In this Article
- न्यूमोकोकल बीमारी: कारण, प्रकार और लक्षण
- न्यूमोकोकल बीमारी का खतरा किसे अधिक होता है?
- न्यूमोकोकल कैसे फैलता है?
- क्या बच्चों को न्यूमोकोकल बीमारी से बचाया जा सकता है?
- न्यूमोकोकल वैक्सीन के बारे में जरूरी जानकारी
- न्यूमोकोकल वैक्सीन के लिए रेकमेंडेड खुराक और शेड्यूल
- न्यूमोकोकल वैक्सीन कैसे दी जाती है?
- अपने बच्चे को न्यूमोकोकल बीमारी से बचाने के लिए माँएं क्या कर सकती हैं?
आपका बच्चा आपके गर्भ में सुरक्षित रूप से बढ़े, इसके लिए आप हर संभव कदम उठाती हैं। लेकिन, जैसे ही वह वास्तविक दुनिया में अपनी पहली सांस लेता है, वैसे ही सब कुछ बदल जाता है। ऐसी कई चीजें होती हैं, जो आपके बच्चे के जन्म के बाद अचानक ही सामने आ जाती हैं और आप चाहे जितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन हर बार आप अपने अनमोल बच्चे को नुकसान से नहीं बचा पाती हैं। ऐसे समय में, चिकित्सा जगत की तरक्की का एक वरदान, जो हमेशा आपके साथ खड़ा होता है, वह है वैक्सीनेशन।
वैक्सीन एक ऐसा साधन है, जिसकी मदद से शरीर को विभिन्न बीमारियों से लड़ना सिखाया जाता है। बच्चों में रूबेला, मीजल्स, चिकन पॉक्स, हेपेटाइटिस आदि जैसी बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीन लगाई जाती है। लेकिन एक बीमारी जिसे अक्सर ही दरकिनार कर दिया जाता है, वह है न्यूमोकोकल बीमारी।
न्यूमोकोकल बीमारी: कारण, प्रकार और लक्षण
न्यूमोकोकल, स्ट्रैप्टॉकोक्कस निमोनियाई नामक बैक्टीरियम से होने वाली बीमारियों का एक ग्रुप है। इस बैक्टीरियम के संक्रमण से नीचे दी गई बीमारियां हो सकती हैं:
1. मेनिनजाइटिस
इसमें बैक्टीरियम, मेनिनजेस (दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड को कवर करने वाला सुरक्षात्मक टिशू) को संक्रमित कर देता है। शिशुओं में मेनिनजाइटिस के लक्षणों में बुखार, तेज सिर दर्द, मतली, उल्टी, गर्दन में अकड़न और फोटोफोबिया (रोशनी से डरना) शामिल है।
2. बैक्टिरेमिया
इसमें बैक्टीरिया सीधा ब्लड स्ट्रीम में पहुंचकर उसे संक्रमित कर देता है। तेज बुखार इसका एक लक्षण है और इसके साथ कुछ अन्य जटिलताएं हो भी सकती है और नहीं भी हो सकती हैं, जैसे मेनिनजाइटिस, निमोनिया, पेरिकार्डाइटिस (हृदय के इर्द-गिर्द सुरक्षात्मक दीवार पेरिकार्डियम की सूजन), पेरीटोनाइटिस (पेरिटोनियम नामक पेट की अंदरूनी दीवार को कवर करने वाली परत की सूजन), न्यूमोकोकल इन्फेक्शन से होने वाला अर्थराइटिस।
3. बैक्टिरेमिक निमोनिया
यह एक तरह का निमोनिया (फेफड़ों का संक्रमण) है, जो कि स्ट्रैप्टॉकोक्कस निमोनियाई के कारण होता है। निमोनिया के आम लक्षणों में तेज हल्की सांसे, कंपकंपी, खांसी, बुखार, छाती में कंजेशन, सिर दर्द और हरा, पीला या खून जैसा थूक दिखना शामिल है।
4. ओटाइटिस मीडिया
यह मिडल इयर का एक संक्रमण है। इसके लक्षणों में कान का दर्द, बुखार, कम सुनना शामिल है। छोटे बच्चों में बार-बार कान खींचना ओटाइटिस मीडिया का एक संकेत हो सकता है।
5. साइनसाइटिस
यह साइनस का एक संक्रमण होता है। हल्का बुखार (100.4 फारेनहाइट से कम), नाक बहना, सिरदर्द, बंद नाक और खांसी इसके लक्षण हैं।
न्यूमोकोकल बीमारी का खतरा किसे अधिक होता है?
