गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान कुपोषण – माँ और बच्चे पर प्रभाव

हमारे शरीर को नॉर्मली काम करने और अच्छी सेहत के लिए सही पोषक तत्वों की जरूरत होती है। गर्भावस्था एक ऐसी समय जब आपको नुट्रिएंट्स का सेवन करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है, क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे को विकास करने के लिए पोषण की जरूरत होती है। बच्चे के साथ साथ माँ को भी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जो उसके शरीर को प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली मुश्किलों का सामना करने मदद करते हैं।

कुपोषण क्या है?

कुपोषण तब होता है जब शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते हैं जो आपके शरीर के नॉर्मली काम करने के लिए बहुत जरूरी है। पोषक तत्वों को मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट), माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (विटामिन और मिनरल) और पानी में वर्गीकृत किया गया है। इसकी कमी से हम गंभीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं, जो आप और आपके बच्चे को प्रभावित कर सकता हैं।

कुपोषण का क्या कारण है?

1. लापरवाही

पोषक तत्वों के महत्व के बारे में ठीक से न समझने और इसकी जरूरत को पर्याप्त रूप से न पूरा कर पाने की वजह से कुपोषण हो सकता है, क्योंकि आप हेल्दी और बैलेंस डाइट नहीं ले रही होती हैं।

2. बीमारी और इन्फेक्शन

दस्त और उल्टी के कारण आपको ठीक से पोषण नहीं मिल पता है। बीमारियां, इन्फेक्शन और मानसिक बीमारियां जैसे डिप्रेशन वाले इंसान को पौष्टिक भोजन को खाने और उसे पचाने की क्षमता भी प्रभावित होती है। ये आपकी भूख में कमी पैदा कर सकता है और पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है।

3. सोशियो-इकॉनोमिक कंडीशन

जिन परिवारों में फाइइनेंशियल रिसोर्स की कमी होती है उन्हें ठीक से हेल्दी फूड नहीं मिल पता है। इससे लोगों में कुपोषण हो सकता है।

4. डेंटल प्रॉब्लम

दाँतों की समस्या आपको काफी परेशान कर सकती है और इससे आपको मसूड़ों की बीमारियां भी हो सकती है, जिस वजह से आप पौष्टिक भोजन का सेवन नहीं कर पाती हैं।

5. मेडिकेशन

कुछ दवाएं ऐसी भी होती हैं जिससे आपका शरीर पोषक तत्वों को अब्सोर्ब नहीं कर पता है, जिससे कुपोषण हो सकता है।

6. मॉर्निंग सिकनेस

गर्भावस्था के दौरान गंभीर रूप से मॉर्निंग सिकनेस की प्रॉब्लम होने से उन्हें हेल्दी फूड खाने में बहुत परेशानी होती है, जिससे उन्हें कुपोषण होने का खतरा होता है।

7. ठीक से खाना नहीं खाना

गर्भावस्था के दौरान, एक महिला को एक दिन में लगभग 300 एक्स्ट्रा कैलोरी की आवश्यकता होती है। अगर महिला पर्याप्त मात्रा में हेल्दी फूड का सेवन नहीं करती है, तो इससे उसे कुपोषण हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान कुपोषण होने से जुड़े जोखिम

गर्भावस्था के दौरान कुपोषण माँ और उसके बढ़ते बच्चे दोनों की ही हेल्थ पर बहुत बुरा प्रभाव डाल सकता है और उनके लिए कई हेल्थ प्रॉब्लम पैदा कर सकता है। यहाँ गर्भावस्था के दौरान कुपोषण होने के कुछ जोखिम बताए गए हैं:

1. माँ के लिए खतरा

  • मातृ मृत्यु दर- जिन महिलाओं को गर्भावस्था के पहले और दौरान पोषण की कमी होती है, उनमें गर्भावस्था या डिलीवरी के दौरान मृत्यु होने का खतरा ज्यादा होता है।
  • मिसकैरज होने का खतरा- जिन महिलाओं में पोषण की कमी होती है, उनमें मिसकैरज होने का ज्यादा खतरा होता है।
  • डेंटल प्रॉब्लम- कुपोषित गर्भवती महिलाओं में दाँतों में सड़न या दूसरी डेंटल प्रॉब्लम से पीड़ित होने का खतरा होता है।
  • ओस्टियोमलेशिया- यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ एक कुपोषित महिला की हड्डियां बहुत नरम और भूसी हो जाती हैं।
  • एनीमिया- आयरन की कमी से गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की समस्या पैदा हो सकती है। इसका मतलब है कि उनके शरीर में रेड ब्लड सेल्स बहुत कम हैं, जिसकी वजह से बॉडी सेल्स को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा होता है।
  • टोक्सिमिया- प्री-एक्लेमप्सिया या टॉक्सिमिया एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें गर्भवती महिला के खून में प्रोटीन और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इससे माँ और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है।

