प्रसवपूर्व देखभाल

क्या गर्भावस्था के दौरान एंटीडिप्रेसेंट लेना सही है?

आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान कोई भी दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं ली जाती हैं, लेकिन अगर आप डिप्रेशन की दवा ले रही हैं, तो गर्भावस्था के दौरान इसे बंद करने से काफी मुश्किल हो सकती है। दूसरी ओर, गर्भावस्था के दौरान भी आपको डिप्रेशन हो सकता है। ऐसे में क्या एंटीडिप्रेसेंट लेना सुरक्षित है और इसके लिए कौन से विकल्प मौजूद हैं, इसके बारे में आगे जानते हैं।

क्या आप गर्भवती होने पर एंटीडिप्रेसेंट ले सकती हैं?

प्रेग्नेंट होने पर एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का सेवन करने से पहले उससे होने वाले खतरों और फायदों को जानने की आवश्यकता होती है। खतरे की बात करें तो, एंटीडिप्रेसेंट दवाओं से बच्चे को होने वाले को नुकसान के लिए बहुत कम दवाएं हैं। इसी के साथ कुछ खास ही दवाएं हैं, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान भी सेवन करने के लिए सुरक्षित माना जाता है। इस स्टेज पर दवा का बहुत कम मात्रा में सेवन करना बेहतर होता है।

गर्भावस्था डिप्रेशन को कैसे प्रभावित कर सकती है?

प्रेगनेंसी के कारण महिला के शरीर में बहुत सारे हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो भावनाओं को भी प्रभावित करते हैं। शुरुआती दौर में यह एक सकारात्मक प्रभाव माना जाता था जो माँ की मानसिक और जीवन शक्ति को बढ़ाता है। हालांकि, यह ऐसा हमेशा नहीं होता है। उतार-चढ़ाव वाली भावनाएं डिप्रेशन पैदा कर सकती हैं साथ ही अवसाद की मौजूदा स्थिति को संभालना मुश्किल बना सकती है। ऐसे में घर के सभी लोग मिलकर डिप्रेशन और प्रेगनेंसी की चुनौतियों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

क्या गर्भावस्था में डिप्रेशन का इलाज जरूरी है?

इसका जवाब हां में होगा। डिप्रेशन में व्यक्ति अलग-अलग तरह के व्यवहार करता है। खानपान की खराब आदतों के कारण प्रीनेटल केयर अच्छी तरह से नहीं हो पाती है या असंतुलित आहार का सेवन करने से माँ और बच्चे दोनों की जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं। आमतौर पर डिप्रेशन होने के कारण बच्चे की प्रीमैच्योर डिलीवरी होना, बच्चे का वजन सामान्य से कम होना, भ्रूण में अनुचित या कम वृद्धि होना, इसी तरह अगर डिप्रेशन लगातार जारी रहता है, तो यह डिलीवरी के बाद और भी बढ़ सकता है। इसके बाद माँ के ब्रेस्ट में दूध बनने की मात्रा कम हो सकती है। माँ और बच्चे के लगाव में कमी आ सकती है और बच्चे पर इसका गहरा और नकारात्मक असर पड़ सकता है।

गर्भावस्था के दौरान कौन सी एंटीडिप्रेसेंट सुरक्षित मानी जाती हैं?

यहां एंटीडिप्रेसेंट की एक लिस्ट दी गई है जिन्हें प्रेगनेंसी के दौरान सेवन करना सुरक्षित माना जाता है।

1. विशेष एसएसआरआई दवाएं

एसएसआरआई एक विशेष टर्म के रूप में चुनी गई ‘सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर’ मानी जाती है। इन्हें आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान सेवन करने के लिए भी सुरक्षित माना जाता है, हालांकि इस दवाई के कॉम्प्लिकेशन्स का अपना स्तर होता है। इनमें डिलीवरी के बाद लगातार भारी ब्लीडिंग होना, साथ ही समय से पहले प्रसव होना या बच्चे का वजन कम होना शामिल होता है। अधिकांश एसएसआरआई से पैरोक्सेटाइन, जिसमें दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा होता है, को छोड़कर बच्चे में कोई जन्म दोष पैदा नहीं होता है। इसके अलावा सिटालोप्राम, फ्लुओक्सेटाइन या सरट्रलाइन अन्य दवाएं हैं जिन्हें सेफ माना जाता है।

2. विशिष्ट एसएनआरआई दवाएं

एसएनआरआई को सेरोटोनिन और नॉरपेनेफ्रिन रीपटेक इनहिबिटर कहा जाता है। इनमें से अधिकांश दवाएं गर्भावस्था के दौरान सेवन करने के लिए सुरक्षित मानी जाती हैं। डिलीवरी के बाद भारी रक्तस्राव का अनुभव होने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भवती महिलाओं के लिए डुलोक्सेटीन, वेनालाफैक्सिन वाली दवाएं सुरक्षित मानी जाती हैं।

3. बुप्रोपियन आधारित दवा

कुछ महिलाएं इस दवा के बारे में वेलब्यूट्रिन के नाम से जानती होगीं जिसका उपयोग स्मोकिंग को रोकने के लिए भी किया जाता है। जब अवसाद की बात आती है, तो आमतौर पर यह दवा देने की सलाह नहीं दी जाती है, लेकिन इसे तब दिया जाता है जब अन्य दवाएं ठीक तरह से काम करने में नाकाम हो जाती हैं। कुछ रिसर्च में बताया गया है कि बुप्रोपियन का बच्चे के दिल की बीमारी में उपयोग किया जा सकता है।

4. ट्राइसाइक्लिक दवा

इन एंटीडिप्रेसेंट में आमतौर पर नॉर्ट्रिप्टाइलाइन होता है। इनका भी केवल तभी उपयोग किया जाता है जब किसी भी सामान्य दवा का डिप्रेशन की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ रहा हो। गर्भावस्था के दौरान ऐसी दवाएं सुरक्षित मानी जाती हैं, हालांकि, गर्भावस्था की दूसरी या तीसरी तिमाही में सेवन करने पर डिलीवरी के दौरान भारी ब्लीडिंग हो सकती है। क्लोमीप्रामीन भी इस ही तरह की दवा के अंतर्गत आती है, हालांकि इसे दिल संबंधी बीमारियों से जोड़ा जाता है।

गर्भवती होने पर किन एंटीडिप्रेसेंट से बचना चाहिए

प्रेगनेंसी में सभी एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का सेवन करना सही नहीं होता है। इनमें से कुछ ऐसी भी दवाएं होती हैं जिन्हें लेने से बचना चाहिए।

पैरोक्सेटाइन, एक सिलेक्टिव सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर मानी जाती है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन करने की सख्त मनाही होती है। कई ऐसे लिंक मौजूद हैं जो इस दवा के उपयोग से फीटस में हृदय संबंधी रोगों के खतरे को बढ़ाने के संबंध में हैं।

दवा का एक अन्य वर्ग एमएओआई या मोनोमाइन ऑक्सीडेज इनहिबिटर है। इनमें फेनिलजीन और ट्रानिलिसिप्रोमाइन भी शामिल हैं। इन दोनों दवाओं का गर्भावस्था में सेवन करने से बचना चाहिए। इन दवाओं को भ्रूण के विकास को रोकने के लिए जाना जाता है।

दवाओं के विकल्प

अगर आपका अवसाद गंभीर नहीं है तो आपको हमेशा दवा लेने की सलाह नहीं दी जा सकती है। कई हल्के अवसाद के मामलों में, अगर दोबारा डिप्रेशन होने का इतिहास नहीं है, तो डॉक्टर आमतौर पर साइकोलॉजी के अनुभव के आधार पर मेडिकल तकनीकों का उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं। इनमें व्यायाम के साथ-साथ कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी और इंटरपर्सनल थेरेपी शामिल हैं। ये आमतौर पर डिप्रेशन को नियंत्रण में रखने में काफी कारगर साबित होती हैं और लंबे समय तक भी दी जा सकती हैं। 

अपने डिप्रेशन का इलाज करने के तरीके के लिए किसी भी तरह के हर्बल या विदेशी उपचार के विकल्प को न चुनें। ये ऊपर बताई गई सभी दवाओं की तुलना में बहुत ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकती हैं, जिनमें से कई में बिल्कुल भी बदलाव नहीं किया जा सकता है। 

एंटीडिप्रेसेंट लेने से बच्चे के लिए जोखिम

गर्भावस्था के दौरान एंटीडिप्रेसेंट के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखे गए हैं, खासकर गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में, एंटीडिप्रेसेंट के सेवन से बच्चे को डिलीवरी के बाद 4 सप्ताह तक सांस लेने में तकलीफ, दूध पीने में परेशानी होना और झटके का अनुभव हो सकता है। हालांकि, इसके बावजूद आपको दवा लेनी बंद नहीं करनी चाहिए और न ही दवा की खुराक को कम करना चाहिए वरना प्रसव के बाद डिप्रेशन बढ़ सकता है।

क्या होता है जब आप गर्भावस्था में एंटीडिप्रेसेंट लेना बंद कर देती हैं?

अवसाद को नियंत्रण में रखने के लिए दवा का सेवन करना बहुत जरूरी है। अगर आप किसी भी दवा की एक भी खुराक को लेना छोड़ देती हैं, तो इससे डिप्रेशन फिर से बढ़ सकता है और आपको किसी बड़ी मुसीबत में डाल सकता है। दवा छोड़ने के फलस्वरूप भावनात्मक स्थिति का बिगड़ना, गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल न होना, साथ ही डिलीवरी के बाद मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

क्या आप दवा बदल सकती हैं?

आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान, अवसाद होने पर सही और बहुत ही कम खुराक लेने की सलाह दी जाती है। दवाओं में स्विचिंग को ज्यादातर टाला ही जाता है क्योंकि डिप्रेशन का उचित इलाज न मिल पाने और दवा से खतरा बढ़ने पर, केवल डॉक्टर की सिफारिश पर ही दवा को बदलें (स्विचिंग)। वो भी किसी दवा का सेवन करने की बहुत ज्यादा जरूरत होने पर ही।

गर्भावस्था वह स्थिति होती है जब एक माँ को बच्चे और खुद की देखभाल करने की जरुरत होती है। डिप्रेशन मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ज्यादा नकारात्मक असर डाल सकता है। जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बच्चे के विकास को भी प्रभावित करता है। दवाएं, हालांकि गर्भावस्था के दौरान टाली जा सकती हैं, लेकिन लंबे समय में तक अवसाद रहने की स्थिति के लिए यह जरूरी हो सकती हैं। यहां यह एक प्रमुख बात यह है कि अगर माँ को किसी मानसिक समस्या का सामना करना पड़ता है, तो इसके फलस्वरूप बच्चे को भी इसका सामना करना पड़ सकता है। यहां तक ​​​​कि जब दवा से पूरी तरह से परहेज करने की बात आती है, तो मजबूत इमोशनल सपोर्ट और आत्मविश्वास से रहने पर ही गर्भवती महिला को अवसाद से लड़ने की ताकत मिलती है।

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समर नक़वी

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