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जब जोड़े एक साल से अधिक समय तक गर्भधारण का प्रयास करने में बावजूद इसमें सफल नहीं हो पाते हैं, तब इस समस्या को इनफर्टिलिटी यानी बांझपन कहा जाता है। जब महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है, तब इसे फीमेल इनफर्टिलिटी का नाम दिया जाता है।
महिलाओं में बांझपन के सबसे आम कारण
हर जोड़े के लिए बच्चा पैदा न कर पाने का कारण अलग हो सकता है। हालांकि इनमें से ज्यादातर के पीछे के कारण आम होते हैं। महिलाओं में बांझपन के लिए जिम्मेदार कुछ आम कारण यहां पर दिए गए हैं:
1. ओवुलेशन डिसऑर्डर
अनियमित ओवुलेशन साइकिल या इसकी गैरमौजूदगी को ओवुलेशन डिसऑर्डर कहा जाता है। पिट्यूटरी ग्लैंड के द्वारा रिप्रोडक्टिव हॉर्मोन के अपर्याप्त रेगुलेशन के कारण ऐसा होता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस), प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर, हाइपोथैलेमिक डिस्फंक्शन और एक्सेस प्रोलैक्टिन जैसी कुछ बीमारियां ओवुलेशन डिसऑर्डर के अंतर्गत आती हैं।
2. एंडोमेट्रियोसिस
जब एंडोमेट्रियल टिशू नामक गर्भाशय की परत अंदर के बजाय बाहर की ओर बन जाती है, प्रायः एब्डोमेन या पेल्विस में, तब इस स्थिति को एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है। इस बीमारी के कारण, गर्भाशय की परत प्रभावित होती है, जिससे फर्टिलाइज्ड अंडे के इंप्लांटेशन में रुकावट पैदा हो जाती है। बढ़े हुए टिशू को दार्जारी द्वारा निकालने पर भी फैलोपियन ट्यूब्स और अंडे और स्पर्म की मीटिंग प्रभावित हो सकती है।
3. फैलोपियन ट्यूब फैक्टर्स
खराब या ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब, स्पर्म को अंडे तक पहुंचने से रोक सकती हैं या फिर अंडे के गर्भाशय में जाने के रास्ते को पूरी तरह से बंद कर सकती हैं। ऐसे कई तत्व हैं, जो फैलोपियन ट्यूब को खराब कर सकते हैं और पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज, एंडोमेट्रियोसिस, पहले हो चुकी एक्टोपिक गर्भावस्था जैसी दिक्कतों के कारण सर्जरी की नौबत आ सकती है।
4. यूटेराइन या सर्वाइकल समस्याएं
गर्भाशय या सर्विक्स से जुड़ी ऐसी कई स्थितियां हैं, जो कि इंप्लांटेशन में रुकावट पैदा कर सकती हैं और मिसकैरेज का खतरा बढ़ा सकती हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- गर्भाशय में फाइब्रॉएड या मायोमा जैसे बिनाइन ट्यूमर, जो फैलोपियन ट्यूब्स को बाधित कर सकते हैं।
- एंडोमेट्रियोसिस के कारण गर्भाशय में निशान या इन्फ्लेमेशन, जो कि इंप्लांटेशन को बाधित कर सकता है।
- गर्भाशय में जन्मजात असामान्यताएं, जैसे कि असामान्य आकार।
- किसी नुकसान या बनावट में अनुवांशिक खराबी के कारण, सर्विक्स या सर्वाइकल स्टेनोसिस का संकरा हो जाना।
- गाढ़ा सर्वाइकल म्यूकस, जिससे स्पर्म सेल गुजर न पाए।
5. अंडों की क्वालिटी खराब होना
यह ज्यादातर 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में देखा जाता है। अंडाशय द्वारा उत्पादित होने वाले अंडों की संख्या और गुणवत्ता खराब होती जाती है।
6. बांझपन के अस्पष्ट कारण
जब बांझपन का कोई स्पष्ट कारण पता नहीं चलता है, तो इसे अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी कहा जाता है। प्रजनन तंत्र के फंक्शन में बदलाव होने से इनफर्टिलिटी हो सकती है।
महिलाओं में बांझपन के संकेत और लक्षण
महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्याओं के सबसे आम संकेत इस प्रकार हैं:
- एक साल से अधिक समय तक भी गर्भधारण न कर पाना इसका प्रमुख लक्षण होता है।
- मेंस्ट्रुअल साइकिल का बहुत छोटा होना (21 दिनों से कम) या बहुत अधिक होना (35 दिन या इससे अधिक)।
पहचान और जांच
अगर आप एक निश्चित अवधि के अंदर गर्भधारण करने में सक्षम नहीं हो पाती हैं, तो आपके डॉक्टर इनफर्टिलिटी की पहचान के लिए कुछ टेस्ट करने को कहेंगे और इसके पीछे के कारण का पता लगाएंगे। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. ओवुलेशन टेस्टिंग
यह टेस्ट उन हॉर्मोन्स के स्तर को मापता है, जो कि ओवुलेशन का संकेत देते हैं। फार्मेसी पर उपलब्ध प्रिडिक्टर किट लुटेनाइजिंग हॉरमोन (एलएच) में आने वाले उछाल की जांच कर सकते हैं, जिसे ओवुलेशन के पहले देखा जाता है। ओवुलेशन के बाद आने वाले प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन के स्तर की जांच के लिए ब्लड टेस्ट किए जाते हैं। प्रोलैक्टिन जैसे अन्य हॉर्मोन की भी जांच की जाती है।
2. हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी
यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड की मदद से प्रजनन अंगों की जांच की जाती है। एक स्पेशल डाय या सलाइन और हवा को सर्विक्स में इंजेक्ट किया जाता है, जो कि फैलोपियन ट्यूब तक जाता है। इससे मिलने वाली तस्वीरें फेलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज या असामान्यताओं की जानकारी देती हैं।
3. लेप्रोस्कोपी
यदि और भी कंफर्मेशन की जरूरत हो, तब लेप्रोस्कोपी एग्जामिनेशन का इस्तेमाल किया जाता है। एक छोटे इंसीजन के द्वारा एक पतले ऑप्टिकल ट्यूब को ऑर्गन में डाला जाता है, जिससे अंदर की स्थिति का पता चलता है। इससे फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज, असामान्यता या एंडोमेट्रियोसिस के कारण स्कारिंग का पता चलता है।
महिलाओं में बांझपन का इलाज
महिलाओं में बांझपन के इलाज का कोर्स उम्र, कारण, व्यक्तिगत प्राथमिकताएं और इनफर्टिलिटी की अवधि जैसे तत्वों पर निर्भर करता है। चूंकि, इनफर्टिलिटी जटिल होती है, ऐसे में कुछ मामलों में कई तरह के इलाज की जरूरत पड़ सकती है। इलाज की इन प्रक्रियाओं का लक्ष्य फर्टिलिटी को रिस्टोर करना या कुछ जटिल प्रक्रियाओं के द्वारा गर्भधारण में मदद करना होता है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- ओवुलेशन डिसऑर्डर के कारण इनफर्टिलिटी की शिकार महिलाओं के लिए ओवुलेशन साइकिल को स्टिमुलेट या रेगुलेट करने के लिए फर्टिलिटी की दवाएं प्रिसक्राइब की जा सकती हैं। ये दवाएं लुटेनाइजिंग हॉरमोन (एलएच) और फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉरमोन (एफएसएच) जैसे प्राकृतिक हॉर्मोन की तरह ही काम करती हैं, जो कि ओवुलेशन को ट्रिगर करते हैं। अंडों की संख्या बढ़ाने के लिए या उनकी गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए अधिक उम्र की महिलाएं भी इन दवाओं का इस्तेमाल कर सकती हैं।
- महिलाओं में इनफर्टिलिटी पैदा करने वाली समस्याओं को ठीक करने के लिए कई तरह की सर्जिकल प्रक्रियाएं भी उपलब्ध हैं। प्रजनन अंगों की अमान्यताओं को ठीक करने के लिए और गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने के लिए, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है। यह गर्भधारण में रुकावट पैदा करने वाले फाइब्रॉयड एंडोमेट्रियल पॉलिप को निकाल सकती है। फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए ट्यूबल सर्जरी के द्वारा फेलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज को ठीक किया जा सकता है। यह याद रखना जरूरी है, कि इलाज की अन्य पद्धतियों में सफलता की बढ़ती हुई दर के कारण सर्जिकल प्रक्रियाओं की लोकप्रियता में कमी आई है।
- इंट्रायूटरिन इनसेमिनेशन एक अन्य प्रक्रिया है, जिसमें लाखों स्वस्थ शुक्राणुओं को ओवुलेशन के समय गर्भाशय में रखा जाता है। इसके साथ ही ओवुलेशन को ट्रिगर करने वाली दवाएं भी दी जाती हैं।
- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक जटिल असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी है, जिसमें महिला के परिपक्व अंडे लेकर उसे स्पर्म सेल के साथ लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। फिर इन फर्टिलाइज्ड अंडों को गर्भाशय में इम्प्लांट कर दिया जाता है। पति-पत्नी की सहमति से कुछ एंब्रियो को बाद में इस्तेमाल करने के लिए भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
- अगर आपका गर्भाशय भली-भांति काम कर रहा है, लेकिन अंडाशय में समस्या है, तो ऐसे में एग डोनेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे आपको मदद मिल सकती है। किसी डोनर का अंडा लिया जाता है, जिसे विट्रो में फर्टिलाइज करके आपके गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
घरेलू उपाय
जब महिलाओं में बांझपन की बात आती है, तब आपको यह पता होना चाहिए, कि इसमें न केवल एक साल से अधिक समय तक गर्भधारण का प्रयास विफल होता है, बल्कि डिलीवरी तक गर्भावस्था को मेंटेन करने की क्षमता भी नहीं होती है।
- अश्वगंधा एक ऐसी हर्ब है, जिसे सैकड़ों वर्षो से महिलाओं में बांझपन की समस्या को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह हॉर्मोनल संतुलन को बनाए रखती है और प्रजनन तंत्र को बेहतर बनाती है। दिन में दो बार गर्म दूध में एक बड़ा चम्मच अश्वगंधा मिलाकर पिएं।
- अनार महिलाओं में फर्टिलिटी बूस्टर की तरह काम करता है। यह कई पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो कि यूटराइन लाइनिंग को मेंटेन करने में मदद करता है और ब्लड फ्लो को बढ़ाता है। फर्टिलिटी को बेहतर बनाने के लिए आधा छोटा चम्मच अनार के बीज का बारीक पाउडर और अनार की छाल को एक गिलास दूध के साथ दिन में दो बार लें।
- दालचीनी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसऑर्डर जैसी बीमारियों को ठीक करने में मददगार होती है। चूंकि पीसीओडी इनफर्टिलिटी के प्रमुख कारणों में से एक है, ऐसे में इससे जूझ रही महिलाएं दालचीनी के इस्तेमाल से प्राकृतिक रूप से ठीक हो सकती हैं। इस हर्बल पाउडर को खाने में डाला जा सकता है या एक गिलास दूध में एक छोटा चम्मच डाल कर लिया जा सकता है।
- पीसीओएस के कारण होने वाली इनफर्टिलिटी को ठीक करने के लिए चेस्टबेरी की चाय बहुत फायदेमंद होती है। एक छोटा चम्मच सूखे चेस्टेबेरी को एक कप पानी में उबालकर यह चाय तैयार की जा सकती है। इस मिश्रण को छान लें और इस चाय को दिन में एक बार कुछ सप्ताह तक पिएं। चेस्टबेरी सप्लीमेंट के रूप में भी उपलब्ध होती है।
- खजूर जरूरी विटामिंस और मिनरल्स से भरपूर होते हैं, जो कि महिलाओं के लिए गर्भधारण करने और प्रेगनेंसी के दौरान गर्भस्थ शिशु के पोषण के लिए जरूरी होते हैं। हर दिन 6 से 8 खजूर स्नैक्स के रूप में लें। आप इसे दूध, दही या स्मूदी में भी मिला सकते हैं।
- माका रूट एक अन्य प्रभावी हर्ब है, जिसका इस्तेमाल पुरुषों और महिलाओं दोनों में इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए किया जाता है। यह हर्ब हॉर्मोन के उत्पादन को प्रमोट करती है और हाइपोथाइरॉएडिज्म से जूझ रही महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होती है, क्योंकि इसे थाइरॉएड फंक्शन को प्रमोट करने के लिए जाना जाता है। आधा छोटा चम्मच माका रूट पाउडर को एक गिलास दूध में मिलाकर दिन में एक बार कुछ महीनों तक पियें।
- विटामिन ‘डी’ की कमी बहुत आम है और इसके कारण इनफर्टिलिटी और मिसकैरेज के समस्या हो सकती है। यह शरीर में कैल्शियम के मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी होता है, जिसके कारण यह एक जरूरी न्यूट्रिएंट्स बन जाता है। अपनी त्वचा को सूर्य की रोशनी के संपर्क में लाकर शरीर में विटामिन ‘डी’ को प्राकृतिक रूप से बनाया जा सकता है। अपने शरीर में विटामिन ‘डी’ के स्तर को बढ़ाने के लिए हर सुबह 10 मिनट के लिए धूप में बैठें। साथ ही चीज, अंडे, मछली और फोर्टिफाइड सिरीयल जैसे विटामिन ‘डी’ से भरपूर आहार लें।
- बरगद के पेड़ की जड़ एक आयुर्वेदिक दवा है, जिससे महिलाओं में इनफर्टिलिटी का इलाज किया जाता है। बरगद के पेड़ की जड़ को बारीक काट लें और इसे कुछ दिनों के लिए धूप में सुखाएं। इसे पीसकर बारीक पाउडर बना लें और एयरटाइट डिब्बे में भर लें। हर दिन एक बड़ा चम्मच यह पाउडर एक गिलास दूध के साथ कुछ महीनों तक सेवन करें।
- महिलाओं में बांझपन की समस्या को प्रभावी रूप से ठीक करने के लिए योगा एक प्रभावी इलाज है। यह सभी जरूरी अंगों में खून के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है और ग्लैड्यूलर फंक्शनिंग को बढ़ाता है। ऐसे कुछ खास आसन होते हैं, जो कि फर्टिलिटी के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, जैसे हस्तपादासन (खड़े होकर आगे की ओर झुकना), पश्चिमोत्तानासन (बैठ कर आगे की ओर झुकना) और बद्ध कोणासन (बटरफ्लाई एक्सरसाइज)।
- शरीर में सभी जरूरी पोषक तत्वों की आपूर्ति करने के लिए संतुलित आहार बहुत जरूरी है, ताकि फर्टिलिटी बढ़ाई जा सके और स्वस्थ प्रेगनेंसी पाई जा सके।
बचाव
अनुवांशिक तत्वों और कुछ खास बीमारियों के कारण होने वाली इनफर्टिलिटी से बचाव संभव नहीं है। लेकिन लाइफस्टाइल से संबंधित समस्याओं में सुधार के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जा सकता है:
- सेक्सुअली ट्रांसमिटेड बीमारियों से बचने के लिए सुरक्षित सेक्स करें।
- धूम्रपान या किसी अवैध ड्रग्स के इस्तेमाल को बंद करें।
- अल्कोहल के सेवन को कम करें या पूरी तरह से बंद करें।
- साफ-सफाई की अच्छी आदतों को अपनाएं और अच्छी स्वस्थ आदतों को अपनाएं।
- अपने गाइनेकोलॉजिस्ट से नियमित रूप से मिलते रहें, खासकर अगर आप सेक्सुअली एक्टिव रहती हैं तो।
बांझपन से कैसे निपटें?
इनफर्टिलिटी से जूझना शारीरिक और भावनात्मक रूप से काफी परेशानी भरा होता है। इलाज के दौरान इनसे निपटने के लिए नीचे दिए गए टिप्स को आजमाया जा सकता है:
- टेस्टिंग और ट्रीटमेंट की अनिश्चितता आपको परेशान कर सकती है। अपने डॉक्टर से रिक्वेस्ट करें, कि वे आपको प्रक्रियाओं को समझाएं, ताकि आप इन्हें समझ पाएं। इनके बारे में पता होने से एंग्जाइटी में कमी आती है।
- अपने साथी, करीबी रिश्तेदार, दोस्तों या एक सपोर्ट ग्रुप से मदद मांगें। अपनी असुरक्षा और चिंताओं के बारे में बात करने से आप रिलैक्स रह पाएंगे और आपका कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा।
- संतुलित आहार और एक्सरसाइज के द्वारा अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखें।
- हर विकल्प पर विचार करें और एडॉप्शन, डोनर एग्स या स्पर्म्स, या फिर यहां तक कि बच्चे न पैदा करने जैसे विकल्प भी रखें। इससे फर्टिलिटी के इलाज के दौरान आपकी एंग्जाइटी में कमी आएगी।
डॉक्टर से कब परामर्श लें?
निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है:
- असामान्य मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग
- पेट में दर्द
- बुखार एवं अन्य संबंधित लक्षण
- असामान्य डिस्चार्ज
- सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान दर्द या तकलीफ
- वेजाइना के आसपास खुजली या दर्द
महिलाओं में बांझपन के पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं, जैसे अनुवांशिक, कुछ खास बीमारियां और लाइफस्टाइल से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं। इलाज और जीवनशैली में बदलाव के साथ फर्टिलिटी पाई जा सकती है और गर्भधारण किया जा सकता है।
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