2 साल तक की उम्र के बच्चों को न्यूमोकोकल संक्रमण का खतरा अधिक होता है, क्योंकि छोटे बच्चों की इम्युनिटी बहुत कम होती है और वे आसानी से किसी भी तरह के संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। जो लोग आपके बच्चे की देखभाल करते हैं, वे ही इसके फैलने के प्रमुख माध्यम के रूप में पहचाने गए हैं – जैसे कि डे केयर में काम करने वाले लोग और परिवार में बच्चे की देखभाल करने वाले लोग – क्योंकि न्यूमोकोकी हवा के माध्यम से फैलते हैं और उनसे होने वाले संक्रमण को रोकना या उनसे बचना मुश्किल होता है। जो व्यक्ति बैक्टीरियम से संक्रमित हो, उसके खांसने और छींकने से दूसरे लोग आसानी से इसकी चपेट में आ सकते हैं। समाज और परिवार में भी शिशुओं और छोटे बच्चों को अगर यह संक्रमण हो, तो दूसरे बच्चे इससे आसानी से संक्रमित हो सकते हैं।
न्यूमोकोकल कैसे फैलता है?
जैसा कि पहले बताया गया है, न्यूमोकोकी, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट सिक्रीशन की ड्रॉपलेट्स के द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैल सकते हैं। जब एक व्यक्ति खाँसता है या छींकता है, तो बैक्टीरियम युक्त फ्लुईड के छोटे-छोटे ड्रॉपलेट्स हवा में फैल जाते हैं। जो व्यक्ति सांस के द्वारा ड्रॉपलेट्स को अपने शरीर के अंदर ले लेता है, उसे न्यूमोकोकल हो सकता है।
स्वस्थ बच्चों की नाक और कंठ में न्यूमोकोकी की मौजूदगी आम बात है। हालांकि, कुछ मामलों में इनकी मौजूदगी ओटाइटिस मीडिया या मेनिनजाइटिस बैक्टीरिमिया और बैक्टेरेमिक निमोनिया जैसी न्यूमोकोकल बीमारियों के आक्रामक स्वरूप के आने का एक संकेत हो सकता है। इसके अलावा, जिन बच्चों के नाक और कंठ में ये बैक्टीरियम मौजूद होते हैं, वे भी दूसरे बच्चों को आसानी से संक्रमित कर सकते हैं।
इसके अलावा, डे-केयर संस्थाओं में न्यूमोकोकल के संक्रमण की अधिक घटनाएं भी देखी गई हैं। डे-केयर के अधिकारियों के शरीर में बैक्टीरियम होने की संभावना भी अधिक होती है और इसलिए जो बच्चे उनकी देखरेख में होते हैं, उनमें न्यूमोकोकल बीमारी होने का खतरा भी ज्यादा होता है। इस तरह से कॉन्ट्रैक्ट होने वाले न्यूमोकोकल बीमारी की प्रबलता भिन्न हो सकती है और इसमें गंभीर आक्रामक न्यूमोकोकल बीमारी शामिल हैं, जैसे बैक्टीरेमिया और मेनिनजाइटिस।
क्या बच्चों को न्यूमोकोकल बीमारी से बचाया जा सकता है?
हां। न्यूमोकोकल बीमारी से होने वाली रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने का सबसे प्रभावी और किफायती तरीका है, वैक्सीनेशन। न्यूमोकोकल वैक्सीन के इस्तेमाल से 2 साल तक के बच्चों में न्यूमोकोकल बीमारी को रोका जा सकता है। लेकिन, न्यूमोकोकल बीमारी से बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए सही वैक्सीन लेना और रेकमेंडेड खुराक को पूरा करना जरूरी है।
न्यूमोकोकल वैक्सीन के बारे में जरूरी जानकारी
स्ट्रैप्टॉकोक्कस निमोनियाई नामक जो बैक्टीरिया न्यूमोकोकल बीमान्यूमोकोकल-वैक्सीनरी का जिम्मेदार होता है, उसके कई स्वरूप होते हैं, जिन्हें सिरोटाइप कहते हैं। अब तक 90 सिरोटाइप से ज्यादा की पहचान हो चुकी है। हालांकि ज्यादातर बीमारियों के लिए इनमें से 13 सिरोटाइप ही जिम्मेदार होते हैं। न्यूमोकोकल बीमारियों के लिए ये 13 ही सबसे आम कारण होते हैं।
कुछ वर्ष पहले, इन 13 सिरोटाइप से सुरक्षा देने वाले वैक्सीन को बनाया गया था। इसे पीसीवी13 के नाम से जाना जाता है। जब न्यूमोकोकल बीमारी से बच्चे की सुरक्षा की बात आती है, तो ब्रॉड कवरेज पीसीवी13 वैक्सीन को चुनना ही बेहतर है, क्योंकि यह सबसे अधिक सिरोटाइप से सुरक्षित रखता है।
