गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान ओलिगोहाइड्रामनिओस (एम्नियोटिक द्रव कम होना)

एम्नियोटिक द्रव पानी की तरह ही तरल पदार्थ होता है जो शिशु के विकास में मदद करता है। यह ऐसे बहुत से कार्य करता है जिससे गर्भ में पल रहे शिशु को सुरक्षा और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं कि एम्नियोटिक द्रव क्या होता है और यदि गर्भावस्था के दौरान एम्नियोटिक द्रव कम हो जाए तो गर्भवती महिला व शिशु पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है। 

एम्नियोटिक द्रव क्या है

गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहा शिशु अपने चारों ओर एक प्रकार के तरल पदार्थ में विकसित होता है, जिसे एम्नियोटिक सैक या एम्नियोटिक थैली भी कहा जाता है और इसमें भरा हुआ तरल पदार्थ एम्नियोटिक द्रव कहलाता है। एम्नियोटिक द्रव गर्भ में पल रहे शिशु को आराम देता है और अन्य विभिन्न संक्रमणों से सुरक्षित रखता है। गर्भावस्था के दौरान पेट पर झटका लगने पर यह द्रव शिशु को चोट लगने से बचाता है। यह द्रव गर्भवती महिला के पेट के अंदर का तापमान स्थिर रखता है और शिशु की मांसपेशियों, पैरों, फेफड़ों और पाचन तंत्र के विकास में भी मदद करता है। 

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में शिशु सांस लेना शुरू कर देता है और इस दौरान वह एम्नियोटिक द्रव निगलना भी शुरू कर देगा और बाद में पेशाब के माध्यम से बाहर भी निकाल देता है। इस प्रकार से गर्भ में पल रहा शिशु अपने चारों ओर एम्नियोटिक द्रव की मात्रा को बनाए रखता है। 

ओलिगोहाइड्रामनिओस क्या है

ओलिगोहाइड्रामनिओस एक ऐसी समस्या है जहाँ एम्नियोटिक सैक में एम्नियोटिक द्रव की मात्रा बहुत कम होती है। डॉक्टर द्रव इंडेक्स इवैल्यूएशन या डीप पॉकेट मेजरमेंट की मदद से एम्नियोटिक द्रव की मात्रा का पता लगा सकते हैं। यदि गर्भावस्था के 32वें और 36वें सप्ताह के दौरान एक गर्भवती महिला में एम्नियोटिक द्रव की मात्रा 500 मि.ली. से कम होती है तो उसे ओलिगोहाइड्रामनिओस होने की संभावना होती है। 

ओलिगोहाइड्रामनिओस के लक्षण निम्नलिखित हैं;

  • एम्नियोटिक द्रव की मात्रा 500 मिलीलीटर से कम होना
  • मैक्सिमम वर्टिकल पॉकेट 2 सेमी से कम होना
  • एम्नियोटिक फ्लूड इंडेक्स 5 सेमी से कम होना

ओलिगोहाइड्रामनिओस कितना सामान्‍य है

लगभग 8% महिलाएं ओलिगोहाइड्रामनिओस से पीड़ित हैं और यह गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय हो सकता है। हालांकि यह गर्भावस्‍था की अंतिम तिमाही में सबसे आम है। यदि आपकी डिलीवरी की नियत तिथि में 2 सप्ताह का समय शेष है, तो आपके एम्नियोटिक द्रव के कम होने की संभावना अधिक हो सकती है। 41वें सप्ताह को पूर्ण करने वाली लगभग 12% महिलाओं को ओलिगोहाइड्रमनिओस के कारण जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

शिशु के विकास में एम्नियोटिक द्रव की क्या भूमिका है?

एम्नियोटिक द्रव के महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित दिए हुए हैं, आइए जानते हैं;

  • जब गर्भस्थ शिशु एम्नियोटिक द्रव में आसानी से घूमता है, तो यह उसकी हड्डियों और मांसपेशियों के विकास में मदद करता है।
  • जब शिशु सांस द्वारा एम्नियोटिक द्रव को अंदर और बाहर खींचता है, तो इससे उसके फेफड़ों के विकास में मदद मिलती है।
  • जब शिशु द्रव को निगलने लगता है और बाद में पेशाब के माध्यम से इसे बाहर निकालता है, तो इससे उसके पाचन तंत्र के विकास में मदद मिलती है।
  • एम्नियोटिक द्रव गर्भनाल को संकुचित होने से बचाता है। इसके परिणामस्‍वरूप, शिशु के पूर्ण विकास के लिए माँ से बच्चे तक पोषण निरंतर जारी रहता है।
  • एम्नियोटिक द्रव एक स्नेहक (लुब्रिकेंट) के रूप में भी काम करता है और शरीर के उन नाजुक अंगों के विकास में मदद करता है जो साथ-साथ विकसित होते हैं, जैसे हाथ और पैरों की उंगलियां।

गर्भावस्था के दौरान एम्नियोटिक द्रव की कितनी मात्रा सामान्य है?

गर्भावस्था के 36वें सप्ताह तक एम्नियोटिक द्रव की मात्रा में वृद्धि होती है और यह 800 से 1000 मिलीलीटर के बीच होता है, जिसे सामान्य माना जाता है। गर्भधारण के 36वें सप्ताह के बाद, जन्म की तैयारी के लिए एम्नियोटिक द्रव की मात्रा कम होने लगती है। एम्नियोटिक द्रव की मात्रा गर्भधारण के 40वें सप्ताह या पूर्णावधि में कम होकर 600 मिलीलीटर तक हो जाती है और इसकी यह मात्रा भी सामान्य ही है।

एम्नियोटिक द्रव की कमी के सामान्य लक्षण

नियमित परीक्षण में डॉक्टर आपके पेट की जांच पूरी सावधानी से करेंगे। गर्भावस्था के दौरान यदि आपका पेट जैसे बढ़ना चाहिए वैसे नहीं बढ़ रहा है तो डॉक्टर शिशु के विकास व वृद्धि की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दे सकते हैं। यह गर्भवती महिला के पेट में पानी या एम्नियोटिक द्रव की कमी का पहला लक्षण है, अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं;

  • रक्तचाप में उतार-चढ़ाव
  • पहले बच्चे का वजन जन्म के बाद कम होना और आकार में छोटा होना
  • योनि से तरल पदार्थ का लगातार रिसाव
  • माँ और शिशु दोनों का पर्याप्त वजन नहीं बढ़ रहा है
  • शिशु के विकास में ज्‍यादा समय लग रहा है

गर्भावस्था के दौरान एम्नियोटिक द्रव कम होने के कारण

तीसरी तिमाही के दौरान एम्नियोटिक द्रव के स्तर का कम होना बहुत आम है। इसका कारण निम्नलिखित में से कोई भी हो सकते हैं:

  • एम्नियोटिक थैली का फटना: यदि आपकी एम्नियोटिक थैली क्षतिग्रस्‍त हो जाती है और द्रव बाहर आ जाता है, तो इसे एम्नियोटिक द्रव की थैली का फटना या जल रिसाव कहा जाता है। यह आमतौर पर प्रसव के आसपास होता है। यदि आप प्रसव तिथि के पास नहीं पहुँची हैं, तो प्रसव की तारीख आने तक डॉक्टर आपको और आपके शिशु को संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं। यदि आप गर्भावस्था के 38वें सप्ताह को पूरा कर चुकी हैं तो आपकी स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर, डॉक्टर आपको प्रसव के लिए प्रेरित करने का सुझाव भी दे सकते हैं।
  • स्वास्थ्य समस्या: यदि आपके शिशु में कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, तो एम्नियोटिक द्रव की मात्रा कम हो सकती है। विशेष रूप से दूसरी-तिमाही में स्कैन के दौरान, शिशु की किडनी, हृदय या क्रोमोसोमल असामान्यता का निदान किया जाता है। यदि आपका बच्चा बहुत कम पेशाब करता है तो यह स्कैन में स्पष्ट हो जाता है। आपका डॉक्टर यह सुनिश्चित करने के लिए ‘एम्नियोसेंटेसिस’ नामक एक अन्य जांच करवाने का सुझाव दे सकते हैं।
  • प्लेसेंटा संबंधित समस्याएं: यदि आपको मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ल्यूपस या प्री-एक्लेमप्सिया है, तो आपकी गर्भनाल गर्भ में पल रहे शिशु को पर्याप्त रक्त और पोषण की आपूर्ति करने में विफल हो सकती है। ऐसी स्थिति में आपके बच्चे में एम्नियोटिक द्रव की मात्रा कम हो सकती है, और आपको लगातार निगरानी में रहना पड़ सकता है।
  • दवा: गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाओं से बचना चाहिए, क्योंकि वे एम्नियोटिक द्रव में कमी का कारण बनती हैं। विशेष रूप से उच्च रक्तचाप और सूजन की दवाएं, जैसे आईबुप्रोफेन गर्भावस्था के दौरान नहीं दी जाती हैं।
  • जुड़वां: यदि आपके समान जुड़वां शिशु एक ही प्लेसेंटा से जुड़े हुए हैं तो कभी-कभी एम्नियोटिक द्रव के कम होने की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में अधिक रक्त वाले शिशु को एम्नियोटिक द्रव प्राप्त होता है और अन्य को पर्याप्त नहीं मिलता है।

