शिशु

नवजात बच्चों से जुड़ी आम चिंताएं: चुनौतियां और उपाय

नई मांओं को अपने नवजात शिशु के व्यवहार से संबंधित कई सारी चिंताएं लगी रहती हैं जैसे फीडिंग कराना, नहलाना और सुलाना। समय के साथ, आपको धीरे-धीरे पता चल जाएगा कि आपके बेबी के लिए क्या अच्छा और क्या नहीं है, जिससे आप आने वाले नए चैलेंजेस का सामना बेहतर तरीके से कर सकती हैं। 

पहली बार मां बनने पर न्यूबॉर्न बच्चे को संभालने को लेकर होने वाली फिक्र जायज है, बच्चों से संबंधित बहुत सारे काम होते हैं जो आपको थका सकते हैं और आपको काफी स्ट्रेस महसूस हो सकता है। किसी भी स्थिति से निपटने करने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि आप चिंता करना छोड़ दें, क्योंकि ज्यादातर सभी माएं एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रही होती हैं जिसका हल उन्हें समय के साथ मिल जाता है। हम यहां बात करने जा रहे हैं नवजात शिशु से जुड़ी आम समस्याओं के बारे में जिनमें शामिल हैं:

नए परिवेश में एडजस्ट करना

आपके बच्चे को शुरुआती कुछ दिनों में एक नए वातावरण के साथ एडजस्ट करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि वह आपके गर्भ में अपने आरामदायक माहौल का आदी हो चुका होता है। दुनिया में आने के बाद यह यह आपके बच्चे के लिए एक बड़ा बदलाव होता है और वो इस नए परिवेश में असहज महसूस करता है। बच्चे को गर्माहट देने के लिए स्वैडलिंग करने यानी कपड़े में लपेट कर रखने से उसे सुरक्षा का अहसास होता है। बच्चे को बार-बार प्यार करने उसे अपनी गोद में लेने से भी उसे सुरक्षित लगता है क्योंकि आपका और उसका यह त्वचा से त्वचा का स्पर्श आप दोनों के बांड को मजबूत करता है  और वह आपसे जुड़ाव महसूस करता है।

न्यूबॉर्न बच्चों में ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्याएं

शुरुआती कुछ महीनों में ज्यादातर मांओं को अपने बच्चों को दूध पिलाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह विषय हर नई मां के लिए एक चिंता का कारण बनता है कि उसके बच्चे को ठीक से दूध मिल रहा है या नहीं? अगर आप यह जानना चाहती हैं कि बेबी को ठीक न्यूट्रिएंट मिल रहे हैं या नहीं तो ब्रेस्टफीडिंग के बाद ब्रेस्ट में अगर हल्कापन महसूस होता है तो मतलब बच्चा दूध पी रहा है, क्योंकि ब्रेस्ट में जब दूध भरा होता है, तो वे टाइट रहते हैं और बच्चे के फीड के बाद ये काफी नरम हो जाते हैं। आप समय के साथ यह भी देखेंगी कि पेट भर जाने पर बच्चा शांत और संतुष्ट दिखाई देता है। इसके अलावा भी अगर आपको बच्चे में पहुंचने वाले न्यूट्रिएंट्स के बारे जानना है बच्चे की उम्र के अनुसार उसका वजन चेक करें। ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी एक और चिंता यह है कि कई बच्चे निप्पल को मुंह में ठीक तरह नहीं पकड़ पाते हैं आरामदायक पोजीशन में न होने की वजह से लैच नहीं कर पाते हैं। इसलिए ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपका रिलैक्स होना बहुत जरूरी, जब बच्चे को स्तनपान कराएं तो किसी ऐसी जगह बैठे जहां आपको ठीक से बैक सपोर्ट मिले और सहज महसूस हो। आप अलग-अलग फीडिंग पोजीशन ट्राई करें ताकि पता चल सके कि आप दोनों के लिए कौन सी स्थिति ज्यादा सही रहेगी।

फॉर्मूला-फीडिंग से जुड़ी समस्याएं

बहुत सी मांएं जो अपने बच्चों को फॉर्मूला दूध पिलाती हैं, वे इस बात को लेकर संदेह में रहती हैं कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा न्यूट्रिएंट्स प्रदान करने के लिए किस तरह का भोजन खरीदना चाहिए। एक्सपर्ट के अनुसार, आपको इंग्रीडिएंट चेक करने चाहिए और ऐसे प्रोडक्ट चुनने चाहिए जिनमें बच्चे के लिए जरूरी प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का बैलेंस रेश्यो शामिल हो। आप अधिक जानकारी के लिए इस विषय को लेकर बेबी के डॉक्टर से विस्तार में बात कर सकती हैं, वो आपको बेहतर सुझाव देंगे। आपको फॉर्मूला मिल्क से होने वाले किसी भी प्रकार के एलर्जिक रिएक्शन को चेक करते रहना चाहिए, आमतौर पर बच्चों में गाय के दूध से ज्यादा एलर्जी होती है। एलर्जी के कारण आप बच्चे की त्वचा पर दाने, रूखी या परतदार त्वचा, विशेष रूप से माथे पर, उल्टी आदि के लक्षण नोटिस कर सकती हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत उसे फॉर्मूला मिल्क देना बंद कर दें और डॉक्टर से परामर्श करें।

