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अगर आप अपने बच्चे में कोई ऐसी विशेषता देखते हैं, जो आपकी खासियत से मिलती-जुलती है, तो समझ जाएं, कि यह केवल एक संयोग मात्र नहीं है। बच्चे की विशेषताएं उसे पेरेंट्स के जीन्स के द्वारा विरासत में मिलती हैं। कुछ विशेषताएं मां से मिलती हैं, तो कुछ पिता से, बाकी के महत्वपूर्ण लक्षण यदि परिवार में लगातार चले आ रहे हैं, तो वे इस बात पर निर्भर करते हैं, कि ये लक्षण माता या पिता में से किसमें अधिक स्पष्ट दिखते हैं।
वंशानुगत विशेषताएं क्या होती हैं?
एक बच्चे में ऐसे कुछ खास गुण होते हैं, जो वह माता-पिता से विरासत में लेता है। बच्चे की नाक पिता जैसी और मुंह मां जैसा हो सकता है। माता और पिता दोनों के ही जीन इस बात को प्रभावित करते हैं, कि बच्चे में कौन से गुण और विशेषताएं होंगी और इसे ही अनुवांशिक लक्षण या विशेषताएं कहते हैं।
अनुवांशिक विशेषताओं में जीन्स की भूमिका
बच्चे माता और पिता दोनों से ही जीन्स हासिल करते हैं। आखिर में हम जो देखते हैं, वह जीन्स के प्रमुख सेट या प्रमुख जीन्स होते हैं। लड़कों में एक एक्स क्रोमोजोम और एक वाई क्रोमोसोम होता है। वहीं लड़कियों में दो एक्स क्रोमोसोम होते हैं। एक्स क्रोमोजोम में वाई क्रोमोजोम से अधिक जीन्स होते हैं और इसलिए लड़कियों में लड़कों की तुलना में पेरेंट्स से मिलने वाले स्पष्ट अनुवांशिक गुण दिखने की संभावना दोगुनी हो जाती है। उदाहरण के लिए, एक लड़के को विरासत में हिमोफीलिया नामक खून की एक बीमारी हो सकती है, वहीं उसकी बहन को अगर यह बीमारी ना भी हो, तो भी उसके शरीर में इस बीमारी के जीन रहेंगे।
मां से विरासत में मिलने वाले गुण व विशेषताओं की लिस्ट
तो कौन सी विशेषताएं मां से मिलती हैं और कौन सी पिता से? आइए, मां से मिलने वाले कुछ अनुवांशिक गुणों पर नजर डालते हैं:
1. लेफ्ट-हैंडेड होना
लेफ्ट-हैंडेड होना दुर्लभ होता है, इसलिए इस खासियत के लिए जिम्मेदार जीन भी काफी जटिल होते हैं। अगर बच्चे का पिता लेफ्ट-हैंडेड हो, तो बच्चे के लेफ्ट-हैंडेड होने की थोड़ी संभावना होती है। लेकिन अगर माँ लेफ्ट-हैंडेड हो, तो यह संभावना काफी बढ़ जाती है। अगर दोनों ही पेरेंट्स लेफ्ट-हैंडेड हों, तो बच्चा भी ऐसा ही होगा। इसलिए अगर मां के परिवार में सभी लेफ्ट-हैंडेड हों, तो बच्चे में भी यह खासियत विरासत में मिलेगी। मां से और भी कई गुण विरासत में मिल सकते हैं।
2. ब्लड शुगर
डायबिटीज एक ऐसी चीज है, जो कि बड़ी आसानी से पैरंट से बच्चे में आ जाती है। अगर प्रेगनेंसी से पहले मां डायबिटीज से ग्रस्त हो, तो बच्चे में भी ऐसा होने की संभावना होती है। अगर मां अपने डायबिटीज को नियंत्रण में रख सकती है और प्रेगनेंसी से पहले और प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड शुगर का स्तर स्थिर रहता है, तो स्वस्थ बच्चे को जन्म देने की संभावना बढ़ जाती है। अगर मां को टाइप-वन डायबिटीज हो, तो हो सकता है, कि बच्चे को जन्म के बाद और शुरुआती कुछ दिनों में लो ब्लड शुगर की समस्या रहे।
3. सोने का स्टाइल
बच्चे के सोने का तरीका निर्धारित करने में मां के जीन्स बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं, जैसे करवटें बदलना या पलटना और इनसोम्निया। पर, इसका एक कारण यह भी हो सकता है, कि ज्यादातर माँएं डिलीवरी के बाद शुरुआती कुछ महीनों के दौरान, अपने सोने के समय का तालमेल बच्चे के सोने के समय के साथ बिठा लेती हैं।
4. लाइम डिजीज
लाइम डिजीज एक दुर्लभ इन्फ्लेमेटरी बीमारी है, जो कि टिक्स के कारण होती है। यह गंभीर होती है पर जानलेवा नहीं होती है। अगर एक महिला गर्भवती है और उसे लाइम डिजीज है, तो यह बीमारी उसके अजन्मे शिशु तक भी जा सकती है। एक बच्चे के लिए लाइम डिजीज जानलेवा हो सकता है, इसलिए अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए प्रेगनेंसी से पहले इसके संपर्क में आने से बचने के लिए पर्याप्त सावधानी बरतें।
5. ड्रग एडिक्शन
जेनेटिक्स और डीएनए सीक्वेंसिंग में एडिक्शन एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, अगर एक मां प्रेगनेंसी के दौरान ड्रग्स लेती है, तो यह उसके खून के द्वारा बच्चे तक भी पहुंच जाएगा। इसके कारण बच्चे को भी जन्म के बाद ड्रग्स की एडिक्शन हो जाएगी और उसे लक्षणों में समस्याएं आएंगी। प्रेगनेंसी के दौरान ड्रग्स लेने से प्रीमेच्योर डिलिवरी या स्टिलबर्थ का खतरा भी बढ़ जाता है।
6. एचआईवी/एड्स
जिन माँओं को एचआईवी होता है, उनके अजन्मे शिशुओं में भी एचआईवी होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर गर्भावस्था के दौरान ऐसा ना हो, तो फिर भी ब्रेस्टफीडिंग के द्वारा या शरीर के तरल पदार्थों के आदान-प्रदान से बच्चे को एचआईवी का खतरा लगा रहता है।
7. म्यूटेशन
आमतौर पर म्यूटेशन तब होते हैं, जब डीएनए आपस में मिल जाते हैं और थोड़े अलग स्वरूप में वापस आते हैं। म्यूटेशन पेरेंट्स के जीन्स के द्वारा प्रभावित होते हैं। अगर मां को म्यूटेशन हो, तो यह बच्चे तक भी पहुंच सकता है या इसी तरह से दिख सकता है।
8. हाशिमोतो डिजीज
यह बीमारी तब होती है, जब शरीर का इम्यून सिस्टम थायराइड पर हमला करता है। हाशिमोतो बीमारी अक्सर मां से या मां के परिवार के किसी सदस्य से आगे बढ़ती है। अगर मां को थायराइड की कोई समस्या हो या हाशिमोतो हो, तो बच्चे की जांच भी करा लेनी चाहिए।
9. बालों का रंग और प्रकार
बालों का रंग और उसका प्रकार तय करने में प्रभावी और अप्रभावी जीन बड़ी भूमिका निभाते हैं। बालों का रंग और टेक्सचर तय करने के लिए, बच्चे को मां के प्रभावी जीन विरासत में मिलने की ज्यादा संभावना होती है।
10. हंटिंगटन डिजीज
यह एक बहुत ही गंभीर बीमारी होती है, जिसमें नर्वस सिस्टम का एक धीमा ब्रेकडाउन हो जाता है। यह मां से बच्चे में ट्रांसफर हो जाता है और इसका कोई वास्तविक इलाज नहीं है। इसका केवल एक ही बचाव है और वो यह, कि प्रेगनेंसी के दौरान कोई भी टॉक्सिन कभी ना लिए जाएं।
पिता से विरासत में मिलने वाले गुण व विशेषताओं की लिस्ट
बच्चे को पिता से विरासत में मिलने वाले विशेषताओं की सूची नीचे दी गई है:
1. आंखों का रंग
बच्चे की आंखों का रंग निर्धारित करने में प्रभावी और अप्रभावी जीन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गहरे रंग की आंखें डोमिनेंट होती हैं और हल्के रंग की आंखें रिसेसिव होती हैं। यदि दोनों ही पेरेंट्स के बीच में डोमिनेंट रंग हो, तो बच्चे की आंखें पिता जैसी होती हैं।