यदि जांच के दौरान डॉक्टर को ऊपर दिए हुए कोई भी कारण नहीं मिलते हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। कई बार यह देखा गया है कि गर्मियों में डिहाइड्रेशन के कारण एम्नियोटिक द्रव का स्तर कम होता है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीने और आराम करने से फायदा होगा।

ओलिगोहाइड्रामनिओस का निदान

ऑलिगोहाइड्रामनिओसिस का पता लगाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग किया जा सकता है, आइए जानते हैं;

  • अल्ट्रासाउंड: ओलिगोहाइड्रामनिओस के लिए सबसे अच्छा और पहला निदान अल्ट्रासाउंड स्कैन है। अल्ट्रासाउंड के दौरान एम्नियोटिक द्रव की मात्रा आपके गर्भाशय के चार विभिन्न भागों में मापी जाती है और फिर सभी चार मापों को एम्नियोटिक द्रव सूचकांक (एम्नियोटिक फ्लूड इंडेक्स) या ए.एफ.आई. को विनियमित करने के लिए एक साथ रखा जाता है। इसके अलावा, गर्भस्थ शिशु के गुर्दे और मूत्राशय की जांच किसी भी विसंगतियों का पता लगाने के लिए की जाती है। अल्ट्रासाउंड में शिशु के विकास की जांच भी शामिल है जो पेट की परिधि, सिर की परिधि और जांघ की हड्डी की लंबाई को मापने से की जाती है।
  • एम्नियोटिक फ्लूड इंडेक्स (ए.एफ.आई.): ए.एफ.आई. को अल्ट्रासाउंड के माध्यम से मापा जाता है और यह एक प्रचलित और सुरक्षित जांच भी है। यह जांच डॉक्टर को आपके गर्भाशय में एम्नियोटिक द्रव की मात्रा निर्धारित करने में मदद करती है।
  • स्टेराइल स्पेक्युलुम जांच: डॉक्टर यह परीक्षण शिशु की गतिविधियों को जांचने के लिए करते हैं जो एम्नियोटिक थैली की झिल्ली फटने से होती है और इसके परिणामस्वरूप एम्नियोटिक द्रव का रिसाव शुरू हो जाता है।
  • मैक्सिमम वर्टिकल पॉकेट: इस परीक्षण का उपयोग गर्भाशय के सबसे मोटे हिस्से में एम्नियोटिक द्रव की मात्रा की जांच के लिए किया जाता है, जिसमें भ्रूण और गर्भनाल शामिल नहीं होते हैं। इस परीक्षण के लिए भी अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है।
  • रक्‍त जांच: रक्त जांच, जैसे मैटरनिटी सीरम परीक्षण एम्नियोटिक द्रव कम होने का पता लगाने में मदद कर सकती है। यह जांच शिशु में डाउन सिंड्रोम जैसी जन्मजात समस्याओं का पता लगाने में भी मदद करती है।
  • एम्नियोटिक रिंकल: यदि आपके गर्भ में समान जुड़वां शिशु पल रहे हैं तो आपको एम्नियोटिक रिंकल हो सकता है, यह समस्या झिल्ली की तह के कारण होती है। एम्नियोटिक लाइन की जांच करके डॉक्टर इस बात का पता लगा सकते हैं कि दोनों शिशुओं को पर्याप्त एम्नियोटिक द्रव मिल रहा है या नहीं।

