पहली और दूसरी तिमाही के अंदर होने वाले प्रेगनेंसी लॉस को मिसकैरेज कहते हैं। इसका पहला लक्षण होती है – ब्लीडिंग। जिसके बाद आपको आपके एब्डॉमिनल क्षेत्र में बहुत तेज दर्द का अनुभव हो सकता है। अधिकतर मामलों में, गर्भवती महिला का मिसकैरेज केवल एक बार होता है, जिसके बाद उसके गर्भधारण सफल रहते हैं। मिसकैरेज के स्ट्रेस से गुजरने की कोई जरूरत नहीं होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सही खानपान और एक्सरसाइज से मिसकैरेज की संभावना कम हो जाती है।
गर्भावस्था की शुरुआत में मिसकैरेज के कारण
अधिकतर मामलों में, मिसकैरेज के कारण का पता नहीं होता है, इसलिए इसे रोका नहीं जा सकता है। मिसकैरेज से बचने के लिए गर्भावस्था की शुरुआत में मिसकैरेज के कारणों का पता लगाना और सावधानी बरतना, निश्चित रूप से इसके खतरे को कम कर सकता है। इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:
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इम्यून सिस्टम की बीमारियां:
मादा शरीर जायगोट को एक फॉरेन आब्जेक्ट समझ लेता है, जिस पर आक्रमण करके खत्म कर देना चाहिए। आमतौर पर जायगोट शरीर को अपनी उपस्थिति की जानकारी देता है, पर कुछ मामलों में, इम्यून सिस्टम उससे एक बैक्टीरिया की तरह बर्ताव करता है और उसे खत्म कर देता है। ऐसे मामले में मिसकैरेज एंटी फॉस्फोलिपिड एंटीबॉडीज के कारण होता है। ये वो एंटीबॉडीज होते हैं, जो शरीर के अपने ही सेल्स पर हमला करते हैं।
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असामान्य यूटरस और सर्विक्स:
अगर गर्भाशय का आकार सामान्य न हो, तो एंब्रियो सही तरीके से स्थापित नहीं हो पाता है और उसे न्यूट्रिएंट्स सही तरीके से नहीं मिल पाते हैं। दूसरी संभावना है, एक असमर्थ सर्विक्स की उपस्थिति, जो कि गर्भावस्था की पहली तिमाही के बाद फीटस को शरीर में रखने के लायक मजबूत नहीं होता है।
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वंशानुगत बीमारियां:
ऐसा माना जाता है, कि सभी मिसकैरेजेस में लगभग दो तिहाई वंशानुगत बीमारियों के कारण होते हैं। अंडा और स्पर्म दोनों में बिल्कुल 23 क्रोमोसोम होते हैं, जो कि एक साथ मिलने के बाद 46 बन जाते हैं। लेकिन, अगर क्रोमोसोम की संख्या इससे कम या ज्यादा हो जाए तो मिसकैरेज हो जाता है।
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इन्फेक्शन:
वजाइनल दीवार कई तरह के माइक्रोब्स का घर होती है, जिनमें से अधिकतर कुछ कारणों से फायदेमंद होते हैं। लेकिन, माइक्रोप्लाजमा होमीनिड्स और यूरियाप्लाज्मा यूरियालिटिकम जैसे कुछ बैक्टीरिया महिला के प्रजनन तंत्र के अंदर रहते हैं, जो कि गर्भाशय की दीवार में सूजन पैदा करके मिसकैरेज का कारण बन सकते हैं।
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लाइफस्टाइल:
तंबाकू, कुछ दवाइयां, हवा में मौजूद टॉक्सिन और अल्कोहल जैसे पदार्थ गर्भावस्था पर प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, आइबुप्रोफेन, जो कि एक प्रकार का पेन किलर है, लेबर को उत्पन्न करने में मदद करने वाले हॉर्मोन्स के उत्पादन पर असर डालता है।
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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम:
पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं को हॉर्मोनल इंबैलेंस के कारण मिसकैरेज का खतरा बहुत ज्यादा होता है। खासकर पीसीओएस से ग्रसित वे महिलाएं, जिनमें हॉर्मोनल अनियमितताओं के साथ-साथ इन्सुलिन रेजिस्टेंस भी हो और इन्सुलिन लेवल बढ़ जाता हो। इंसुलिन का बढ़ा हुआ स्तर प्लेसेन्टा और गर्भाशय की दीवार के दिन बीच खून का थक्का बना सकता है, जिससे प्लेसेंटल इनसफिशिएंसी हो सकती है। यह वह स्थिति है, जिसमें पेट में पल रहे बच्चे को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते हैं और उसके टॉक्सिन्स बाहर नहीं जा पाते हैं, इससे मिसकैरेज हो सकता है।
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मैटरनल डिसऑर्डर:
हाइपरथाइरॉएडिज्म, हाइपोथाइरॉएडिज्म और डायबिटीज जैसी बीमारियां प्रतिरोधी गर्भाशय से जुड़ी हुई हैं, जो कि एंब्रियो के स्थापन के लिए सही नहीं है। अच्छी बात यह है, कि इन समस्याओं का इलाज संभव है।
मिसकैरेज से कैसे बचा जाए?
मिसकैरेज ऐसी चीज है, जिसके बारे में गर्भावस्था के दौरान आप सोचना भी नहीं चाहती। लेकिन, यह एक सच्चाई है और किसी भी कीमत पर इससे बचना बहुत जरूरी है। लाइफस्टाइल में कुछ निश्चित बदलाव मिसकैरेज के खतरे को कम कर सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- विटामिन ‘सी’, जिंक और विटामिन ‘बी9’ का ज्यादा सेवन: विटामिन ‘सी’ गर्भाशय की एंडोमेट्रियल परत से सीधे-सीधे संबंधित है। अगर आपको विटामिन ‘सी’ की कमी हो, तो गर्भाशय के टिश्यू इतने मजबूत नहीं होते हैं, कि वे एंब्रियो को स्थापित कर सकें और उसे जगह पर संभाल कर रख सके। यह संतरे, नींबू, अंगूर और हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है। जिंक गर्भावस्था की मेंटेनेंस के साथ-साथ उनकी डेवलपमेंट में भी उपयोगी है। आप मछली, अनाज, लीन मीट और अंडे का सेवन करके अपने खाने में जिंक की मात्रा को बढ़ा सकती हैं। आपको अपने बच्चे के विकास में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए विटामिन ‘बी9’ की अच्छी मात्रा की भी जरूरत होगी। अगर जरूरी हो, तो आपको अपने डॉक्टर की सलाह से विटामिन ‘सी’ और विटामिन ‘बी9’ के सप्लीमेंट्स भी लेने चाहिए।
- सीमित एक्सरसाइज: जहाँ एक ओर अपने दिल के स्वास्थ्य को सही रखना बहुत जरूरी है, वहीं गर्भावस्था के दौरान अधिक एक्सरसाइज न करना अच्छा है। क्योंकि, जोरदार एक्सरसाइज से गिरने या पेट पर चोट लगने के कारण मिसकैरेज की संभावना बढ़ जाती है। दूसरा कारण है, कि अधिक एक्सरसाइज करने से आपका शरीर ज्यादा गरम हो सकता है, जिससे यूटरस की ओर जाने वाला ब्लड फ्लो कम हो सकता है।
- ज्यादा मछली खाना: अध्ययन बताते हैं, कि ज्यादा मछली खाने से मिसकैरेज की संभावना कम हो जाती है। लेकिन ट्यूना, मैकेरल, स्वोर्डफिश और शार्क जैसी मछलियों के सेवन से बचें, क्योंकि इनमें मरकरी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जिससे बच्चे को नुकसान हो सकता है।
- अपने डेयरी के सेवन में सुधार करना: रिसर्च बताते हैं, कि दूध पीने से और चीज खाने से मिसकैरेज की संभावना कम हो जाती है। यहाँ तक कि मोटापा, उम्र और डाइटरी इंटेक जैसे तथ्यों पर भी विचार किये जाने पर भी। हालांकि, ये रिसर्च यह भी बताते हैं, कि बटर के सेवन से मिसकैरेज का खतरा दोगुना हो जाता है। सीधा संदेश यह है, कि बटर से बचा जाए और दूध और चीज का सेवन किया जाए। इस बात का ध्यान रखें, कि अपाश्चुरीकृत डेयरी का सेवन न करें, क्योंकि इससे टॉक्सोप्लास्मोसिस और लिस्टेरियोसिस जैसे इंफेक्शन हो सकते हैं, जिससे मिसकैरेज हो सकता है।
- पर्यावरण के खतरों से खुद को बचाना: गर्भावस्था के दौरान, एक्स-रे की बिल्कुल मनाही ही होती है। अगर बहुत जरूरी हो, तो अपने डॉक्टर को अपनी गर्भावस्था के बारे में पहले ही बता दें। प्रदूषण, वाहनों से निकलने वाला धुआँ, फॉर्मेल्डिहाइड, पेस्टिसाइड जैसे वातावरणीय टॉक्सिन्स से बचें, क्योंकि इनसे मिसकैरेज, स्टिलबर्थ या बच्चे में त्रुटिपूर्ण विकास का खतरा हो सकता है।
- कॉफी को कम करें: अध्ययनों से पता चला है, कि कॉफी मिसकैरेज से जुड़ा हुआ है। वहीं कुछ लोग सलाह देते हैं, कि 1 दिन में चार कप कॉफी के सेवन में कोई बुराई नहीं है।
- सिगरेट और अल्कोहल से बचें: तंबाकू और अल्कोहल की बिल्कुल मनाही है, क्योंकि ये आपके और आपके बच्चे के लिए खतरनाक हो सकते हैं। क्योंकि, तंबाकू से स्पर्म काउंट कम हो जाते हैं और स्पर्म अब्नोर्मलिटीज बढ़ जाती है, जिससे मिसकैरेज हो सकता है। अल्कोहल और भी ज्यादा बुरा होता है, क्योंकि इसके केवल एक गिलास के सेवन से आपकी फर्टिलिटी 50% तक कम हो जाती है। यह प्लेसेंटा से होते हुए बच्चे के विकास पर असर डालता है और मिसकैरेज हो सकता है।
- पालक: अध्ययन बताते हैं, कि पालक में विटामिन ‘ई’ होता है, जो एंब्रियो को पोषण देता है और उसे भूख से बचा कर मिसकैरेज के खतरे को कम करता है।
- चॉकलेट का सेवन: चॉकलेट के सेवन से भी मिसकैरेज का खतरा 20% तक कम हो जाता है, क्योंकि यह बच्चे के इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाता है।
- एसटीडी टेस्ट करें: आपको एचपीवी, हरपीज, सायफिलीस और गोनोरिया जैसी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड बीमारियों की जांच करवानी चाहिए। इसके कारक जर्म्स एंब्रियो से लगे बर्थ कैनाल में मौजूद होते हैं और मिसकैरेज का खतरा बढ़ा सकते हैं। साथ ही, अपने साथी की भी जांच करवाएं।
- प्रोजेस्टेरोन के सप्लीमेंट्स लें: जब गर्भावस्था की बात आती है, तो प्रोजेस्टेरोन सबसे जरूरी हॉर्मोन है, क्योंकि यह गर्भस्थ शिशु को गर्भाशय में रखने के लिए उसे तैयार करने में मदद करता है। अगर आपको प्रोजेस्टेरोन में असंतुलन की समस्या है, तो अपने डॉक्टर से प्रोजेस्टेरोन सप्लीमेंट्स के बारे में बात करें, ताकि आप प्रेग्नेंट हो सकें और आपकी प्रेगनेंसी मेंटेन हो सके। विशेषकर पहली तिमाही में मिसकैरेज से बचने में प्रोजेस्टेरोन बहुत मदद करता है।
- प्रीकनसेप्शन चेकअप करवाएं: गर्भधारण करने से पहले अपने गायनेकोलॉजिस्ट से मिलकर अपनी मेडिकल हिस्ट्री, लाइफस्टाइल और खानपान की जांच करवाएं। आपका डॉक्टर इंफेक्शन के खिलाफ आपकी इम्यूनिटी की भी जांच कर सकता है और जरूरी पड़ने पर वैक्सीनेशन भी दे सकता है। दूसरी स्थितियों में थायराइड डिसऑर्डर, सीजर और ल्यूपस जैसी बीमारियों की जांच भी हो सकती है। इन सबसे भी आपको मिसकैरेज की संभावना को कम करने में मदद मिलती है।
- संतुलित भोजन का निर्माण: अगर आप गर्भधारण करना चाहती हैं और मिसकैरेज से बचना चाहती हैं, तो सभी पोषक तत्वों के सही संतुलन का सेवन बहुत जरूरी है। गाजर, बेरी, पत्तेदार सब्जियां, मछली का तेल जैसे एंटीऑक्सीडेंट कुछ ऐसे भोजन हैं, जिन्हें आपको बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए। फलों के सेवन से मिसकैरेज का खतरा लगभग 75% तक कम हो जाता है।
- नेचुरोपैथी: ऐसी कई जड़ी बूटियां हैं, जिनके बारे में कहा जाता है, कि ये मिसकैरेज के खतरे को कम करते हैं। उदाहरण के लिए, द चेस्ट ट्री, रहमानिया, क्रंप बार्क और ब्लैक हाउ के बारे में कहा जाता है, कि ये हॉर्मोनल संतुलन, इन्फ्लेमेशन, यूटरस पेन और ऐसी अन्य कई प्रजनन प्रक्रिया में कारगर होते हैं।
- मसाज थेरेपी: फर्टिलिटी मसाज में पारंगत मसाजर के सहयोग से गर्भाशय के ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाया जा सकता है। मालिश करने से, कंजेशन और ब्लॉकेज से राहत मिलती है, जिससे आपके गर्भाशय को पूरी क्षमता के साथ काम करने में मदद मिलती है।
मिसकैरेज शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही स्तर पर बहुत ही दर्दनाक होते हैं। गर्भावस्था के दौरान, मिसकैरेज के संभावित कारणों को समझ कर और सही आदतों को फॉलो करके, भविष्य में मिसकैरेज की संभावना से बचा जा सकता है।
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