शिशु

न्यूबॉर्न बच्चों के लिए विटामिन ‘के’ – यह जन्म के समय क्यों जरूरी होता है

विटामिन ‘के’ फैट में घुलने वाला एक ऐसा विटामिन है जिसकी हमारे शरीर को ब्लड क्लॉट बनाने के लिए जरूरत होती है। यह एक जरूरी माइक्रोन्यूट्रिएंट है। यह ब्लड क्लॉट्स बनाने के लिए जरूरी प्रोटीन प्रोथ्रोम्बिन का उत्पादन करने में मदद करता है। इसके नहीं होने से शरीर में एक छोटा सा कट लगने से भी लगातार ब्लीडिंग हो सकती है जिससे गंभीर रूप से काफी खून बह सकता है। न्यूबॉर्न बेबी में विटामिन ‘के’ का स्तर काफी कम होता है। इसलिए उन्हें जन्म के समय विटामिन ‘के’ दिया जाना चाहिए।

न्यूबॉर्न बच्चों के लिए विटामिन के क्यों जरूरी है?

विटामिन ‘के’ न्यूबॉर्न बच्चों के लिए बेहद जरूरी होता है क्योंकि यह उन्हें हेमोरेजिक डिजीज ऑफ न्यूबॉर्न (एचडीएन) नामक एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी से बचने में मदद करता है, जिसे विटामिन के डेफिशियेंसी ब्लीडिंग (वीकेडीबी) भी कहा जाता है। नवजात बच्चों में स्वाभाविक रूप से विटामिन ‘के’ नहीं होता है। साथ ही ब्रेस्टफीडिंग में भी शिशु को वीकेडीबी से बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन मौजूद नहीं होता है। यह बीमारी बच्चे को पैदा होने के पहले हफ्ते में होती है और इंटरनल ब्लीडिंग का कारण बन सकती है जिससे स्थाई रूप से अंगों को नुकसान पहुंचता है और यहां तक ​​कि यह घातक भी हो सकता है। इसलिए, इस बात ध्यान रखने के लिए कि नवजात बच्चों में इसकी कमी न हो, उन्हें इसके सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं।

बड़े लोगों में विटामिन के गट यानी आंतों के बैक्टीरिया द्वारा बनाया जाता है। हालांकि, बच्चों में पैदा होने के पहले हफ्ते में इसे सिंथेसाइज करने के लिए ये बैक्टीरिया नहीं होते हैं। प्रीमैच्योर बच्चे और जिन बच्चों को सर्जरी की जरूरत  होती है, उनमें विटामिन ‘के’ डेफिशियेंसी ब्लीडिंग होने का खतरा ज्यादा होता है।

क्या सभी न्यूबॉर्न बच्चों को विटामिन ‘के’ दिया जा सकता है?

  • सभी न्यूबॉर्न बच्चों को विटामिन के सप्लीमेंट की जरूरत होती है।
  • प्रीमैच्योर बेबी, बीमार बच्चे और वे बच्चे जिन्हें सर्जरी की जरूरत होती है, उनमें वीकेडीबी होने का खतरा अधिक होता है
  • कुछ बच्चों को विटामिन मुंह के द्वारा देना भी उपयुक्त नहीं होता है।
  • शिशुओं के लिए मुंह से दवाई देने की तुलना में इंजेक्शन अधिक प्रभावी पाए गए हैं।
  • गर्भावस्था के दौरान, यदि आपने ब्लड क्लॉट्स, मिर्गी या ट्यूबरक्लोसिस की दवा ली है, तो यह अपने डॉक्टर को बताएं। यह आपके बच्चे को मुंह से दिए गए विटामिन सप्लीमेंट को एब्जॉर्ब करने में सक्षम होने से रोकता है और इसके बजाय ऐसे में एक इंजेक्शन की जरूरत होती है।

न्यूबॉर्न बच्चों में विटामिन ‘के’ कम क्यों होता है?

बच्चों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन के नहीं होता है क्योंकि ब्रेस्ट मिल्क और गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा के माध्यम से यह पर्याप्त मात्रा में ट्रांसफर नहीं होता है। साथ ही, यह हमारे शरीर में आंतों के बैक्टीरिया द्वारा सिंथेसाइज होता है। हालांकि, जन्म के समय बच्चों में इसे बनाने के लिए पर्याप्त गट बैक्टीरिया नहीं होते हैं। यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे इस स्थिति को ठीक किया जा सकता है:

1. न्यूबॉर्न के लिए विटामिन ‘के’ इंजेक्शन

यह बच्चों को विटामिन देने का सबसे भरोसेमंद और अच्छा तरीका है। इंजेक्शन बच्चे के पैर में लगाया जाता है। जन्म के समय एक इंजेक्शन कई महीनों तक बच्चे की रक्षा करता है।

2. न्यूबॉर्न के लिए विटामिन ‘के’ का ओरल डोज

ओरल सप्लीमेंट्स, इंजेक्शन की तरह ज्यादा प्रभावी नहीं होते हैं क्योंकि बच्चे इसे मुंह द्वारा दिए जाने पर अच्छी तरह से एब्जॉर्ब नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि विटामिन शरीर में लंबे समय तक नहीं रहता है और इसलिए 3 खुराक देने की जरूरत होती है – जन्म के समय, 1 हफ्ते में और फिर 6 हफ्ते में।

नवजात बच्चों को विटामिन के कैसे दिया जाता है?

विटामिन के बच्चों को या तो मुंह के द्वारा कुछ बूंदों के रूप में या बच्चे के पैर में इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है। ओरल खुराक इंजेक्शन की खुराक के रूप में कम प्रभावी होती है। जन्म के समय एक इंजेक्शन लगना कई महीनों के लिए काफी होता है। यदि विटामिन ‘के’ मौखिक रूप से दिया जाता है, तो 3 खुराक की आवश्यकता होती है। ऐसा हो सकता है कि बाद की डोज छूट सकती है या बच्चा बूंदों को ठीक से निगल नहीं पाता है। जब विटामिन ‘के’ खुराक, मौखिक रूप से दी जाती है, स्तनपान करने वाले बच्चों के लिए 3 खुराक और बोतल से दूध पीने वाले बच्चों के लिए 2 खुराक सही होती हैं। नवजात बच्चों के लिए विटामिन ‘के’ की बूंदें सभी अस्पतालों में उपलब्ध होती हैं और यदि विकल्प दिया जाए तो आप इसका विकल्प चुन सकती हैं। हालांकि, इंजेक्शन लगवाने की सलाह ज्यादा दी जाती है क्योंकि यह ओरल डोज से कहीं अधिक प्रभावी है।

क्या बच्चे को विटामिन के देने के कोई साइड इफेक्ट्स हैं?

बच्चों को विटामिन ‘के’ देने के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं। यह ब्लड क्लॉट्स में मदद करता है और साथ ही ब्लीडिंग को भी रोकता है। बच्चों में इसके प्रभाव पर कई स्टडीज की गई हैं और उनमें यही बताया गया है कि इससे बच्चों में कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।

विटामिन ‘के’ कहां मिलता है?

जिस अस्पताल में आपका बच्चा पैदा हुआ है, वहां के बाल रोग विशेषज्ञ आपके बच्चे को विटामिन के देते हैं। आमतौर पर आपकी नर्स या डॉक्टर आपसे पूछेंगे कि आप इसे अपने बच्चे को इंजेक्शन के रूप में या ओरल ड्रॉप्स के रूप में, कैसे देना चाहती हैं। ऐसे में इंजेक्शन चुनना बेहतर है क्योंकि यह ओरल ड्रॉप्स की तुलना में अधिक प्रभावी है।

किन बच्चों को विटामिन ‘के’ डेफिशियेंसी ब्लीडिंग (वीकेडीबी) विकसित होने का अधिक खतरा रहता है?

कुछ बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में डेफिशियेंसी से जुड़ी ब्लीडिंग को अधिक तेजी से विकसित कर सकते हैं। वे कौन से बच्चे होते हैं, जानिए:

  • वे बच्चे जो गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले पैदा हुए हैं।
  • जिन बच्चों को जन्म के समय सांस लेने में तकलीफ होती है और जिन्हें जन्म के समय पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी होती है।
  • वेंटहाउस, सिजेरियन या फोरसेप्स डिलीवरी से पैदा हुए बच्चे, जहां चोट लगने का खतरा रहता है।
  • जिन बच्चों की मांओं ने गर्भवती होते हुए एंटी-क्लॉटिंग, मिर्गी या ट्यूबरक्लोसिस की दवाएं लीं हैं।
  • वे बच्चे जिनमें लंबे समय तक पीलिया के लक्षण दिखते हैं और जिन बच्चों को गहरे रंग का पेशाब और पीला मल होता है।

विटामिन ‘के’ की कमी के संभावित लक्षण

लक्षणों में शामिल हैं:

  • बच्चे को बहुत आसानी से चोट लग जाना।
  • नाक, अंबिलिकल कॉर्ड और आंत से ब्लीडिंग होना।
  • बच्चे के चेहरे और सिर के आसपास चोट के निशान अचानक बढ़ जाना।
  • उल्टी होना, त्वचा और मसूड़े का पीला होना और चिड़चिड़ापन।
  • यदि बच्चा 3 हफ्ते से अधिक का है और उसे पीलिया है जिसकी स्थिति और खराब होती जा रही है।

डॉक्टर से कब सलाह लें?

यदि आपको विटामिन ‘के’ की कमी के कोई भी संकेत और लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। यदि आपको बच्चे के गर्भनाल के स्टंप से खून निकलता हुआ दिखाई देता है या हील प्रिक टेस्ट के बाद थोड़ी देर के लिए खून बहना बंद नहीं होता है या यदि बच्चे को अचानक नाक से खून आने लगता है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। यदि इसका त्वरित इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे इंटरनल ब्लीडिंग, ऑर्गन डैमेज और यहां तक ​​कि मृत्यु भी हो सकती है।

ब्लड क्लॉटिंग के लिए विटामिन ‘के’ जरूरी है क्योंकि इसके बिना ब्लड क्लॉट नहीं होगा और साथ ही लगातार ब्लीडिंग होती रहेगी। नवजात बच्चों में इसका स्तर कम होता है और इसलिए उन्हें जन्म के समय इसके सप्लीमेंट देना जरूरी होता है। इसे इंजेक्शन के रूप में देना बेहतर माना जाता है क्योंकि यह बच्चे को कई महीनों तक किसी भी कमी से जुड़ी ब्लीडिंग से बचाएगा। 6 महीने की उम्र तक, बच्चे के पास खुद को सिंथेसाइज करने के लिए पर्याप्त गट बैक्टीरिया मौजूद होंगे।

यह भी पढ़ें:

शिशुओं में विटामिन डी की कमी
क्या बेबी को दूध पिलाने के दौरान विटामिन सी लेना चाहिए?
काम जो आपको बच्चे के जन्म के बाद जरूर करने चाहिए

समर नक़वी

Recent Posts

अभय नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Abhay Name Meaning in Hindi

नाम हर व्यक्ति की पहली पहचान होता है, और इसलिए बच्चे के जन्म लेने से…

1 week ago

दृश्या नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Drishya Name Meaning in Hindi

क्या आपके घर में बेटी का जन्म हुआ है या आपके घर में छोटा मेहमान…

1 week ago

अरहम नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Arham Name Meaning in Hindi

हमारे देश में कई धर्मों के लोग रहते हैं और हर धर्म के अपने रीति-रिवाज…

1 week ago

ज्योत्सना नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Jyotsna Name Meaning in Hindi

हर किसी के लिए नाम बहुत मायने रखता है। जब आप अपनी बेटी का नाम…

1 week ago

सारा नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Sara Name Meaning in Hindi

इन दिनों लड़कियों के कई ऐसे नाम हैं, जो काफी ट्रेंड कर रहे हैं। अगर…

1 week ago

उर्मिला नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Urmila Name Meaning in Hindi

बच्चों के प्रति माता-पिता का प्यार और भावनाएं उनकी हर छोटी-छोटी बात से जुड़ी होती…

1 week ago