न्यूमोकोकल वैक्सीन के लिए रेकमेंडेड खुराक और शेड्यूल
छोटे बच्चों और शिशुओं को एक श्रृंखला के रूप में यह वैक्सीन देने की सलाह दी जाती है। इस श्रृंखला में 6 सप्ताह, 10 सप्ताह और 14 सप्ताह की उम्र में तीन खुराक दी जाती हैं और 12 और 15 महीने के बीच बूस्टर डोज दिया जाता है। अगर बच्चा इनमें से कोई खुराक मिस भी कर देता है, तो बूस्टर डोज देना जरूरी होता है। खुराकों के बीच के अंतराल और इनकी संख्या की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह भी दी जाती है।
ऊपर दिए गए शेड्यूल के अलावा नीचे दिए गए बिंदुओं को भी याद रखना चाहिए:
- जिस बच्चे की इनमें से कोई भी खुराक छूट जाए – उसे अगली खुराक कब देनी है और आगे कितनी खुराक देने की जरूरत है, इसके बारे में अपने पीडियाट्रिशियन से परामर्श लें।
- 2 से 4 वर्ष की उम्र के बीच के जिन बच्चों ने न्यूमोकोकल वैक्सीन शेड्यूल को पूरा नहीं किया है – उनके लिए पीसीवी13 वैक्सीन की एक खुराक देने की सलाह दी जाती है।
- 5 वर्ष से कम उम्र के जिन बच्चों को कोई अन्य पीसीवी वैक्सीन दी गई है – उन्हें पीसीवी13 की एक अतिरिक्त खुराक दी जानी चाहिए।
न्यूमोकोकल वैक्सीन कैसे दी जाती है?
पीसीवी13 वैक्सीन मांसपेशियों में दी जाती है। शिशुओं और छोटे बच्चों में यह इंजेक्शन वैस्टस लैटरालिस नामक मांसपेशी में दी जाती है, जो कि जांघ में स्थित होती है।
जहां इस वैक्सीन के कई फायदे होते हैं और यह जीवन रक्षक हो सकती है। वहीं, ऐसी कुछ बातें हैं, जो बच्चे को यह इंजेक्शन लगवाने के लिए डॉक्टर के पास ले जाने से पहले आपको पता होनी चाहिए।
अपने डॉक्टर से पूछें
पता करें, कि क्या आपके बच्चे को पीसीवी13 वैक्सीन की जरूरत है। 5 साल से कम के अधिकतर बच्चों के लिए यह जवाब ‘हां’ ही होगा। लेकिन आपके बच्चे को इसके पहले न्यूमोकोकल वैक्सीन की कितनी खुराक दी जा चुकी है, इसके अनुसार खुराक और शेड्यूल में अंतर हो सकता है।
डॉक्टर को बताएं
बच्चे को वैक्सीन देने से पहले अपने डॉक्टर को निम्नलिखित बातों की जानकारी दें:
- अगर पिछले कुछ दिनों में आपके बच्चे को तेज बुखार रहा है।
- अगर बच्चे को पहले कभी किसी भोजन, दवा या वैक्सीन से कोई एलर्जी हो चुकी हो।
- अगर बच्चे को खून की कोई बीमारी हो, खासकर वैसी कोई बीमारी जिसमें उसे काफी ब्लीडिंग होती है।
- अगर किसी भी कारण से आपके डॉक्टर ने यह बताया हो, कि आपके बच्चे की इम्युनिटी कमजोर है।
अपने बच्चे को न्यूमोकोकल बीमारी से बचाने के लिए माँएं क्या कर सकती हैं?
पेरेंट्स को अपने बच्चे को सही सुरक्षा देने के लिए, सावधानीपूर्वक एक सही और निष्पक्ष निर्णय लेना बहुत जरूरी है। सभी मांओं को अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पीडियाट्रिशियन से पीसीवी13 ब्रॉड स्पेक्ट्रम न्यूमोकोकल वैक्सीन के बारे में विचार विमर्श करना चाहिए। माँओं को समय निकाल कर पीडियाट्रिशियन से मिलना चाहिए और न्यूमोकोकल वैक्सीन के बारे में विचार विमर्श करना चाहिए और उनसे यह पूछना चाहिए, कि उनके बच्चे के लिए कौन सी न्यूमोकोकल वैक्सीन सही है और फिर समझदारी से इसका चुनाव करना चाहिए। उन्हें यह जानकारी अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी साझा करनी चाहिए और दूसरों को न्यूमोकोकल बीमारी से सुरक्षित रहने में मदद करनी चाहिए।
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