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गर्भावस्था के दौरान एक महिला को कई शंकाएं होती हैं जिनमे से सबसे सामान्य मिसकैरेज का डर है। कई स्थितियों में मिसकैरेज तत्काल चिकित्सीय देखभाल का संकेत देता है और इसे रोकने के लिए पर्याप्त देखभाल की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में भ्रूण के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाली संभावित कारकों के बारे में जानकारी होने से मिसकैरेज को रोकने में मदद मिल सकती है।
गर्भावस्था के दौरान मिसकैरेज और स्वतः गर्भपात भ्रूण की मृत्यु का सबसे सामान्य कारण है। दुःख की बात यह है कि गर्भवस्था के शुरूआती कुछ महीनों में मिसकैरेज बहुत आम है और यह आमतौर पर गर्भावस्था की पहली तिमाही में होता है। पहली गर्भवस्था में मिसकैरेज होने का डर अत्यधिक होता है इलसिए विशेष रूप से गर्भावस्था के प्रारंभिक चरणों में अत्यधिक देखभाल करने की आवश्यकता होती है। हेल्थलाइन के अनुसार, मिसकैरेज के कारण लगभग 10% से 25% तक गर्भावस्थाओं का अंत हो जाता है।
यद्यपि मिसकैरेज बहुत आम है लेकिन गर्भवती महिला व उससे संबंधित सभी लोगों के लिए मिसकैरेज एक पीड़ादायक अनुभव होता है।
मिसकैरेज होने की संभावना गर्भावस्था के 24 सप्ताह के पहले ज्यादा होती है। इस अवधि के शुरूआती 12 सप्ताह में मिसकैरेज को आमतौर पर ‘अर्ली मिसकैरेज’ माना जाता है और लगभग 12-24 सप्ताह में होने वाला मिसकैरेज ‘लेट मिसकैरेज’ कहा जाता है।
ज्यादातर मिसकैरेज अनुवांशिक असामान्यताओं के कारण होता है। किंतु निश्चिंत रहें सभी असामान्यताएं अनुवांशिक नहीं होते हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि हो सकता है अगली गर्भावस्था में समान स्थितियां नहीं होंगी। कुछ गर्भाशय से संबंधित असामान्यताओं के कारण भी मिसकैरेज हो सकता है। यहाँ तक कि थायराइड के कारण भी मिसकैरेज होने की संभावना होती है, हालांकि ऐसा बहुत कम होता है। एक कमजोर गर्भाशय ग्रीवा आमतौर पर दूसरी तिमाही में मिसकैरेज का कारण बन सकती है।
मिसकैरेज के कई कारण होते हैं जिनमें से एक मुख्य है ‘गर्भवती महिला की आदतें’। अमेरिकन गर्भावस्था संगठन के अनुसार ड्रग्स, शराब पीना और धूम्रपान जैसी आदतें इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। विज्ञान के अनुसार कुछ बैक्टीरिया प्रमुख रूप से अंडे और कच्चे मांस में पाए जाते हैं, जो शारीर में जाकर महिलाओं में मिसकैरेज का कारण बन सकते हैं। मनोविज्ञान के अनुसार मातृ आघात भी इस समस्या को उत्पन्न कर सकता है। कुछ अन्य कारणों में हार्मोन संबंधी असामान्यताएं, पुरानी बीमारी और गर्भावस्था में देरी भी शामिल है।
मिसकैरेज के कारण महिलाएं थोड़ी तनावग्रस्त रह सकती हैं। इस दौरान उन्हें भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता हो सकती है। मिसकैरेज से कुछ महिलाओं में गर्भधारण के प्रति डर उत्पन्न हो जाता है, जिससे उन्हें अगली गर्भावस्था का प्रयास करने की इच्छा नहीं होती है। यह एक कठिन और दुखद स्थिति होती है किंतु फिक्र न करें समय के साथ सब जल्द ही सब ठीक हो जाएगा।
कभी-कभी, महिलाओं से रक्तस्राव और ऐंठन को संभावित मिसकैरेज मानने की गलती हो सकती है। लेकिन इन समस्याओं के दौरान, यदि वास्तव में मिसकैरेज की कोई भी संभावना है तो उसे रोकने के लिए अत्यधिक सावधान रहने की आवश्यकता होती है। सिर्फ अल्ट्रासाउंड की मदद से ही मिसकैरेज की पुष्टि हो सकती है इसलिए आपको डॉक्टर से सलाह लेने की आवश्यकता होगी। यह भी हो सकता है कि गर्भावस्था में शुरूआती दिनों के कारण रक्तस्राव की संभावना को अनदेखा कर दिया गया हो ।
