, तो थोड़ी बहुत तैयारी के साथ महिला घर पर ही लेबर का सामना कर सकती है और स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है। एक इमरजेंसी होम बर्थ रेगुलर होम बर्थ की तरह ही होता है। अंतर सिर्फ इतना है, कि यह आपके लिए एक सरप्राइज होता है।
जब आप अपने बच्चे को हॉस्पिटल के बजाय घर पर जन्म देती हैं, तब उसे होम बर्थ कहा जाता है। पिछले कुछ दशकों से पूर्व जब हॉस्पिटल इतने लोकप्रिय नहीं थे, तब घर पर ही बच्चे को जन्म देना एक आम बात थी। घर पर डिलीवरी के दौरान घर के आरामदायक और प्रिय वातावरण में एक या एक से अधिक अनुभवी मिडवाइफ से सहयोग लिया जाता है। अगर मां की इच्छा हो, तो परिवार के सदस्य और करीबी मित्र या रिश्तेदार भी इस दौरान मौजूद रह सकते हैं। हॉस्पिटल के स्टाफ की दखलंदाजी के बिना हमेशा अधिक प्राइवेसी मिलती है। मिडवाइफ को बच्चे के जन्म की पूरी प्रक्रिया के दौरान मां के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को मॉनिटर करने का अनुभव होता है। उनके देखभाल के तरीके में टेक्नोलॉजी की दखलअंदाजी कम से कम होती है। इसमें मां को लेबर के दौरान और डिलीवरी के बाद लगातार सहयोग मिलता है। जिन महिलाओं की गर्भावस्था स्वस्थ होती है और अधिकतर खतरों से मुक्त होती है, उनके लिए होम बर्थ एक अच्छा विकल्प होता है। यदि वे अपने घरों में पूरी आजादी के साथ बच्चे को जन्म देना चाहें तो ऐसा किया जा सकता है और यह कई देशों में बहुत ही आम बात है।
जिन महिलाओं को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और प्रीटर्म लेबर जैसी स्थितियों का खतरा होता है, उन्हें होम बर्थ की सलाह नहीं दी जाती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में जहां नजदीकी इलाकों में हॉस्पिटल नहीं होते हैं और इनकी संख्या कम होती है, ऐसी जगहों पर होम बर्थ/इमरजेंसी होम बर्थ आम बात होती है। ऐसे क्षेत्रों में अस्पताल तक जाने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है और महिलाओं के लिए समय पर अस्पताल पहुंच पाना हमेशा संभव नहीं हो पाता है। शहरी क्षेत्रों में इमरजेंसी होम बर्थ बहुत दुर्लभ होते हैं। साथ ही आमतौर पर लेबर इतना छोटा भी नहीं होता है, कि आप समय पर अस्पताल न पहुंच पाएं। फिर भी, घर पर बच्चे को जन्म देने की बेसिक जानकारी होना बेहतर है, क्योंकि कभी-कभी घर पर ही बच्चे को जन्म देना ही एकमात्र विकल्प मौजूद होता है।
बच्चे को जन्म देना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और महिलाओं का शरीर इस से गुजरने के लिए प्राकृतिक रूप से तैयार होता है। अगर बच्चा समय से थोड़ा पहले बाहर आ रहा है, तो हो सकता है उसका समय आ गया हो। तुरंत अपने डॉक्टर और अपने अस्पताल से बात करें, जहां आपने डिलीवरी की प्लानिंग की थी और एंबुलेंस भेजने को कहें। उन्हें अपना नाम, फोन नंबर और पता बताएं ताकि वे आपसे संपर्क कर सकें।
इमरजेंसी लेबर के दौरान एंबुलेंस का इंतजार करते हुए आपको मदद की जरूरत पड़ेगी। अपने मोबाइल फोन को हमेशा अपने पास रखें और अपने पति, परिवार, मित्र या किसी पड़ोसी को कॉल करें, जो आप तक जल्द से जल्द पहुंच सके। घर के मुख्य द्वार के पास रहने की कोशिश करें और अगर सुरक्षित हो, तो उसे खुला रखें, ताकि आपकी मदद के लिए आने वाला व्यक्ति आप तक आसानी से पहुंच सके।
अपना एक इमरजेंसी होम बर्थिंग किट तैयार करें और उसे ऐसी जगह पर तैयार रखें, जहां आप तुरंत आसानी से उस तक पहुंच सकें। इस किट में नीचे दी गई चीजें होनी चाहिए:
3 से 4 मिनट की दूरी पर होने वाले तेज कॉन्ट्रैक्शन, पानी की थैली का फटना और पुश करने की तेज इच्छा जैसे कुछ संकेत होते हैं। हालांकि पहली प्रेगनेंसी में इस पड़ाव के बाद भी वास्तव में बच्चे की डिलीवरी होने में लंबा समय लगता है। लेकिन दूसरी या तीसरी बार डिलीवरी होने पर शिशु आश्चर्यजनक रूप से जल्दी बाहर आ सकता है।
अपने हाथों अच्छी तरह से धोएं और अपने वेजाइनल एरिया को साबुन से अच्छी तरह साफ करें और एक बाल्टी पानी अपने साथ रखें। कमरे के तापमान को आरामदायक रखें। अगर बाहर का वातावरण ठंडा हो तो कमरे को आरामदायक बनाने के लिए खिड़कियों को बंद करें। बच्चे को जन्म के तुरंत बाद गर्माहट देने की जरूरत होती है।
पुश करने की प्राकृतिक इच्छा के बावजूद जब तक हो सके ऐसा करने से बचने की कोशिश करें। धकेलने से बच्चा बहुत तेजी से बाहर निकल सकता है और आपके वजाइना के आसपास के नाजुक टिशू खराब हो सकते हैं। हांफ कर सांस रोकने की प्राकृतिक इच्छा के कारण पैदा होने वाले दबाव को रिलीज करके इस एहसास को कम किया जा सकता है। तीन बार जल्दी-जल्दी सांस छोड़ें और एक बार लंबी फूंक मारें। इससे बच्चे का बाहर आना कुछ मिनटों से टल सकता है। अगर धकेलने की इच्छा अभी भी तेज और लगातार बनी रहती है, तो इसका साथ दें। अपने कूल्हों को जमीन के पास लाएं और एक कपड़े को मोड़ कर नीचे रखें। ताकि अगर बच्चा बाहर आना शुरू हो जाए तो उसे मुलायम सतह मिल सके।
अगर आप पहले से तैयार हों, तो इमरजेंसी लेबर को सामान्य डिलीवरी में बदला जा सकता है। अगर घर पर डिलीवरी करनी है, तो इसके लिए स्टेप्स नीचे दिए गए हैं:
आमतौर पर बच्चे की डिलीवरी के लगभग 20 मिनट के बाद प्लेसेंटा बाहर आ जाता है, पर कभी-कभी इसमें 60 मिनट तक का समय भी लग सकता है। बच्चे को अपनी त्वचा के संपर्क में रखने से कॉन्ट्रैक्शन ट्रिगर होते हैं, जिससे प्लेसेंटा के बाहर आने में मदद मिलती है। दो कॉन्ट्रैक्शन होने पर यह बाहर आ जाता है और इसका टेक्सचर चिकना और मुलायम होता है।
इस दौरान भी बच्चा प्लेसेंटा से जुड़ा होता है, इसलिए अगर आपके पास थोड़ी मदद उपलब्ध हो, तो प्लेसेंटा को किसी बर्तन में रखने को कहें और बच्चे को अपनी गोद में रखें। जब प्लेसेंटा बाहर आता है, तो उसके साथ थोड़ा खून भी निकलता है, जिसे देखकर घबराहट हो सकती है, पर यह बिल्कुल सामान्य है।
यहां पर कुछ चीजें दी गई हैं, जो आपके इमरजेंसी होम बर्थ किट में होनी ही चाहिए, ताकि लेबर के दौरान आपको मदद मिल सके:
आप बाजार में उपलब्ध इमरजेंसी बेबी डिलीवरी किट भी खरीद सकती हैं, जिसमें ऊपर दी गई बेसिक चीजों के अलावा अन्य कई चीजें होती हैं।
घर पर बच्चे को जन्म देना सबसे खतरनाक महसूस हो सकता है, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि महिलाएं सदियों से ऐसा करती आ रही हैं। सही तरह की तैयारी और थोड़ी किस्मत के साथ घर पर आसानी से और बिना किसी परेशानी के इमरजेंसी में बच्चे को जन्म दिया जा सकता है।
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