गर्भावस्था

क्या गर्भावस्था के दौरान लम्बर पंक्चर (स्पाइनल टैप) कराना सुरक्षित है?

गर्भावस्था एक बहुत ही नाजुक समय होता है जिसमें आपको अपना खासतौर पर और भी ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है। कभी-कभी आपकी हेल्थ से जुड़े कुछ ऐसे इशू हो जाते हैं जिसके कारण आपको सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड चेक करवाना पड़ सकता है। लम्बर पंक्चर प्रोसेस के नाम से जाने जानी वाली या स्पाइनल टैप मेथड का उपयोग सेंट्रल नर्वस सिस्टम का निदान के लिए किया जाता है।

लेकिन सवाल यह है कि क्या गर्भावस्था के दौरान इस प्रोसेस को अपनाना सुरक्षित है? आइए विस्तार में जानते हैं इससे जुड़ी सभी जानकारी को इस लेख के जरिए।

लम्बर पंक्चर क्या है

लम्बर पंक्चर एक मेडिकल प्रैक्टिस है जिसमें आपके स्पाइनल कैनल में सुई लगाई जाती है, ताकि सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड जो की कलर्स फ्लूइड है उसे निकाला जा सके। यह फ्लूइड स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन के आसपास मौजूद होता है जिससे आगे का चेकअप किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति को रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क से संबंधित कोई हेल्थ प्रॉब्लम है, तो यह पंक्चर प्रोसेस इसका पता लगाने में मदद कर सकती है।

वो बीमारी जो लम्बर पंक्चर के जरिए पता लगाई जा सकती हैं, उनमें मेनिन्जाइटिस या ब्लीडिंग शामिल हैं। आमतौर पर, इस टेस्ट के लिए लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है और एक हाइपोडर्मिक सुई का उपयोग करके सैंपल इकट्ठा किया जाता है। एक बार जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो इसे आगे के एनालिसिस के लिए भेज दिया जाता है।

क्या आप गर्भावस्था के दौरान स्पाइनल टैप कर सकते हैं?

गर्भावस्था के दौरान स्पाइनल टैप कंडक्ट करना सुरक्षित माना जाता है या नहीं, इस बारे में जुड़े हर सवाल का जवाब पाना जरूरी है। हाँ, गर्भावस्था के दौरान स्पाइनल टैप प्रोसेस को सुरक्षित माना जाता है। स्पाइनल फ्लूइड  किसी भी तरीके से आपकी गर्भावस्था से प्रभावित नहीं करता है। न ही लम्बर पंक्चर के दौरान यह आपकी प्रेगनेंसी के किसी भी स्टेज में खतरा पैदा करता है। एक और बात आपको ध्यान में रखना चाहिए कि इस प्रोसेस से आपके बच्चे पर भी कोई खतरा नहीं होता है।

गर्भावस्था में लम्बर पंक्चर के फायदे

गर्भावस्था के दौरान लम्बर के पंक्चर प्रोसेस को चुनने के कई फायदे हैं, जो आपको नीचे बताए गए हैं: 

  • यदि प्रेगनेंसी के दौरान आपको गंभीर रूप से सिरदर्द होता है, तो आप स्पाइनल टैप प्रोसेस का उपयोग करके इसके कारण का पता लगा सकती हैं।
  • दौरा, मिर्गी जैसी अन्य बीमारी का पता पंक्चर के माध्यम से लगाया जा सकता है।
  • कभी-कभी स्कल (खोपड़ी) के अंदर एक दबाव बन जाता है जो आगे चलकर ब्रेन टिश्यू और सरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड में भी फैल सकता है। इस कंडीशन को इंट्राक्रेनियल प्रेशर के नाम से जाना जाता है जिसके बारे लम्बर पंक्चर के माध्यम से पता लगाया जा सकता है।
  • एक इन्फेक्शन चाहे वो सीएसएफ (सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड) हो या ब्रेन लीनिंग इसे लम्बर पंक्चर की मदद से पता लगाया जा सकता है।
  • जब आप एक लम्बर पंक्चर प्रोसेस से गुजरती हैं तो इससे गुलियन-बैरे सिंड्रोम नामक बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इस तरह की बीमारी में, इम्यून सिस्टम आपकी नर्वस पर अटैक कर सकता है, जो बदले में माइलिन इन्सुलेशन को नुकसान पहुँचा सकता है।
  • एक सबराचोनोइड ब्लीडिंग एक ऐसी कंडीशन है, जहाँ आपके दिमाग के अंदर के ब्लड वेसल्स डैमेज हो जाते हैं। जब एक स्पाइनल टैप किया जाता है, तो इस कंडीशन का निदान किया जाना आपके लिए आसान हो जाता है।
  • स्पाइनल कॉर्ड, ब्रेन या यहाँ तक नर्व का ठीक से काम न करना इसे कमजोर बनाता है, जिसके कारण परेसिस (पार्शियल पैरालिसिस) ​हो सकता है। लेकिन चिंता न करें क्योंकि लम्बर पंक्चर इसका पता लगाने में मदद कर सकता है।
  • लम्बर पंक्चर का सबसे ज्यादा फायदा शरीर के निचले हिस्से में स्पाइनल एनेस्थेटिक देने से होता है, जहाँ फिर आपको किसी भी प्रकार की जनरल एनेस्थीसिया लेने की आवश्यकता नहीं होती है।

लम्बर पंक्चर कैसे किया जाता है?

आमतौर पर एक हॉस्पिटल में, लम्बर पंक्चर प्रोसेस के दौरान नीचे बताए गए स्टेप्स शामिल होते हैं:

  • डॉक्टर आपको टेबल पर एक साइड होकर लेटने के लिए कहेंगे, जहाँ आपके पैर ऊपर की ओर होंगे और ठुड्डी अंदर की ओर। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हड्डियों और स्पाइनल एरिया को अलग किया जा सके, जिससे आपको सुई लगाने में आसानी रहे।
  • एक एंटीसेप्टिक अगले स्पाइनल एरिया के बेस पर लागू किया जाता है, उसके बाद उस क्षेत्र को सुन्न करने के लिए एनेस्थीसिया लगाया जाता है।

  • इसके बाद, एक विशेष स्पाइनल नीडल को हड्डियों और स्पाइनल एरिया के बीच लगाया जाता है। सुई स्पाइनल कैनल में प्रवेश करती है जहाँ मेम्ब्रेन जिसमें सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड होता है, उसे टारगेट करता है।
  • एक बार सीएसएफ कलेक्ट हो जाने के बाद, सैंपल को कंटेनर में स्टोर किया जाता है और टेस्ट के लिए भेजा जाता है।
  • वह क्षेत्र जहाँ सुई लगाई जाती है, उसे एक छोटे से प्लास्टर की मदद से ढंक दिया जाता है।

गर्भावस्था के बाद लम्बर पंक्चर का उपचार

लम्बर पंक्चर ट्रीटमेंट के जरिए कुछ संभावित उपचार इस प्रकार शामिल हैं:

1. पूरा आराम करें

आमतौर पर, आपके एक लम्बर पंक्चर से गुजरने के बाद सिर या पीठ दर्द होता है। इसलिए रेस्ट और रिलैक्स करना करना जरूरी है। ठीक तरह से रेस्ट करने से किसी भी साइड इफेक्ट से बचा जा सकता है।

2. मेडिकेशन

सही मेडिकेशन लेने से भी अपने दर्द का इलाज कर सकती हैं, जो लम्बर पंक्चर प्रोसेस के बाद आप अनुभव कर सकती हैं। हालांकि आपको किसी भी मेडिसिन को लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करने की जरूरत होती है।

यह सभी जानकारी लम्बर पंक्चर से संबंधित थी, जिसे आप स्पाइनल टैप भी कह सकती हैं। चाहे आप गर्भवती हो या न हो, लम्बर प्रोसेस के आपके कई हेल्थ इशू के बारे में पता लगाने में मदद करता है, जो थोड़ी देर के लिए आपकी परेशानी का कारण बन सकता है। लेकिन किसी भी हेल्थ प्रॉब्लम का पहले पता लग जाने से उसका समय पर ट्रीटमेंट करना आसान हो जाता है, जिससे आप और आपका बच्चा हेल्दी दोनों ही रहता है और इससे बच्चे के लिए कोई जोखिम भी नहीं होगा।

यह भी पढ़ें:

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समर नक़वी

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