यदि ऊपर दिए हुए किसी भी तरीके से ओलिगोहाइड्रामनिओस का पता चलता है, तो आपको गर्भावस्था और प्रसव का प्रबंधन करने के लिए डॉक्टर की सहायता की आवश्यकता है।

ओलिगोहाइड्रामनिओस से जुड़े जोखिम

कुछ महिलाओं को अन्य महिलाओं की तुलना में ओलिगोहाइड्रामनिओस का अधिक खतरा होता है। इसके लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप
  • मधुमेह
  • प्लेसेंटा की समस्या
  • ल्‍यूपस
  • मोटापा

गर्भावस्था के दौरान यदि आप इन में से किसी भी लक्षण का सामना कर रही हैं तो इसे दूर करने के लिए जांच करवाना ही बेहतर विकल्प है। 

एम्नियोटिक द्रव में कमी शिशु को कैसे प्रभावित कर सकती है?

यदि पहली और दूसरी तिमाही में इसका पता चलता है, तो एम्नियोटिक द्रव की कमी से जुड़ी कई और गंभीर समस्याएं हैं। यदि तीसरी तिमाही में भी इसका पता चल जाता है, तो इस स्थिति को नियंत्रण में लाया जा सकता है क्योंकि डॉक्टर इस स्तर पर जटिलताओं के प्रभाव को कम करने में सक्षम हैं, एम्नियोटिक द्रव की कमी से जुड़ी समस्याएं कुछ इस प्रकार हैं:

  • शिशु में जन्म से ही गंभीर अक्षमताएं हो सकती हैं, जैसे आंतरिक या बाहरी अंगों का खराब होना या हड्डियों की विकृति होना, जैसे डिस्प्लेसिया या क्लबफुट।
  • एम्नियोटिक द्रव कम होने से गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद गर्भ में ही शिशु की मृत्यु हो सकती है या मृत-जन्म भी हो सकता है। कुछ बच्चों की मृत्यु जन्म के तुरंत बाद ही हो जाती है।
  • 20वें सप्ताह के बाद गर्भपात भी एम्नियोटिक द्रव की कमी से जुड़ी जटिलताओं में से एक है।
  • 37वें सप्ताह से पहले शिशुओं का जन्म कम वजन और अविकसित अंगों के साथ होता है।
  • यदि तीसरी तिमाही के दौरान ओलिगोहाइड्रामनिओस का पता चलता है, तो बच्चे का सीमित विकास, प्रसव के दौरान संकुचित गर्भनाल और सीजेरियन डिलीवरी की संभावना है।

एम्नियोटिक द्रव में कमी से होने वाली जटिलताएं

शिशु में कुछ गंभीर जटिलताएं या ओलिगोहाइड्रामनिओस के प्रभाव निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • भ्रूण संपीड़न सिंड्रोम (फीटल कंप्रेशन सिंड्रोम)
  • एम्नियोटिक बैंड सिंड्रोम
  • पल्मोनरी हाइपोप्लासिया
  • भ्रूण में गंभीर संक्रमण (सीवियर फीटल इन्फेक्शन)

यह जटिलताएं आपकी गर्भावस्था के लिए अधिक खतरे उत्पन्न कर सकती हैं और शिशु पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं।

ओलिगोहाइड्रामनिओस के लिए उपचार

यदि तीसरी तिमाही में ओलिगोहाइड्रामनिओस का पता चलता है, तो डॉक्टर इसका उपचार कर सकते हैं। इसके अलावा, यदि समस्या गंभीर नहीं है तो तीसरी तिमाही में किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। डॉक्टर आपकी ओलिगोहाइड्रामनिओस समस्या के लिए लगातार जांच व नजर रखेंगे। लेकिन अगर ओलिगोहाइड्रामनिओस का पता पहली या दूसरी तिमाही में चलता है, तो आपके गर्भाशय में एम्नियोटिक द्रव की कमी को रोकने के लिए निम्नलिखित उपचार किए जा सकते है, आइए जानते हैं;

