In this Article
मातृत्व चैलेंजिंग भी हो सकता है। एक बार माँ बनने के बाद आपके शरीर और मन में बहुत सारे बदलाव होते हैं जिससे रोक पाना बहुत ज्यादा कठिन है। कभी-कभी आप बहुत ज्यादा भावनात्मक भी हो सकती हैं। पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन से सिर के नर्व्ज पर असर पड़ सकता है। मूड की इस समस्या को ठीक करने के लिए आपको इसके बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए।
आपको डिलीवरी के बाद डिप्रेशन के बारे में जरूर पता होगा जो मूड डिसऑर्डर का ही एक प्रकार है और इसमें गर्भावस्था के बाद महिलाओं को डिप्रेशन होता है पर उतना नहीं जितना पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन होता है, है न? पोस्ट वीनिंग डिसऑर्डर भी एक मूड डिसऑर्डर है जो महिलाओं को तब होता है जब वे बच्चे को अपना दूध पिलाना छोड़ती हैं। वीनिंग में धीरे-धीरे ब्रेस्टफीडिंग बंद की जाती है जिसमें माँ का दूध पीने की बजाय बच्चा अन्य खाद्य पदार्थ खाने लगता है।
ब्रेस्टफीडिंग से बच्चे की आपसे करीबी बढ़ती है और यह उसकी न्यूट्रिशन की आवश्यकताओं को भी पूरा करता है। बच्चे को महीनों तक दूध पिलाने के बाद ब्रेस्टफीडिंग बंद करने से आप पर भावनात्मक रूप से प्रभाव पड़ सकता है। बच्चे को न कहना आपके लिए आसान नहीं होगा। इसलिए जब आप बच्चे को दूध पिलाने से मना करेंगी तो आपको भी बहुत अजीब लगेगा। इसके अलावा हॉर्मोन्स भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गर्भावस्था की पूरी अवधि और मातृत्व आपके हॉर्मोन्स को बहुत ज्यादा उत्तेजित कर देती है। हॉर्मोन्स में उतार चढ़ाव से भी पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन हो सकता है।
बच्चे को दूध पिलाते समय आपके शरीर में ऑक्सीटोसिन बढ़ता है जो एक अच्छा महसूस कराने वाला हॉर्मोन है। यह हॉर्मोन विशेष रूप से दूध का फ्लो बढ़ाने में मदद करता है। ऑक्सीटोसिन की वजह से ही ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे और माँ का संबंध गहरा होता है।
बच्चे को दूध पिलाते समय एक महिला के शरीर में प्रोलैक्टिन हॉर्मोन भी बढ़ता है। यह हॉर्मोन महिला में दूध बनाने में मदद करता है और इसकी वजह से नींद आती है व आराम मिलता है। बच्चे को दूध पिलाते समय एक महिला के शरीर में ये दो हॉर्मोन्स बहुत ज्यादा होते हैं। हालांकि जब आप बच्चे को अचानक से दूध पिलाना बंद कर देती हैं तो इससे दिमाग में कफ्यूजन होती है और आपको पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन होता है।
मूड डिसऑर्डर और दुःख में अंतर होता है। इसके निम्नलिखित कुछ लक्षण हैं, आइए जानें;
यदि आपको पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन हो रहा है तो आपको मदद की जरूरत है। यहाँ बताया गया है कि इस स्थिति में आप खुद की मदद कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;
आपको यह मानना पड़ेगा कि आप मूड डिसऑर्डर से ग्रसित हैं। अक्सर लोगों को पोस्ट वीनिंग डिसऑर्डर के बारे में नहीं पता होता है क्योंकि यह डिलीवरी के बाद के डिप्रेशन जैसा ही है। इसलिए इस समस्या को ठीक करने में आपको ज्यादा कठिनाई हो सकती है। यदि आप बच्चे को दूध पिलाना छोड़ने के बाद डिप्रेशन का अनुभव करती हैं तो इसे मान भी लें क्योंकि इससे आपकी समस्या कम होने में मदद मिलेगी।
आप खुद से ही मूड डिसऑर्डर जैसी समस्याओं को ठीक नहीं कर पाएंगी। कोई भी इतना प्रभावी या मानसिक रूप से मजबूत नहीं है जो यह कर सके। इसके लिए आप डॉक्टर या थेरेपिस्ट से सलाह लें ताकि वह आपको सही दिशा दिखा सकें और पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन के ट्रीटमेंट में आपकी मदद कर सकें।
हॉर्मोन्स पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यद्यपि ऐसा नहीं है कि आप इसे खत्म नहीं कर पाएंगी पर फिर भी कुछ दवाइयां लेने से हॉर्मोन्स के उतार-चढ़ाव का नकारत्मक प्रभाव कम हो सकता है और आपकी स्थिति सुधर सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि आप वही दवा लें जो डॉक्टर या थेरेपिस्ट द्वारा प्रिस्क्राइब की गई है। खुद से दवा लेने से आपका भला होने से ज्यादा हानि हो सकती है।
जाहिर है यदि आपको पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन हो रहा है तो आपको जीवन की सकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती होगी। पर यदि आप इस डिप्रेशन को खत्म करना चाहती हैं तो सकारात्मक रहें। इस प्रकार से मन के विचारों को बदलने से आपको बहुत ज्यादा मदद मिल सकती है।
आपके शरीर को न्यूट्रिएंट्स की जरूरत है पर आपको अपने आहार में ज्यादातर जिंक और ओमेगा 3 लेना चाहिए। ये न्यूट्रिएंट्स शरीर में स्ट्रेस के हॉर्मोन्स को कम करने में मदद करते हैं।
डिप्रेशन में हर व्यक्ति खुद को अकेला समझता है पर आपको यह जानना चाहिए कि आप अकेली नहीं हैं। आप अपने पति, भाई, बहन और दोस्त की मदद लेकर इस समस्या को भी खत्म कर सकती हैं। आप उन्हें अपनी समस्याएं बताएं और उनसे अपनी भावनाओं के बारे में चर्चा करें।
आपको खुद से ही घृणा और व्यर्थता महसूस होने लगी होगी। पर आपको यह जानना और विश्वास करना चाहिए कि आप इन सब चीजों से बढ़कर हैं। आप बहुत ज्यादा स्ट्रॉन्ग हैं जो हर एक कठिन परिस्थिति का सामना कर सकती है।
इस थेरेपी से भी आपको मदद मिलती है। इसमें आपके प्रेशर पॉइंट्स पर पतली सुइयां चुभाई जाती हैं ताकि आपका स्ट्रेस कम हो सके।
हम कई बार कह चुके हैं कि एक्सरसाइज करने से आपके शरीर में अद्भुत प्रभाव पड़ते हैं। यह सिर्फ आपके स्वास्थ्य को ही नहीं बल्कि मन को भी ठीक रखती है। आपको तुरंत बहुत ज्यादा कठिन एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं है। इस समय सिर्फ एरोबिक्स और जुम्बा करने से भी मदद मिल सकती है।
भोजन करने से आपकी भावनाओं पर असर पड़ता है इसलिए आप बैलेंस्ड डायट लें। इस बात का ध्यान रखें कि आप अपनी डायट में हरी सब्जियां और फल खाएं और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन में हॉर्मोन्स की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए जब आप अपने बच्चे का दूध छुड़ाएंगी तो उसके हॉर्मोन्स अपने आप ही नियंत्रित हो जाएंगे जिसके बाद आपका एक नया और नियमित रूटीन बन सकेगा। पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन अक्सर दो सप्ताह तक रहता है पर यदि यह ज्यादा दिनों तक बढ़ता है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यदि आपको पहले भी डिप्रेशन हुआ है तो ऐसी समस्या हो सकती है।
आप अपनी इस स्थिति से लड़ने के लिए बहुत स्ट्रॉन्ग हैं। अपने मन और स्वास्थ्य को पहले रखें, जीवन को सकारात्मक तरीके से देखें और मदद मांगने के लिए बिलकुल भी न हिचकिचाएं। हम जानते हैं कि मातृत्व बिलकुल भी सरल नहीं है पर इसमें आप अकेली नहीं हैं। इसलिए पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन को अपने जीवन में हावी न होने दें।
यह भी पढ़ें:
यह बेबी ब्लूज है या पोस्टपार्टम डिप्रेशन?
स्ट्रेस और ब्रेस्टफीडिंग – कारण, प्रभाव और टिप्स
स्तनपान छुड़ाना – संकेत, आहार और ठोस खाद्य पदार्थ खिलाने की शुरुआत
बच्चों को कोई भी भाषा सिखाते समय शुरुआत उसके अक्षरों यानी स्वर और व्यंजन की…
बच्चों का बुरा व्यवहार करना किसी न किसी कारण से होता है। ये कारण बच्चे…
हिंदी देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है, अंग्रेजी का उपयोग आज लगभग हर क्षेत्र…
हिंदी भाषा में हर अक्षर से कई महत्वपूर्ण और उपयोगी शब्द बनते हैं। ऐ अक्षर…
हिंदी भाषा में प्रत्येक अक्षर से कई प्रकार के शब्द बनते हैं, जो हमारे दैनिक…
हिंदी की वर्णमाला में "ऊ" अक्षर का अपना एक अनोखा महत्व है। यह अक्षर न…