गर्भवती महिलाओं में मिसकैरेज के दौरान कुछ स्थितियों में हल्की ऐंठन व हल्के पीठ दर्द का अनुभव हो सकता है।
ज्यादातर देखा गया है कि 4 गर्भावस्थाओं में से एक मिसकैरेज हो जाता है। लगभग 85% मिसकैरेज गर्भावधि की पहली तिमाही में ही होते हैं। 30 से कम आयु की महिलाओं में 10 गर्भावस्था में से 1 मिसकैरेज की संभावना होती है और उम्र बढ़ने के साथ ही यह आवृत्ति भी बढ़ती है।
गर्भावस्था के शुरूआती सप्ताह में मिसकैरेज होने को देर से या सामान्य मासिक धर्म मान लिया जाता है। इस स्थिति में मासिक धर्म से पहले महिलाओं में कुछ लक्षण देखे जा सकते हैं, जैसे रक्त के धब्बे या रक्त-स्राव के साथ-साथ अत्यधिक ऐंठन व रक्त के थक्के। अगर आप अपनी गर्भावस्था चक्र में पूरी तरह से ठीक हैं, तो आपके प्रसव का चरण जल्दी आ सकता है। गर्भावस्था के किसी भी चरण में रक्तस्राव या अनिश्चित दर्द होना खतरनाक है और जल्द से जल्द चिकित्सक द्वारा इसकी जांच करवाना आवश्यक है।
गर्भावस्था के दौरान मिसकैरेज के कुछ मामलों में, महिला को दर्द या रक्तस्राव का अनुभव नहीं भी हो सकता है और वह इस बात से पूरी तरह अनजान हो सकती है कि उसके गर्भ में पल रहा भ्रूण खत्म हो चुका है, इसे साइलेंट मिसकैरेज या विफल गर्भावस्था भी कहा जाता है।
मिसकैरेज का सबसे सामान्य कारण गुणसूत्र समस्याएं भी हो सकती हैं जो भ्रूण के विकास को पूरी तरह से रोक देती हैं। आनुवंशिक असामान्यताओं के अलावा कुछ अन्य कारक भी मिसकैरेज का कारण बन सकते हैं, उनमें शामिल हैं:
भ्रूण के स्वास्थ्य व महिला की शारीरिक स्थिति के आधार पर ही विभिन्न प्रकार के मिसकैरेज हो सकते हैं, वे इस प्रकार हैं;
रासायनिक गर्भावस्था के मामले में डिंब निषेचित हो जाता है परंतु गर्भाशय में प्रत्यारोपित नहीं होता है। यह गर्भावस्था हार्मोन के निर्माण के लिए शरीर को गलत संकेत देता है जिसके परिणास्वरूप महिला के मासिक धर्म की अवधि शुरू होने से 3-4 दिन पहले से सकारात्मक परिणाम सामने आ सकता है। डिंब के प्रत्यारोपित न होने के कारण गर्भावस्था के कोई भी संकेत नहीं दिखाई देंगे और न ही गर्भनाल का निर्माण होगा। इस स्थिति में गर्भावस्था चिकित्सीय रूप से व्यवहार्य नहीं होती है। इसमें अन्य संकेत भी शामिल हैं, जैसे मासिक धर्म में होने वाली ऐंठन और गर्भावस्था के सकारात्मक परिणाम के दिन से रक्त-स्राव होना।
मिस्ड या पहचानने में विफल मिसकैरेज तब होता है जब मिसकैरेज का पता परीक्षण जैसे अल्ट्रासाउंड परीक्षण के माध्यम से लगाया गया हो, लेकिन महिला ने मिसकैरेज के किसी भी संकेत या लक्षणों की शिकायत नहीं की हो। इस तरह के मिसकैरेज को ‘मूक गर्भपात’ भी कहा जाता है।
शीर्ण या अभिशप्त डिंब गर्भाशय में प्रत्यारोपित हो जाता है परंतु विकसित नहीं हो पाता है । ऐसी स्थितियों में महिला गर्भावस्था के लक्षणों का अनुभव करती है और गर्भकालीन थैली का निर्माण भी हो सकता है किंतु गर्भस्थ भ्रूण का विकास नहीं होगा।
कुछ मामलों में ऊतक गर्भाशय के भीतर ही रह जाते हैं और गर्भशय द्वारा ऊतकों को बाहर निकालते समय अत्यधिक ऐंठन व रक्तस्राव होता है। डॉक्टर गर्भावस्था सर्जरी के माध्यम से सभी ऊतकों को बाहर निकाल कर गर्भाशय खाली करते हैं।
