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जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो कभी-कभी उनके लिए मल त्याग करने का काम कठिन हो जाता है। ऐसा पॉटी में नमी की कमी या अन्य कारणों की वजह से होता है, जिससे यह सख्त हो जाती है और इससे एक बड़ी समस्या यानी कब्ज हो जाता है। इस स्थिति में बच्चे भी तनाव और दर्द को महसूस करते हैं और अचानक ही मल त्याग करना उनके लिए काफी चुनौती भरा काम हो जाता है।
हालांकि, कब्ज की समस्या से निजात दिलाने के लिए बच्चों के मल को मुलायम करने वाले कुछ ऐसे स्टूल सॉफ्टनर आते हैं, जो उनके डाइजेस्टिव सिस्टम पर पड़ रहे प्रेशर को कम करने के साथ आसानी से मल त्याग करने में मदद करते हैं।
हाँ, बिलकुल आप बिना संदेह किए इसका उपयोग कर सकती हैं। स्टूल सॉफ्टनर ग्लिसरीन के छोटे कैप्सूल जैसे होते हैं जो मल त्याग करते वक्त होने वाली तकलीफ को कम कर सकते हैं। हालांकि, 1 साल से कम उम्र के बच्चों में स्टूल सॉफ्टनर का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इनका इस्तेमाल करने से पहले यह समझना जरूरी है कि आखिर बच्चों में कब्ज की समस्या क्यों होती है।
ज्यादातर मामलों में आपके बच्चे को कब्ज की शिकायत इसलिए रहती है क्योंकि उनके मल में नमी की कमी होती है, जो उन्हें आसानी से मल त्यागने नहीं देता है। बता दें कि आंतें शरीर के अंदर पानी की मात्रा को ज्यादा से ज्यादा बनाए रखने की कोशिश करती हैं। वहीं कुछ ऐसे पदार्थ या स्थितियां होती हैं जो आंतों से गुजरने वाले मल के अंदर के मौजूद किसी भी पानी को खींच सकती हैं, जिससे कारण वह रूखी और खुरदरी हो जाती है। ऐसे में बच्चे की निचली आंतों या रेक्टम (मलाशय) के अंदर की मांसपेशियां खिंचने लगती है, क्योंकि वे बड़ी मात्रा में सख्त मल को होल्ड कर रही होती हैं। रेक्टम में लगातार खिंचाव के कारण वह कमजोर हो जाता है और बच्चे को मल त्याग करने में कठिनाई होने लगती है। इतनी छोटी सी उम्र में बच्चे यह समझ नहीं पाते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है और जब भी वह पॉटी के लिए जाते हैं तो घबराकर इसे रोक लेते हैं, जिससे स्थिति और खराब हो जाती है।
बता दें कि मल को निकालने की फ्रीक्वेंसी कभी एक दिन में कई बार हो सकती है या फिर हफ्ते में सिर्फ एक बार होती है। बच्चों में कब्ज के लक्षण तभी दिखते हैं, जब वे अपने रूटीन के हिसाब से पॉटी नहीं करते हैं और मल त्याग करते वक्त तनाव में रहते हैं। इसके अलावा वह पेट में दर्द की शिकायत करते हैं साथ ही चिड़चिड़े हो जाते हैं। वहीं कब्ज के अन्य लक्षणों में पेट का भरा होना, गैस पास होना, खाने से मना करना, उल्टी आना या गहरे रंग का, सख्त या खून वाला मल आना शामिल हैं। कभी-कभी शौच के दौरान बच्चों को पैरों में ऐंठन सी लगती हैं, यह भी कब्ज का संकेत माना जाता है।
