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ब्रीदिंग और रिलैक्सेशन यानी सांस लेने और रिलैक्स करने की तकनीक महिलाओं को डिलीवरी के दौरान लेबर के तनाव और थकान से निपटने में मदद करती है। ये बहुत ही स्वाभाविक है कि महिलाएं इस प्रक्रिया के दौरान बहुत घबरा जाती हैं। इसके बजाय अगर आप पैटर्न ब्रीदिंग पर ध्यान देंगी, तो लेबर के दौरान आपके शरीर का कंट्रोल भी बना रहेगा और ये प्रक्रिया आपके लिए आसान भी हो जाएगी।
जैसे ही किसी महिला को लेबर का दर्द शुरू होता है, तो उस समय घबराहट के कारण तनाव बढ़ जाता है। जिसकी वजह से महिला तेज-तेज गहरी सांसे लेने लगती है। ऐसा करने से शरीर थक जाता है और प्रसव से जुड़े जोखिम बढ़ जाते हैं।
डॉक्टरों के अनुसार, प्रसव के दौरान कंट्रोल ब्रीदिंग और रिलैक्सेशन से माँ के लिए ये लेबर की प्रक्रिया कम मुश्किल हो सकती है। ऐसा माना गया है कि सांस लेने और रिलैक्स करने की सही तकनीक प्रसव पीड़ा की तीव्रता को काफी कम कर सकती है। इसके अलावा, प्रसव के दौरान धीमी गति से सांस लेने वाली इस एक्सरसाइज से महिलाओं को अपने शरीर पर अधिक नियंत्रण रखने और कॉन्ट्रैक्शन को बनाए रखने में मदद मिलती है।
रिलैक्सेशन के लिए पैटर्न ब्रीदिंग तकनीक को अपनाने की सबसे ज्यादा सलाह दी जाती है, जिससे महिलाओं का लेबर के दौरान अपने शरीर पर बेहतर नियंत्रण रहता है। नीचे दी गई किसी भी तकनीक का उपयोग करके महिलाएं अपने आप को फोकस रख सकती हैं और दर्द के दौरान उन्हें सांस लेने में परेशानी भी नहीं होती है।
यह तरीका मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से दोनों स्तर पर काम करता है। रिलैक्स शब्द दो अक्षरों से बना है रि और लैक्स। इन अक्षरों को मन में सांस लेते वक्त दोहराएं। जब आप सांस लें तो रि बोले और जब सांस छोड़ें तो लैक्स बोलें। इस मेथड को अपनाकर आप अपने शरीर और तनावग्रस्त मांसपेशियों को रिलैक्स महसूस करा सकती हैं ।
इस आसान मेथड में, आप धीरे-धीरे तीन से चार तक की संख्या गिनें या जब तक सांस लेना चाहती हैं तब तक नंबर काउंट करें और ऐसे ही सांस छोड़ते समय भी करें। ऐसा बार-बार दोहराएं और और सांस छोड़ते समय हर बार एक नंबर एक्स्ट्रा गिनती जाएं । उदाहरण के लिए, यदि आप तीन तक सांस ले रही हैं, तो चार पर सांस छोड़ें।
ये नेचुरल लेबर के लिए सांस लेने की सबसे आसान तकनीकों में से एक है। नाक से सांस लें और मुँह से धीरे से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया के दौरान जब आप सांस लेंगी तो उस समय “ऊऊह” और सांस छोड़ते समय “आआआआआह” जैसी ध्वनि निकलेगी।
लेबर के दर्द में रिलैक्सेशन तकनीक आपके दिमाग और शरीर को शांत रखने में मदद करती है और मांसपेशियों के तनाव को दूर करती है। आपकी पसंद के आधार पर कई तरीके आजमाए जा सकते हैं जैसे:
लेबर के शुरुआती स्टेज के दौरान जो भी आपकी डिलीवरी करने जा रहा हो उसके द्वारा की जाने वाली हल्की मालिश से आपको काफी आराम मिलेगा। कंधे, पीठ, जांघों और कूल्हों की मालिश करने से मांसपेशियों का तनाव कम होता है और आपको रिलैक्स महसूस होता है।
यह तरीका भी काफी लोकप्रियता प्राप्त कर चुका है, जो लेबर पेन के दैरान पड़ने वाले प्रेशर से राहत देता है, शॉवर की गर्मी से प्रसव पीड़ा को कम किया जाता है। दूसरे चरण में बर्थिंग टब की को शामिल किया जाता है।
हम जो देखते हैं, सुनते हैं और सूंघते हैं, वह हमारी भावनाओं को गहराई से प्रभावित कर सकता है। हल्की रौशनी के साथ रिलैक्स माहौल और अच्छी सुगंध बच्चे को आसानी से जन्म देने में मदद करते हैं। आप लेबर के दौरान धीमा संगीत भी चला सकती हैं जिससे आपका फोकस बना रहने में मदद मिलेगी।
रिफ्लेक्सोलॉजी में शरीर के अन्य हिस्सों में तनाव या दर्द को दूर करने के लिए पैरों के विशेष बिंदुओं पर प्रेशर या स्ट्रोक दिया जाता है। यह नर्व एंडिंग को उत्तेजित करने के लिए होता है, जो दर्द को नियंत्रित करने वाले एंडोर्फिन और मोनोमाइन हार्मोन रिलीज करता है।
इस तरीके का मोल विचार “माइंड ओवर मैटर” है। आप अपने शरीर के उन हिस्सों पर ध्यान दें जो तनावग्रस्त हों या जिनमें दर्द हो रहा हो और उनको इग्नोर करना शुरू कर दें जो टेंशन का कारण बन रहे हों। आपको यह सोचना होगा कि आपका शरीर दर्द और स्ट्रेस फ्री है तो आपको अपने आप ही रिलैक्स महसूस होगा।
रिदमिक ब्रीदिंग आपके और आपके बच्चे के लिए उपलब्ध ऑक्सीजन को बढ़ाने में मदद करती है। ब्रीदिंग तकनीक लेबर के दौरान आपको पैनिक होने से रोकती है और मांसपेशियों में होने वाले तनाव को भी कम करती है। कॉम्प्लिकेशन के बिना ये आपकी लेबर प्रक्रिया को आसान करती है और आपकी एनर्जी को भी बचा कर रखती है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज आपमें लंबे समय तक एनर्जी बनाए रखती है।
जब आप अपने नॉर्मल ब्रीदिंग पैटर्न को नोटिस करती हैं, तो आप देखती हैं कि यह रिदमिक है। लेबर के दौरान आपको इस ब्रीदिंग पैटर्न को आजमाना चाहिए। स्ट्रेस में होने पर, रिलैक्स होने के लिए सांस छोड़ने की अवधि को बढ़ाएं।
पैटर्न ब्रीदिंग शुरू करने के लिए, प्रत्येक संकुचन की शुरुआत और अंत में एक गहरी सांस लें। यह व्यवस्थित श्वसन आपको ऑक्सीजन की पूर्ति करता है और एक रिदम स्थापित करता है।
आपके आराम के आधार पर पहले चरण के दौरान तीन प्रकार की ब्रीदिंग पैटर्न का उपयोग किया जा सकता है।
सर्विक्स पूरी तरह से फैल जाता है, तो आप लेबर के दूसरे चरण के लिए इस इस ब्रीदिंग तकनीक को अपना सकती हैं।
एक्सपल्शन ब्रीदिंग: कॉन्ट्रैक्शन शुरू होते ही सांस लें और मॉनिटर की मदद से बच्चे को नीचे की ओर आते हुए देखें। कॉन्ट्रैक्शन शुरू होने पर पहले धीरे धीरे सांसे लेना शुरू करें। जब आप पुश न कर पा रही हों, तब आप गहरी सांसे लेना शुरू करें और ठोड़ी को छाती से लगाएं और शरीर को मोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। इस पोजीशन में अपनी सांस रोककर रखें, धीरे-धीरे सांस छोड़ें। पेल्विक फ्लोर को रिलैक्स करना बहुत जरुरी है, ताकि पेरिनेम में किसी तनाव के बगैर बच्चे को बाहर आ सके। 5-6 सेकंड के बाद सांस छोड़ें और रिलैक्स होने के लिए सांस लें और छोड़ें। जैसे ही कॉन्ट्रैक्शन फिर से शुरू होने लगे ये प्रक्रिया फिर से दोहराएं।
लेबर के दोनों स्टेज के दौरान, ऐसा समय आएगा जब आपसे दर्द सहन नहीं होगा और आप पुश करना चाहेंगी, लेकिन यह सही समय नहीं है। इस अवस्था में ज्यादा तनाव आपकी सांसों को अनियमित कर सकता है। गलत समय पर सांस को रोककर रखने से अनावश्यक दबाव पड़ता है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसे कि अपनी ठोड़ी को ऊपर उठाना, फूंक मारना और हांफना इसे कम कर सकता है और गलत समय पर पुश करने से बचा सकता है।
सांस लेने और रिलैक्स होने की तकनीक से आपको अपने लेबर के दर्द को कम करने में मदद मिलती है । आपके डॉक्टर भी आपको इस तकनीक के बारे में बता सकती हैं ताकि आपको कम से कम दर्द का सामना करना पड़े।
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