एक पूर्ण मिसकैरेज तब होता है, जब गर्भाशय से सभी शेष सामग्री सफलतापूर्वक निकल जाती है और वह खाली हो जाता है। इस दौरान गर्भाशय सिकुड़ने व रक्त बहने के कारण रक्तस्राव और ऐंठन रह सकती है।
गर्भावस्था के दौरान बहुत कम महिलाएं बार-बार मिसकैरेज का अनुभव करती हैं। आवतर्क मिसकैरेज बहुत आम नहीं है और गुणसूत्र संबंधी विकारों के अलावा, गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा की स्थिति इसके लिए जिम्मेदार है।
अस्थानिक गर्भावस्था एक ऐसी समस्या है, जहाँ भ्रूण आमतौर पर गर्भाशय के अंदर की बजाय किसी और स्थान पर प्रत्यारोपित होता है। आंतरिक शरीर में भ्रूण किसी और स्थान पर प्रत्यारोपित होने के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है और यह मिसकैरेज का कारण बनता है। ऐसे मामलों में गर्भवती महिलाओं को योनि से रक्तस्राव और पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द का अनुभव हो सकता है।
जब गर्भाशय में भ्रूण का विकास असामान्य होता है तो उसे मोलर गर्भावस्था कहते हैं। गर्भाशय में मौजूद नष्ट ऊतकों को हटाने के लिए डॉक्टर अक्सर सर्जरी की सलाह देते हैं।
मिसकैरेज का कोई निश्चित उपचार नहीं है। हालांकि, डॉक्टर आपको पूर्ण आराम करने और सर्जरी के माध्यम से गर्भाशय के अंदर भ्रूण के शेष ऊतकों को निकालने की सलाह दे सकते हैं।
मिसकैरेज एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, इससे होनेवाला खतरा महीनों की उस संख्या पर निर्भर करता है जब से महिला ने गर्भधारण किया था। ज्यादातर गर्भवती महिलाओं में लगभग 15% गर्भावस्था का अंत मिसकैरेज के कारण होता है और यह गर्भावधि शुरू होने के बाद लगभग 20 सप्ताह के अंदर-अंदर हो सकता है।
यद्यपि अगर मिसकैरेज बाद में (5-8 महीनों के बीच) होता है, तो यह समस्या खतरनाक हो सकती है और रक्तस्राव, बांझपन की परिस्थितियों में मृत्यु जैसी जटिलताओं का कारण बन सकती है। हालांकि नियमित जांच से आपको तनाव-मुक्त रहने में मदद मिल सकती है और जल्दी पता लगाया जा सकता है कि आपको मिसकैरेज होने का खतरा है या नहीं है ।
पहले तीन माह में मिसकैरेज एक मुख्य चिंता का विषय है क्योंकि भ्रूण अभी तक जीवित रहने के लिए पर्याप्त विकसित नहीं हुआ है। यहाँ सप्ताह-दर-सप्ताह मिसकैरेज की संभावना का वर्णन किया गया है:
सप्ताह 0-6 | 85% |
सप्ताह 8-12 | 5% |
सप्ताह 13-20 | 3% |
20 सप्ताह के बाद | शून्य |
शिकागो के एडवांस फर्टिलिटी सेंटर के अनुसार, 44-46 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं को मिसकैरेज का लगभग 60% का खतरा होता है। 30 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में मिसकैरेज की संभावना लगभग 8% तक होती है। इस प्रकार अधिक उम्र की महिलाओं की तुलना में कम उम्र की महिलाओं में मिसकैरेज होने की संभावना कम होती है।
गर्भवती महिलाओं की उम्र के अनुसार मिसकैरेज की संभावना की एक सूची दी गई है, आइए जानें:
30 वर्ष से अधिक | 8% |
30-40 वर्षीय | 12% |
35-37 वर्षीय | 16% |
38-39 वर्षीय | 22% |
40-41 वर्षीय | 33% |
42-43 वर्षीय | 45% |
44-46 वर्षीय | 60% |
लगभग 15-20% गर्भावस्था का अंत मिसकैरेज के कारण होता है। ज्यादातर मिसकैरेज गर्भावधि की पहली तिमाही में होते हैं या कुछ मामलों में दूसरी तिमाही के दौरान भी मिसकैरेज होने की संभावना होती है। महिलाओं की बढ़ती उम्र के साथ मिसकैरेज होने की संभावना बढ़ जाती है।
