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गर्भावस्था के दौरान आपको अपने शरीर में कुछ बदलावों का अनुभव होता है पर इनमें से कुछ बदलाव असहनीय भी होते हैं। गर्भावस्था के दौरान शारीरिक बदलाव के कारण आपके जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। इस समय हॉर्मोन्स में बदलाव और पेट का वजन बढ़ने से आपके गर्भाशय में दबाव पड़ता है और इसकी वजह से आपको अपना पोस्चर बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है। इस समस्या के कारण भी जोड़ों पर तनाव पड़ता है और आपको बहुत ज्यादा असुविधा हो सकती है। यहाँ इस लेख में हम आपको बताएंगे कि जॉइंट पेन यानि जोड़ों का दर्द क्या होता है, इसके कारण क्या हैं और यदि आपको भी यह समस्या हो रही है तो आप इसे कैसे ठीक कर सकती हैं।
जोड़ों का दर्द या जॉइंट पेन क्या है?
शरीर के हड्डियों के जोड़ों में जकड़न और जकड़न के साथ दर्द महसूस होने को जोड़ों का दर्द कहा जाता है। इसमें कोहनी, उंगलियां, टखने, घुटने और हिप्स भी शामिल है।
गर्भावस्था के दौरान जोड़ों में दर्द के कारण
महिलाओं में जोड़ों का दर्द उनके स्वास्थ्य को दर्शाता है। पर कुछ अन्य कारणों की वजह से भी भी महिलाओं में जोड़ों का दर्द हो सकता है। वे कारण कौन से हैं, आइए जानते हैं;
- गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने की वजह से हिप्स, घुटनों और टखनों में ज्यादातर दबाव पड़ता है और दर्द होता है। चूंकि यदि आपका वजन बढ़ रहा है तो आपको अधिक सपोर्ट की जरूरत है और आपका वजन पूरे शरीर में ठीक से विभाजित होने की आवश्यकता है जिसकी वजह से आपको जोड़ों में दर्द हो सकता है।
- शरीर में फ्लूइड के बढ़ने से कार्पेल टनल सिंड्रोम हो सकता है। इस समस्या की वजह से दोनों कलाइयों और हाथों में तेज दर्द होता है।
- हाइपोथयरॉडिज्म वह समस्या है जब थाइरोइड ग्लैंड्स शरीर में ज्यादा थयरॉइड हॉर्मोन्स को उत्पन्न नहीं कर पाते हैं। इस समस्या की वजह से वजन में वृद्धि होती है और गर्भावस्था के दौरान यह जोड़ों में दर्द का कारण भी बनता है।
- गर्भावस्था के दौरान ओवरीज से रिलैक्सिन नामक हॉर्मोन्स उत्पन्न होता है जो पेल्विक की मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव लाता है और साथ ही आरामदायक स्थिति में भी पहुँचाता है। हालांकि इससे जोड़ों के आस-पास के लिगामेंट्स पर दबाव पड़ता है और यह ढीले हो जाते हैं जिसकी वजह से भी जोड़ों में अत्यधिक दर्द होता है।
- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को बाएं ओर सोने की सलाह दी जाती है। परंतु रातभर एक तरफ सोने से भी शरीर में अकड़न आ सकती है और इससे भी विशेषकर हिप्स के जोड़ों में दर्द होता है।
- यदि आपको पहले कभी अर्थराइटिस या डिस्क की समस्या हुई है तो इससे गर्भावस्था के दौरान आपके जोड़ों में लगातार दर्द हो सकता है। गर्भवती महिलाओं में इस समस्या के लक्षण बहुत ज्यादा गंभीर हो सकते हैं।
- गर्भ में पल रहे बच्चे और गर्भाशय का वजन बढ़ने की वजह से सैक्रोइलिएक जॉइंट पेन हो सकता है। इसकी वजह से महिलाओं को अक्सर पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है और इससे काफी हद तक चलने-फिरने में भी तकलीफ हो सकती है।
- गर्भावस्था के दौरान यदि आप बहुत देर तक बैठती और काम करती हैं तो भी आपको जोड़ों में दर्द हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान जोड़ों में दर्द का डायग्नोसिस
इसका डायग्नोसिस करने के लिए डॉक्टर अक्सर माइक्रो-एलिमेंट्स और कैल्शियम की जांच के लिए बायोकेमिकल खून का परिक्षण करते हैं। कैल्शियम की कमी से भी जोड़ों में दर्द हो सकता है।
यदि आपके घर में पहले भी किसी को ऑटो-इम्म्यून डिजीज हुआ है, जैसे अर्थराइटिस, स्पॉन्डिलाइटिस, ऑस्टियोराइटिस और इत्यादि तो गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्टरी और दवाइयों की जांच कर सकते हैं ताकि आपको अन्य कोई कॉम्प्लिकेशन न हो।