2. लंबाई
यदि पिता का कद ऊंचा हो, तो बच्चे की लंबाई भी अधिक होने की संभावना होती है। यदि माँ का कद छोटा हो, तो बच्चे का कद भी मां जैसा ही हो सकता है। यह केवल दोनों ही पैरेंट के जेनेटिक्स पर निर्भर करता है।
3. डिंपल
डिंपल एक ऐसा गुण है, जो बच्चों को उनके पिता से मिलता है, क्योंकि यह एक प्रभावी विशेषता होती है। इसे चेहरे की खराबी के अंतर्गत रखा जाता है, लेकिन यह हर किसी पर सुंदर दिखता है।
4. फिंगर प्रिंट्स
किसी भी दो इंसान के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते हैं और बच्चों के फिंगरप्रिंट भी माता-पिता से अलग होते हैं। लेकिन, पिता से विरासत में मिलने वाले अनुवांशिक गुणों में फिंगर प्रिंट्स के जेनेटिक कॉम्पोनेंट भी निश्चित रूप से शामिल होते हैं। पिता और बच्चे के बीच फिंगरप्रिंट्स एक समान नहीं होते हैं, लेकिन ये काफी हद तक मिलते जुलते हैं।
5. होंठ
जब बच्चे के होठों की आकृति और आकार की बात आती है, तो यह पिता के जीन्स पर निर्भर करता है। भरे हुए होंठ एक प्रभावी विशेषता है, इसलिए अगर पिता की होंठ भरे हुए हों, तो बच्चे के होंठ भी ऐसे ही होते हैं।
6. छींकना
जब किसी व्यक्ति को तेज रोशनी में सीधा देखने पर छींक आ जाए तो – इसे ‘आछू’ सिंड्रोम कहा जाता है। अगर पिता को यह सिंड्रोम हो, तो बच्चे में भी यह डोमिनेंट जेनेटिक खासियत देखी जा सकती है।
7. दांतों की बनावट
पिता से मिलने वाले शारीरिक गुणों में दांतों की बनावट भी शामिल है। एक जीन होता है, जो कि दांतो के बीच आने वाले गैप का निर्णय लेता है। अगर पिता के दांतो के बीच खाली जगह हो, तो बच्चे में भी ऐसा होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
8. मानसिक बीमारियां
माता और पिता दोनों की ही मानसिक बीमारियां बच्चे तक जा सकती हैं। लेकिन अध्ययन दर्शाते हैं, कि अगर पिता की उम्र अधिक हो और उसे शिजोफ्रेनिया या एडीएचडी जैसी मानसिक बीमारियां हों, तो ये बच्चे में जा सकती हैं।
9. दिल की बीमारियां
बच्चे को अपने पिता से विरासत में एक जीन मिलता है, जो कोरोनरी हार्ट बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। यह पिता के यूनिक जेनेटिक मेकअप के कारण होता है, जिसमें यह जीन होता है।
10. इनफर्टिलिटी
अध्ययन दर्शाते हैं, कि जिन पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होता है और जो इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन से गुजर चुके होते हैं, इनफर्टिलिटी की उनकी यह विशेषता, उनके बेटे तक जा सकती है। हाल ही में किए गए अध्ययन से यह पता चलता है, कि इनफर्टिलिटी भी पिता से विरासत में मिलने वाली अनुवांशिक विशेषताओं में से एक है।
बच्चों को अगर माता-पिता की अनुवांशिक बीमारियां विरासत में मिल जाएं, तो वे काफी चिंतित हो जाते हैं। बच्चे की प्लानिंग करने से पहले अपनी फैमिली हेल्थ हिस्ट्री के बारे में जानकारी लेना एक अच्छा कदम होता है। इस जानकारी के द्वारा आप खतरों की पहचान कर सकते हैं और उपलब्ध विकल्पों के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं।