शिशु

कैसे पता करें कि बेबी बीमार है – इन 10 संकेतों को नजरअंदाज न करें

एक नन्हे बच्चे की देखभाल करना चुनौती भरा हो सकता है, खासकर उन पेरेंट्स के लिए जो पहली बार माता-पिता बने हैं। अगर आप भी एक नई मां हैं, तो आप अभी भी हर दिन अपने बच्चे के बारे में कुछ नया सीख रही होंगी और आपके लिए यह पहचानना कठिन हो सकता है, कि बेबी की बहती हुई नाक सामान्य है और वह एक दिन में ठीक हो जाएगा या फिर आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है। यह संघर्ष वाकई में कठिन होता है और हम आपकी इस तकलीफ को समझते हैं। इसलिए, आपकी पेरेंटिंग के पहले वर्ष में आपकी मदद करने के लिए हम यह लेख लेकर आए हैं। इसमें हमने बच्चों की बीमारियों के बारे में कुछ जरूरी जानकारी इकट्ठी की है। कैसे पता करें कि शिशु बीमार है और उसे पेडिअट्रिशन के पास लेकर जाने की जरूरत है, यह समझने के लिए इस लेख को आगे पढ़ें।  

कैसे पता करें कि आपका बेबी बीमार है?

बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है और इसलिए आपकी रोज की टीएलसी के अलावा  उन्हें अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। जो बच्चे डे-केयर के वातावरण के संपर्क में आते हैं, उनमें जर्म्स का खतरा अधिक होता है और इसलिए उनके अक्सर बीमार पड़ने का खतरा भी ज्यादा होता है। लेकिन कोई भी बच्चा बीमार पड़ सकता है और यही कारण है, कि आपको हर वक्त सावधान रहने की जरूरत है। अपने शिशु में निम्नलिखित संकेतों को देखें और गंभीर लगने पर तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श लें: 

1. बुखार

अगर आपके बच्चे के शरीर का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट या इससे अधिक है, तो हो सकता है उसे कोई इंफेक्शन हुआ हो। बुखार की स्थिति में, बच्चे को डॉक्टर के पास ले कर जाएं, खासकर अगर उसकी उम्र 3 महीने से कम है, तो। कभी-कभी, दांत आने जैसे विकास से भी बुखार आ सकता है या यह लगातार रोने या कम दूध पीने के कारण होने वाले डिहाइड्रेशन से भी जुड़ा हुआ हो सकता है। अगर आपके बच्चे के दांत आ रहे हैं और उसके शरीर का तापमान 101 डिग्री फारेनहाइट से कम है, तो इसे सामान्य समझा जाता है। इससे अधिक होने पर उसे डॉक्टर के पास ले कर जाएं। आप अपनी उंगलियों को उसके मसूड़ों पर रगड़ कर दांत आने के संकेतों की जांच भी कर सकती हैं। इस तरह से आप समझ सकेंगी, कि बेबी को डॉक्टर के पास ले कर जाने की जरूरत है या नहीं। 

2. जॉन्डिस

आमतौर पर, सभी नवजात शिशुओं के जन्म के बाद शुरुआती 1 या 2 सप्ताह के दौरान, उनकी त्वचा पर एक पीलापन दिख सकता है। ऐसा इसलिए दिखता है, क्योंकि उनका लिवर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। बच्चे के जन्म के बाद, आप उसकी त्वचा पर पीलेपन की जांच कर सकते हैं। इसके अलावा, अगर उसकी हथेलियों या तलवों पर ऐसी रंगत दिखे, तो डॉक्टर से परामर्श लेने में ही समझदारी होगी। उसके तलवे को 2 सेकंड के लिए अपने अंगूठे से दबाकर इस फर्क को समझा जा सकता है, कि यह रंगत वापस आती है या नही। देखें, कि यह रंग पीला है या गुलाबी। अगर यह पीला है, तो आपका बच्चा बीमार हो सकता है। 

3. सुस्ती और ढीलापन बढ़ना

सोते हुए बच्चे को जगाने के लिए हल्का स्टिमुलेशन ही काफी होता है। एक न्यूबॉर्न बेबी दिन के ज्यादातर समय सोया रहता है या एक ऐसी स्थिति में होता है, जब उसकी आंखें बंद होती हैं। एक स्वस्थ बच्चा, तेज और साफ आवाज में रोता है, लेकिन अगर बच्चे का रोना कमजोर हो जाए या बच्चे को अचानक चूसने में दिक्कत आने लगे, तो शायद उसे आपकी मदद की जरूरत है। बच्चे की सुस्ती उसके बीमार होने का एक निश्चित संकेत होती है। 

4. सांस लेने में दिक्कत

अगर बच्चा एक मिनट में 60 बार या उससे अधिक तेज और जोर-जोर से सांसे ले रहा हो, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है, कि बच्चे को मेडिकल अटेंशन की जरूरत है। अगर सांस लेने में कठिनाई के साथ-साथ, घरघराहट की आवाज भी आए, छाती या पेट पर वजनदार मूवमेंट होने लगे, उसकी जीभ और होठों का रंग नीला पड़ने लगे, तो अपने बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर जाएं। फीडिंग के तुरंत बाद या जब बच्चा सो रहा हो तब भी सांसों की गिनती करनी चाहिए, इससे फर्क समझने में आसानी होती है। 

5. हाइपोथर्मिया

हाइपोथर्मिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चे के शरीर का तापमान कम (97 डिग्री फारेनहाइट से कम) हो जाता है और छोटे बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है। बच्चे को ठंड लग रही है या नहीं, यह चेक करने के लिए हमेशा उसके तलवे या उसकी हथेली के तापमान की तुलना उसके पेट या पीठ के तापमान से करें। इसके लिए आप बच्चे के शरीर को अपने हाथों के पिछले हिस्से से छू सकते हैं और चेक कर सकते हैं। अगर बच्चे का तलवा पेट से अधिक ठंडा हो, तो हो सकता है, कि आपके बच्चे को हल्का हाइपोथर्मिया हो और अगर ये दोनों ही छूने से ठडे लगें, तो इसका मतलब हो सकता है, कि उसे गंभीर हाइपोथर्मिया है। इससे ठंड से नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है और इससे बच्चे की एनर्जी की जरूरतों में भी उतार-चढ़ाव होता है। हाइपोथर्मिया बड़े बच्चों की तुलना में प्रीमेच्योर बच्चों में बहुत आम होता है। 

6. सुसु और पॉटी में देर

आदर्श रूप से, एक नवजात शिशु को जन्म के शुरुआती 24 घंटों के अंदर-अंदर मेकोनियम नामक चिपचिपी पॉटी करनी चाहिए। जन्म के बाद 48 घंटों के अंदर उसे पेशाब भी करना चाहिए और गैस भी पास करना चाहिए। एक स्वस्थ शिशु हर दिन लगभग 8 से 12 बार पॉटी कर सकता है, यानि हर बार दूध पीने के बाद। लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं होती है। वहीं अगर पॉटी का रंग हरा हो या वह अजीब तरह से पानी जैसा दिखे या उसके साथ खून या म्यूकस भी बाहर आए, तो यह चिंता का कारण हो सकता है। बच्चे को 24 घंटों में लगभग 6 से 8 बार पेशाब करना चाहिए। अगर आप देखते हैं, कि बेबी कम पेशाब कर रहा है या उसके पेशाब की मात्रा कम हो रही है, तो हो सकता है, कि आपका बच्चा बीमार हो और उसे जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर के पास लेकर जाएं। 