गर्भावस्था के दौरान जोड़ों में दर्द का ट्रीटमेंट
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के जोड़ो में दर्द को ठीक करने के लिए डॉक्टर उन्हें एसिटामिनोफेन की खुराक लेने की सलाह देते हैं। हालांकि इस समय आप यह दवाई ले सकती हैं या नहीं इसके बारे में एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें क्योंकि इस दवा का उपयोग करने से आपको लिवर से संबंधित हानि भी हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान जोड़ों में दर्द के लिए होम रेमेडीज
गर्भावस्था के दौरान जोड़ों के दर्द को ठीक करने का सबसे बेस्ट तरीका है घरेलू उपचार करना। यहाँ पर कुछ उपाय दिए हुए जिनका उपयोग आप कर सकती हैं, आइए जानें;
- हॉट और कोल्ड थेरेपी का उपयोग करें: आप गुनगुने पानी से स्नान कर सकती हैं या आप अपने जोड़ों में इलेक्ट्रिक हीटिंग पैड भी रख सकती हैं। आप चाहें तो आइस पैक को तौलिये में लपेट कर अपने जोड़ों पर भी रख सकती हैं।
- स्प्लिन्ट्स का उपयोग करें: दर्द से आराम के लिए आप अपने हाथों और घुटनों पर स्प्लिंट्स का उपयोग भी कर सकती हैं।
- मालिश करवाएं: दर्द की जगह पर मालिश करने से अकड़न कम हो सकती है और आपके जोड़ों का दर्द कम हो सकता है। आप चाहें तो किसी प्रोफेशनल थेरेपिस्ट से भी मालिश करवा सकती हैं।
- हर्बल सप्लिमेंट्स लें: कुछ हर्बल सप्लीमेंट्स, जैसे अदरक के एक्सट्रैक्ट को जोड़ों का दर्द ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है। वैसे आप डॉक्टर से संपर्क करके यह पता कर सकती हैं कि अदरक का एक्सट्रैक्ट किसी भी दवाई के साथ रिएक्ट न करे।
- ओमेगा-3 फैटी ऐसिड युक्त आहार लें: ओमेगा-3 फैटी एसिड युक खाद्य पदार्थ, जैसे अंडे खाने से भी जोड़ों का दर्द ठीक हो सकता है।
- कम्फर्टेबल जूते पहनें: यह जरूरी है कि आप गर्भावस्था के दौरान ऐसे जूते पहनें जो कम्फर्टेबल हो और उनसे आपके पैरों को उचित सपोर्ट मिले। यदि आप अपने जोड़ों का दर्द कम करना चाहती हैं तो हील्स से दूर रहें।
- हल्की एक्सरसाइज करें: नियमित एक्सरसाइज करने से मांसपेशियों का तनाव कम होता है और जोड़ों में फ्लेक्सिबिलिटी भी आती है। आप सिर्फ इस बात का ध्यान रखें कि गर्भावस्था के दौरान आप बहुत ज्यादा कठिन एक्सरसाइज न करें जिससे आपके जोड़ों में खिंचाव भी आ सकता है। इस समय आपके लिए स्विमिंग और वॉटर एरोबिक्स सबसे सही एक्सरसाइज है और इससे आपके जोड़ों का दर्द भी कम हो सकता है।
- अच्छी नींद लें: इस दौरान आप पूरी नींद लें और ज्यादा से ज्यादा आराम करें। अधिक आराम करने से भी जोड़ों का दर्द कम हो सकता है।
- पैर ऊंचे करके रखें: जोड़ों का दर्द कम और खून की प्रवाह में सुधार करने के लिए आप अपने पैरों को जितना हो सके उतना ऊपर करके रखें।
- प्रेगनेंसी पिलो का उपयोग करें: गर्भावस्था के दौरान जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए आप सोते समय ‘यू’ और ‘सी’ शेप की प्रेगनेंसी पिलो का उपयोग भी कर सकती हैं।
डॉक्टर से कब मिलें
यदि घरेलू उपचार का उपयोग करने के बाद भी आपको आराम नहीं मिलता है तो आप डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं और उनसे दवा लेने के बारे में पूछ सकती हैं। यदि आप अर्थराइटिस के लिए या अन्य दवाइयां भी ले रही हैं तो आप इसके बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। यदि आपके दर्द में आराम नहीं होता है तो डॉक्टर आपको अलग प्रिस्क्रिप्शन भी दे सकते हैं क्योंकि गर्भावस्था के दौरान कई दवाइयां लेना असुरक्षित है।
यदि आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करके और बैलेंस्ड डायट का सेवन करके अपने शरीर को स्वस्थ रखती हैं तो यह आपके जोड़ों के दर्द को काफी हद तक कम कर सकता है। आप इन सरल उपायों से अपने जोड़ों के दर्द बहुत हद तक कम कर सकती हैं।
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