यहाँ बताया गया है कि मिसकैरेज के बाद आपको स्वास्थ्य लाभ के लिए किन चीजों का पालन करना चाहिए। आप खुद को शारीरिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रखने के लिए समय दें। कुछ दिनों तक रक्त-स्राव हो सकता है जो आपके लिए दर्दनाक और निराशाजनक भी होगा। अगले कुछ दिनों या एक सप्ताह के लिए डॉक्टर आपके शरीर के तापमान की जांच करने की सलाह देते हैं क्योंकि मानसिक आघात और आंतरिक ऊर्जा की कमी आप पर बुरा प्रभाव डाल सकती है और आपको बीमार कर सकती है। अगले कुछ दिन संभोग से बचें, खुद को और अपने शरीर को आराम देने का प्रयास करें, ताकि इसे ठीक होने के लिए कुछ समय मिल सके। इसके अलावा, मिसकैरेज के कारण अचानक से होने वाले रक्त प्रवाह को रोकने के लिए अगले एक या दो दिन तक सैनिटरी पैड लगाएं।
मिसकैरेज का पता लगने के बाद, इसे रोकना शायद ही संभव हो। यह सुनिश्चित करें कि आपका गर्भ सुरक्षित है व इसकी समय पर देखभाल की जा रही है। किसी भी समय पर अपनी दवाओं की जांच करवाएं और साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि यह जांच विशेषज्ञ द्वारा की जा रही है।
लक्षणों की पुष्टि के बाद डॉक्टर लगातार परीक्षण करने की सलाह दे सकते हैं। उनमें से सबसे महत्वपूर्ण एच.सी.जी. रक्त परीक्षण है। डॉक्टर इसके लिए कुछ अन्य उपायों का उपयोग भी कर सकते हैं, जैसे श्रोणि परीक्षण, भ्रूण के हृदय की स्कैनिंग और अल्ट्रासाउंड। एक अल्ट्रासाउंड में, गर्भ के थैली के विकास में कमी, भ्रूण के हृदय की धड़कन की कमी, भ्रूण के हृदय का आकार 5 मि.मी. से बड़ा होने पर भी धड़कन नहीं होने जैसे कुछ कारकों पर ध्यान दिया जाता है।
शुरुआत में ट्रांसवाजाइनल अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दी जाती है और बाद के चरणों में, पेट के अल्ट्रासाउंड को प्राथमिकता दी जाती है। यह नहीं भूलना चाहिए कि अल्ट्रासाउंड एक सुरक्षित और सकारात्मक गर्भावस्था के पक्ष में परिणाम दे भी सकता है या नहीं भी दे सकता। डॉक्टर मिसकैरेज का पता लगाने के लिए तिमाही की शुरुआत में भ्रूण के हृदय की मौजूदगी पर नजर रख सकते हैं। गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में, हृदय की धड़कन का न होना मिसकैरेज का संकेत नहीं देता है। श्रोणि परीक्षण पतली गर्भाशय ग्रीवा की जांच के लिए किया जाता है, जो मिसकैरेज का एक निश्चित संकेत है।
हालांकि, एक असफल गर्भावस्था के बाद दोबारा गर्भधारण करने की कोशिश करना बहुत कठिन और कभी-कभी दर्दनाक हो सकता है, पर आशा हमेशा होती है। मिसकैरेज का मतलब यह नहीं है कि दोबारा गर्भवती होने की कोई संभावना नहीं है। यदि आपको लगता है कि आप फिर से प्रयास करने के लिए तैयार हैं, तो आप एक निश्चित निर्णय लें। मिसकैरेज के बाद गर्भवती होना संभव है और निर्णय लेने से पहले आपको व आपके साथी को इसके बारे में बात करनी चाहिए।
सभी मांओं के लिए यह सबसे बड़ा प्रश्न है – क्या मैं मिसकैरेज के बाद गर्भवती हो सकती हूँ? गर्भधारण करने से पहले डॉक्टर महिलाओं को थोड़े समय तक प्रतीक्षा करने की सलाह दे सकते हैं। हालंकि इसका पालन करने के लिए कोई निश्चित नियम नहीं हैं।
