क्या गुणसूत्र की असामान्यता से गर्भपात होता है – Kya Chromosome Ki Abnormality Se Garbhpat Hota Hai

क्या गुणसूत्र की असामान्यता से गर्भपात होता है - Kya Chromosome Ki Abnormality Se Garbhpat Hota Hai

गर्भपात एक महिला के लिए बेहद दुखद और मुश्किल अनुभव होता है। वैसे गर्भपात के कई कारण होते हैं, लेकिन इसके प्रमुख कारणों में से एक क्रोमोसोम की असामान्यताएं हैं। यह तब उत्पन्न होती है, जब माँ के गर्भ में पल रहे बच्चे को माता-पिता से सही क्रोमोसोम्स नहीं मिल पाते हैं। इसकी वजह से बच्चे के विकास में समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। ये असामान्यताएं गर्भावस्था को मुश्किल बना देती हैं जो बच्चे के विकास को प्रभावित करती हैं और जिसकी वजह से गर्भपात हो सकता है।

गुणसूत्र की असामान्यता क्या होती है

जब महिला के शरीर में शुक्राणु अंडों को निषेचित (फर्टिलाइज) करता है, तो उस दौरान क्रोमोसोम एक दूसरे से जुड़ने लगते हैं। यही क्रोमोसोम गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास को नियंत्रित करते हैं। यदि इन क्रोमोसोम में कोई समस्या आ जाए है या वे सही तरीके से नहीं जुड़ नहीं पाते, तो इसे क्रोमोसोमल एब्नार्मेलिटी या गुणसूत्र की असामान्यता या विकार कहते हैं। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब शुक्राणु में कोई गड़बड़ी हो, अंडों की दीवारें खराब होने लगे, या फिर भ्रूण के विकसित होने के दौरान कोई समस्या होने लगे।

गुणसूत्र के विकार से गर्भपात क्यों होता है

क्रोमोसोमल असामान्यताओं की वजह से गर्भपात होने की पुष्टि अभी तक हुई नहीं है, लेकिन ये असामान्यताएं अंडाणु को ठीक से विकसित नहीं होने देतीं हैं। इन असामान्यताओं की वजह से अंडे गर्भाशय में अच्छे से रह नहीं पाते और जिससे गर्भपात की समस्या उत्पन्न हो जाती है। कभी-कभी, महिला का शरीर इन असामान्यताओं की वजह से गर्भ में पल रहे भ्रूण को खतरा मान लेता है और उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली उसे शरीर से बाहर निकालने लगती हैं, जिससे गर्भपात हो सकता है।

क्रोमोसोम की असामान्यता से प्रभावित गर्भधारण में किस प्रकार के जोखिम हो सकते हैं

अगर किसी महिला की पहली गर्भावस्था में क्रोमोसोमल असामान्यताओं की वजह से गर्भपात हो चुका है, तो उसे लगने लगता है कि अगली गर्भावस्था में भी उसे यही समस्या हो सकती है। लेकिन ऐसा हमेशा हो ये जरूरी नहीं होता है। दुर्लभ मामलों में ही क्रोमोसोमल असामान्यताओं के कारण बार-बार गर्भपात होता है, क्योंकि हर व्यक्ति के क्रोमोसोम अलग होते हैं। इसलिए, यदि आपका एक बार गर्भपात होता है, तो यह जरूरी नहीं कि अगली गर्भावस्था में भी आपको उसी समस्या का सामना करना पड़े।

अगर गर्भधारण करने वाली महिला और पुरुष की उम्र ज्यादा है, तो गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। यदि महिलाएं 35 साल से अधिक उम्र की है, तो उनमें गर्भपात और क्रोमोसोमल असामान्यताओं की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। इसी तरह, 40 साल या उससे अधिक उम्र के पुरुषों को उनकी साथी महिला को गर्भधारण कराने में कठिनाई हो सकती है।

