जैसे- जैसे बच्चे बड़े होते है वो हर रोज नई चीजें सीखने की कोशिश करते हैं। सीखते और एक्स्प्लोर करते समय कभी-कभी ऐसी स्थिति आ जाती है जहाँ उनको आपकी मदद की जरूरत पड़ती है। ऐसी परिस्थिति में पेरेंट्स को पेरेंटिंग से जुड़ी कई चुनौतियां आती हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी होता है। आइए सबसे आम पेरेंटिंग समस्याएं और उन्हें दूर करने के तरीकों के बारे जानते हैं।
यहां कुछ सामान्य समस्याएं दी गई हैं जिनका सामना माता-पिता करते हैं और उनके समाधान के तरीके भी बताए गए हैं।
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वे स्कूल और उनके आस-पड़ोस के अन्य बच्चों से मिलने लगते हैं। कई अन्य बच्चों के साथ आसानी से घुल-मिल जाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ बच्चे अलग रहना पसंद करते हैं और किसी भी तरह के इन्वॉल्वमेंट से दूर रहते हैं। कुछ बच्चे बेहद शर्मीले होते हैं और दूसरे बच्चों से दोस्ती करने या उनके साथ बातचीत करने के लिए इतना जोश नहीं दिखाते हैं।
उपाय
इस स्थिति से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने बच्चे को ऑब्जर्व करें। यदि वह हमेशा दूसरे बच्चों के साथ मिलने से इनकार करता है, तो आप उससे उसकी पसंद के दोस्त बनाने के बारे में कहें। किसी भी समय आपको उसे किसी से बात करने या किसी और के साथ खेलने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। कई बार दो शर्मीले बच्चे भी दोस्त बन जाते हैं।
हमारी पूरी लाइफ टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गई है, लेकिन बच्चे डिजिटल गैजेट्स को एक अलग तरीके से देखते हैं। वे एक बार फोन या वीडियो गेम ले लेंगे और फिर घंटों तक उससे चिपके रहेंगे। आपके उसे देने से इंकार करने या उससे गैजेट्स छीनने पर, बच्चा गुस्सा होने लगेगा, अपना धैर्य खो देगा, या बेकाबू होकर रोना शुरू कर देगा।
उपाय
वह पेरेंट्स ही होते है जो बच्चों को डिजिटल गैजेट के बारे में जानकारी देते हैं। वैसे ही उनको कोशिश करनी चाहिए कि डिजिटल डिवाइस कि जगह दूसरी एक्टिविटीज पर भी बच्चे का ध्यान लगवाएं। आउटडोर एक्टिविटीज और बोर्ड गेम एक अच्छा विकल्प हैं जहाँ आप भी हिस्सा ले सकती हैं। बच्चे के प्ले टाइम में उन्हें गैजेट्स के साथ खेलने के लिए कुछ टाइम लिमिट दें।
माता-पिता के सामने सबसे बड़ी समस्याओं में से एक यह है कि उनके बच्चे अक्सर सही समय पर और सही मात्रा में खाना नहीं खाते हैं। वे हेल्दी सब्जियां और खानों से बचते हैं और अक्सर घर में रखी मिठाई और स्नैक्स खाना ज्यादा पसंद करते हैं। बर्गर, पिज्जा और अन्य जंक फूड की तरफ उनका ध्यान ज्यादा जाता है और आप जब भी घर से बाहर जाएंगी आपका बच्चा हर बार वही खाना पसंद करेगा।
उपाय
ऐसे मामलों में जबरदस्ती करना कभी काम नहीं आता। अपने बच्चे से जंक फूड को रोज खाने के नुकसान के बारे में बताने का प्रयास करें। उसे मोटापे और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के उदाहरण दें। उसे किचन की अलग-अलग एक्टिविटीज में शामिल करें और उसे दिखाएं कि हेल्दी भोजन कैसे तैयार किया जाता है।
हर माता-पिता को अपने बच्चे का होमवर्क पूरा करने से लेकर आने वाले एग्जाम के लिए पढ़ाने तक बहुत स्ट्रगल करना पड़ता है साथ ही जो पढ़ाया जा रहा है उसको भी पूछना पड़ता है। ज्यादातर बच्चे को डांटने या उसे जबरदस्ती बैठकर पढ़ने को बोला या मजबूर किया जाता है।
उपाय
कोशिश करें कि आप बच्चे से बात करें कि उसे स्कूल में क्या पसंद है और उसे कौन सा सब्जेक्ट पसंद है उसका इंटरेस्ट जानें। यदि वह किसी एक विषय में कमजोर या फोकस्ड है, तो उससे इस बारे में बात करें, क्योंकि असल जीवन के उदाहरणों के साथ उसे ज्ञान मिल सकता है। जब पढ़ाई की बात आती है, तो एक रूटीन जरूर सेट करना चाहिए, इससे समय के साथ आपको बच्चे से पढ़ाई करने के लिए नहीं कहना पड़ेगा। इसलिए कोशिश करें और एक रूटीन को लागू करें और उसका लगातार पालन करें।
लगभग सभी बच्चे रोते हैं और अपने माता-पिता से शिकायत करते हैं। वह रो सकते हैं और छोटी-छोटी बातों के लिए शिकायत कर सकते हैं। स्कूल में या अपने दोस्तों के साथ या घर पर खेलते समय कोई भी छोटी सी घटना उसे शिकायत करने और उसके बारे में चीखने चिल्लाने के लिए प्रेरित कर सकती है।
उपाय
यह जानना बेहद जरूरी है कि आपके बच्चे का शिकायत करने और रोने का सही कारण यह है कि आपका बच्चा चाहता है कि आप उस पर ध्यान दें। सबसे अच्छा यही होगा कि जब आप उसकी शिकायत सुनें तो उससे बात करें और जल्द से जल्द उसको सॉल्व करें। धीरे-धीरे, उसे हर समय रोने के बजाय अपने मुद्दों को सही तरीके से बात करने के लिए शिक्षित करें। उससे इस बारे में बात करें कि वह स्वयं अपनी कुछ समस्याओं का समाधान खुद कैसे कर सकता है।
यह सभी पेरेंट्स और सिंगल पेरेंट के लिए काफी चैलेंजिंग विषय होता है जिसके कई परिणाम हो सकते हैं। जब आपके बच्चे की हरकतें कंट्रोल के बाहर जाने लगती हैं, तो उनका बर्ताव भी गुस्से से भरा होने लगता है, जिससे वो अपनी बात मनवाने के लिए चीखने चिल्लाने का सहारा लेने लगते है और चीजों को तोड़ना, लगातार अपने और आपके लिए परेशानी और तनाव पैदा करना उनका स्वभाव बन जाता है। यहाँ तक कि अपनी बात मनवाने के लिए बच्चा हिंसा तक का सहारा ले सकता है।
उपाय
ऐसा बहुत कम होता है कि बच्चा बिना किसी वजह के गुस्सा करे। उससे बात करें और जानने की कोशिश करे कि क्या घर में या बाहर ऐसी कोई स्थिति है जिसके कारण वह तनाव में है और इस तरह से रिएक्ट कर रहा है। यदि स्थिति विकट है और लंबे समय से जारी है, तो उसे एंगर मैनेजमेंट कॉउंसलर के पास ले जाना बेहतर होगा ताकि उसे प्रोफेशनल मदद मिल सके।
लगभग सभी बच्चे कभी न कभी झूठ बोलते हैं। आपको यह भी एहसास हो जाता है कि आपका बच्चा झूठ बोल रहा है, लेकिन उसे झूठ बोलने पर तुरंत न टोकें। इसका परिणाम यह होता है कि वह झूठ बोलना जारी रखता है और इसे एक आदत बना लेता है। अगर सही समय पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आपका बच्चा बहुत सी जरूरी चीजों को आपसे छिपाने लग सकता है।
उपाय
अपने बच्चे के झूठ बोलने पर उसे डांटें या पीटें जरूरी नहीं है। उसे बताएं कि आप उनका झूठ पकड़ सकती हैं और उससे बात कर सकती हैं कि झूठ बोलना अच्छा क्यों नहीं है। उसे सच बोलने के लिए कहें और यकीन दिलाएं कि आप सच जानने के बाद उससे बुरा बर्ताव नही करेंगी। जब भी बच्चा आपसे सच बोले उसकी प्रशंसा करे।
भाई-बहन के झगड़े और वाद-विवाद कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें हर माता-पिता हल्के में लेते हैं। लेकिन जब वे कंट्रोल से बाहर हो जाते हैं, तो ये एक-दूसरे के प्रति नफरत का भाव दिखाना शुरू कर देते हैं। इसके अलावा, लगातार झगड़ों से आपको बहुत परेशानी हो सकती है और घर का माहौल खराब हो सकता है।
उपाय
स्थिति को शांति से सुलझाने के लिए झगड़ा शुरू होते ही उसे खत्म करने का प्रयास करें और उनसे बात करें कि वे ऐसा कैसे कर सकते हैं। आपका पहला कदम दोनों बच्चों को शांत करने का होना चाहिए और किसी एक या दूसरे को किसी भी चीज के लिए दोष न दें। एक नियम लागू करें जहाँ दोनों बच्चों के साथ बराबर का बर्ताव या पनिशमेंट होनी चाहिए।
कई बार आप अपने बच्चे को कुछ करने के लिए कहती हैं और वह सीधे मना कर देता है। ज्यादातर माता-पिता को बच्चे का यह व्यवहार बहुत रुखा और ओवर-स्मार्ट लगता है लेकिन आपका बच्चा उस समय अपनी बात की अहमियत को आगे रखने की कोशिश कर रहा होता है। लेकिन उस पर अपनी श्रेष्ठता दिखाना बच्चे को और भी ज्यादा एग्रेसिव बना सकता है।
उपाय
बच्चे को अपनी राय और बात रखने दें। उससे इस बारे में बात करें कि आप उससे जो पूछ रही हैं वह क्यों आवश्यक है और उसका पक्ष सुनें कि वह ऐसा क्यों नहीं करना चाहता। इसका कारण बताएं और यह ज्यादातर काम करेगा। शांत रहने से वह अपनी कही गई बातों पर फिर से विचार करेगा। अगर वह रूड होने लगे, तो तुरंत सख्त बनकर उससे बात करें।
यह जिद्द या शिकायत करने से अलग है। जब आपका बच्चा नखरे करता है, तो वह रोना शुरू कर देगा और इसके पीछे का कारण नहीं बताएगा। वह आपकी बात नहीं सुनेगा या शांत नहीं होगा, जिससे परेशानी बढ़ती जाएगी।
उपाय
ऐसी स्थिति में आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि आप अपना आपा न खोएं। अपने बच्चे को बताएं कि जब वह रोना बंद कर देगा, तो आप उसकी बात सुनने के लिए तैयार हैं। तब तक, अपने काम को जारी रखें। एक बार जब वह समझ जाता है कि उसके नखरों का आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है, तो वह रुक जाएगा और आपसे इस बारे में बात करेगा कि वह वास्तव में क्या चाहता है।
एक बच्चे के बड़े होने पर उसकी देखभाल करना निश्चित रूप से एक कठिन काम है। इस जर्नी के दौरान पेरेंट्स और बच्चे के रिश्ते को कई समस्याओं का सामना करना बहुत चैलेंजिंग होता है। आपका बच्चा भी इन सभी चीजों का सामना करने की पूरी कोशिश करता है। लेकिन उन्हें इस सब चीजों को मैनेज करने के लिए आपकी हमेशा जरूरत पड़ती है, इसलिए आप ऊपर बताई गई और उसके समाधान पर गौर करें और अपने बच्चे को अच्छी परवरिश दें।
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