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मिसकैरेज पति-पत्नी के लिए कठिन होता है और अगर यह गर्भावस्था का काफी समय बीत जाने के बाद हो तो बहुत निराशाजनक भी हो सकता है। गर्भावस्था के शुरुआती समय में मिसकैरेज होना आम है। लेकिन अगर यह 13वें और 20वें सप्ताह के बीच हो, तो इसे लेट मिसकैरेज कहा जाता है। गर्भावस्था के बाद के चरण में होने वाला गर्भपात न केवल दुर्लभ है, बल्कि यह मां पर शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से गंभीर प्रभाव डालता है। लेट मिसकैरेज के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लेख को आगे पढ़ें।
गर्भधारण के 20 सप्ताह के अंदर बच्चे की मृत्यु हो जाने को मिसकैरेज कहा जाता है। ज्यादातर मिसकैरेज गर्भावस्था की पहली तिमाही में होते हैं, यानी प्रेगनेंसी के 13 सप्ताह के अंदर, जब फीटस गर्भाशय से बाहर आ जाता है। यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे गर्भस्थ शिशु का विकास सही तरह से न होना। दूसरी तिमाही में गर्भपात होना दुर्लभ है और इसके होने का कारण प्लेसेंटा या सर्विक्स में कोई समस्या, टॉक्सिन से संपर्क, या मां का खराब स्वास्थ्य भी हो सकता है।
मिसकैरेज आम होते हैं और लगभग 80% मिसकैरेज गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान होते हैं। लेकिन लेट मिसकैरेज या दूसरी तिमाही में होने वाला गर्भपात दुर्लभ होता है और यह 100 में से केवल 1 गर्भावस्था में देखा जाता है। हालांकि आज काफी बेहतर मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध है, लेकिन जीवन शैली और वातावरण में बदलाव के कारण हाल में गर्भपात के मामले काफी बढ़ गए हैं।
12 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद होने वाले मिसकैरेज के संकेत और लक्षण विभिन्न कारणों से हर महिला में अलग हो सकते हैं। हालांकि लेट मिसकैरेज के सबसे आम संकेत और लक्षण इस प्रकार हैं:
लेट मिसकैरेज दर्द भरा होता है और इस दर्द को कम करने के लिए दर्द निवारक के इस्तेमाल की जरूरत पड़ सकती है
लेट मिसकैरेज दुर्लभ तो होता है, पर यह संभव होता है और इसके पीछे कोई विशेष कारण नहीं होता है। लेट मिसकैरेज के सटीक कारण की जानकारी उपलब्ध नहीं है। दूसरी तिमाही में मिसकैरेज के कई कारण होते हैं, जिन्हें मां की मेडिकल स्थिति से जोड़ा जा सकता है। लेट मिसकैरेज के कारणों को समझना और ऐसी स्थिति से बचाव के लिए सावधानी बरतना जरूरी है। यहां पर कुछ बातें दी गई हैं, जिनके कारण मिसकैरेज का अनुभव हो सकता है:
मिसकैरेज की पहचान आमतौर पर अल्ट्रासाउंड के द्वारा की जाती है। गर्भस्थ शिशु की मृत्यु के मामले में अल्ट्रासाउंड में बच्चे की हृदय की एक्टिविटी नहीं नजर आती है। जब गर्भ में शिशु की हलचल का एहसास बंद हो जाए, तब यह टेस्ट किया जाना चाहिए।
दूसरी तिमाही में बच्चे की मृत्यु पेरेंट्स के लिए तनावपूर्ण और भावनात्मक आघात की तरह हो सकती है। गर्भस्थ शिशु की मृत्यु के मामले में ऐसी कई सर्जरी हैं, जिनके द्वारा लेबर को उत्पन्न किया जा सकता है और शिशु को गर्भ से बाहर निकाला जा सकता है।
ऐसे कई लक्षण हैं, जो मिसकैरेज के बाद दिख सकते हैं। लेट मिसकैरेज के बाद लगातार ब्लीडिंग हो सकती है, दर्द और तकलीफ के कारण अत्यधिक थकावट का एहसास हो सकता है और अन्य शारीरिक बदलाव भी हो सकते हैं, जिनमें रिकवरी के लिए खास देखभाल की जरूरत पड़ सकती है।
एक लेट मिसकैरेज के बाद, आप डॉक्टर को समस्या का वास्तविक कारण बताने की रिक्वेस्ट कर सकती हैं। डॉक्टर आपको इसका कारण समझने में मदद कर सकते हैं और भविष्य की गर्भावस्था में इस स्थिति से बचने के तरीके भी बता सकते हैं।
आमतौर पर 24 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले बच्चे की मृत्यु को रजिस्टर करने की जरूरत नहीं होती है। स्थानीय कानून के आधार पर यह नियम भिन्न हो सकता है। लेकिन यदि पेरेंट्स बच्चे की आधिकारिक पहचान को जरूरी मानते हैं, तो हॉस्पिटल एक बर्थ सर्टिफिकेट जारी कर सकता है।