हालांकि, स्टूल सॉफ्टनर की मदद से बच्चों में मल पास करवाना आसान हो जाता है क्योंकि यह जरूरत के हिसाब से बच्चे के मल को नरम कर देता है ताकि बिना किसी तकलीफ के वो पास हो सके। इनमें ज्यादातर ग्लिसरीन भरा होता है जो कि शरीर में इंजेक्ट करने के लिए बिलकुल सुरक्षित होता है और इसकी चिकनाई की वजह से अंदर के सख्त मल को निकाल पाना आसान हो जाता है। टॉडलर्स के लिए कई अन्य प्राकृतिक स्टूल सॉफ्टनर मौजूद हैं जिन्हें आजमाकर उन पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा फाइबर युक्त खाना या कुछ दवाएं मल को खुद से पास होने में मदद कर सकते हैं।
आमतौर पर इन स्टूल सॉफ्टनर का इस्तेमाल अपने चाइल्ड स्पेशलिस्ट से सलाह करने के बाद ही करना चाहिए, ताकि वह मेडिकल रूप से होने वाले किसी भी दुष्प्रभाव, जो आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो, से बचा सकें।
ऐसे बहुत सारे स्टूल सॉफ्टनर हैं जिन्हें आप अपने बच्चे को देने की कोशिश कर सकती हैं, जब भी उसे पॉटी करने में समस्या हो रही हो। इसके इस्तेमाल से वह आसानी से मल त्याग कर सकेगा और वो भी बिना किसी डर का सामना किए हुए। यहां कुछ सबसे प्रभावी स्टूल सॉफ्टनर की लिस्ट दी गई है जिनका आप उपयोग कर सकती हैं:
प्राकृतिक स्टूल सॉफ्टनर, बच्चों को उनके सख्त मल को पास करने के डर से छुटकारा दिलाने का सबसे पहला और प्रभावी तरीका है। कई ऐसे प्राकृतिक स्टूल सॉफ्टनर हैं जिनका सेवन छोटे बच्चे कर सकते हैं जो मल को खुद से बाहर निकलने में मदद करते हैं और साथ ही उनके एक्सक्रेटरी सिस्टम की मांसपेशियों को मजबूत भी करते हैं। किसी भी प्रकार के कब्ज के लिए सबसे प्रभावी प्राकृतिक सॉफ्टनर फाइबर से भरपूर खाना होता है।
प्राकृतिक सॉफ्टनर में खाने की वो चीजें शामिल होती है जिनमें फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है, जैसे कि सब्जियां, फल और अनाज जिनमें भरपूर फाइबर होता है और साबुत अनाज की रोटी के साथ-साथ बीन्स और फलियां। छोटी उम्र में भी तरल पदार्थों का सेवन बेहद जरूरी है। आपके बच्चे को दूध के साथ खूब सारा पानी भी पीना चाहिए। ऐसा करने से मल को ढीला होने में मदद मिलती है और डाइजेशन भी अच्छा रहता है।
सेंधा नमक भी प्राकृतिक सॉफ्टनर का एक अन्य विकल्प है, जिसको पानी के साथ मिलाकर लिया जाता है, जो कि कब्ज को ठीक करने में मदद करता है। लेकिन इसका उपयोग केवल 6 साल से अधिक उम्र के बच्चों में ही किया जा सकता है। 12 साल से अधिक उम्र के बच्चे के लिए 2-4 चम्मच सेंधा नमक काफी है, जबकि 6 से 11 साल के बच्चों के लिए, यह सिर्फ 1-2 चम्मच ही होना चाहिए।
इस तरह के स्टूल सॉफ्टनर को घर के पास के मेडिकल स्टोर से खरीदा जा सकता है। हालांकि, इस स्टूल सॉफ्टनर को इस्तेमाल करने से पहले आपको डॉक्टर की सलाह और उनके प्रिस्क्रिब्शन की जरूरत पड़ेगी ।
सपोसिटरी स्टूल सॉफ्टनर छोटे रॉकेट शेप के कैप्सूल होते हैं जो ग्लिसरीन से भरे हुए होते हैं। उन्हें बच्चे के मल के रास्ते में इन्सर्ट किया जाता है ताकि उसकी चिकनाई से मल त्यागने में दिक्कत न हो। इसके इस्तेमाल से सख्त से सख्त मल भी चिकना हो जाएगा और बच्चों को शौच करते समय होने वाला दर्द भी कम होगा। जैसा कि पहले बताया गया है सपोसिटरी सॉफ्टनर सुरक्षित है – लेकिन फिर भी इस बात को कंफर्म करने के लिए डॉक्टर से बात करना हमेशा बेहतर रहता है, यह जानने के लिए कि आप उन्हें कितने समय तक इस्तेमाल कर सकती हैं।
जो मांएं अपने बच्चे के मल त्याग के लिए प्राकृतिक तरीका अपनाना चाहती हैं, उनके लिए आयुर्वेदिक स्टूल सॉफ्टनर का उपयोग एक अच्छा विकल्प है। आपके बच्चे को कब्ज से छुटकारा दिलाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को पानी या किसी अन्य तरल पदार्थ में मिलाकर दिया जाता है। त्रिफला चूर्ण, गंधर्व हरीतकी, सत इसबगोल, अविपत्तिकर और कई अन्य जड़ी-बूटियां कब्ज के इलाज में मदद करती हैं। लेकिन आपको इन्हें इस्तेमाल करते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए ताकि कोई साइड इफेक्ट न हो।
वैकल्पिक रूप से आप अभ्यारिष्ट को भी पानी में घोलकर दिन में दो बार अपने बच्चे को दे सकती हैं। यह एक सुरक्षित मिश्रण है जो बच्चे को अधिक सहज महसूस कराने में मदद करेगा। इसका सेवन करने से आपके बच्चे को कोई बड़ा साइड इफेक्ट नहीं होगा।
होम्योपैथिक स्टूल सॉफ्टनर भी कब्ज को ठीक करने का एक और प्रभावी तरीका है। इसमें दी जाने वाली दवाएं प्राकृतिक होती हैं और इससे आपके बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। हालांकि, अपने बच्चे पर इसका इस्तेमाल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
होम्योपैथिक दवाओं में से एक एलुमनिया 30 है, जो आमतौर पर सबको प्रिस्क्राइब की जाती है। यह अक्सर तब दी जाती है जब बच्चे को नरम मल पास करते समय बहुत अधिक तकलीफ हो या फिर उन बच्चों को जो सख्त मल होने की शिकायत करते हैं।
ब्रायोनिया अल्बा 30 भी एक ऐसी ही दवा है जो टाइट मल को ढीला करने में मदद करती है। यदि कब्ज की स्थिति बेहद खराब है और शौच के समय बच्चे का पेट साफ नहीं हो रहा है, तो आप पैराफिनियम 30 का उपयोग कर सकती हैं।
बच्चों को कब्ज की समस्या से निजात दिलाने के लिए घर पर बने उपाय ही सबसे अच्छे होते हैं। घरेलू उपचारों में से आलूबुखारे का जूस सबसे अच्छा माना जाता है, जिसे आप अपने बच्चे को दे सकती हैं। यह एक ऐसी प्राकृतिक दवा का काम करता है, जो न सिर्फ बच्चे का मल नरम करता है बल्कि उसका पेट भी अच्छे से साफ करने में मदद करता है।
बेबी स्टूल सॉफ्टनर के घरेलू उपचारों में बच्चे के पेट की मालिश करना भी शामिल है, क्योंकि यह उसकी किसी भी परेशानी को कम कर सकता है। ऐसे में आप बच्चे को गुनगुने पानी से नहला भी सकती हैं ताकि उसकी खिची हुई मांसपेशियों को आराम मिल सके।
इस बात का खास ध्यान रखें की आप जो भी दवा अपने बच्चे को दे रही हैं, वो उससे सहज है भी या नहीं क्योंकि कुछ दवाओं से उसे एलर्जी भी हो सकती है। किसी भी तरह के उपचार को बच्चे पर उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।
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