गर्भावस्था के दौरान चॉकलेट का सेवन

गर्भावस्था के दौरान चॉकलेट का सेवन

गर्भावस्था के दौरान किसी विशेष चीज को खाने की प्रबल इच्छा होना बिल्कुल आम बात है। इस दौरान अक्सर ही कुछ ऐसी चीजें खाने का मन करता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए विशेषकर गर्भवती स्त्री के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं। इस तरह की ललचाने वाली खाने की सामग्रियों में जंक फूड, आइसक्रीम और चॉकलेट जैसी चीजें अक्सर ही सबसे ऊपर आती हैं। लेकिन इनमें से चॉकलेट को अलग कर दिया गया है और इसका सेवन सुरक्षित माना गया है। बल्कि, कनाडा के यूनिवर्सिटी लावल क्यूबेक सिटी और येल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के द्वारा किए जाने वाले एक अध्ययन के मुताबिक चॉकलेट गर्भ के विकास में मदद करता है। 

क्या गर्भावस्था के दौरान चॉकलेट का सेवन सुरक्षित है

अगर आप यह सोच रहे हैं, कि, “क्या गर्भावस्था के दौरान मुझे चॉकलेट खाना चाहिए”, तो आपको यह जानकर अच्छा लगेगा कि हां आप खा सकती हैं, पर इसे सीमित मात्रा में ही खाएं और ऐसा चॉकलेट में मौजूद कैफीन के कारण है। कैफीन के सेवन की प्रतिदिन की मात्रा 200 एमजी के अंदर होना आवश्यक है। इसके अलावा इसे बहुत ज्यादा खाने से आपको भूख कम लगेगी और आप गर्भावस्था के लिए आवश्यक स्वास्थ्यवर्धक भोजन का सेवन नहीं कर पाएंगी। 

चॉकलेट में मौजूद पोषक तत्व 

चॉकलेट मैग्नीशियम, फ्लेवोनॉयड्स और थियोब्रोमाइन का उच्च स्रोत है। जहां एक तरफ मैग्नीशियम ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करता है और फ्लेवोनॉयड मजबूत एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, वहीं थियोब्रोमाइन किडनी की कार्यप्रणाली को संतुलित रखता है और रक्त धमनियों के कार्य को दुरुस्त बनाए रखता है। लगभग 43 ग्राम चॉकलेट में 235 कैलोरी के साथ-साथ 13 ग्राम फैट होता है। वहीं इतनी ही मात्रा में डार्क चॉकलेट में 290 कैलोरी और 19 ग्राम फैट होता है। 

गर्भावस्था के दौरान चॉकलेट खाने के फायदे

सीमित मात्रा में चॉकलेट, खासकर डार्क चॉकलेट के सेवन से गर्भावस्था के दौरान कई फायदे देखे गए हैं। इनमें निम्नलिखित फायदे शामिल हैं: 

  • प्री-एक्लेमप्सिया से राहत: प्री-एक्लेमप्सिया में माँ को हाई ब्लड प्रेशर और हाई प्रोटीन की शिकायत होती है। इस कारण समय पूर्व प्रसव, बेहोशी, खून के थक्के जमने की समस्याएं और लिवर में खराबी जैसी दिक्कतें आ सकती हैं। चॉकलेट में मौजूद थियोब्रोमाइन, प्री-एक्लेमप्सिया के खिलाफ अच्छा प्रभाव दिखा सकता है। यह विशेषकर तीसरी तिमाही में ज्यादा असरदार होता है। 
  • एंटीऑक्सीडेंट के स्रोत: चॉकलेट में पाए जाने वाले फ्लेवोनॉयड्स बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कि इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। 
  • हृदय संबंधी फायदे: चॉकलेट में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हृदय के लिए फायदेमंद होते हैं और यह जीवन में आगे चलकर हृदय संबंधी बीमारियों से बचा सकते हैं। 
  • तनाव से मुक्ति में सहायक: डार्क चॉकलेट आपके मस्तिष्क में सेरोटोनिन और एंडोर्फीन के स्तर को प्रभावित करता है। यह मूड को बेहतर बनाने में सक्षम होते हैं। चॉकलेट में मौजूद फ्लेवनॉल थकान से राहत दिलाने में और तनाव को कम करने में भी सहायक होता है।
  • प्रसन्न संतान: रिसर्च से पता चला है कि जिन महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान डार्क चॉकलेट का ज्यादा सेवन किया, उनके बच्चे अपेक्षाकृत खुशमिजाज और जिंदादिल पैदा हुए। स्टडीज से यह भी पता चला है चॉकलेट मेटर्नल तनाव से बच्चों की रक्षा भी करते हैं। 
  • कोलेस्ट्रोल लेवल का संतुलन: डार्क चॉकलेट में मौजूद फ्लेवोनॉयड गर्भावस्था के दौरान कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित बनाए रखने में सहायता करता है। साथ ही यह रक्त-वाहिकाओं को लचीला बना कर खून के प्रवाह को सही बनाए रखने में मदद करता है। 
  • पोषक तत्व: चॉकलेट में आयरन और मैग्नीशियम जैसे बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कि हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में सहायक होते हैं और फैटी एसिड के मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देते हैं। 
  • रेसवेरट्रोल की मौजूदगी: चॉकलेट में मौजूद यह तत्व दिमाग और नर्वस सिस्टम की रक्षा करता है और यह शिशु के विकास में मदद भी कर सकता है। 
  • मोनो अनसैचुरेटेड फैट की उपस्थिति: गर्भवती स्त्री के लिए सीमित मात्रा में मोनो अनसैचुरेटेड फैट्स अच्छे होते हैं। चॉकलेट में ओलिक एसिड पाया जाता है, जिसमें लगभग ओलिव ऑयल जितना ही फैट पाया जाता है। मोनो अनसैचुरेटेड फैट की उपस्थिति

सही चॉकलेट का चुनाव कैसे करें

चॉकलेट जितना ज्यादा डार्क होगा, उतना ही ज्यादा बेहतर होगा। डार्क चॉकलेट में आवश्यक तत्वों की एक श्रृंखला पाई जाती है, जो कि गर्भवती स्त्री के स्वास्थ्य के लिए अनगिनत रूप से फायदेमंद होता है। अगर आपको कम से कम मीठे युक्त या रिफाइंड वाइट शुगर रहित ऑर्गेनिक चॉकलेट मिल जाए, तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता।  चॉकलेट-मूस से परहेज करने की कोशिश करें, क्योंकि इसमें कच्चे अंडे होते हैं जो कि गर्भवती स्त्री के लिए सही नहीं माना जाता है। चॉकलेट मिल्क, हॉट चॉकलेट और वाइट चॉकलेट, ये सभी गर्भवती स्त्री के लिए सुरक्षित माने जाते हैं। अगर सीमित मात्रा का ध्यान रखा जाए, तो कभी-कभार चॉकलेट-केक या आइसक्रीम भी खाया जा सकता है। 

गर्भावस्था के दौरान आप कितनी चॉकलेट खा सकते हैं

आपकी चॉकलेट की मात्रा गर्भावस्था के पहले और गर्भावस्था के दौरान, के आपके स्वास्थ्य के ऊपर निर्भर करती है। प्रोसेस्ड चॉकलेट के बजाय प्योर चॉकलेट का चुनाव करें। आपको कितनी चॉकलेट खानी चाहिए यह बताने के लिए आपका डॉक्टर सबसे बेहतर व्यक्ति है। 

गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा चॉकलेट खाना बुरा क्यों है

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को चॉकलेट खाने की इतनी इच्छा क्यों होती है, इसके बारे में कोई ठोस विवेचना नहीं है। लेकिन आपकी क्रेविंग चाहे कितनी भी ज्यादा क्यों ना हो, आपको बहुत ज्यादा चॉकलेट नहीं खानी चाहिए।  और इसके कारण निम्नलिखित हैं: 

  • कैफीन में बढ़ोतरी: चॉकलेट में कैफीन पाया जाता है और गर्भावस्था के दौरान इसका जरूरत से ज्यादा सेवन शरीर में न्यूरोट्रांसमीटर्स को प्रभावित कर सकता है। यह स्वस्थ होने का गलत एहसास करा सकता है और इससे शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली में रूकावट आ सकती है। बहुत ज्यादा कैफीन के सेवन से सीने में जलन के अलावा गर्भपात के खतरे भी देखे गए हैं। 
  • कैलोरी की अधिकता: बहुत ज्यादा चॉकलेट खाने से अवांछित वजन बढ़ सकता है। चॉकलेट में मौजूद फैट और कैलोरी के कारण ऐसा हो सकता है। वजन ज्यादा होने के कारण जेस्टेशनल डायबिटीज, वेरीकोज वेन्स, हाइपरटेंशन और सी-सेक्शन की संभावना जैसी दिक्कतें आ सकती हैं। 
  • शक्कर की मात्रा: गर्भावस्था के दौरान अगर आप केवल डार्क चॉकलेट का सेवन कर रही हैं, तो भी उसमें अच्छी मात्रा में शक्कर पाई जाती है। डार्क चॉकलेट के 45 ग्राम के एक टुकड़े में 18 ग्राम शक्कर होती है। वहीं, इतनी ही मिल्क चॉकलेट में 23 ग्राम शक्कर होती है। अधिक मात्रा में शक्कर के सेवन से बहुत ज्यादा वजन बढ़ना, दांत संबंधी तकलीफें और गर्भ-कालीन डायबिटीज़ की संभावना बढ़ जाती है। 

चॉकलेट के सेवन के लिए उसके विभिन्न प्रकारों में से समझदारी-पूर्ण चुनाव करके और उनकी मात्रा को सही रखकर आप गर्भावस्था के दौरान अपने क्रेविंग को सुरक्षित रूप से संतुष्ट कर सकती हैं। 

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