गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान आलूबुखारा खाना

आलूबुखारा बेहद पौष्टिक फल होता है और इससे स्वास्थ्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। आलूबुखारा में विभिन्न विटामिन और मिनरल होते हैं और साथ ही यह फाइबर व एंटीऑक्सीडेंट का एक बेहतरीन स्रोत है। दुनियाभर में आलूबुखारा की सौ से अधिक किस्में हैं। आलूबुखारा बेर की किस्मों में से एक है जो भारतीय उपमहाद्वीप में मूल रूप से पाया जाता है। आलूबुखारा का स्वाद खट्टा-मीठा होता है और यह फल सभी को पसंद आता है। लेकिन क्या आप गर्भावस्था के दौरान भी इस स्वादिष्ट फल का आनंद ले सकती हैं? आइए जानते हैं!

आलूबुखारा का पोषण मूल्य

अधिकांश अन्य फलों की तुलना में ताजा आलूबुखारा का पोषण मूल्य काफी अधिक है। नीचे दिए हुए चार्ट में लगभग 100 ग्राम आलूबुखारा में कितना पोषण मूल्य है, इसके बारे में जानकारी दी गई है।

पोषक तत्‍व मात्रा/100 ग्राम
ऊर्जा 46 किलो कैलोरी
कार्बोहाइड्रेट 11.4 ग्राम
प्रोटीन 0.7 ग्राम
वसा (फैट) 0.28 ग्राम
फाइबर 1.4 ग्राम
फोलेट 5 माइक्रोग्राम
पैंटोथैनिक एसिड 135 माइक्रोग्राम
नियासिन 417 माइक्रोग्राम
पायरीडॉक्सीन 29 माइक्रोग्राम
राइबोफ्लेविन 26 माइक्रोग्राम
पोटेशियम 157 मिलीग्राम
थियामिन 28 माइक्रोग्राम
विटामिन ‘ए’ 200 माइक्रोग्राम
विटामिन ‘सी’ 9.5 मिलीग्राम
विटामिन ‘ई’ 260 माइक्रोग्राम
विटामिन ‘के’ 6.4 माइक्रोग्राम
कैल्शियम 6 मिलीग्राम
आयरन 170 माइक्रोग्राम
मैग्नीशियम 7 मिलीग्राम
मैंगनीज 52 माइक्रोग्राम
जिंक 100 माइक्रोग्राम
फॉस्फोरस 16 मिलीग्राम

गर्भावस्था के दौरान आलूबुखारा खाने के स्वास्थ्य लाभ

गर्भवती महिला के लिए आलूबुखारा खाना बहुत फायदेमंद हो सकता है। निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभ के कारण आप आलूबुखारा को अपने दैनिक आहार में शामिल कर सकती हैं:

1. वजन को नियंत्रित रखने में मदद करता है

आलूबुखारा में मौजूद कार्बोहाइड्रेट, फल शर्करा का एक रूप होता है और अन्य की अपेक्षा में इसका प्रभाव कम होता है। विशेषकर यदि आप गर्भावस्था के दौरान वजन घटाना चाहती हैं तो यह फल कम कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों में से एक है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान सूखे आलूबुखारा खाने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि उनमें कार्बोहाइड्रेट और सोडियम की मात्रा अधिक होती है।

2. एनीमिया के प्रभाव को कम करने में मदद करता है

विशेषकर गर्भावस्था के दौरान एनीमिया शरीर में आयरन की कमी के कारण एक आम समस्या है और अधिकांश गर्भवती महिलाओं में यह समस्या पाई जाती है। हालांकि अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे समय से पूर्व जन्म या जन्म के समय शिशु का वजन कम हो सकता है। इसलिए इस दौरान सबसे पहले एनीमिया का इलाज करना आवश्यक है। इस समस्या को रोकने के लिए, आयरन-युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने की सलाह दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान आप आलुबूखारा खा सकती हैं क्योंकि यह फल आयरन से भरपूर होता है जो लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने के लिए आवश्यक है। आप आलूबुखारा को अपने दैनिक आहार में शामिल करें और एनीमिया जैसी समस्याओं से दूर रहें!

3. ऊर्जा प्रदान करता है

विटामिन ‘सी’ पाचन तंत्र के माध्यम से आयरन को अवशोषित करने में मदद करता है, जिससे एनीमिया का खतरा कम होता है। यह एक प्रभावी एंटीऑक्सिडेंट भी है, जिसका अर्थ है कि यह शारीरिक कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाता है। विटामिन ‘सी’, एल-कार्निटाइन के संश्लेषण के लिए आवश्यक होता है और यह एक वैकल्पिक अमीनो एसिड है, जो फैटी एसिड को विभाजित करने व ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए आवश्यक है।

4. हृदय रोग से दूर रखता है

चूंकि आलुबूखारा एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है, इसे खाने से सूजन कम करने और कोशिकाओं के मुक्त कणों को क्षति से बचाने में मदद मिलती है। आलुबूखारा में पॉलीफेनोल एंटीऑक्सिडेंट अधिक पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं और हृदय रोग व डायबिटीज के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, आलुबूखारा में वसा कम होता है और यह वसा पूरी तरह से अनसैचुरेटेड होता है जिससे हृदय संबंधित समस्याओं में वृद्धि नहीं होती है।

5. कब्ज को दूर करने में मदद करता है

आलुबूखारा में भरपूर फाइबर मौजूद होने के कारण यह पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह फल लैक्सेटिव प्रभाव डालते हुए पाचन तंत्र को उत्तेजित करके मल त्याग को आसान बनाने में मदद करता है।

6. समय से पहले प्रसव को रोकता है

आलूबुखारा में मैग्नीशियम की प्रचुर मात्रा होती है जो गर्भाशय ग्रीवा की मांसपेशियों आराम प्रदान करने में भूमिका निभाता है और साथ ही शुरूआती संकुचन के खतरे को कम कर सकता है। 

7. दिमाग के लिए अच्छा है

शोधों के अनुसार आलुबूखारा में एंथोसायनिन और पॉलीफेनोल जैसे प्रभावी एंटीऑक्सिडेंट मौजूद होते हैं जो मस्तिष्क की कोशिकाओं में लिपिड के स्तर को ऑक्सीडेटिव गिरावट से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

8. हड्डियों के विकास में सहायता करता है

आलूबुखारा में विटामिन ‘ए’ भरपूर मात्रा में होता है जो हड्डियों के विकास में सुधार करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, आलूबुखारा में पोटेशियम, विटामिन ‘के’, कैल्शियम और फॉस्फोरस के तत्व भी मौजूद होते हैं। ये सभी पोषक तत्व हड्डियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।

9. शारीरिक थकान व मानसिक तनाव को दूर करता है

गर्भावस्था के दौरान शारीरिक तनाव और थकान आम शिकायत है। आलूबुखारा में विटामिन, मिनरल व एंटीऑक्सिडेंट मौजूद होते हैं जो इन प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं और साथ ही आलूबुखारा में पाए जाने वाले गुण विभिन्न प्रक्रियाओं का समर्थन करने और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं। 

गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन कितना आलूबुखारा खाना चाहिए

आलूबुखारा की दैनिक मात्रा विभिन्न कारकों, जैसे संभोग, स्वास्थ्य स्थिति, आयु इत्यादि पर निर्भर करती है। हालांकि एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए आलूबुखारा खाने की औसत मात्रा प्रति दिन लगभग 100 ग्राम है। यद्यपि आलूबुखारा स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है लेकिन फिर भी इसका ज्यादा मात्रा में सेवन नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। 

आलूबुखारा का सेवन कब नहीं करना चाहिए

यद्यपि आलूबुखारा बहुत पौष्टिक होता है लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से अनेक दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। यहाँ कुछ संभावित स्थितियां दी गई हैं जिसमें आपको गर्भावस्था के दौरान आलूबुखारा का सेवन करने से बचना चाहिए।

1. यदि आप स्वस्थ तरीके से वजन बढ़ाना चाहती हैं

चूंकि आलूबुखारा में कैलोरी कम होती है, यह आपके वजन को कम करने और डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। हालांकि कैलोरी मेटाबॉलिज्म के लिए भी महत्वपूर्ण है और गर्भावस्था के दौरान इसकी आवश्यकता अधिक होती है। कृपया सुनिश्चित करें कि आप विभिन्न स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों से पहली तिमाही में प्रति दिन 1800 किलो कैलोरी, दूसरी तिमाही में 2200 किलो कैलोरी और तीसरी तिमाही में प्रतिदिन 2400 किलो कैलोरी प्राप्त करती हैं।

2. यदि आपको गुर्दे की समस्या है

जिन लोगों को गुर्दे की समस्या नहीं होती है वे बिना किसी डर के आलूबुखारा का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, यदि आपके गुर्दे में पथरी का खतरा है तो आपको आलूबुखारा का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें ऑक्सलेट्स होते हैं, जो कैल्शियम के साथ मिलकर गुर्दे में पथरी का निर्माण कर सकते हैं।

आलूबुखारा का चुनाव कैसे करें और इसे कैसे स्टोर करें

आलूबुखारा खरीदते समय लाल रंग के ताजे व मध्यम आकार के रसीले आलूबुखारा का चुनाव करें। कृपया सिकुड़ा हुआ, क्षतिग्रस्त, खराब या कच्चा आलूबुखारा खाने से बचें। आप लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए एक प्लास्टिक बैग में आलूबुखारा रखकर अपनी क्रिस्पर ड्रावर में स्टोर करें।

गर्भवती महिलाओं के लिए आलूबुखारा के स्वादिष्ट व स्वास्थ्यप्रद व्यंजन

यहाँ आलूबुखारा के कुछ स्वादिष्ट व स्वास्थ्यप्रद व्यंजनों की विधि बताई गई है जिन्हें आप गर्भावस्था के दौरान खा सकती हैं;

1. रोस्टेड आलूबुखारा

यहाँ बताया गया है कि आप रोस्टेड आलूबुखारा कैसे बना सकती हैं।

सामग्री

  • संतरे का रस – 4 बड़े चम्मच
  • चीनी – 4 बड़े चम्मच
  • जायफल – 1 चुटकी
  • पिसा हुआ अदरक – 1 छोटा चम्मच
  • दालचीनी – ½ छोटा चम्मच
  • गुठली हटाया हुआ आलूबुखारा – 2 कप

विधि 

  • बेकिंग पैन में कटा हुआ और गुठली हटाया हुआ आलूबुखारा रखें।
  • आलूबुखारे को गार्निश करने के लिए दालचीनी, चीनी, जायफल और अदरक को एक साथ मिलाएं।
  • इसमें संतरे का रस छिड़कें और एल्यूमीनियम फॉइल से ढकें।
  • अंत में पहले से ऑन किए हुए ओवन में इसे रोस्ट करें।

2. आलूबुखारा की चटनी

यदि आपको कच्चा आलूबुखारा अच्छा नहीं लगता है तो आप आलूबुखारा का एक और व्यंजन बना सकती हैं। यहाँ बताया गया है कि आप आलूबुखारा की चटनी कैसे बना सकती हैं और इसके अद्भुत स्वाद का आनंद नाश्ते में ले सकती हैं। 

सामग्री

  • राइस वाइन – 4 बड़े चम्मच
  • पानी – 4 बड़े चम्मच
  • लहसुन (कटा हुआ ) – 1 छोटा चम्मच
  • चीनी – ½ कप
  • प्याज (कटा हुआ) – 4 बड़े चम्मच
  • दालचीनी – ½ चम्मच
  • आलूबुखार – 1 कप

विधि 

  • सभी सामग्रियों को एक साथ मिलाएं
  • इस मिश्रण को एक सॉस पैन में तब तक पकने दें जब तक यह नर्म न हो जाए।
  • पेस्ट बनाने के लिए इस मिश्रण को मसल लें और फिर एक समान गाढ़ा करने के लिए ब्लेंड कर लें।
  • आप इस सॉस का उपयोग नाश्ते में जैम की जगह क्र सकती हैं।

आलूबुखारा एक पौष्टिक फल है और यदि आपको गुर्दे की समस्या या कोई अन्य स्वास्थ्य संबंधी जटिलता नहीं है तो आप इसे गर्भावस्था के आहार में शामिल कर सकती हैं। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर होगा। एक स्वस्थ और सुरक्षित गर्भावस्था के लिए आपको शुभकामनाएं!

संसाधन और संदर्भ:

स्रोत १
स्रोत २

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था के दौरान अनार का सेवन – क्या यह सुरक्षित है?
गर्भावस्था के दौरान केले का सेवन

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

मिट्टी के खिलौने की कहानी | Clay Toys Story In Hindi

इस कहानी में एक कुम्हार के बारे में बताया गया है, जो गांव में मिट्टी…

4 days ago

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई…

4 days ago

ब्यूटी और बीस्ट की कहानी l The Story Of Beauty And The Beast In Hindi

ब्यूटी और बीस्ट एक फ्रेंच परी कथा है जो 18वीं शताब्दी में गैब्रिएल-सुजैन बारबोट डी…

4 days ago

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

2 weeks ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

2 weeks ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago