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प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के अनुसार कॉपर के बर्तन में रखे हुए पानी को पीने से स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार कॉपर पानी से सभी हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करके इसे शुद्ध करता है। हालांकि, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि गर्भावस्था के दौरान कॉपर के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना सुरक्षित होता है। गर्भावस्था में संतुलित आहार का सेवन करने में शरीर की आवश्यकता के अनुसार कॉपर मिलता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान कॉपर के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना एक चिंता की बात मानी जानी चाहिए।
हाँ, एक गर्भवती महिला कॉपर के बर्तन में रखा हुआ पानी पी सकती है। पर इस हाँ को निश्चित रूप से कहना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि इसके बारे न तो कोई रिसर्च हुई है और न ही इसका कोई प्रमाण है। न ज्यादा लोग इस बारे में जानते हैं कि मेटल पानी को शुद्ध कैसे कर सकता है। इसी प्रकार से इस बारे में भी ज्यादा जानकारी नहीं है कि मेटल में रखा हुआ कितना पानी गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है।
यह जानना भी जरूरी है कि कॉपर को जंग और गंदगी से बचाने के लिए उसमें प्लेटिंग की जाती है। यह प्लेटिंग सुरक्षित होती है जिसके संपर्क में रखा पानी भी शुद्ध और सुरक्षित हो जाता है। इस प्रकार से कॉपर के बर्तन में रखे हुए पानी की क्वालिटी पर प्रभाव पड़ता है। यदि जहाँ पर कॉपर बनाया जाता है वहाँ का कोई भी स्टैण्डर्ड न हो तो इसकी क्वालिटी पर संदेह किया जा सकता है।
इसलिए गर्भावस्था के दौरान कॉपर का उपयोग करते समय सावधानी बरतना जरूरी है। किसी भी स्थिति में आपके लिए डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है ताकि आपको गर्भावस्था से संबंधित आगे कोई भी समस्या न हो।
गर्भावस्था के दौरान कॉपर के बर्तन में पानी पीने के कुछ फायदे इस प्रकार हैं, आइए जानें;
कॉपर में एंटी-इंफ्लेमटरी गुण होते हैं जो गर्भावस्था के दौरान पाचन की समस्याओं पर प्रभावी रूप से ठीक करने में मदद करते हैं, जैसे गर्भावस्था में अपच या बदहजमी, गैस और एसिडिटी।
कॉपर में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमटरी गुण होते हैं जो शरीर की छोटी-छोटी चोटों को ठीक कर सकते हैं।
कॉपर इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है इसलिए यदि एक गर्भवती महिला कॉपर के बर्तन में रखा हुआ पानी पीती है तो वह जल्दी बीमार नहीं पड़ती है और उसे सर्दी या अन्य रोग भी नहीं होते हैं।
कॉपर के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से थायरॉइड के हॉर्मोन का फंक्शन ठीक रहता है।
कॉपर के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से शरीर में आयरन अच्छी तरह से एब्सॉर्ब होता है जिससे गर्भावस्था के दौरान एनीमिया जैसी समस्याएं कम होती हैं।
ऐसा माना जाता है कि कॉपर पानी से सभी कीटाणुओं को नष्ट कर देता है। इसलिए कॉपर के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से गर्भवती महिलाओं में पानी से होने वाली समस्याएं नहीं होती हैं, जैसे कॉलेरा, शिगेला, साल्मोनेला और हेपेटाइटिस ए।
कॉपर-युक्त पानी शरीर में रेड ब्लड सेल्स को बढ़ाने में मदद करता है जिससे एक गर्भवती महिला के हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार होता है और उसे एनीमिया होने की संभावनाएं भी कम होती हैं।
गर्भावस्था के दौरान कॉपर के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से गर्भवती महिलाओं के जोड़ों का दर्द कम हो सकता है क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमटरी गुण होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान कॉपर-युक्त पानी पीने से गर्भ में पल रहे बच्चे के नर्वस सिस्टम, हड्डियों और दिल के विकास में मदद मिलती है।
गर्भावस्था के दौरान कॉपर-युक्त पानी पीने से ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने में मदद मिलती है। कॉपर ब्लड वेसल को विस्तृत करने में मदद करता है जिससे खून का बहाव बढ़ता है और हार्ट रेट सामान्य होती है।
एक बार जब आपके डॉक्टर कन्फर्म कर देते हैं कि आप तांबे के बर्तन में रखा पानी पी सकते हैं, तो आप यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि आपको पानी पीना है या नहीं। गर्भावस्था के दौरान पानी के लिए बर्तन का चुनाव कैसे करें और पानी को सुरक्षित रखने के तरीके जानने के लिए आगे पढ़ें।
कॉपर का बर्तन चुनते और उपयोग करते समय एक गर्भवती महिला को निम्नलिखित बातें ध्यान रखनी चाहिए, जैसे
तो चलिए, अब तांबे के बर्तन से जुड़े कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवालों पर नजर डालते हैं और साथ ही जानते हैं कि यह प्रेगनेंट महिलाओं के लिए कैसे महत्वपूर्ण है।
गर्भावस्था के दौरान बच्चे के विकास के लिए आपके शरीर को ज्यादा खून की जरूरत पड़ती है। कॉपर शरीर में रेड ब्लड सेल्स को बढ़ा सकता है और सेल्स में एनर्जी प्रदान करता है। यह न्यूट्रिएंट गर्भ में पल रहे बच्चे ऑर्गन और टिश्यू के बेहतर विकास में मुख्य भूमिका निभाता है। यह बच्चे की त्वचा, बाल और मांसपेशियों को विकसित करने में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान कॉपर की कमी से कोलाजेन का उत्पादन कमजोर होता है जिससे गर्भावस्था में हानि हो सकती है। स्टडीज के अनुसार गर्भावस्था के दौरान कॉपर की कमी होने से बच्चे और उसके मस्तिष्क में प्रभाव पड़ सकता है।
गर्भवती महिलाओं को रोजाना 1 मिलीग्राम कॉपर का सेवन करना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान कॉपर की कमी होना अपेक्षाकृत असामान्य है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कॉपर की कमी होने के कुछ लक्षण देखे जा सकते हैं, जैसे डायरिया, बाल झड़ना, एडिमा, पीलापन, थकान। पर इसके लिए आप खुद से कुछ इलाज करने के बजाय डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
कॉपर-युक्त कुछ खाद्य पदार्थ इस प्रकार हैं, आइए जानें;
जब तक डॉक्टर न कहें तब तक गर्भावस्था के दौरान कॉपर के सप्लीमेंट्स लेने की सलाह नहीं दी जाती है। एक गर्भवती महिला आहार में अपनी आवश्यकता के अनुसार कॉपर-युक्त खाद्य पदार्थ ले सकती है।
नहीं, यदि कॉपर के बर्तन अंदर से प्लेटेड नहीं हैं तो इसमें खाना पकाना बिलकुल भी सही नहीं होता है। यदि आप कॉपर में रखा हुआ खाना कहती हैं तो इससे आपके शरीर में कॉपर टॉक्सिक के रूप में भी बढ़ सकता है जिससे आपको हानि हो सकती है। आप गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से पूछ कर ही एक कॉपर का जग भरकर पानी पी सकती हैं। क्योंकि कॉपर के बर्तन में रखा हुआ बहुत ज्यादा पानी पीने से आपको प्रीएक्लेम्पसिया हो सकता है या आपके अंतर्गर्भाशय की वृद्धि रुक सकती है।
गर्भावस्था के दौरान अफसोस करने से अच्छा है सुरक्षित रहें। इस बात का हमेशा खयाल रखें कि आप अच्छी क्वालिटी के कॉपर का बर्तन ही उपयोग करती हैं। मिलावटी प्रोडक्ट्स का उपयोग न करें और गर्भावस्था में कॉपर के बर्तनों का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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