  • अमीनोइन्‍फ्युजन: इस उपचार में, डॉक्टर आपकी एम्नियोटिक थैली में सोडियम क्लोराइड को सामान्य तापमान में एक अंतर्गर्भाशयी थैली के माध्यम से डालते हैं।
  • वेसिको-एम्नियोटिक शंट: यदि एम्नियोटिक द्रव में कमी आपके शिशु के पेशाब न कर पाने का कारण है, तो डॉक्टर वेसिको-एम्नियोटिक शंट की मदद से शिशु के मूत्र को हटाने की कोशिश करेंगे। यह प्रक्रिया आपके गर्भाशय में एम्नियोटिक द्रव की कमी को पूरा करती है लेकिन यह आपके शिशु के गुर्दे या फेफड़ों की प्रभावी कार्यक्षमता को सुनिश्चित नहीं करती है।
  • फ्लूइड इंजेक्शन: यह एम्नियोसेंटेसिस की सहायता से फ्लूइड इंजेक्शन द्वारा ओलिगोहाइड्रामनिओस के उपचार की एक अस्थायी विधि है।
  • मैटरनल हाइड्रेशन: इसमें डॉक्टर आपको बहुत सारा पानी पीने की सलाह देते हैं और एम्नियोटिक द्रव की मात्रा बढ़ाने के लिए आपको आई.वी. और तरल पदार्थ देते हैं। यह तब होता है जब डिहाइड्रेशन ओलिगोहाइड्रामनिओस का कारण बनता है।
  • आराम करें: यदि आपको मामूली ओलिगोहाइड्रामनिओस है, तो आपका डॉक्टर आपके स्वास्थ्य पर नजर रखेंगे और आपको आराम करने की सलाह देंगे। उचित हाइड्रेशन और पूर्ण आराम इंट्रावस्कुलर स्पेस को बढ़ाने में मदद कर सकता है जिससे एम्नियोटिक द्रव के लिए अधिक स्थान बनता है।
  • गर्भपात: पहली तिमाही के दौरान गंभीर ओलिगोहाइड्राअम्निओस के कारण गर्भावस्था को नष्ट करना पड़ सकता है। लेकिन यह आपके व शिशु के लिए अच्छा है क्योंकि ऐसा बच्चा कई गंभीर दोषों के साथ जन्म ले सकता है।

डॉक्टर आमतौर पर ओलिगोहाइड्रामनिओस के इलाज के लिए मैटरनल फीटल चिकित्सा के विशेषज्ञ को शामिल करते हैं। यह कम एम्नियोटिक द्रव के कारण कुछ गंभीर जटिलताओं से बचने के लिए किया जाता है, जैसे हाइड्रोप्स फोलेटिस और जन्मजात विकृतियां ।

ओलिगोहाइड्रामनिओस को कैसे रोका जा सकता है

ओलिगोहाइड्रामनिओस को पूरी तरह से रोक पाना संभव नहीं है और गर्भावस्था के दौरान कुछ रोकथाम व सावधानियों से एम्नियोटिक द्रव कम होने की संभावना को थोड़ा बहुत रोका जा सकता है। 

  • अधिक पानी पिएं और खुद को हाइड्रेटेड रखें। कई बार ओलिगोहाइड्रामनिओस डिहाइड्रेशन के कारण होता है।
  • स्वस्थ भोजन खाएं और डॉक्टर की सलाह लें। यदि आवश्यक हो तो एक पोषण विशेषज्ञ से भी परामर्श लें।
  • डॉक्टर से बात किए बिना कोई दवा न लें – हर्बल सप्लीमेंट या विटामिन भी नहीं।
  • स्‍वयं को थकाए बिना नियमित रूप से व्‍यायाम करें। लेकिन गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर पैदल चलना या प्रसवपूर्व योग करना फायदेमंद होता है।
  • धूम्रपान बिलकुल भी न करें। यह सीधे आपके शिशु के फेफड़ों को प्रभावित करता है।
  • गर्भवस्था के दौरान नियमित रूप से जांच करवाएं। सिर्फ नियमित जांच ही करवाएं और गर्भावस्था के दौरान किसी भी समस्या या असामान्यताओं को निर्धारित करने में अपने डॉक्टर की मदद करें।

ओलिगोहाइड्रामनिओ जैसी समस्या हल्की या गंभीर भी हो सकती है। दोनों ही मामलों में, डॉक्टर आपके स्वास्थ्य पर पूर्ण नजर रखते हैं। समय अनुसार डॉक्टर से मिलें और किसी भी संदेह को दूर करने के लिए चिकित्सीय सलाह अवश्य लें। सतर्क रहें और अपनी गर्भावस्था का पूरा खयाल रखें।

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सुरक्षा कटियार

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