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चिंता व एंग्जायटी भावनाओं का एक जाल होता है, जीवन में हर एक व्यक्ति इस कठिन परिस्थिति से एक न एक बार तो जरूर गुजरता है – कभी परीक्षा से पहले, किसी इंटरव्यू से पहले या फिर बड़े निर्णय पर आधारित किसी विशेष मुलाकात से पहले – अनिश्चितता और डर की यह भावना, जीवन में हम सबने एक्सपीरियंस की है। किसी अज्ञात चीज का डर – चिंता या एंग्जायटी इसी को कहते हैं।
ज्यादातर लोगों की अनेक चिंताएं जल्दी खत्म नहीं होती। कुछ परिस्थितियां, स्थान, आदतें और पल एक अनजान डर पैदा करती है। यह डर बहुत तेजी से बढ़ता है और इसकी वजह से शरीर रिएक्शन करता है। जब यह रिएक्शन अनेक बार हो या फिर किसी एक ही परिस्थिति में हो तो इसे एंग्जायटी-डिसऑर्डर कहा जाता है और इस विकार में किसी भी व्यक्ति के जीवन को बदल देने की क्षमता होती है। कुछ परिस्थितियों में यह रिएक्शन एंग्जायटी अटैक के रूप में होता है।
अगर आसान शब्दों में कहा जाए तो यह एक दिमाग में लगातार चल रही डर की भावनाओं की प्रतिक्रिया है। आइए, इसे उदाहरण के साथ समझते हैं;
परिदृश्य 1 –
इंटरव्यू में जाने से पहले एक व्यक्ति के मन में बहुत सारी बातें चल रही होती हैं क्योंकि वह परेशान है। उसके पास अनेक सवाल हैं, जैसे वह इंटरव्यू का सामना कैसे करे? वह अपने बॉस को कैसे प्रभावित करेगा? नाखूनों को चबाना और बैठे – बैठे पैरों को हिलाते रहने से पता लगता है कि वह व्यक्ति इंटरव्यू के डर से बेचैन है। इस परिस्थिति में ऐसा हो सकता है कि वह किसी बेहद बुरी स्थिति के बारे में सोच ले – और ‘दिमाग में सबसे पहली बात यह आती है कि मैं यह इंटरव्यू में असफल हो जाऊँगा और यह नौकरी नहीं मिलेगी’। खुद को एक बुरी अवस्था से बाहर निकालने का यह एक बेहतरीन तरीका है। जब आप खुद को खराब स्थिति में पाते हैं तो आपको चाहिए कि आप खुद से बात करें, इस कारण आप स्वयं पर कोई दबाव नहीं डालेंगे और आपके दिमाग की नसें शांत रहेंगी। इस तरह से आप सामान्य चिंता में खुद को स्थिर बनाए रख सकते हैं।
परिदृश्य 2 –
इंटरव्यू में जाने से पहले, एक व्यक्ति के मन में बहुत सारे सवाल उत्पन्न होते हैं, किंतु वे सारे सवाल उस व्यक्ति को परेशान करते हैं। वह सोचता है कि उसने अपने आखिरी इंटरव्यू में किस प्रकार से गड़बड़ की थी और फौरन वह इस नतीजे पर पहुँचता है कि वो यह इंटरव्यू नहीं निकाल पाएगा और उसे यह नौकरी नहीं मिलेगी क्योंकि वह ठीक तरह से बोल नहीं पाया या उसने कपड़े ढंग से नहीं पहने हैं आदि। व्यक्ति की सोच कुछ इस प्रकार से हो जाती है कि इस इंटरव्यू में भी वह गड़बड़ी करेगा क्योंकि उसने ढंग से पढ़ाई नहीं की है या उसने समय पर बाल नहीं कटवाए इत्यादि।
जिस कंपनी में आप इंटरव्यू देने जा रहे हैं, अगर आप उस कंपनी के बारे में नहीं जानते तो इंटरव्यू लेने वाला यह जान जाएगा कि आप इस नौकरी के लिए उतना उत्साहित नहीं हैं जितना होना चाहिए, जिस कारणवश वह नौकरी आपको नहीं मिलेगी। अगर आप कहीं और भी इंटरव्यू नहीं दे रहे हैं तो आप हमेशा नौकरी रहित ही रहेंगे क्योंकि आप आलसी और अक्षम हैं। ऐसी सोच लगातार भ्रमित करती है और इससे कुछ भी न कर पाने का डर उत्पन्न होता है। नकारात्मक सोच का परिणाम शारीरिक स्थिति पर भी पड़ता है, जैसे निरंतर रोना, हांफना, चक्कर आना आदि, यह मानसिक व्यग्रता की शुरुआत है।
हम देख सकते हैं कि हमारे खाली दिमाग में मानसिक व्यग्रता का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है, इसका प्रभाव लगातार हमारे दिमाग में चल रहे विचारों के अनुकूल ही रहता है जो हमारे जीवन में घटित कुछ घटनाओं की वजह से उत्पन्न होते हैं। इस मानसिक स्थिति में किसी भी व्यक्ति का दिमाग, पूर्ण-रूप से अस्त-व्यस्त हो जाता है और इसका कारण अज्ञात डर और दिमाग में चल रहे अलग-अलग तरह के विचार और उनके परिणाम हैं। लगातार व अनियंत्रित मानसिक व्यग्रता होना किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत हानिकारक है और इस वजह से किसी भी व्यक्ति के व्यवहार में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं, जैसे – एगोराफोबिया (भीड़ से डर लगना), हाइपोकोंड्रिया, अवसाद और चिंता।
मानसिक व्यग्रता से शारीरिक व मानसिक थकावट उत्पन्न होती है और यह दिमागी स्थिति डरावनी भी हो सकती है। इस समस्या को दूर करने के कुछ उपाय हैं और इन उपायों को ग्राउंडिंग तकनीक के नाम से जाना जाता है।जब भी आपको मानसिक व्यग्रता का प्रभाव महसूस हो या फिर आप इस समस्या से ग्रसित हों, कुछ तरीकों से आप इसका प्रभाव कम भी कर सकते हैं।
ग्राउंडिंग एक प्रकार की प्रक्रिया है जिसकी मदद से आप अपने दिमाग में चल रहे उन विचारों को खत्म कर सकते हैं जो चीजें आपको मानसिक रूप से एंग्जायटी व चिंता से ग्रसित करती है और आप अपनी एकाग्रता को वास्तविक दुनिया में वापस ला सकते हैं। अगर आप इस समस्या से जूझ रहे हैं तो निम्नलिखित उपायों को अपनाएं;
यह बहुत आसान काम है, लेकिन इसे करना बहुत अनिवार्य है। जब आप ठंडा पानी पीते हैं आप उस ग्लास या बोतल को छूने पर अपने हाथों में ठंडक महसूस करते हैं। उस बोतल को छूने पर आपको कितनी ठंडक महसूस हुई इस बात पर जरूर ध्यान दें। उसके बाद पानी पीते समय उसके स्वाद को महसूस करें और हाथों में ठंडक को महसूस करें। इस प्रकार धीरे-धीरे पानी पिएं और अपने मुंह में ठंडक को महसूस करें। आपकी एंग्जायटी या चिंता को खत्म करने की यह सबसे बेस्ट टेक्निक है। इस प्रक्रिया को आप समस्या के लक्षण दिखने से पहले भी कर सकते हैं।
जैसे ही आप अपने दिमाग में कोई भी चिंता महसूस करें या किसी एंग्जायटी से परेशान हों, अपने किचन में जाकर एक थाल में 3 प्रकार की दालें निकाल कर एक साथ मिला लें। उसके बाद एक शांत जगह बैठ-कर थाल में देखें और धीरे-धीरे तीनों दालों को अलग-अलग करके थाल के दूसरे कोने में रखें। ऐसा करने से आपका ध्यान तनाव-ग्रस्त विचारों से हट जाएगा और आपके देखने व स्पर्श करने की इंद्रियां भी प्रभावित होंगी। यह काम आप किसी भी रंग-बिरंगी दाल से कर सकते हैं।
हम जब भी घबराहट या फिर स्ट्रेस महसूस करते हैं अक्सर सलाह दी जाती है कि लम्बी सांस लें क्योंकि एंग्जायटी के समय सांस लेना एक सबसे अच्छी ग्राउंडिंग तकनीक है। मानसिक व्यग्रता के समय यह अपनाकर जरूर देखें; अगले 5 सेकण्ड्स तक लम्बी सांस को अंदर रोक लें और लगभग 7 सेकण्ड्स तक बाहर छोड़ें। इस प्रक्रिया की उचित गिनती को बनाए रखें क्योंकि आपकी सांस को नियंत्रित करने का यही एक बेहतरीन तरीका है। बॉक्स-ब्रीदिंग भी एक प्रभावी टेक्निक है जिसमें आप सांस को 4 सेकण्ड्स तक अंदर लेते हैं, 4 सेकण्ड्स तक रोक-कर रखते हैं और 4 ही सेकण्ड्स तक बाहर छोड़ते हैं। ऐसा करने से बहुत जल्दी आपका ध्यान गिनती की ओर चला जाएगा और वह तनावपूर्ण विचारों से हट जाएगा।
अगली बार आप जब भी तनावपूर्ण महसूस करें, थोड़ी देर रुकें और अपने कमरे के चारों ओर देखें। किसी भी एक चीज पर ध्यान केंद्रित करें, जैसे लैंप, किताब, बोतल – और जोर से उसका नाम लें। अपने कमरे में आप जो भी चीज पाएं हर एक के लिए ऐसे ही करें। अगर आप कहीं बाहर हैं तो अपना नाम लें परंतु इस बात का खयाल रखें कि नाम लेते समय मुँह जरूर चलाएं। कमरे में रखी चीजों को पहचानने और देखने की प्रक्रिया से आप अपना ध्यान तनावपूर्ण विचारों से हटा सकेंगे और नाम लेते समय मुँह का इस्तेमाल आपको भौतिक वास्तविकता में वापस आने में मदद करेगा। आप अपने तनावपूर्ण विचारों को पूरी तरह खत्म करने के लिए एक समान रंगों की चीजों पर ध्यान केंद्रित करें और उनका नाम लें और आप सिर्फ उस चीज के रंग का भी नाम ले सकते हैं। इस प्रक्रिया को करने का सिर्फ यही अर्थ है कि आप खुद को नियंत्रित करने के लिए अपनी देखने की क्षमता व मसल्स का अच्छी तरह उपयोग करें।
अगर आपके दिमाग में कोई भी बुरा खयाल या बुरा विचार आता है ऐसे समय में आप अपना पसंदीदा गाना गुनगुनाएं। उसे जोर से गाने की जरूरत नहीं है, आप शुरू से लेकर अंत तक सिर्फ गुनगुना भी सकते हैं। यहाँ आप खुद को वास्तविक स्थिति में लाने के लिए अपनी आवाज की क्षमता का उपयोग कर रहे हैं।
अगर आप ऊपर दिए हुए किसी भी तरीके का उपयोग न कर पाएं तो यह एक बेहतरीन उपाय है, जैसे अगर आप काम पर हैं और अपने डेस्क पर बैठे हैं। सीधे खड़े हो जाएं और ध्यान दें कि आपके पांव जमीन को छू रहे हैं, अपने हाथों को ऊपर की ओर खींचे व खुद को आरामदायक अवस्था में मोड़ें। एंग्जायटी को खत्म करने व बुरे विचारों को नजरअंदाज करने और वास्तविकता में लाने के लिए अपने शरीर का उपयोग करना – एक बेहतरीन तरीका है।
अपनी बोतल को हाथ में पकड़ें और उसे महसूस करें और उसके रंग, आकार व डिजाइन पर ध्यान केंद्रित करें। बोतल नीचे रखें और फिर फोन उठाएं (उसका इस्तेमाल न करें) और उसके रंग व तकनीक पर बस ध्यान दें । अपने हाथों को छुएं और महसूस करें और बिलकुल ऐसे ही अपनी हर एक चीज को छुएं और महसूस करें। इस प्रक्रिया को करने का तात्पर्य है कि आपको अपने शारीरिक अस्तित्व का ध्यान करना है जो बुरे और तनावपूर्ण खयालों की वजह से आपसे दूर हो गए थे। ऐसा करने से आपका ध्यान स्ट्रेस से हट जाएगा।
अब तक आपको मेन्टल एंग्जायटी को नियंत्रित करने में ग्राउंडिंग तरीकों के उपयोग व विशेषताओं का पता लग गया होगा। यह प्रतिक्रियाएं आपको आपके अनजान डर से बाहर निकालने में मदद करती हैं – जिस कारण आप वास्तविकता में आ पाते हैं और आपको तनावपूर्ण विचारों से मुक्ति मिलती है। एंग्जायटी बहुत कठोर होती है और ऐसे समय में कोई भी यह महसूस करता है कि इसका अब कोई समाधान नहीं है। हालांकि हमारे पास इन समस्याओं को रोकने व नियंत्रित करने के लिए समाधानों की सूची है, अगर आपको लगातार ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है तो आप मनोचिकित्स्क से सलाह जरूर लें। आपका शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी ज़रूरी है। ठीक तरह से काम करने के लिए इसका पूरा खयाल रखना अनिवार्य है।
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