मांओं द्वारा सामना की जाने वाली अन्य ब्रेस्टफीडिंग संबंधी समस्याएं

यदि किसी कारण से आपको अपने बच्चे के फीडिंग शेड्यूल में बॉटल फीड शामिल करने की आवश्यकता है, तो आपको यह समझना होगा है कि इस बदलाव के साथ एडजस्ट होने में थोड़ा समय लगेगा। एक बार जब आप अपने डॉक्टर से सलाह ले लें, तो बच्चे को पहली बार बोतल में ब्रेस्ट मिल्क डालकर दें। उसे बोतल के निप्पल की आदत डालने दें। बच्चे को धीमी गति से बहने वाला निप्पल दें और देखें कि वह इससे सहज है या नहीं। किसी और को बच्चे को दूध पिलाने के लिए कहें क्योंकि वह आपके स्तन के दूध की गंध महसूस कर सकता है और फिर बोतल से पीने को लेकर कंफ्यूज हो सकता है।

बेबी में पेट की समस्या

चार महीने की उम्र तक दूध उगल देना बच्चों में काफी आम होता है, क्योंकि वे अभी भी फीडिंग की आदत डाल रहे होते हैं। नवजात शिशुओं में पेट की समस्याओं के कारणों में से एक है हवा, जो उनके छोटे पेट में फंस जाती है। बच्चे फीडिंग के दौरान और रोते समय भी हवा निगल लेते हैं। जब आप उन्हें डकार दिलाती हैं तो वे दूध को बाहर कर देते हैं, क्योंकि गैस निकल जाने से उन्हें राहत मिलती है। यदि बच्चा बहुत ज्यादा दूध बाहर कर रहा है, तो आपकी यह जानना होगा कि कहीं यह एसिड रिफ्लक्स के कारण तो नहीं हो रहा है। रिफ्लक्स तब होता है जब भोजन नलिका को पेट से जोड़ने वाला इसोफेगल स्फिंक्टर ठीक से काम नहीं करता है। यदि आपको रिफ्लक्स का संदेह है तो डॉक्टर से परामर्श करें। आपको अपने बच्चे के वजन पर भी नजर रखनी चाहिए और अगर आपको ज्यादा अंतर् नजर आ रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

बेबी में नींद की समस्या

आपका बच्चा शुरुआती कुछ हफ्तों के दौरान अलग-अलग समय अंतराल पर 16-17 घंटे तक सोता है। एक बार में बच्चा 2-4 घंटे की नींद ले लेता है, हालांकि सोने का सही समय एक बच्चे का दूसरे बच्चे से अलग हो सकता है। आपको रात में बच्चे को फीड कराने के लिए और शांत करने के लिए बार-बार उठना पड़ सकता है। आपका शेड्यूल गड़बड़ हो जाता है, लेकिन बच्चा थोड़ा बड़ा जाएगा तो आपको इससे निश्चित बेड टाइम रूटीन बनाने में मदद मिलेगी। सोने के समय की एक निश्चित दिनचर्या न केवल आपके बच्चे में ‘जल्दी सोने और जल्दी उठने’ की अच्छी आदत को विकसित करने में आपकी मदद करेगी, बल्कि यह उसे रात में एक बेहतर नींद दिलाने में भी मदद करेगी। इसमें कुछ समय लग सकता है, लेकिन बच्चा जल्दी ही रूटीन फॉलो करने लगेगा। वह धीरे-धीरे अपने सोने के समय को एन्जॉय करेगा और खुद ही अपने रोज के समय पर सो जाएगा। 

व्यवहार संबंधी चिंताएं जिन पर मेडिकल अटेंशन देने की जरूरत है

1. सुस्त रहना

यदि आपके बच्चे में एनर्जी नहीं है और वह अच्छी तरह से खिलाए जाने के बावजूद भी सुस्त दिखता है, तो उसे डॉक्टर के पास चेकअप के लिए ले जाना जरूरी है। हो सकता है बच्चा किसी इन्फेक्शन या लो ब्लड शुगर से पीड़ित हो, जिस पर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए ।

2. बेवजह रोना

यदि सभी प्रयासों के बावजूद भी बच्चा शांत नहीं हो रहा है और यह उसके व्यवहार का हिस्सा बनता जा रहा है, तो यह ब्रेन इन्फेक्शन का या फ्यूचर डेवलपमेंट प्रॉब्लम जैसे ऑटिज्म, एडीएचडी या किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।

आप कुछ ही महीनों में सभी आम समस्याओं से बाहर निकल आएंगी। यदि आप अपने बच्चे के व्यव्हार में कुछ अजीब सी चीजों को नोटिस करती हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

यह भी पढ़ें:

शिशुओं में होने वाली आम पाचन समस्याएं
शिशुओं की 15 आम स्वास्थ्य समस्याएं और बीमारियां
बच्चों की नींद संबंधी 10 समस्याएं और उनसे निपटने के प्रभावी उपाय

समर नक़वी

Recent Posts

मिट्टी के खिलौने की कहानी | Clay Toys Story In Hindi

इस कहानी में एक कुम्हार के बारे में बताया गया है, जो गांव में मिट्टी…

3 days ago

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई…

3 days ago

ब्यूटी और बीस्ट की कहानी l The Story Of Beauty And The Beast In Hindi

ब्यूटी और बीस्ट एक फ्रेंच परी कथा है जो 18वीं शताब्दी में गैब्रिएल-सुजैन बारबोट डी…

3 days ago

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

2 weeks ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

2 weeks ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago