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कई नई माँएं, जिन्होंने अभी-अभी ब्रेस्टफीडिंग की शुरुआत की है, उन्हें यह एक कठिन काम लग सकता है। लैचिंग में समस्याएं, निप्पल में दर्द और मैस्टाइटिस (इंफेक्शन के कारण, ब्रेस्ट टिशू में इन्फ्लेमेशन के कारण होने वाला दर्द और सूजन) जैसी कुछ चिंताएं नई माँओं को परेशान कर सकती हैं। इसके अलावा ब्रेस्टफीडिंग के दौरान, क्या खाना चाहिए और क्या खाने से बचना चाहिए, उसकी लिस्ट भी नई माँ को परेशान कर सकती है। अधिकतर पहली बार माँ बनी महिला को लगभग हर कोई यह सलाह देता रहता है, कि उसे ब्रेस्टफीडिंग के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। जिसके कारण उसे तनाव और कन्फ्यूजन हो सकता है। ऐसा ही एक खाद्य पदार्थ, जिसे महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग के दौरान खाने के बारे में दुविधा में रहती हैं, वह है फ्लैक्स सीड यानी अलसी के बीज।
फ्लैक्स सीड का रंग कुछ-कुछ लाल या सुनहरा पीला होता है। सदियों से इसका इस्तेमाल, कब्ज के लक्षणों से राहत पाने के लिए किया जाता रहा है। पिछले लगभग एक दशक से, अलसी के बीज एक महत्वपूर्ण हेल्थ फूड बन चुके हैं, जिसका अपना एक विशेष बाजार है। फ्लैक्स सीड स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है, जिसके कारण यह काफी लोकप्रिय है और सप्लीमेंट के रूप में इसे भोजन में शामिल किया जा रहा है या फिर कई फूड रेसिपीज में मुख्य इनग्रेडिएंट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
क्या फ्लैक्स सीड ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई में मदद करता है?
फ्लैक्स सीड में नॉन-अब्जॉर्बेबल फाइबर की मौजूदगी के कारण, यह एक बेहतरीन लैक्सेटिव के रूप में जाना जाता है। अलसी के बीज ओमेगा-3 फैटी एसिड, एएलए (अल्फा-लिपॉइक-एसिड) और डीएचएस (डोकोसहेक्साएनिक एसिड) के बेहतरीन स्रोत हैं। स्तनपान कराने वाली माँओं के लिए, अलसी के बीज के फायदों के बारे में थोड़ा डाटा उपलब्ध होने के कारण, स्वस्थ मात्रा में अलसी के बीज का सेवन ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित माना जाता है।
लेकिन यह समझना जरूरी है, कि दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अलसी के बीज के सेवन का कंसेप्ट अभी भी स्पष्ट नहीं है। जहाँ एक और बेस्ट मिल्क सप्लाई को बढ़ाने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड बहुत जरूरी है, वहीं फ्लैक्स सीड या इसके तेल के सेवन और ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई के बढ़ने के बीच कोई सीधा या स्पष्ट संबंध नहीं है। वहीं दूसरी ओर फ्लैक्स सीड में फाइटोएस्ट्रोजन पाया जाता है, जिसका सेवन अधिक मात्रा में किया जाए, तो यह सामान्य हॉर्मोनल फंक्शन में रुकावट पैदा कर सकता है। इससे माँ के दूध की क्वालिटी या मात्रा खराब हो सकती है और एड्रेनल फंक्शन में रुकावट आ सकती है।
चूंकि, दूध की सप्लाई पर अलसी के बीज के सेवन के प्रभाव स्पष्ट नहीं हैं, इसलिए किसी भी तरह के सप्लीमेंट लेना शुरू करने से पहले, आपको एक लैक्टेशन एक्सपर्ट और एक मेडिकल एक्सपर्ट से सलाह ले लेनी चाहिए।
स्तनपान के दौरान फ्लैक्स सीड के सेवन के क्या प्रभाव होते हैं?
अगर आप यह सोच रही हैं, कि क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आप अलसी के बीज का सेवन कर सकती हैं, तो माँ और शिशु पर अलसी के बीज के कुछ प्रभाव नीचे दिए गए हैं:
माँ पर प्रभाव
स्तनपान कराने वाली माँ पर अलसी के बीज और इसके तेल के निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं:
- यह एएलए (अल्फा लिनोलेनिक एसिड) को बढ़ा सकता है, जो कि आंशिक रूप से ओमेगा-3 फैटी एसिड में बदल जाता है। फैटी एसिड ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन के लिए जरूरी होते हैं।
- जिन महिलाओं में फैटी एसिड कम होते हैं और जिनका मिल्क सप्लाई प्रभावित होता है, उनमें फ्लैक्स सीड ऑयल के रेगुलेटेड इस्तेमाल से दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान, अलसी के बीज का तेल माँ के शरीर में डोकोसैक्सिनोइक एसिड के कम इनटेक को काउंटर नहीं करता है। हमारा शरीर इस डीएचए को सिंथेसाइज नहीं कर सकता, लेकिन यह गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क और इम्यूनिटी के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है।
- अलसी के बीज का तेल, खून के पतले होने का कारण बन सकता है और इसके कारण इंजरी के बाद भारी ब्लीडिंग हो सकती है। इससे लो ब्लड प्रेशर या ब्लीडिंग का खतरा हो सकता है।
- डायबिटिक महिलाओं को फ्लैक्स सीड ऑयल की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है, क्योंकि इनमें फाइबर कंटेंट ज्यादा होता है, इसलिए इन्हें लो ग्लाइकेमिक फूड माना जाता है। जिसका मतलब है, कि इनका सेवन ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाने के बजाय इन पर लगाम लगाता है और ब्लड शुगर कंट्रोल में मदद करता है।
शिशु पर इसका प्रभाव
- अलसी के बीज और अलसी के बीज का तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, जो कि प्रभावशाली एंटी इंफ्लेमेटरी फैट हैं, और मस्तिष्क और हृदय के स्वास्थ्य को मेंटेन करने के लिए शरीर के लिए जरूरी होते हैं।
- यह लिगनेन से भरपूर होते हैं, जो कि फ्री रेडिकल्स को ढूंढते हैं और बच्चे के शरीर को नुकसान से बचाते हैं
- फ्लैक्स सीड थियामिन, विटामिन ‘बी6’, फोलेट, नियासिन, विटामिन ‘बी5’, मैंगनीज, मैग्नीशियम, फास्फोरस और सेलेनियम के अच्छे स्रोत हैं, जो कि एक बढ़ते शिशु में हड्डियों, माँसपेशियों और हृदय के स्वास्थ्य के विकास के लिए जरूरी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स हैं।
अलसी के बीज का स्वाद नट्स जैसा होता है और इन्हें कई तरह से सीमित मात्रा में अपने भोजन में शामिल किया जा सकता है, जैसे कि तेल, पाउडर, क्रैकर या फिर ओटमील और म्यूसली के रूप में। आप इन्हें दाल पकाते समय या दही आदि में भी डाल सकते हैं। फ्लैक्स सीड को बेक करने के समय ब्रेड में भी डाला जा सकता है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें, कि इस बात को लेकर कोई आम सहमति नहीं है, कि अलसी के बीज ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई को बढ़ाने में मदद करते हैं। इसलिए हम आपको यही सलाह देते हैं कि स्तनपान के दौरान, अलसी के बीज या इनके सप्लीमेंट को आजमाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लेना लेना न भूलें।
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