गर्भावस्था के दौरान वेटलिफ्टिंग

WEIGHT LIFTING IN PREGNANCY

क्या गर्भावस्था के दौरान हम वजन उठा सकते हैं? प्रेगनेंसी के दौरान आपका शरीर कई तरह के शारीरिक बदलावों से गुजरता है। बच्चे के लिए जगह बनाने के लिए आपका गर्भाशय फैलता है और आपके साइड और हिप ज्वाइंट डिलीवरी के लिए तैयारी के दौरान ढीले हो जाते हैं। ऐसे में, ऐसी कोई भी नई एक्सरसाइज, जो आपके शरीर में बदलाव लाए या उसमें तनाव पैदा करें, उससे दूर रहने की सलाह दी जाती है। लेकिन, अगर आप प्रेगनेंसी के पहले से ही लंबे समय से एक वर्कआउट रिजीम को फॉलो करती आ रही हैं, तो उसका आपकी प्रेगनेंसी पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है। इस लेख के माध्यम से आप नॉर्मल प्रेगनेंसी के दौरान वेटलिफ्टिंग और अन्य एक्सरसाइज के फायदों के बारे में जान पाएंगी। 

गर्भावस्था के दौरान वजन उठाना: क्या यह सुरक्षित है? 

अगर जिम में एक्सरसाइज करना और वेटलिफ्टिंग करना आपके डेली रूटीन का एक हिस्सा है, तो प्रेगनेंसी के दौरान भी इसे जारी रखने में कोई समस्या नहीं है। लेकिन, अगर आपने अब तक कोई कठिन एक्सरसाइज नहीं की है, तो आपके जीवन में किसी नई तरह की एक्सरसाइज को शामिल करने के लिए गर्भावस्था का समय बिल्कुल भी उचित नहीं है। 

अगर आप एक एथलीट हैं, तो भी आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करके इस बारे में बात करनी चाहिए, कि अब तक आप जिस तरह से एक्सरसाइज करती आई हैं, उसे आपको जारी रखना चाहिए या नहीं। अगर आपकी प्रेगनेंसी एक सामान्य गर्भावस्था है, तो डॉक्टर आपको इसकी इजाजत दे सकते हैं। लेकिन, अगर आपकी गर्भावस्था में किसी तरह की परेशानी है, तो डॉक्टर आपको एक्सरसाइज करने के लिए मना भी कर सकते हैं। जो महिलाएं प्रीमेच्योर लेबर के खतरे के घेरे में होती हैं, उन गर्भवती महिलाओं को विशेषकर पहली तिमाही के बाद वजन उठाने की मनाही होती है। 

गर्भवती महिलाओं के लिए वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज

एथलीट या स्पोर्ट्स से जुड़ी महिलाएं, सभी तरह के प्रेगनेंसी वेट वर्कआउट से फायदा उठा सकती हैं। इनके कुछ अच्छे विकल्पों में फ्री वेट, रेजिस्टेंस ट्रेनिंग मशीन और रेजिस्टेंस बैंड का इस्तेमाल करके रेजिस्टेंस ट्रेनिंग और अपने शरीर के वजन का इस्तेमाल करके सिंपल वेट ट्रेनिंग शामिल है। ये सभी एक्सरसाइज आपकी मांसपेशियों को मजबूत बनाती हैं और आपको पूरी गर्भावस्था के दौरान फिट रखती हैं। 

गर्भावस्था के दौरान वेटलिफ्टिंग के लिए टेक्निक

प्रेगनेंसी के दौरान हेल्दी वेट लिफ्टिंग प्रैक्टिस बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि आपकी हड्डियों का ढांचा और सपोर्ट सिस्टम बदल रहा होता है और आपको परेशानी होने का खतरा अधिक होता है। 

जब कभी भी आप जमीन से कोई वजन उठाती हैं, तो अपनी कमर के बजाय घुटनों से झुकें। साथ ही, अपने पैरों पर खड़ी होने के लिए अपने पैरों को धकेलने के दौरान अपनी पीठ को जितना हो सके सीधी रखें। प्रेगनेंसी के दौरान वजन उठाते समय किसी भी तरह के खिंचाव या अचानक होने वाले मूवमेंट से बचें। इसके अलावा, गर्भावस्था में आप जैसे-जैसे आगे बढ़ती जाती हैं, वैसे-वैसे पहले की तुलना में कम वजन का इस्तेमाल करें, इसके रिपीटिशन को कम कर दें, सही ब्रीदिंग तकनीक का इस्तेमाल करें (इसके बारे में अपने ट्रेनर से बात करें) और एक्सरसाइज के बीच में ब्रेक लेती रहें। 

गर्भावस्था में वेट ट्रेनिंग के लिए टिप्स

आप कौन सा रीजीम चुनती हैं, यह मायने नहीं रखता, याद रखने वाली जरूरी बात यह है, कि जैसे-जैसे प्रेगनेंसी आगे बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे आपको अपने एक्सरसाइज की इंटेंसिटी को कम करते रहना है। यहाँ पर तीनों तिमाहियों के दौरान वेट ट्रेनिंग के लिए कुछ टिप्स दिए गए हैं। 

पहली तिमाही

पहली तिमाही में थकान, नॉशिया और मूड स्विंग बहुत ज्यादा होता है। अपने दिमाग को शांत रखने और ध्यान को भटकने से बचाए रखने के लिए, आप हल्के वर्क-आउट और वेटलिफ्टिंग जारी रख सकती हैं। 

आपके रेगुलर वेट ट्रेनिंग को अपनी शुरुआती प्रेगनेंसी में जारी रखने की सलाह दी जाती है, लेकिन अपनी तकनीक को दोबारा देखें। वजन उठाते समय धीमे और नियंत्रित मूवमेंट का इस्तेमाल करें। एक्सरसाइज करते समय भावनाओं में न बहें, क्योंकि अचानक होने वाले मूवमेंट और झटकों से बढ़ते बच्चे को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, वेटलिफ्टिंग एक्सरसाइज के दौरान लगातार सांस लेते रहना और पेल्विक फ्लोर को सख्त बनाए रखना भी जरूरी है। 

दूसरी तिमाही 

दूसरी तिमाही के दौरान वेटलिफ्टिंग करने के लिए बैठने वाली पोजीशन की सलाह दी जाती है। एक ही स्थिति में लंबे समय तक खड़े रहने से आपके पैरों में खून का प्रवाह रुक सकता है। 16 हफ्ते के बाद अपनी पीठ के बल न लेटने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे आपके वेंस में से एक पर दबाव पड़ सकता है, जिसे वेना कावा कहा जाता है। 16 सप्ताह के बाद अपनी पीठ के बल खड़े होने या लेटने से आपको कमजोरी और चक्कर आने की समस्या हो सकती है। इस दौरान आपको वैरिकोज वेंस की समस्या होने का भी खतरा होता है। अगर आप वैरिकोज वेंस के डेवलप होने का अनुभव कर रही हैं, तो अपने वर्कआउट पैंट के अंदर सपोर्ट स्टॉकिंग पहनना न भूलें। 

अगर आपको खड़े होने की स्थिति में कोई भी वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज करनी है, तो अपनी पीठ को आर्क या फ्लैट कर लें, ताकि बढ़ते हुए पेट के कारण आपका संतुलन न बिगड़े। साथ ही आप वेटलिफ्टिंग के दौरान दर्द और तकलीफ से बचने के लिए इधर-उधर घूम सकती हैं और अपनी पोजीशन में बदलाव कर सकती हैं। थंब रूल को हमेशा याद रखें, पेल्विक फ्लोर मसल को टाइट करें और नॉर्मल तरीके से सांस लें। 

तीसरी तिमाही

गर्भावस्था के दौरान, आप जैसे-जैसे आगे बढ़ती जाती हैं, वैसे-वैसे आपको रिपीटिशन में कमी लानी होती है और वजन को कम करना होता है। आपको अपने एक्सरसाइज रूटीन में भी बदलाव करना पड़ता है, क्योंकि आपका बढ़ा हुआ पेट कई तरह के उपकरणों के इस्तेमाल के समय बाधा उत्पन्न कर सकता है। आप फ्री वेट भी आजमा सकती हैं। 

तीसरी तिमाही के दौरान,रेजिस्टेंस बैंड के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। वजन को उठाते और बदलते समय सावधानी बरतें, क्योंकि ऐसे में अपने पेट पर वजन गिरा लेने का खतरा होता है। 

गर्भावस्था के आखिरी कुछ महीनों के दौरान, सिर के ऊपर से ले जाने वाले और बाहों को फैलाकर किए जाने वाले वेटलिफ्टिंग की मनाही होती है। इससे आपके पेट पर खिंचाव आ सकता है, जो कि बेहद खतरनाक होता है। इसके अलावा फर्श पर से वजन उठाने से भी बचें। 

आखिरी तिमाही के बढ़े हुए पेट के कारण और संतुलन बिगड़ कर नीचे गिरने का खतरा होने के कारण वेटलिफ्टिंग एक्सरसाइज को जारी रखना कठिन हो जाता है, इसलिए, अतिरिक्त सावधानी रखें। हल्के वजन का इस्तेमाल करें और सिंपल एक्सरसाइज करें। हमेशा एक प्रीनेटल ट्रेनर की निगरानी में ही एक्सरसाइज करें। 

भारी वजन उठाने के खतरे

हर गर्भवती महिला के दिमाग में जो एक आम सवाल जरूर होता है, कि ‘प्रेगनेंसी के दौरान वजन उठाने से क्या होता है?’ 

गर्भावस्था के दौरान भारी वजन उठाना खतरनाक हो सकता है। प्रेगनेंसी में भारी वजन क्यों नहीं उठाना चाहिए, इसके कारण नीचे दिए गए हैं। हम आपको यह भी बताएंगे, कि एक गर्भवती महिला कितना वजन उठा सकती है। 

  • चोट और दर्द: गर्भावस्था के दौरान आपके मसल्स, जोड़ और लिगामेंट्स कमजोर होते हैं। इसलिए अगर आप सावधानी न बरतें, तो आसानी से चोट पहुँच सकती है। भारी वजन उठाते समय आपके लोअर बैक में खिंचाव आने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। 
  • गिरना: आपका पेट जैसे-जैसे बढ़ता जाता है, आपकी सेंटर ऑफ ग्रेविटी शिफ्ट होती जाती है, जिससे गिरने की संभावना बढ़ जाती है। जब आप भारी वजन उठाने के लिए आगे की ओर झुकती हैं, तो आपका संतुलन बिगड़ कर गिरने की भारी संभावना होती है और विशेषकर गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में गिरना बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है। 
  • वजन को कम करना: एक्सपर्ट्स बताते हैं, कि उठाने वाले वजन में 25% तक की कमी कर देनी चाहिए। डॉक्टर जूडिथ रेचमैन ने एनबीसी न्यूज ऑनलाइन के लिए एक आर्टिकल में बताया, कि अगर आप गर्भावस्था के पहले 50 एलबीएस का वजन उठा रही थीं, तो गर्भावस्था के दौरान आपको उस में कमी करके 37.5 एलबीएस तक कर देना चाहिए। इस तरह से गर्भावस्था के दौरान उठाने के लिए सुरक्षित वजन का निर्धारण कर सकते हैं। 

भारी वजन उठाने के खतरे

गर्भावस्था के दौरान वेट ट्रेनिंग के फायदे

गर्भवती महिलाओं के लिए वेटलिफ्टिंग के कुछ अद्भुत फायदे होते हैं और बच्चे के जन्म के दौरान इनसे मदद भी मिलती है।

  • शुरुआती गर्भावस्था में वेट ट्रेनिंग के बहुत सारे फायदे होते हैं। अगर आप सभी जरूरी सावधानियों को बरतते हुए एक्सरसाइज करती हैं, तो आपका लेबर कम अवधि का होता है, उसमें कॉम्प्लीकेशंस भी कम होती हैं और अस्पताल में कम दिनों के लिए रहना पड़ता है, प्रीटर्म बर्थ के खतरे कम हो जाते हैं और लेबर के दौरान कम दर्द होता है। 
  • आपके वजन उठाने से आपके बच्चे को भी फायदा होता है। बच्चे के ब्लड वेसल मजबूत होते हैं, उसे कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं का खतरा कम हो जाता है, उसका दिमाग जल्दी मेच्योर हो जाता है और वह लेबर से होने वाला स्ट्रेस बेहतर तरीके से झेल पाता है। 
  • अगर आप एक प्रीनेटल ट्रेनर की गाइडेंस में एक्सरसाइज या वेटलिफ्टिंग करती हैं, तो आपको एक्सरसाइज का फायदा ज्यादा मिलता है। पेल्विक टिल्ट होने से पीठ के दर्द से राहत में मदद मिलती है, सीटेट लेग कर्ल से भविष्य में होने वाले घुटनों के दर्द से बचाव होता है और प्लैंक एक्सरसाइज से गर्भावस्था के दौरान होने वाले पेट के दर्द में कमी आती है। 
  • बच्चे के जन्म का समय आपके और बच्चे दोनों के लिए बहुत तनावपूर्ण होता है। एक ट्रेनर की निगरानी के अंदर किए गए वेटलिफ्टिंग और एक्सरसाइज के दूसरे तरीके आप दोनों को ही फाइनल इवेंट के लिए तैयार करते हैं। ये एक्सरसाइज आपके शरीर को तैयार करती हैं, आप में कॉन्फिडेंस पैदा करती हैं और तनाव को बेहतर तरीके से झेलने के लिए आपके शरीर को तैयार करती हैं। 
  • लेबर गर्भावस्था की सबसे ज्यादा तनावपूर्ण प्रक्रिया है। यह जरूरी है, कि आप इसके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हों। प्रीनेटल एक्सरसाइज के एक हिस्से के रूप में लेबर के दौरान वेटलिफ्टिंग के अनगिनत फायदे होते हैं। यह आपके प्राकृतिक मूवमेंट पर फोकस करने में आपकी मदद करता है, जिससे लेबर आसान हो जाता है। यह आपके शरीर को बच्चे के जन्म के लिए तैयार करने में मदद करता है और आपकी मांसपेशियों की ओवरऑल गतिशीलता बढ़ जाती है। 

आपके चुनाव के लिए वेटलिफ्टिंग के विभिन्न प्रकार

गर्भावस्था के दौरान वेटलिफ्टिंग एक्सरसाइज के कुछ ही प्रकार उपलब्ध हैं, जिनमें से आपको चुनाव करना होता है। इस बात का ध्यान रखें, कि आप हल्के वजन का चुनाव करें, जिससे आप इसे सही तरीके से कर सकें और पहली तिमाही के बाद ऐसे किसी भी एक्सरसाइज से बचें, जिनमें आपको पेट के बल या पीठ के बल लेटने की जरूरत होती है। यहां पर वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज की एक सूची दी गई है, जिन्हें आप घर पर या जिम में भी कर सकती हैं और उनका फायदा उठा सकती हैं। 

  • अपर और मिडिल बैक के लिए सिटेड केबल रो एंड लैट पुल डाउन: चूंकि आपके ब्रेस्ट बड़े हो जाते हैं, आपके कंधे आगे की ओर झुकने लगते हैं। इस एक्सरसाइज से आपको कंधों के ब्लेड्स के बीच की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद की मिलती है, जो कि इस झुकाव से निपटता है। 
  • चेस्ट के लिए सीटेट चेस्ट प्रेस: यह एक्सरसाइज आपके अपर बॉडी में मसल बैलेंस बनाता है। 
  • बाहों और कंधों के लिए बाइसेप्स और ट्राइसेप्स: बाहों को मजबूत बनाने में मदद करता है और उन्हें सुडौल रखता है। 
  • लोअर बॉडी के लिए लेग एक्सटेंशन और सीटेड लेग कर्ल: जैसे-जैसे आप का पेट बढ़ता जाता है, आपके क्वाड्रीसेप्स और हैमस्ट्रिंग्स आपकी गर्भावस्था का वजन उठाते हैं। यह एक्सरसाइज इन दोनों को मजबूत बनाती है। 
  • कोर एक्सरसाइज के लिए प्लैंक: यह एक्सरसाइज आपके एप्स को मजबूत रखेगी और प्रेगनेंसी में होने वाले पीठ के दर्द से बचाएगी। 

घर पर स्ट्रेंथ ट्रेनिंग: घर पर वेटलिफ्टिंग एक्सरसाइज और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के लिए, 3 से 8 पाउंड के वजन वाले दो डंबल, उठाने के लिए सुरक्षित वजन होते हैं। एक मजबूत कुर्सी और रेजिस्टेंस बैंड की मदद से आप नीचे दिए गए एक्सरसाइज में से प्रत्येक के 8 से 12 रिपीटेशन के एक या दो सेट कर सकती हैं। 

  • ट्राइसेप्स ओवरहेड एक्सटेंशन
  • बाइसेप्स कर्ल्स 
  • लेटरल रेसेज  
  • स्क्वाट्स 

घर पर किसी भी तरह के प्रेगनेंसी वर्कआउट को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें, ताकि आपको पता चल सके, कि यह आपके लिए सुरक्षित है या नहीं। याद रखें, हर महिला अलग होती है और हर गर्भावस्था भी अलग होती है!

इतने सारे फायदे होने के साथ, गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित वजन उठाना अभिशाप से ज्यादा वरदान है, पर यह केवल उसी महिला के लिए है, जो प्रेगनेंसी के काफी पहले से वेट ट्रेनिंग करती आ रही है। गर्भावस्था के दौरान वेट ट्रेनिंग या किसी भी दूसरे एक्सरसाइज की शुरुआत करना बिल्कुल भी सही नहीं है, इसलिए इसकी सलाह नहीं दी जाती है। इसके लिए आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए, प्रीनेटल ट्रेनर की निगरानी में एक्सरसाइज करनी चाहिए, अपने एक्सरसाइज रूटीन में बदलाव लाना चाहिए, अलग-अलग मांसपेशियों के समूह पर ध्यान लगाना चाहिए, हल्के वजन का इस्तेमाल करना चाहिए, अपनी ब्रीदिंग को स्थिर रखना चाहिए और अपने शरीर की सुननी चाहिए। अगर आप अच्छी तरह ध्यान रखती हैं, तो वेट ट्रेनिंग आपको सुडौल बनाए रखने में, अपने पोस्चर को बेहतर बनाने में, मांसपेशियों को मजबूत बनाने में और लेबर को आसान बनाने में उतनी ही ज्यादा मदद करता है। 

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