कई हॉस्पिटल आसान तरीके से दफनाने या दाह संस्कार करने की सुविधा देते हैं। हालांकि यह कानूनी रूप से जरूरी नहीं होता है।
शरीर की फिजिकल रिकवरी प्रेगनेंसी के स्टेज और अनुभव किए गए मिसकैरेज के प्रकार के ऊपर निर्भर करती है। शरीर बहुत जल्दी ठीक हो सकता है या इसमें कई सप्ताह का समय भी लग सकता है।
मिसकैरेज के बाद आपको पीरियड जैसी ब्लीडिंग और दर्द का अनुभव हो सकता है और रिकवरी के दौरान शारीरिक थकावट का अनुभव होता है।
डॉक्टर से नियमित परामर्श लेना और रिकवरी की करीबी जांच को मॉनिटर करना जरूरी है। रिकवरी के दौरान आपके ब्रेस्ट दूध बनाना शुरु कर सकते हैं और यह निराशाजनक हो सकता है। अगर इसमें दर्द हो, तो इसके निवारण के लिए आप अपने डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं।
अगर आप एक वर्किंग वुमन हैं, तो काम पर लौटने के लिए आपको डॉक्टर से सही समय के बारे में बात करनी चाहिए।
लेट मिसकैरेज के बाद शारीरिक देखभाल के साथ-साथ भावनात्मक सपोर्ट देना भी उतना ही जरूरी है। आपको कई तरह की भावनाओं का अनुभव हो सकता है, जिनमें गुस्सा, निराशा, अपराध बोध, दुख और ईर्ष्या शामिल हैं। इस स्थिति से रिकवर होने के लिए, सही तरीकों को समझना जरूरी है। जहां कुछ महिलाओं को अपनी स्थिति के बारे में दूसरों से बात करके मदद मिल सकती है, वहीं कई महिलाएं इसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहती हैं और इसे भूलकर आगे बढ़ना चाहती हैं।
आप अपने डॉक्टर से ऐसे काउंसलिंग सेशन या सपोर्ट ग्रुप के बारे में जानकारी ले सकती हैं, जो मिसकैरेज के बाद लोगों को सपोर्ट देने में विशेषज्ञ होते हैं। जो महिलाऐं अतीत में मिसकैरेज से गुजर चुकी हैं, उनसे मिलकर आपको बेहतर महसूस होगा, क्योंकि वे आपकी स्थिति और भावनाओं को समझ सकती हैं और आपको सामान्य जीवन की ओर लौटने में सहयोग कर सकती हैं।
दूसरी बार मिसकैरेज होने की संभावना कम होती है और ज्यादातर महिलाएं केवल एक बार ही इसका अनुभव करती हैं। हालांकि यह मुख्य रूप से आपकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है और दोबारा गर्भधारण के प्रयास से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना और टेस्ट करवाना जरूरी है। मिसकैरेज के बाद स्वस्थ गर्भावस्था सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर आपको सही सलाह भी देंगे।
ज्यादातर गर्भपात आनुवंशिक असामान्यता के कारण होते हैं और इन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। मिसकैरेज की संभावना को कम करने के लिए जरूरी सावधानियां बरतना ही एकमात्र तरीका है।
उचित एक्सरसाइज, संतुलित भोजन, शराब और ड्रग्स से दूरी, कैफीन का सीमित सेवन, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर का नियंत्रित स्तर, ऐसी कुछ सावधानियां हैं, जिनका ध्यान रखकर मिसकैरेज की संभावना को कम किया जा सकता है।
स्टडीज के अनुसार 5% से भी कम महिलाएं दो बार गर्भपात का अनुभव करती हैं और इसलिए मिसकैरेज के बाद गर्भधारण के लिए प्रयास करना सुरक्षित होता है। लेकिन यदि आप लेट मिसकैरेज के बाद फिर से प्रयास कर रही हैं, तो निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना जरूरी है:
इन सबके अलावा एक सुरक्षित प्रेगनेंसी के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना और अपनी प्रेगनेंसी को लगातार मॉनिटर करना बहुत जरूरी है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी किसी प्रोफेशनल मेडिकल सलाह, जांच या इलाज का विकल्प नहीं है और ना ही यह इसका प्रयास करती है। स्वस्थ और सुरक्षित गर्भावस्था सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कदम उठाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लेना न भूलें।
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