यद्यपि ये सभी निर्णय व्यक्तिगत हैं और महिला की मानसिक, अन्य भावनात्मक व मनोवैज्ञानिक स्थिति जैसे परिवार का समर्थन, संसाधन व स्वेच्छा पर निर्भर करता है। एक मिसकैरेज का मतलब यह नहीं है कि अगली बार भी ऐसा ही होगा।अपनी इच्छाओं का मूल्यांकन करें और यदि आपको विश्वास है कि आप एक बार फिर से गर्भधारण कर सकती हैं तो डॉक्टर से इस बारे में चर्चा अवश्य करें। ऐसी परिस्थितियों में डॉक्टर आपको बिलकुल सही सलाह दे सकते हैं और यदि आपको दो से अधिक मिसकैरेज हुए हैं, तो सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर ही आपकी मदद कर सकते हैं। ऐसी गंभीर स्थितियों में, एक डॉक्टर के परामर्श का पालन अवश्य करना चाहिए।
यदि आप तैयार हैं, तो आप मिसकैरेज के 2 सप्ताह के भीतर गर्भधारण कर सकती हैं, लेकिन आंकड़ों से पता चला है कि 6 महीने के भीतर गर्भधारण करने से सकारात्मक और सफल गर्भावस्था की उच्च संभावना होती है। यदि आपको लगता है कि चिकित्सीय जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, तो भी आप अपने चिकित्सक से परामर्श कर सकती हैं।
अमेरिकन प्रेग्नेंसी एसोसिएशन के अनुसार, पहली बार मिसकैरेज से ग्रसित 85% महिलाओं में दूसरी बार सुरक्षित और स्वस्थ गर्भावस्था होती है। यह आमतौर पर एक बार की घटना है और केवल बहुत कम प्रतिशत महिलाओं में लगातार दो या दो से अधिक मिसकैरेज होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, एक के बाद दूसरी बार मिसकैरेज होने की संभावना कम होती है और अब तक इस तरह की केवल 14 प्रतिशत घटनाएं सामने आई हैं।
गर्भावस्था के दौरान कभी भी रक्तस्राव होना चिंता का कारण है। यदि रक्तस्राव होता है, तो डॉक्टर मिसकैरेज की पुष्टि करने के लिए श्रोणि परीक्षण तथा अल्ट्रासाउंड करते हैं। परीक्षण के दौरान, यदि गर्भाशय को भ्रूण के ऊतकों से मुक्त देखा जाता है या यदि यह अभी भी गर्भावस्था की शुरुआत है, तो आगे के उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि अगर गर्भाशय में भ्रूण या अन्य ऊतक अभी भी मौजूद हैं, तो उसे सर्जरी द्वारा या दवा से निकालने की आवश्यकता होती है।
मिसकैरेज के ऊतक हटाने की प्रक्रिया में डॉक्टर, प्रभावी महिला को रक्तस्राव व ऐंठन को कम करने के लिए एनेस्थेसिया देते हैं। यदि गर्भावस्था के बाद के चरण में शिशु की मृत्यु हो गई है, तो डॉक्टर प्रसव को प्रेरित करने का प्रयास करते हैं। डिलीवरी के बाद शिशु की मृत्यू के कारणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर शिशु और नाल की जांच कर सकते हैं।
दंपति जो अत्यधिक उत्सुकता के साथ परिवार शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं, उनके लिए मिसकैरेज जैसी गंभीर समस्या का सामना कर पाना कठिन होता है। हालांकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कभी-कभी यह एक असंभव गर्भावस्था से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका है। पर्याप्त देखभाल, संभावित कारणों को समझने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना और फिर से गर्भधारण करने की कोशिश करने से पहले कुछ समय रुकना, यह तरीके अगली गर्भावस्था को सफल बनाने में निश्चय ही मदद कर सकते हैं। परिवार की ओर से भावनात्मक समर्थन महत्वपूर्ण है और ऐसी स्थितियों में यह एक निर्णायक भूमिका निभाता है। अगली गर्भावस्था के लिए प्रयास करने से पहले और खुद को तथ्यों को समझने व तदनुसार निर्णय लेने के लिए कुछ समय देने की अत्यधिक सलाह दी जाती है।
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