गर्भावस्था के दौरान टोफू का सेवन – फायदे और हानियां

क्या प्रेगनेंसी में टोफू खाना चाहिए?

जब एक महिला को यह पता लगता है कि वह गर्भवती है तो यह पल उसके लिए सबसे ज्यादा खुशियों वाला होता है। हालांकि साथ ही इस समय आप अपने जीवन के नए चरण के लिए बहुत ज्यादा उत्साहित और चिंतित भी होंगी। गर्भावस्था के दौरान आपको अपने रूटीन में बहुत सारी चीजें शामिल करनी होंगी और बहुत सारी चीजें छोड़नी भी होंगी। इससे संबंधित बहुत सारे सवालों के बीच एक सवाल यह भी उठता है कि क्या गर्भावस्था में कुछ विशेष प्रकार के न्यूट्रिएंट्स खा सकते हैं जिनमें टोफू भी शामिल है। 

क्या गर्भावस्था में टोफू खाना सही है?

एक बार गर्भधारण करने के बाद टोफू खाने से पहले आपको यह जरूर पूछना चाहिए कि क्या गर्भावस्था के दौरान आप टोफू खा सकती हैं? वैसे तो, इसका जवाब हाँ है। गर्भावस्था के दौरान टोफू खाया जा सकता है पर संयमित मात्रा में। टोफू में सभी आवश्यक न्यूट्रिएंट्स होते हैं और इसे गर्भावस्था में खाना फायदेमंद हो सकता है। इसमें आयरन, प्रोटीन और अनसैचुरेटेड फैट्स भी बहुत ज्यादा होते हैं। इसके अलावा टोफू में कैलोरीज कम होती हैं जिससे आपको वजन कंट्रोल रखने में मदद मिलती है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स ज्यादा होते हैं जो कैंसर से बचाव करते हैं। 

टोफू की न्यूट्रिशनल वैल्यू टोफू की न्यूट्रिशनल वैल्यू 

लगभग 100 ग्राम टोफू में कितना न्यूट्रिशन होता है यह आपको नीचे दी हुई टेबल पर बताया गया है, आइए जानें;

न्यूट्रिशन  मात्रा प्रति 100 ग्राम 
एनर्जी 480 किलो कैलोरी
पानी 0.00578 लीटर या 5.78 ग्राम
प्रोटीन 47.9 ग्राम
टोटल लिपिड 30 ग्राम
फाइबर 7.2 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट 14 ग्राम
कैल्शियम 364 मिलीग्राम
आयरन 9.7 ग्राम
मैग्नीशियम 59 मिलीग्राम
फॉस्फोरस 483 मिलीग्राम
पोटैशियम 20 मिलीग्राम
सोडियम 6 मिलीग्राम
जिंक 4.9 ग्राम
कॉपर 1.1 मिलीग्राम
विटामिन सी  0.7 मिलीग्राम
थायमिन  0.49 मिलीग्राम
राइबोफ्लेविन 0.31 मिलीग्राम
नियासिन 1.1 मिलीग्राम
पैंटोथेनिक एसिड 0.4 मिलीग्राम
विटामिन बी6 0.28 मिलीग्राम
फोलेट 92 माइक्रोग्राम
विटामिन ‘ए’  150 माइक्रोग्राम

 

गर्भावस्था के दौरान टोफू खाने के फायदे 

गर्भावस्था के दौरान टोफू का सेवन करने के स्वास्थ्य संबंधित फायदे कुछ इस प्रकार हैं, आइए जानें;

1. टोफू में भरपूर प्रोटीन होता है 

टोफू में प्रोटीन भरपूर होता है जो बच्चे की वृद्धि और विकास में मदद करता है। 

2. पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम होता है 

माँ और बच्चे के शरीर की हड्डियों के उचित विकास के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी है। यह बढ़ते बच्चे की हड्डियों, दाँतों, नर्व्ज और मांसपेशियों के विकास में मदद करता है। 

3. ब्लड सेल के उत्पादन में मदद करता है 

टोफू में आयरन और कॉपर होता है जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुँचाने में मदद करता है। इसके अलावा ये हीमोग्लोबिन का भी आवश्यक भाग हैं जो शरीर में एनर्जी बढ़ाते हैंं और ऑक्सीजन को रिलीज करते हैं। आयरन इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में भी मदद करता है। 

4. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं 

टोफू में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स की प्रतिक्रिया आपके शरीर में बिलकुल वैसी ही होती है जैसे हाइपरसेंसिटिव की दवाओं की होती है। 

5. इसमें फ्लवोनॉइड्स और आइसोफ्लेवोनॉइड्स होते हैं 

टोफू में मौजूद फ्लेवोनॉइड्स और आइसोफ्लेवोनॉइड्स अच्छे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं और यह शरीर में संभावित रोगों के लिए फायदेमंद हैं। गर्भावस्था के दौरान और बाद में इसे खाने से बच्चा डायबिटीज और ओबेसिटी से सुरक्षित रहता है। 

6. यह कैंसर से सुरक्षित रखता है 

इसमें बायो कंपाउंड भी होते हैं जिन्हें जेनिस्टीन कहा जाता है। इसे खाने से ब्रैस्ट कैंसर होने का खतरा कम होता है। 

7. वजन कम करने में मदद करता है 

टोफू में कैलोरी कम और सब्जियों में पाया जाने वाला प्रोटीन बहुत ज्यादा होता है जो लंबे समय तक आपके पेट को भरा रखता है और क्रेविंग्स को कम करता है। 

8. इससे दिल के रोगों का खतरा कम होता है 

टोफू में ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होता है जो आपके शरीर में संभावित ब्लड क्लॉटिंग से बचाने में मददगार होता है जिससे आर्टरीज ब्लॉक नहीं होती हैं। इसके अलावा इसमें पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो शरीर में सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है। 

9. इससे बाल बढ़ते हैं

केराटिन एक आवश्यक प्रोटीन है जो बालों के लिए बहुत अच्छा होता है। यह प्रोटीन टोफू में अधिक होता है जिससे बाल बढ़ने और इन्हें हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है। 

गर्भावस्था के दौरान टोफू खाने के खतरे

गर्भावस्था के दौरान किसी भी खाद्य पदार्थ को संयमित मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है ताकि अधिक खाने से आपको कोई भी समस्या न हो। इस समय आपको अपने आहार पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान टोफू खाने से संबंधित निम्नलिखित खतरों को ध्यान में रखें और इसका सेवन कम से कम करें, आइए जानें;

  • फाइटिक एसिड के प्रभाव होते हैं 

फाइटिक एसिड में सोया होता है जो आवश्यक मिनरल्स, जैसे कैल्शियम, आयरन, कॉपर, मैगनीज और जिंक को आपकी आंतों में अब्सॉर्ब होने से रोकता है। इससे अच्छी तरह फर्मेन्टेड किए गए खाद्य पदार्थ प्रभावित होते हैं क्योंकि यह फाइटिक एसिड की मात्रा को कम कर देता है। 

  • एंटी-न्यूट्रिएंट्स की वजह से प्रोटीन के पाचन में बिगाड़  

सोया में एंटी-न्यूट्रिएंट्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जो शरीर में पाचन के एन्जाइम्स को एकत्रित करते हैं। प्रोटीन को पचाने वाले एन्जाइम्स इन्हिबिटर में एक एंटी-न्यूट्रिएंट होता है जिसे ट्रिप्सिन कहते हैं और यह प्रोटीन के पाचन और अब्सॉर्प्शन को प्रभावित करता है। गर्भवती महिलाओं के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी है और इसके अब्सॉर्प्शन में किसी भी तरह की बाधा पहुँचाने की रेकमेंडेशन नहीं दी जाती है। 

  • एल्युमिनियम की मात्रा अधिक होती है 

टोफू सोया का प्रोडक्ट है और इसे खाने से गर्भावस्था के दौरान महिला में एल्युमिनियम की मात्रा बढ़ने का खतरा होता है। एल्युमिनियम से बच्चे के मस्तिष्क में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं। 

यदि गर्भावस्था के दौरान आप टोफू का सेवन संयमित मात्रा में करती हैं तो यह आपके लिए सबसे ज्यादा न्युट्रिश्यस फूड्स में से एक साबित होगा। हालांकि बहुत ज्यादा टोफू खाने से आपको गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे प्रोटीन को पचाने में कठिनाई होती है, पैन्क्रिया में विकार होता है, डायरिया और कब्ज भी हो सकता है। 

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