7. उल्टी

नवजात शिशुओं का उल्टी करना बहुत ही आम बात है, क्योंकि उनका एसोफेगल स्पिंक्टर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है और इससे दूध का रिफ्लक्स हो सकता है। साथ ही, बच्चे लगातार दूध खींचते रहते हैं और कुछ ही मिनटों में जरूरत से ज्यादा दूध पी सकते हैं, इसके कारण वे कभी-कभी उल्टी कर देते हैं। लेकिन, अगर यह उल्टी करना लगातार बना रहे और उल्टी बहुत ही ताकत के साथ बाहर आए या उसमें हरा या भूरा रंग दिखे और बच्चे को भूख लगी हो या वह सो नहीं पा रहा हो, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

8. वजन में अत्यधिक कमी

एक नवजात शिशु अपने जीवन के शुरुआती 7 से 14 दिनों में जन्म के समय के अपने वजन का लगभग 8 से 10% वजन खोता है और फिर उसे वापस पाता है। अगर आप नोटिस करते हैं, कि आपके बच्चे का वजन जरूरत से ज्यादा घट गया है और वह जल्दी वापस नहीं आ रहा है, तो यह उसके बीमार होने का एक संकेत हो सकता है और उसे मेडिकल अटेंशन की जरूरत हो सकती है। यह भी हो सकता है, कि बच्चे ने अभी तक ठीक से लैचिंग करना नहीं सीखा हो और उसे पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा हो। 

9. फिट्स लगना

अगर आप कोई असामान्य मूवमेंट देखती हैं, जैसे बच्चे की आंखें ऊपर की ओर मुड़ जाना, उसके हाथों और पैरों का सख्त हो जाना, उसकी पीठ का टेढ़ा हो जाना या असामान्य ढंग से रोना, लंबे समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं देना, तो हो सकता है वह सीजर या कन्वल्जन का शिकार हुआ हो। सीजर में तुरंत मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है। खासकर, अगर बच्चे को पहले कभी फिट्स न आए हों या यह 5 मिनट से अधिक रहता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाने की जरूरत हो सकती है। 

10. सॉफ्ट स्पॉट में बदलाव

एक शिशु का फॉन्टेनल मुलायम होना चाहिए। लेकिन, छूने पर भी इसकी आकृति सुडौल होनी चाहिए और यह आसपास की हड्डियों के स्तर पर होनी चाहिए। अगर यह बाहर की ओर निकल रहा हो या अंदर की ओर धंस गया हो, तो यह बच्चे के बीमार होने का एक संकेत हो सकता है। अगर आपका बच्चा शांत है और वह रो नहीं रहा है या चिड़चिड़ा नहीं है, पर फिर भी फॉन्टेनल बाहर की ओर निकला हुआ है, तो उसे मेडिकल अटेंशन की जरूरत है। धंसा हुआ फॉन्टेनल आमतौर पर डिहाइड्रेशन का संकेत देता है। 

एक न्यूबॉर्न बच्चे की मां होने के नाते, उसकी हेल्थ को लेकर आपका चिंतित होना स्वाभाविक है। लेकिन अगर आप ऊपर दिए गए संकेतों को सावधानीपूर्वक नोटिस करती हैं, तो आप यह समझने में सक्षम हो सकेंगी, कि आपका बच्चा बीमार है या नहीं और उसके अनुसार आप सही कदम उठा सकेंगी। एक मां होना कठिन है और पहले ही प्रयास में सब कुछ सही हो जाना हर बार संभव नहीं होता है। लेकिन आपको चिंतित नहीं होना चाहिए या अपराध बोध का एहसास नहीं होना चाहिए। अपने बच्चे के संकेतों को समझें, अपने मन की सुनें और अगर आपको लगता है, कि आपका बच्चा ठीक नहीं है, तो उसे डॉक्टर के पास ले कर जाने में हिचकिचाएं नहीं। बेबी का ध्यान रखें और उसके साथ अपने जीवन के छोटे-छोटे पलों का आनंद उठाएं। 

यह भी पढ़ें: 

नवजात बच्चों को होने वाले इन्फेक्शन
शिशुओं में हाथ, पैर और मुंह की बीमारी
शिशुओं की 15 आम स्वास्थ्य समस्याएं और बीमारियां

पूजा ठाकुर

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