शिशु

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान स्मोकिंग – क्या यह नुकसानदायक है?

यह साबित हो चुका है, कि गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान से बढ़ते बच्चे के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचता है और यह ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं के लिए भी नुकसानदायक होता है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान स्मोक करने से माँ के दूध का प्रोडक्शन कम हो जाता है। ब्रेस्टमिल्क के द्वारा निकोटिन और दूसरे टॉक्सिन बच्चे को नुकसान पहुँचाते हैं। जो बच्चे धूम्रपान करने वाली माँ का दूध पीते हैं, उनमें मतली, बेचैनी और चिड़चिड़ापन अधिक देखा जाता है। गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान, धूम्रपान निश्चित रूप से नुकसानदायक होता है और यह अपने साथ कई तरह के खतरे लेकर आता है।

क्या ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ को स्मोक करना चाहिए?

इसमें कहने वाली कोई बात नहीं है, कि ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली एक माँ को स्मोक नहीं करना चाहिए। हालांकि, अगर वे इसे बंद नहीं कर सकती हैं, तो यह ब्रेस्टफीडिंग को बंद करने के लिए एक सही कारण नहीं है। गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा के माध्यम से गुजरने वाली निकोटिन की मात्रा की तुलना में, ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ब्रेस्टमिल्क के माध्यम से गुजरने वाली निकोटिन की मात्रा दोगुनी हो जाती है। फिर भी इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं, कि ब्रेस्टमिल्क निकोटीन के नेगेटिव प्रभाव पर भारी पड़ता है और वास्तव में शिशुओं में रेस्पिरेटरी बीमारियों की घटनाओं को कम करता है और इससे बचाता है। ब्रेस्टफीडिंग से स्मोकिंग के इफेक्ट्स से बचने के लिए इम्युनिटी मिलती है। इस बात में कोई दो राय नहीं है, कि इस आदत को पूरी तरह से खत्म कर देना माँ के लिए बेहतर है और जो माँएं ऐसा नहीं कर सकती हैं, उन्हें भी ब्रेस्टफीडिंग को जारी रखना चाहिए। धूम्रपान के साथ फार्मूला दूध पिलाने की तुलना में, धूम्रपान के साथ-साथ स्तनपान कराना, हर मायने में बेहतर है। स्टडीज भी यह दर्शाती हैं, कि जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग के दौरान स्मोक करती हैं, उनके दूध के प्रोडक्शन में कमी आती है और दूध का कंपोजिशन भी बदल जाता है। इसके अलावा स्मोक करने से नींद में रुकावट आती है, जिसके कारण स्मोक करने वाली माँ का दूध पीने वाले बच्चे की नींद खराब होती है। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान स्मोक करने से क्या होता है?

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान स्मोक करने के प्रमाणित खतरे नीचे दिए गए हैं: 

बच्चे पर प्रभाव

  • जो बच्चे सिगरेट के धुएं के संपर्क में आते हैं, उनमें निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, साइनस इन्फेक्शन, आई इरिटेशन और इन्फेक्शन और क्रुप का खतरा अधिक होता है।
  • पेरेंट्स में से कोई भी धूम्रपान करता हो, तो शिशु में अक्सर कॉलिक देखा जाता है। बच्चे पर केवल माँ के दूध के द्वारा आने वाले निकोटिन का साइड इफेक्ट ही नहीं पड़ता, बल्कि उसके आसपास मौजूद धुआँ भी इरिटेंट के रूप में काम करता है।
  • ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ अगर अधिक धूम्रपान करती है, तो इससे मतली, उल्टी, डायरिया या पेट में दर्द जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण दिख सकते हैं।
  • सडेन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (एसआईडीएस) एक आम घटना है और अगर माँ या पिता स्मोक करते हैं, तो शिशु की मृत्यु की संभावना 7 गुना बढ़ जाती है।
  • विशेष रुप से रेस्पिरेटरी शिकायतों या एलर्जी से संबंधित बीमारियों के कारण बार-बार डॉक्टर से जांच करवानी पड़ती है।
  • आस-पास मौजूद धुआँ भी इतना ही नुकसानदायक होता है, क्योंकि यह बच्चों में एचडीएल के ब्लड लेवल को कम कर देता है। एचडीएल गुड कोलेस्ट्रॉल होता है, जो कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज से रक्षा करने में मदद करता है।
  • बच्चों में मोटापे और थायराइड के फंक्शन में खराबी के लिए स्मोकिंग को एक कारण बताया गया है।
  • अगर माँ और पिता दोनों ही धूम्रपान करते हैं, तो उनके साथ रहने वाले बच्चों में लंग कैंसर का खतरा दोगुना हो जाता है।

ब्रेस्टफीडिंग पर प्रभाव

  • जिन बच्चों की माँएं धूम्रपान करती हैं, वे जल्दी ही माँ का दूध पीना छोड़ देते हैं।
  • ब्रेस्टफीडिंग के दौरान स्मोकिंग करने से दूध का प्रोडक्शन घट जाता है।
  • निकोटिन लेट-डाउन रिफ्लेक्स को कम करता है, जिसके कारण दूध का बहाव तेज हो जाता है और बच्चा ठीक तरह से दूध नहीं पी पाता है।
  • जो माँएं ब्रेस्टफीडिंग के दौरान स्मोक करती हैं, उनमें ब्रेस्ट को अधिक दूध का प्रोडक्शन करने का सिग्नल भेजने वाले प्रोलेक्टिन नामक हार्मोन का बनना कम हो जाता है।
  • धूम्रपान करने वाली माँओं के दूध में आयोडीन की मात्रा कम होती है, जिससे बच्चे में थायराइड के फंक्शन में खराबी की संभावना बढ़ जाती है।

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान स्मोकिंग को लेकर दिए गए तथ्य, इसे नुकसानदायक साबित नहीं करते हैं, क्योंकि इसे लेकर  पर्याप्त रिसर्च और प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन चूंकि ब्रेस्टमिल्क बच्चे के न्यूट्रिशन का एक बेहतरीन जरिया है, इसलिए संभावित खतरों को कम करने के लिए फीडिंग के दौरान धूम्रपान बंद कर देना ही बेहतर है। 

अगर आप स्मोक करते हैं, तो बच्चे पर इसके खतरे को कम करने के लिए कुछ टिप्स:

एक नई माँ जो कि ब्रेस्टफीडिंग करा रही है, उसे जितना संभव हो उतना कम से कम स्मोक करना चाहिए या ब्रेस्टफीडिंग के बाद स्मोक करना चाहिए, ताकि बच्चे का निकोटिन से होने वाला संपर्क कम हो सके। यहाँ पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जो निश्चित रूप से आपकी मदद करेंगे: 

  • इसे पूरी तरह से छोड़ दें।
  • सिगरेट की मात्रा कम कर दें। अगर आप एक दिन में 20 से अधिक सिगरेट पीती हैं, तो खतरा बहुत ज्यादा होता है।
  • ब्रेस्टफीडिंग के दौरान या इससे पहले स्मोक करने से बचें।
  • दूध पिलाने के बाद स्मोक करने से आपके दूध में निकोटिन की मात्रा कम हो जाती है। स्मोकिंग और दूध पिलाने के बीच अधिक समय रखें, क्योंकि शरीर से निकोटिन की आधी मात्रा को निकालने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है।
  • जिस कमरे में बच्चा हो, उस कमरे में स्मोक करने से बचें और जितना संभव हो उससे दूरी बनाए रखें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें, कि कोई और व्यक्ति बच्चे के आसपास धूम्रपान न करें।

ई-सिगरेट क्या होते हैं?

इलेक्ट्रॉनिक या ई-सिगरेट किसी भी रूप में आम सिगरेट से सुरक्षित नहीं होते हैं। इससे सेहत को कुछ फायदा हो सकता है, लेकिन यह धूम्रपान करने वाले को निकोटीन की उतनी ही मात्रा देता है। चूंकि इसमें समान खतरा होता है, इसलिए यह कहना सही होगा, कि ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं के लिए कोई बेहतर विकल्प नहीं है। 

स्मोकिंग कैसे छोड़ें?

कुछ माँएं इसे पूरी तरह से छोड़ने के बजाय कभी-कभार की धूम्रपान और ब्रेस्टफीडिंग की पद्धति को अपनाना चाहती हैं। ब्रेस्टफीडिंग के बाद स्मोक करना और धूम्रपान और स्तनपान के बीच अधिक समय का अंतर रखना, अच्छा होता है। दूध पिलाने के ठीक पहले सिगरेट पीने से लेट-डाउन में रुकावट आती है और यह बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है। जो माँएं सिगरेट छोड़ना चाहती हैं, उनके लिए निकोटिन पैच, निकोटिन गम, निकोटिन की  दवाओं के रूप में कई विकल्प उपलब्ध हैं, जो कि सिगरेट की क्रेविंग से बचाते हैं। जहाँ निकोटिन पैच नियमित होते हैं और निकोटिन की कम मात्रा लिए होते हैं, वहीं निकोटिन गम में निकोटिन की मात्रा अधिक होती है, इसलिए गम की तुलना में पैचेज़ की सलाह दी जाती है। 

ब्रेस्टफीडिंग बच्चे के लिए एक हेल्दी विकल्प होता है और इसलिए ब्रेस्टफीडिंग के दौरान धूम्रपान को छोड़ देना ही सबसे बेहतर है। अगर बाद में भी आपको सिगरेट पीने की इच्छा उठती रहती है, तो जब बच्चा पूरी तरह से दूध छोड़ दे तो आप चाहें, तो फिर से धूम्रपान की शुरुआत कर सकती हैं। 

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पूजा ठाकुर

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