2. बच्चे के लिए खतरा

गर्भावस्था के दौरान कुपोषण होने से बच्चे पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है यह आपको नीचे बताया गया है –

  • स्टिलबर्थ- कुपोषित होने वाली महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे का ठीक से विकास नहीं हो पाता है, जिससे उसकी गर्भ में ही मृत्यु हो सकती है।
  • समय से पहले जन्म- समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे का विकास ठीक से नहीं हुआ होता है और इससे बच्चे में कई समस्याएं जन्म दे सकती हैं जैसे, नजर कमजोर होना, मसल्स कमजोर होना, ब्रेन डैमेज, पुअर ग्रोथ रेट आदि। उनमें नेक्रोटाइजिंग एंट्रोकोलिटिस की समस्या ही पैदा हो सकती है,  जिमसें बैक्टीरिया बच्चे की आँतों पर अटैक करते हैं और उसे खराब कर देते हैं।
  • प्रीनेटल मोर्टेलिटी- गर्भावस्था के दौरान कुपोषित महिलाओं के बच्चों की एक हफ्ते के अंदर मृत्यु हो जाने की संभावना होती है।
  • बर्थ डिफेक्ट- गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों की कमी बच्चे में गंभीर बर्थ डिफेक्ट पैदा कर सकती है। उदाहरण के लिए, फोलिक एसिड की कमी से बच्चों में स्पाइना बिफिडा की समस्या पैदा कर सकती है, जिसमें बच्चा डिफॉर्म स्पाइनल कार्ड के साथ पैदा होता है। यह उनके चलने की क्षमता, बोवेल और ब्लैडर के मूवमेंट को प्रभावित करता है।
  • अविकसित अंग- जिन बच्चे को ठीक से पोषण नहीं मिलता है उनके अंगों का विकास ठीक से नहीं होता है, जो उनकी लाइफ क्वालिटी को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

3. बच्चे को आगे चलकर होने वाले हेल्थ इशू

  • डायबिटीज मेलिटस- ठीक से पोषित न हो पाने वाले बच्चों को आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज होने  होने का बहुत अधिक खतरा होता है।
  • हृदय रोग– ऐसे बच्चों में बड़े होकर हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज होने का खतरा होता है।
  • ऑस्टियोपोरोसिस- अच्छी तरह से पोषित न होने वाला बच्चा ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हो सकता है, एक ऐसी कंडीशन हैं जहाँ हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनके फ्रैक्चर होने का खतरा भी होता है।
  • लो आईक्यू और कॉग्निटिव इम्पेयरमेंट- कम पोषण मिलने से भी बच्चे का आईक्यू नॉर्मल से कम हो जाता है और वो कॉग्निटिव इम्पेयरमेंट से पीड़ित हो जाता है, जहाँ बच्चे को रोजाना चीजें सीखने, याद रखने और निर्णय लेने में समस्या होती है।

कुपोषण को कैसे रोका जा सकता है?

बैलेंस डाइट लेने से जिसमें, फल, सब्जियां, पानी, डाइट्री फाइबर, प्रोटीन, फैट और कार्बोहाइड्रेट शामिल होने चाहिए, ताकि कुपोषण को दूर किया जा सके। गर्भावस्था में कुपोषण के लक्षण और संकेतों में थकान, एनीमिया, लो प्रेगनेंसी वेट, हाई ब्लड प्रेशर, बालों का झड़ना, शुष्क त्वचा, डेंटल प्रॉब्लम और इम्युनिटी का कमजोर हो जाना शामिल है।

कुपोषण से बचाव करने के लिए, जो महिलाएं गर्भधारण की प्लानिंग कर रही हैं, उन्हें प्रीनेटल विटामिन लेने चाहिए, हेल्दी फूड का सेवन करना चाहिए और नियमित रूप से एक्सरसाइज करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान, उन्हें पौष्टिक भोजन खाना चाहिए और अपनी प्रेगनेंसी विटामिन को लेना जारी रखना चाहिए। इससे माँ और गर्भ में पल रहा बच्चा सुरक्षित और हेल्दी रहता है। 

यह भी पढ़ें:

प्रेगनेंसी के दौरान एनीमिया

समर नक़वी

Recent Posts

मिट्टी के खिलौने की कहानी | Clay Toys Story In Hindi

इस कहानी में एक कुम्हार के बारे में बताया गया है, जो गांव में मिट्टी…

4 days ago

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई…

4 days ago

ब्यूटी और बीस्ट की कहानी l The Story Of Beauty And The Beast In Hindi

ब्यूटी और बीस्ट एक फ्रेंच परी कथा है जो 18वीं शताब्दी में गैब्रिएल-सुजैन बारबोट डी…

4 days ago

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

2 weeks ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

2 weeks ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago