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एक माँ की जिम्मेदारियां गर्भधारण करने का प्रयास करने से पहले ही शुरू हो जाती हैं। गायनेकोलॉजिस्ट, जेनेट लागेर और कैलिफोर्निया में स्थित सैन फ्रांसिस्को के असिस्टेंट प्रोफेसर के अनुसार महिलाओं को गर्भधारण करने से पहले तीन चीजें करनी चाहिए। पहली कि वे प्रीनेटल विटामिन लेती रहें, दूसरी कि वे गर्भधारण से पहले डॉक्टर से जांच कराएं और अंत में उन्हें जेनेटिक कैरियर स्क्रीनिंग करानी चाहिए।
भोजन में पर्याप्त न्यूट्रिशन नहीं मिल पाता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान विटामिन्स लेना बहुत जरूरी है। यद्यपि आप विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करती होंगी, जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स, मीट, फल, सब्जियां, ग्रेन्स और दाल पर फिर भी थोड़ा बहुत न्यूट्रिशन सप्लीमेंट्स से ही पूरा किया जा सकता है। सभी खाद्य पदार्थों में आवश्यक सप्लीमेंट्स नहीं होते हैं और प्रदूषण, फार्मिंग में उपयोग किए जाने वाले केमिकल्स व खराब स्टोरेज की वजह से खाद्य पदार्थों में से आवश्यक न्यूट्रिएंट्स कम हो जाते हैं।
प्रीनेटल विटामिन एक विशेष और महत्वपूर्ण न्यूट्रिएंट होते हैं जो महिला को गर्भधारण करने से पहले सप्लीमेंट्स के रूप में लेने की सलाह दी जाती है। यह गर्भावस्था के दौरान शरीर में विटामिन की मात्रा को पर्याप्त बनाए रखने में मदद करते हैं। डायट में परहेज, आम समस्याओं और गर्भावस्था के कॉम्प्लिकेशंस के साथ महिलाओं को विशेष प्रीनेटल विटामिन लेना बहुत जरूरी है। माँ और गर्भ में पल रहे बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए इसे छोड़ना नहीं चाहिए।
प्रीनेटल विटामिन लेने की सलाह उन गर्भवती महिलाओं को दी जाती है, जो
आप गर्भधारण करने से पहले ही प्रीनेटल विटामिन लेना शुरू कर सकती हैं। इससे गर्भावस्था की शुरूआत से ही आप हेल्दी रहेंगी। यह बच्चे की न्यूरल ट्यूब के लिए भी अच्छा है जिससे गर्भावस्था के शुरूआती कुछ दिनों में बच्चे का दिमाग और रीढ़ की हड्डी बनती है या तबसे बनना शुरू हो जाती है जब आपको पता भी नहीं होता कि आप गर्भवती हैं। गर्भावस्था के दौरान अन्य विटामिन के साथ फोलिक एसिड लेने से बच्चे में न्यूरल ट्यूब से संबंधित समस्याएं नहीं होती हैं। इसमें आयरन, आयोडीन और कैल्शियम भी होता है जो बच्चे व माँ के शरीर में खून बढ़ाता है और हड्डियां मजबूत रखता है।
पूरी गर्भावस्था के दौरान प्रीनेटल सप्लीमेंट्स लेना फायदेमंद है क्योंकि ये बच्चे के विकास के लिए लगातार पोषण देते हैं। डॉक्टर कुछ महिलाओं को जन्म के बाद सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं विशेषकर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान। ज्यादातर डॉक्टर गर्भावस्था की पहली तिमाही में सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं ताकि माँ और बच्चा स्वस्थ रहें।
प्रीनेटल विटामिन में दो आवश्यक विटामिन होते हैं, फोलिक एसिड और आयरन। इसमें कैल्शियम, आवश्यक फैटी एसिड और विटामिन डी भी होते हैं। ये शरीर में न्यूट्रिएंट्स की आपूर्ति को पूरा करते हैं जो इस समय बहुत जरूरी हैं। फोलिक एसिड विटामिन बी9 का सिंथेटिक रूप है जिसे फॉलेट के नाम से भी जाना जाता है और यह न्यूरल ट्यूब के विकारों (एनटीडी’स) से बचाव करता है। आयरन खून को बढ़ाने में मदद करता है जो माँ और बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी है। यह लंग्स और पूरे शरीर में ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। वहीं दूसरी तरफ कैल्शियम बच्चे के दाँतों व हड्डियों को मजबूत बनाता है। यह दिल, मसल्स और नर्व्ज के विकास में मदद करता है।
अक्सर महिलाएं नियमित रूप से मल्टी-विटामिन्स लेती हैं इसलिए आप सोच सकती हैं कि फिर गर्भावस्था के दौरान प्रीनेटल विटामिन लेने की जरूरत क्या है। खैर, इसकी जरूरत है क्योंकि प्रीनेटल विटामिन में फोलिक एसिड व आयरन सामान्य कैप्सूल्स से ज्यादा होता है। फोलिक एसिड बच्चे की न्यूरल ट्यूब का विकास करने में मदद करता है। न्यूरल ट्यूब बच्चे में रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क बनाने में मदद करती है। दूसरी तरफ आयरन बच्चे के पूरे विकास व वृद्धि में मदद करता है। साथ ही यह हेल्दी रेड ब्लड सेल्स को भी बढ़ाता है जिससे बच्चे में एनीमिया होने का खतरा नहीं रहता है।
गर्भावस्था के दौरान आपको कौन से विटामिन लेना चाहिए उसकी लिस्ट यहाँ दी हुई है, आइए जानें;
न्यूट्रिएंट का नाम | रोजाना की डोज | क्यों जरूरी है? | स्रोत |
कैल्शियम | 1000 मिलीग्राम | दाँत और हड्डियां बनाता है | दूध, दही, चीज़, हरी सब्जी और सार्डिन |
आयरन | 27 मिलीग्राम | ऑक्सीजन पहुँचाने में रेड ब्लड सेल्स की मदद करता है और पूरे विकास को सपोर्ट करता है। | मटर की दाल, पालक, ब्रोकोली, सूखा आलूबुखारा, चिकन, लीन मीट |
फोलिक एसिड | 600 माइक्रोग्राम | दिमाग और रीढ़ की हड्डी में जन्म से संबंधित विकारों से बचाव करता है। | संतरे, पालक, बीन्स, हरी सब्जी, ब्रेड, चावल, कुछ प्रकार के पास्ता |
विटामिन बी12 | 2.6 माइक्रोग्राम | नर्वस सिस्टम बनाए रखता है। | अंडे, दूध के प्रोडक्ट,मछली, चिकन, शेल्फिश, कुछ प्रकार के चावल और सोय दूध |
विटामिन बी6 | 1.9 मिलीग्राम | प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट की कमी पूरी करता है और साथ ही रेड ब्लड सेल्स को बनाता है। | होल ग्रेन्स, सीरियल, और केला |
विटामिन डी | 600 इंटरनेशनल यूनिट | हड्डियों व दाँतों को मजबूत बनाता है। आँखों की रोशनी को बढ़ाने के साथ-साथ त्वचा को भी स्वस्थ रखता है। | अंडे की जर्दी, चीज़, सोया दूध, संतरे का जूस |
विटामिन सी | 85 मिलीग्राम | मसूड़ों, दाँतों और हड्डियों के विकास को बढ़ाता है और आयरन को अब्सॉर्ब करता है। | ब्रूसेल स्प्राऊट्स, शिमला मिर्च, पपीता, अनानास |
विटामिन ए | 770 माइक्रोग्राम | त्वचा व आँखों की रोशनी को स्वस्थ बनाता है। हड्डियों का विकास करता है। | शकरकंद, हरी सब्जियां, दूध, मछली |
इस बात का ध्यान रखें कि यद्यपि हमारे खाने में ज्यादातर न्यूट्रिएंट्स होते हैं पर फिर भी ऐसा जरूरी नहीं है कि आप रोजाना पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिएंट्स ले रही हैं। इसलिए सप्लीमेंट्स लेने से आपके शरीर में विटामिन की कमी पूरी होती है। इसी के साथ यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि आपके वास्तविक भोजन के लिए सिर्फ सप्लीमेंट्स ही नहीं बल्कि सब्स्टीट्यूट भोजन भी जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ रहने के लिए हेल्दी डायट लेना भी जरूरी है।
महिलाओं को गर्भधारण करने से पहले प्रीनेटल विटामिन लेने की सलाह दी जाती है और यही इसकी सही शुरुआत है। आपके शरीर में एक बच्चा पल रहा है इसलिए आपको ज्यादा न्यूट्रिशन लेना चाहिए। हालांकि ये दवाएं लेने की वजह से कुछ महिलाओं को उल्टी जैसा भी लगता है और वे सप्लीमेंट्स को खाने के साथ भी ले सकती हैं। यदि यह भी मदद नहीं करता है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
जैसे कि इसका कोई भी स्टैंडर्ड नहीं है इसलिए डॉक्टर ही आपको सुरक्षित व सही सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर और गायनेकोलॉजिस्ट को आपकी इन समस्याओं को ठीक करने का पूरा अनुभव होता है इसलिए वे आपके स्वास्थ्य के अनुसार सही सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं।
ज्यादातर मामलों में एक दिन में एक ही दवा लेनी चाहिए। डॉक्टर की सलाह के अनुसार आप इसे कभी-कभी दो बार भी ले सकती हैं। यह कहा जाता है कि डॉक्टर की सलाह के बिना आपको प्रीनेटल विटामिन लेते समय कोई और विटामिन नहीं लेना चाहिए।
प्रीनेटाल विटामिन्स से आपको कब्ज, मतली, डायरिया, गाढ़ी पॉटी, पेट खराब, भूख में कमी और क्रैंप्स जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ मामलों में आप इसके साइड-इफेक्ट्स और रेमेडीज के लिए डॉक्टर से भी चर्चा करनी चाहिए। यह लेते समय आपको सावधानी बरतना जरूरी है ताकि इसके साइड इफेक्ट्स को तुरंत ठीक किया जा सके। यदि आपको कोई भी साइड इफेक्ट्स दिखाई देते हैं तो इसके लिए डॉक्टर ही आपकी मदद कर सकते हैं।
आप डॉक्टर से कहें कि वे आपको छोटी और पतली कोटिंग की कैप्सूल दें। इसके अलावा आप ऐसा दवाएं भी ले सकती हैं तो चबाई जा सकें या पाउडर के रूप में हों जिसे आप पानी में मिलाकर भी ले सकती हैं। इसकी छोटी दवाएं भी आती हैं जिन्हें लेने में आपको कठिनाई नहीं होगी।
सप्लीमेंट्स लेने से आपको गैस और मतली हो सकती है। इससे बचने के लिए आप खाने के साथ दवाइयां लें या आप इसे सोते समय भी ले सकती हैं। अन्य मामलों में आयरन के सप्लीमेंट्स से भी कब्ज हो सकता है। दवाइयां बदलने से पहले आप डॉक्टर से बात करें और कब्ज को ठीक करने के लिए सूखा आलूबुखारा का जूस पिएं। दिन में 2-3 बार फल खाने से या सायलियम फाइबर के सप्लीमेंट्स लेने से भी आपको मदद मिल सकती है। सायलियम पाउडर की दवाओं के रूप में मिलता है जिसे लैक्सेटिव भी कहते हैं।
इस बारे में आप डॉक्टर से बात करें ताकि वे आपको बेहतर विकल्प बता सकें पर इस बात का ध्यान रखें कि बार-बार दवाइयां बदलना आपके लिए ठीक नहीं है। आप डॉक्टर की सलाह लिए बगैर सप्लीमेंट्स न बदलें।
कुछ प्रीनेटल विटामिन में अन्य आवश्यक न्यूट्रिएंट्स नहीं होते हैं, जैसे ओमेगा 3 फैटी एसिड। जो महिलाएं फैटी एसिड-युक्त आहार का सेवन नहीं करती हैं तो न्यूट्रिशन की कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। आपको सामन और टूना मछली से ओमेगा 3 फैटी एसिड प्राप्त हो सकता है। अखरोट और ऑलिव ऑयल में भी यह न्यूट्रिशन मौजूद है।
आपको पूरी गर्भावस्था के दौरान प्रीनेटल विटामिन लेने चाहिए। गर्भावस्था की पहली तिमाही में कैल्शियम और विटामिन ‘डी’ सबसे जरूरी प्रीनेटल विटामिन हैं क्योंकि पहली तिमाही में बच्चे की हड्डियां तेजी से बनना शुरू हो जाती हैं और उन्हें मजबूत होने की जरूरत होती है। कुछ मामलों में डॉक्टर जन्म के बाद भी विटामिन की दवाएं लेने की सलाह देते हैं। इससे शरीर में न्यूट्रिशन की कमी पूरी होती है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान विटामिन की दवाएं लेने से बच्चे तक भी पर्याप्त विटामिन पहुँचता है।
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