मां और बेबी के लिए नॉर्मल डिलीवरी के फायदे

मां और बेबी के लिए नॉर्मल डिलीवरी के फायदे

जब महिलाएं वेजाइनल बर्थ से जुड़े दर्द को लेकर चिंतित होती हैं या किसी मेडिकल स्थिति का सामना कर रही होती हैं, तब वे सी-सेक्शन डिलीवरी का चुनाव करती हैं। चूंकि, सिजेरियन की प्रक्रिया कम दर्द और आसान डिलीवरी का दावा करती है, इसलिए यह महिलाओं और डॉक्टरों की पहली पसंद बनता जा रहा है। लेकिन मां और शिशु के लिए प्राकृतिक तरीके से जन्म के कई फायदे होते हैं। हम अक्सर यह भूल जाते हैं, कि महिला का शरीर कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है, कि वह नॉर्मल डिलीवरी करा सके और इसलिए नेचुरल डिलीवरी का चुनाव एक बेहतरीन निर्णय हो सकता है। 

वेजाइनल (नॉर्मल) डिलीवरी के फायदे

वेजाइनल (नॉर्मल) डिलीवरी के फायदे

मां के लिए

कई पीढ़ियों से महिलाएं प्राकृतिक रूप से बच्चों को जन्म देती आ रही हैं। बच्चे को जन्म देना एक प्राकृतिक अनुभव है और यह निश्चित रूप से प्राकृतिक रूप से बच्चे के जन्म के कई फायदों में से एक है। यहां पर कुछ अन्य फायदे दिए गए हैं:

  1. तेज रिकवरी

जो मांएं नॉर्मल डिलीवरी का चुनाव करती हैं, वे सी-सेक्शन का चुनाव करने वाली महिलाओं की तुलना में कई गुना तेजी से रिकवर होती हैं। आमतौर पर, वे डिलीवरी के कुछ घंटों के अंदर ही खड़ी हो सकती हैं और बिना किसी सहयोग के चल-फिर सकती हैं। डिलीवरी के दौरान शरीर में एंडोर्फिन नामक हॉर्मोन रिलीज होता है। यह हॉर्मोन दर्द निवारक के रूप में काम करता है और दर्द से जूझने में शरीर की मदद करता है। इसकी तुलना में सिजेरियन सेक्शन के मामलों में ठीक होने में 4 से 5 सप्ताह का समय लग सकता है और अंदरूनी टांकों को पूरी तरह से ठीक होने में 6 महीनों तक का समय भी लग सकता है और इस समय के दौरान मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है। 

  1. पूरी प्रक्रिया से बेहतर रूप से संबंधित होना

वेजाइनल डिलीवरी में असुविधा को कम करने के लिए या दर्द से राहत पाने के लिए दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। मां सचेत होती है और उसे पूरी प्रक्रिया की जानकारी होती है। इस प्रकार वह बच्चे को जन्म देने की पूरी प्रक्रिया का करीबी अनुभव ले पाती है। वहीं दवाओं के इस्तेमाल से मां इस प्रक्रिया से वंचित रह जाती है और उसे अपने बच्चे के साथ पहले इंटरेक्शन का अनुभव उसे नहीं हो पाता है। 

  1. हॉस्पिटल में रुकने की छोटी अवधि

अगर मां ने प्राकृतिक डिलीवरी से बच्चे को जन्म दिया हो, तो डिलीवरी के बाद 2 दिनों के अंदर ही उसे हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाती है। इससे उन लोगों को फायदा होता है जो आर्थिक रूप से अधिक मजबूत नहीं होते हैं और हॉस्पिटल में लंबे समय तक रहने का खर्च नहीं उठा सकते हैं। सी-सेक्शन डिलीवरी में कम से कम 3 से 4 दिनों के लिए हॉस्पिटल में रहना पड़ता है और वह भी मेडिकल निगरानी के अंदर। 

  1. कम से कम दर्द

चूंकि नॉर्मल डिलीवरी में लंबे चीरे या कट नहीं होते हैं, इसलिए नॉर्मल डिलीवरी के बाद बहुत कम दर्द होता है और ठीक होने में भी कम समय लगता है। 

  1. इन्फेक्शन या जटिलताएं ना होना

वेजाइनल बर्थ के मामलों में मां को किसी तरह के संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है। लेकिन, सिजेरियन डिलीवरी में घाव और गर्भाशय की परत या यूरिनरी ट्रैक्ट का संक्रमण हो सकता है। साथ ही सी-सेक्शन में चिपकने के मामले बहुत अधिक होते हैं, जिसमें अंदरूनी अंग आपस में चिपक जाते हैं या मिल जाते हैं। 

  1. एनेस्थीसिया का खतरा न होना

एक नॉर्मल डिलीवरी में लोकल एनेस्थीसिया (एलए) की जरूरत होती है और यह स्पाइनल और जनरल एनेस्थीसिया से जुड़े खतरों से दूर होता है। मतली, लो ब्लड प्रेशर, सिरदर्द और यहां तक कि नर्व डैमेज भी सी-सेक्शन के दौरान दिए जाने वाले एनेस्थीसिया के आम साइड इफेक्ट होते हैं। एनेस्थीसिया किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया का एक जरूरी हिस्सा होता है और अगर इसे सही तरह से न दिया जाए, तो इससे समस्या उत्पन्न हो सकती है। 

  1. तुरंत देखभाल की शुरुआत

जो महिलाएं सामान्य डिलीवरी का चुनाव करती हैं, वे तुरंत सामान्य जीवन जीने में सक्षम होती हैं। वे मालिश करवा सकती हैं और उन्हें इसके लिए बाहरी घाव की देखभाल की कोई जरूरत नहीं होती है। तुरंत देखभाल मिलने से मां को अपने शरीर की मजबूती और आकार वापस मिलने में मदद मिलती है, कमर का दर्द कम होता है और दूध का भी बेहतर उत्पादन होता है। वहीं जो महिलाएं सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम से बच्चों को जन्म देती हैं, उन्हें डिलीवरी के बाद की देखभाल को शुरू करने के लिए घाव के ठीक होने तक इंतजार करना पड़ता है। 

  1. भविष्य की गर्भावस्थाएं इससे प्रभावित नहीं होती हैं

वेजाइनल डिलीवरी से यह सुनिश्चित हो जाता है, कि भविष्य की आपकी गर्भावस्थाएं किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होंगी, क्योंकि इसमें सी-सेक्शन के मामलों में होने वाले यूटरिन स्कार और प्लेसेंटा प्रीविया के बारे में नहीं सोचना पड़ता है। अगर महिला की पहली डिलीवरी सी-सेक्शन हो, तो अगली गर्भावस्था में यूटरिन स्कार के फटने का खतरा होता है। अगर महिला की एक डिलीवरी सी-सेक्शन हुई हो, तो उसकी अगली डिलीवरी भी सी-सेक्शन होने की संभावना बहुत अधिक होती है (हालांकि सिजेरियन सेक्शन के बाद नार्मल डिलीवरी के कई मामले देखे गए हैं)।

बच्चे के लिए

नॉर्मल डिलीवरी ना केवल मां के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह बच्चे के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। आइए देखते हैं कैसे:

  1. श्वसन संबंधी समस्याओं का कम खतरा

जब बच्चा बर्थ कैनाल से गुजरता है, तो उसका थ्रोक्स (छाती का हिस्सा) संकुचित होता है। इससे छाती से एमनियोटिक फ्लूइड खाली होने में मदद मिलती है। नेचुरल लेबर के दौरान रिलीज होने वाले हॉर्मोन और बर्थ कैनाल के द्वारा बच्चे की मूवमेंट के कारण उसके फेफड़े साफ हो जाते हैं। चूंकि ये दोनों ही एक्शन प्राकृतिक रूप से सांस लेने में फेफड़ों को तैयार करते हैं, ऐसे में रेस्पिरेटरी समस्याओं का खतरा बड़े पैमाने पर कम हो जाता है। 

  1. बीमारियों से प्राकृतिक सुरक्षा

जो बच्चे वेजाइना के द्वारा जन्म लेते हैं, उन्हें माइक्रोबायोम मिल जाता है। यह एक ऐसा सुरक्षात्मक बैक्टीरियम होता है, जो कि बर्थ कैनाल में उनकी यात्रा के दौरान मां से मिलता है। यह बच्चे को कई तरह की बीमारियों से सुरक्षित रखता है और साथ ही इम्यून सिस्टम को भी शक्तिशाली बनाने में मदद करता है। 

  1. एनेस्थीसिया के कोई भी साइड इफेक्ट न होना

वेजाइनल डिलीवरी में एनेस्थीसिया की जरूरत नहीं होती है और इससे बच्चा इसके साइड इफेक्ट से बच जाता है। 

  1. ब्रेस्टफीडिंग में देर न होना

जो महिलाएं सिजेरियन सेक्शन के द्वारा बच्चे को जन्म देती हैं, वे डिलीवरी के तुरंत बाद बच्चे को दूध पिलाने में सक्षम नहीं होती हैं। उन्हें सर्जरी से खुद को रिकवर होने में समय लगता है। सर्जरी के कारण वे आरामदायक पोजीशन में नहीं बैठ पाती हैं और इसलिए उन्हें ब्रेस्टफीडिंग की शुरुआत करने में समय लगता है। प्राकृतिक डिलीवरी में मां बच्चे को लगभग तुरंत ही दूध पिलाना शुरू कर सकती है। शुरुआती 2 से 3 घंटों के दौरान बच्चे की निप्पल चूसने की इच्छा काफी प्रबल होती है। इससे बिना किसी विलंब के सही तरह से लैचिंग करने में बच्चे को सुविधा होती है। 

  1. बेहतर एपीजीएआर स्कोर

एक एपीजीएआर स्कोरिंग टेस्ट एक नवजात शिशु का पहला हेल्थ टेस्ट होता है। इस जांच के द्वारा बच्चे की शारीरिक स्थिति देखी जाती है। इससे बच्चे की बनावट, गतिविधि, संवेदनशीलता, सांस और हृदय गति की जांच की जाती है। इस टेस्ट में सामान्य डिलीवरी से जन्म लेने वाले बच्चे बेहतर अंक पाते हैं। सी-सेक्शन प्राकृतिक डिलीवरी में प्राप्त होने वाले नेचुरल स्टिमुलेशन से वंचित रह जाता है और एनेस्थीसिया का इस्तेमाल भी कम अंक का कारण बनता है। 

  1. बच्चे का जन्म समय पूर्ण होने पर होता है

ज्यादातर मांएं डॉक्टर के द्वारा बताई गई सटीक तारीख पर बच्चे को जन्म नहीं देती हैं, या तो वह पहले जन्म देती हैं या फिर बाद में। जब प्राकृतिक रूप से लेबर की शुरुआत होती है, तो मां को पता होता है, कि बच्चा इस दुनिया में आने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है। बच्चे के फेफड़े और हृदय जैसे सभी जरूरी अंग बिल्कुल तैयार हैं और उन्हें जीवित रहने के लिए बाहरी सहयोग या मेडिकल सहयोग की जरूरत नहीं है। सर्जिकल प्रक्रिया से जन्म लेने वाले बच्चे प्रीमैच्योर हो सकते हैं, खासकर अगर उनकी ड्यू-डेट गलत हो तो। 

अगर किसी तरह की मेडिकल समस्या न हो और डॉक्टर ने सी-सेक्शन की सलाह न दी हो, तो वेजाइनल डिलीवरी का चुनाव ना करने का कोई कारण नहीं दिखता है। यह सी-सेक्शन से कहीं अधिक सुरक्षित होता है और यह डिलीवरी का सबसे प्रैक्टिकल तरीका साबित हो चुका है। नॉर्मल डिलीवरी के बाद आप और आपका बच्चा दोनों ही शारीरिक और मानसिक रूप से एक बेहतर स्थिति में होते हैं। 

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