कई बार आपके काम करने की जगह या किसी अन्य जगह पर खतरनाक रसायनों के संपर्क में आने से भी क्रोमोसोम का मेल बिगड़ सकता है। इसके अलावा, किसी खास जीन के संयोजन या शुक्राणु और अंडाणु की संरचना में समस्याएं आने से भी क्रोमोसोमल असामान्यताएं हो सकती हैं, जो गर्भपात का कारण बनती हैं।

गुणसूत्र के विकार जो गर्भपात का कारण हैं

गर्भपात के कई कारण हो सकते हैं, और उनमें से एक प्रमुख कारण क्रोमोसोम की असामान्यता भी हो सकती है। आइए नीचे विस्तार में जानते हैं:

1. माता-पिता के क्रोमोसोम में समस्या

यह स्थिति कम ही देखने को मिलती है। इसमें माता-पिता में से किसी एक का क्रोमोसोम अस्वाभाविक होता है, जैसे कि क्रोमोसोम की जगह अपने आप बदल जाती है और ये किसी अन्य क्रोमोसोम्स से जुड़ जाते हैं। ऐसा होने से एक समस्याएं पैदा होती है, जिसे ट्रांसलोकेशन क्रोमोसोमल अनोमली कहते हैं। अगर माता-पिता के क्रोमोसोम में ऐसी समस्या हो, तो यह उनके बच्चे को भी प्रभावित करती है और इससे गर्भपात खतरा बढ़ जाता है, भले ही आपके बच्चे स्वास्थ्य बिलकुल सामान्य हो।

2. भ्रूण के क्रोमोसोम में समस्या:

यह गर्भपात का सबसे आम कारण है। इस स्थिति में भ्रूण के क्रोमोसोम की संख्या में समस्या आने लगती है। आमतौर पर भ्रूण में 46 क्रोमोसोम (23 जोड़े) होते हैं, लेकिन कभी-कभी यह संख्या अधिक या कम हो सकती है। जब भ्रूण में क्रोमोसोम की संख्या सही नहीं होती, तो भ्रूण पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और गर्भ में उसके जिंदा रहने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे गर्भपात हो जाता है। कुछ मामलों में भ्रूण पूरे समय तक गर्भ में रहता है, लेकिन फिर भी जन्म के बाद बच्चे को विकास से जुड़ी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। जिसकी वजह से बच्चे की आने वाली जिंदगी बहुत कठिन हो सकती है। कुछ क्रोमोसोमल समस्याएं इस प्रकार होती हैं, जैसे कि क्रोमोसोम की जोड़ी में से एक क्रोमोसोम का नहीं होना और एक जोड़ी में अतिरिक्त क्रोमोसोम का होना। इन समस्याओं के कारण भ्रूण ठीक से विकसित नहीं हो पाता और गर्भपात या गंभीर जन्म विकारों का सामना करना पड़ सकता है।

क्रोमोसोम की असामान्यता और बार-बार गर्भपात होने के बीच संबंध

यदि गर्भवती महिला को क्रोमोसोम की असामान्यता के कारण गर्भपात हुआ है, तो आपको चिंता होगी कि क्या यह बार-बार होगा है। यदि ये क्रोमोसोमल असामान्यताएं माता-पिता की जेनेटिक समस्याओं के कारण हैं, तो ऐसा होने की संभावना अधिक हो जाती है। ज्यादातर मामलों में गर्भपात शुरुआत में ही हो जाता है, जिसमें भ्रूण खुद ही गर्भ में टिक नहीं पाता है। लेकिन अन्य मामलों में, क्रोमोसोम के गलत तरीके से जुड़ने की संभावना बहुत कम होती है, इसलिए आपको डरना नहीं चाहिए।

गर्भपात का कारण बनने वाले गुणसूत्रों के विकार का उपचार

क्रोमोसोम से जुड़ी असामान्यताएं ठीक किए जाने का कोई खास इलाज अभी मौजूद नहीं है। जैसे-जैसे माता-पिता की उम्र बढ़ती जाती है उसके साथ ही क्रोमोसोम की असामान्यताओं की संभावना भी बढ़ जाती है। इसकी संभावना का जांच के जरिए केवल पता लगाया जा सकता है, लेकिन इसका इलाज नहीं किया जा सकता। अगर किसी वजह से महिला का गर्भपात नहीं होता, तो ऐसे में बच्चे को जन्म के बाद गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

यदि भ्रूण में ट्रांसलोकेशन समस्याएं पाई जाती हैं, तो ऐसी स्थिति में अलग अंडाणु या शुक्राणु का इस्तेमाल करके इसे कुछ हद तक रोका जा सकता है। इन स्थितियों में डॉक्टर जोड़ों को अक्सर आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) की सलाह देते हैं।

क्रोमोसोम की असामान्यताओं के कारण गर्भपात से बचने के तरीके

किसी भी गर्भवती महिला के शरीर के आनुवंशिक कारण और जैविक स्थितियों को बदला नहीं जा सकता, लेकिन गर्भपात या क्रोमोसोम से जुड़ी असामान्यताओं को पहले ही रोकने के कई तरीके हैं। ऐसी स्थिति में आपको अपनी जीवनशैली पर ध्यान देना बहुत जरूरी है और शरीर को प्रभावित करने वाले खतरनाक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। ऐसा करने से माता-पिता को इन असामान्यताओं को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही, आप फिर से गर्भधारण करने की कोशिश कर सकते हैं।

गर्भपात के बाद क्रोमोसोम की असामान्यताओं के लिए जाँच

क्रोमोसोमल असामान्यताओं के कारण गर्भपात को रोकने के लिए कुछ टेस्ट किए जा सकते हैं, जो समस्या की जड़ को पहचानने में मदद करते हैं।

1. माता-पिता का कार्योटाइपिंग टेस्ट

इस टेस्ट में माता-पिता के जेनेटिक पैटर्न की अच्छे से जांच की जाती है। इसमें माता-पिता में से किसी एक या दोनों का खून लिया जाता है और फिर खून की कोशिकाओं (ब्लड सेल) में क्रोमोसोम की जांच की जाती है। इस टेस्ट के जरिए किसी भी जेनेटिक समस्या का पहले से पता लगाया जा सकता है।

2. भ्रूण के ऊतक की जांच (फीटल टिश्यू टेस्ट)

यह टेस्ट गर्भपात के तुरंत बाद किया जाता है। इसमें गर्भपात के बाद भ्रूण के टिशू का उपयोग करके उसके क्रोमोसोम्स की जांच की जाती है। इससे यह पता चलता है कि भ्रूण गर्भ में क्यों नहीं रह पाया और किन कारणों से गर्भपात हो गया।

गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण की योजना

गर्भपात के बाद अगर आप दोबारा गर्भधारण करने का सोच रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर की सलाह लें। टेस्ट की रिपोर्ट के अनुसार कोई फैसला लें, अगर क्रोमोसोम संबंधी असामान्यता के दोबारा होने की संभावना कम है, तो आप फिर से गर्भधारण की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन अगर बार-बार गर्भपात हो रहा है, तो आईवीएफ के जरिए अलग अंडाणु या शुक्राणु का इस्तेमाल करना बेहतर होता है।

जिन जोड़ों को इन असामान्यताओं का अधिक जोखिम है या जिन्होंने कई बार गर्भपात का सामना किया है, उन्हें जेनेटिक काउंसलिंग की सलाह दी जाती है। इस काउंसलिंग के माध्यम से आपको जानकारी मिलेगी कि आपके लिए आगे क्या कदम उठाना सही रहेगा।

माँ के गर्भ में शिशु का विकास होना एक जटिल प्रक्रिया है जो कई कारकों पर निर्भर करती है। अपने और भ्रूण की आनुवंशिक संरचना के बारे में अच्छी तरह जानकारी प्राप्त करें, ताकि आप अपने गर्भपात की संभावना को कम कर सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि आपका बच्चा स्वस्थ हो।

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