गर्भावस्था की दूसरी तिमाही – लक्षण, शारीरिक परिवर्तन और आहार

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही

गर्भावस्था की पहली तिमाही किसी किसी महिलाओं के लिए सुखद अनुभव लेकर नहीं आता है जिसका कारण मॉर्निंग सिकनेस या मतली हो सकता है । लेकिन जब आप अपनी दूसरी तिमाही में प्रवेश करती हैं, तो यह समस्याएं कम हो जाती हैं। दूसरी तिमाही आमतौर पर सबसे आसान होती है, और बहुत सारी महिलाएं इस अवसर का लाभ उठाकर अपने नन्हे मेहमान के आगमन की तैयारियां करने लगती हैं।

दूसरी तिमाही क्या है?

गर्भावस्था के नौ महीनों को तीन-तीन महीनों की तीन तिमाहियों में विभाजित किया गया है। दूसरी तिमाही गर्भावस्था के चौथे से छठे महीने तक होती है, या ऐसे समझ सकते हैं कि दूसरी तिमाही – 13वें सप्ताह से 28वें सप्ताह तक की अवधि की होती है। यही वह समय होता है जब महिलाएं गर्भवती दिखना शुरू हो जाती हैं क्योंकि उनका पेट बढ़ने लगता है और जिन्होंने अभी तक अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को अपनी गर्भावस्था के बारे में नहीं बताया था, उन्हें अब बताना पड़ता है।

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही के लक्षण

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में अधिकतर महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस से छुटकारा मिल जाता है, लेकिन किसी किसी मामले में पहली तिमाही के अन्य लक्षण दूसरी तिमाही में भी प्रकट हो सकते हैं। इतना ही नहीं, कुछ नए लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं। यहाँ पर उनमें से कुछ समस्याओं का वर्णन है:

1. सांस फूलना

रोजमर्रा की आम गतिविधियों जैसे किचन तक जाने में भी आपकी सांस फूल सकती है। यह सामान्य है क्योंकि जैसे जैसे गर्भाशय बढ़ता है, यह डायाफ्राम पर दबाव बनाता है, डायाफ्राम फिर आपके फेफड़ों पर दबाव बनाता है, जिससे हवा का आवागमन मुश्किल हो जाता है। यदि आपको लगता है कि आपकी सांस की तकलीफ गंभीर है, या अगर आपको घर के कामकाज के बाद कमजोरी होती है, तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

2. पेट दर्द

आपका गर्भाशय बढ़ रहा है और आसपास के स्नायुबंधों को फैला रहा है। इस कारण से दूसरी तिमाही के दौरान आपको अपने पेट के आस-पास के हिस्से में कुछ तकलीफ हो सकती है ।

3. स्पन्दन

लगभग 20वें सप्ताह तक आते-आते, आपको अपने पेट में हलचल महसूस होने लगेंगी। इसे स्पंदन कहते हैं और यह आपके शिशु की पहली स्पष्ट गतिविधि होगी। कुछ महिलाएं अपने छठे महीने में ही इसका अनुभव करती हैं। यदि दूसरी तिमाही के अंत में आपको कुछ झटके महसूस होते हैं, तो चिंता न करें। आपके शिशु को हिचकी आ रही है।

4. भावनात्मक परिवर्तन

आपके हार्मोन अब भी काफी सक्रिय हैं, लेकिन संभव है कि इन तीन महीनों तक इससे गुजरने के कारण आपको इसकी आदत पड़ चुकी है। आप पाएंगी कि अब आप अपनी भावनाओं को थोड़ी आसानी से काबू में कर पा रही हैं।

5. पीठ दर्द

आपके बढ़े हुए वजन का दबाव आपको अपनी पीठ पर महसूस होगा। आपको पीछे टिक कर बैठने वाली कुर्सियों का उपयोग करने से आराम मिलेगा। आरामदायक जूते पहनें और कोई भी भारी सामान उठाने की कोशिश न करें। करवट लेकर सोएं और अपने पैरों के बीच में एक तकिया रख लें।

पीठ दर्द

6. ल्यूकोरिया

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में सफेद स्त्राव होता है जिसे ल्यूकोरिया कहते हैं, गर्भवती महिलाओं की यह एक आम समस्या है। योनिक्षेत्र को स्वच्छ रखने के लिए पैड या पैंटी लाइनर का उपयोग करें, लेकिन टैम्पोन के उपयोग से बचें क्योंकि इससे कीटाणु योनि में पहुंच सकते हैं।

7. बार-बार पेशाब आना

अपनी पहली तिमाही में शायद आपको बाथरूम के कई चक्कर लगाने पड़े होंगे, लेकिन चूंकि दूसरी तिमाही के दौरान आपकी श्रोणि गुहा से दूर हो जाती है, आपको यह जानकर राहत मिलेगी कि दूसरी तिमाही के दौरान आपको बार-बार पेशाब महसूस नहीं होगी। अभी मिल रहे ब्रेक का आनंद लें क्योंकि तीसरी तिमाही में यह समस्या वापस आने वाली है।

8. मसूड़ों से खून आना

हार्मोनल परिवर्तन के कारण कम से कम 50% गर्भवती महिलाओं को संवेदनशील-पीड़ादायक मसूड़ों की शिकायत रहती है, क्योंकि इस क्षेत्र में रक्तप्रवाह बढ़ जाता है। शिशु के जन्म के बाद यह बंद हो जाएगा। इस बीच, नर्म ब्रिसल्स वाले टूथब्रश का प्रयोग करें और अपने दांतों की सफाई आराम से करें। जिन गर्भवती महिलाओं को मसूड़ों में गंभीर समस्या है, उनमें समयपूर्व प्रसव की अधिक संभावना होती है और उन्हें कम वजन का बच्चा पैदा हो सकता है।

9. बंद नाक और नाक से खून आना

आपके नाक की श्लेष्मा झिल्ली में आप सूजन देख पाएंगे। इससे आपको खर्राटे आ सकते हैं या आपकी नाक से खून आ सकता है। बंद नाक के लिए दवाइयां लेने की बजाय स्टीमिंग और अन्य प्राकृतिक तरीकों को आजमाएं । यदि आपकी नाक से खून आ रहा हो तो अपने सिर को सीधा रखें और अपने नथुने को हल्के हाथ से तबतक दबाकर रखें जबतक कि खून रूक नहीं जाता।

10. सिर दर्द

लगभग हर गर्भवती महिला को सिरदर्द का अनुभव होता है। यह सबसे आम समस्या है। इस समय भरपूर आराम करें। सिरदर्द के लिए, आम दिनों में ली जाने वाली एस्पिरिन जैसी कोई भी दवा न लें, बल्कि अपने डॉक्टर से मिलकर गर्भावस्था में ली जा सकने वाली दवा के बारे में सलाह लें।

11. कब्ज और सीने में जलन

गर्भावस्था के दौरान, आपका शरीर “प्रोजेस्टेरोन” नामक एक हार्मोन का अधिक उत्पादन करता है, जो कुछ मांसपेशियों को ढीला कर देता है जैसे कि आपके द्वारा पचाने वाले भोजन को आंतों के माध्यम से और आपके निचले अन्नप्रणाली की रिंग की मांसपेशी जो भोजन और एसिड को नीचे पकड़े रखती है । इस दौरान आहार की मात्रा थोड़ी कम कर दें और अपने आहार में अधिक से अधिक फाइबर शामिल करें।

12. बवासीर

गुदा के आसपास की फूली हुई, नीली और बैंगनी रंग की नसें, वैरिकाज नसें कहलाती हैं। आपकी गर्भावस्था के दौरान इनका आकार बढ़ सकता है क्योंकि आपके लगातार बढ़ते हुए गर्भाशय से उन पर दबाव बढ़ता जाता है। इससे राहत पाने के लिए गर्म पानी में बैठें या फिर अपने डॉक्टर की सलाह से कोई दवा ले लें

भ्रूण का विकास

इस तिमाही में आपका शिशु लगातार बढ़ रहा है दूसरी तिमाही के खत्म होते-होते, आपका बेबी 1 किलोग्राम का हो जाएगा। संभव है कि आपका बेबी लात भी मारना शुरू कर दे। यहाँ बताया गया है कि आपकी गर्भावस्था के दूसरे तिमाही के दौरान आपका बच्चा किस तरह बढ़ता है:

1. बाल, त्वचा और नाखून

आपके बच्चे के पहले बाल लगभग 15वें सप्ताह में विकसित होने लगेंगे और 22वें सप्ताह के दौरान उसकी पलकें और भौहें बनने लगेंगी। आपके शिशु की त्वचा लानुगो नामक एक आवरण से ढंकी होगी जो दिखने में एक फर के कोट जैसा दिखता है। 19वां सप्ताह आते-आते आपका बच्चा तेल और मृत त्वचा कोशिकाओं की एक चिकनी परत से ढंक जाएगा जिसे वर्निक्स केसोसा कहा जाता है। यह आपके पेट में बनने वाले एमनियोटिक एसिड से आपके शिशु की रक्षा करेगी और आपके शिशु के जन्म से पहले ही यह गिर भी जाएगी।

2. इन्द्रियाँ

22 सप्ताह तक आपका शिशु गंध पहचानने लगेगा। उसकी आँखें और कान भी अपनी-अपनी जगहों पर आ रहे हैं, जिसका अर्थ है कि वह देखने और सुनने लगा है।

इन्द्रियाँ

3. मस्तिष्क

आपके बच्चे का मस्तिष्क तेजी से विकसित हो रहा है, जिसकी सहायता से वह सभी विकासशील इंद्रियों का उपयोग करने में सक्षम है। 23वें सप्ताह तक वो अपने नन्हें से मस्तिष्क की बदौलत पलकें झपकाने लगेगा।

4. हृदय

17वें सप्ताह में, शिशु की सरल-सहज धड़कन विनियमित हो जाती है। 20वें सप्ताह में, आप इसे स्टेथोस्कोप की मदद से सुन सकेंगी। सम्पूर्ण शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त का संचार करने के लिए 25वें सप्ताह में केशिकाओं का निर्माण शुरू हो जाता है।

5. पाचन तंत्र

आपकी दूसरी तिमाही की शुरुआत होते-होते, आपके बच्चे का पाचन तंत्र विकसित हो चुका होगा। दूसरी तिमाही के दौरान, वह चूसना और निगलना भी सीख लेगा। वह उस भोजन का स्वाद लेने में भी सक्षम होगा जो आप एमनियोटिक द्रव के माध्यम से खाते हैं। यह चरण उसके भावी जीवन में उसकी पसंद-नापसंद को निर्धारित करेगा, तो भरपूर मात्रा में फल और सब्जियां खाना ना भूलें। हालांकि, आपका बच्चा पोषण संबंधी अपनी समस्त आवश्यकतों के लिए आपकी गर्भनाल पर ही निर्भर है, फिर भी आपके बच्चे की अपशिष्ट प्रणाली अबतक सुचारु रूप से काम करने लगी होगी और आपका शिशु हर 40 मिनट में पेशाब कर रहा होगा।

शारीरिक परिवर्तन

दूसरी तिमाही, पहली और तीसरी की तुलना में आरामदायक होती है, आपके शरीर में इस दौरान कुछ बदलाव होते हैं जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए।

1. हार्मोनल परिवर्तन

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की मात्रा में अचानक हुए परिवर्तन और कई अन्य हार्मोनों की मात्रा और उनके कार्य आपके शरीर में विभिन्न परिवर्तनों को जन्म देंगे जो न केवल आपकी मनोदशा को प्रभावित करते हैं बल्कि आपके भ्रूण के विकास में भी मदद करते हैं और आपके द्वारा किए जाने वाले शारीरिक क्रियाकलापों को भी प्रभावित करते हैं।

2. संवेदी परिवर्तन

गर्भावस्था के दौरान आपकी दृष्टि, स्वाद और गंध सभी बदल जाएंगे। कुछ महिलाओं को निकट दृष्टिदोष, धुंधली दृष्टि का अनुभव होता है, या कॉन्टैक्ट लेंस पहनने पर जलन हो सकती है। महिलाओं की स्वाद ग्रंथियों में भी बदलाव होता है क्योंकि वे अधिक नमकीन या मीठे खाद्य पदार्थ पसंद करने लग जाती हैं और खट्टे खाद्य पदार्थों को भी बड़े आराम से खा सकती हैं। कुछ महिलाएं गर्भावस्था के दौरान विविध सुगंधों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।

3. स्तनों के आकार में बदलाव

वैसे इस बात की पूरी संभावना है कि आपके स्तनों का दर्द कम हो जाएगा, लेकिन दूसरी तिमाही के दौरान स्तनों का आकार काफी बढ़ जाएगा क्योंकि वे आपके बच्चे को स्तनपान कराने के लिए विकसित हो रहें  हैं। एक सही-समुचित ब्रा खरीद लेने में ही समझदारी है। दूसरी तिमाही में ज्यादातर महिलाओं के स्तन से कोलोस्ट्रम नामक गाढ़े पीले रंग का तरल पदार्थ रिसने लगता है, यह माताओं द्वारा उत्पादित प्रथम दूध होता है।

4. गर्भाशय-ग्रीवा के आकार में परिवर्तन

गर्भावस्था और प्रसव पीड़ा के दौरान, गर्भाशय ग्रीवा (गर्भाशय का प्रवेशद्वार) में कुछ बदलाव होते हैं। गर्भाशय ग्रीवा का ऊतक मोटा और मजबूत हो जाता है। प्रसव से कुछ हफ्ते पहले आपके गर्भाशय की दीवारें नर्म हो जाती हैं और थोड़ी फैल भी सकती हैं।

5. त्वचा सम्बन्धी परिवर्तन

हार्मोनल परिवर्तनों की वजह से कई महिलाओं की त्वचा में ‘गर्भावस्था की चमक’ आ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हार्मोनल स्तर में आ रहे बदलावों के कारण आपकी त्वचा की रंगत निखर जाती है। कुछ महिलाओं के चेहरे की त्वचा थोड़ी सांवली भी हो जाती है जिसे ‘गर्भावस्था का मुखौटा’ या ‘प्रेगनेंसी मास्क’ भी कहते हैं। पेट के बीचों-बीच एक गहरी रेखा उभर आती है और त्वचा के फैलने की वजह से स्ट्रेच मार्क्स आ जाते हैं। प्रसव के बाद ये सबकुछ पहले जैसा हो जाएगा।

6. बालों और नाखूनों में आने वाले बदलाव

आपके बालों और नाखूनों में भी परिवर्तन होता है। गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को बाल झड़ने की समस्या का सामना भी करना पड़ता है। कुछ महिलाओं में इसके ठीक उलट प्रतिक्रिया होती है और उनके बाल और भी घने और काले हो जाते हैं, हाँ ये कभी-कभार अनचाही जगहों पर भी निकल आते हैं।

नाखूनों के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है, कुछ महिलाओं के नाखून बड़ी तेजी से बढ़ते हैं, तो कुछ महिलाएं पाती हैं कि उनके नाखून अधिक नाजुक हो गए हैं।

7. स्पाइडर और वैरिकाज नसें

रक्त परिसंचरण में आने वाली वृद्धि के लिए तैयार रहें क्योंकि आपका शरीर आपके बच्चे को अतिरिक्त रक्त भेजने के लिए ख़ुद को तैयार कर रहा है। रक्त संचार की इस अधिकता की वजह से आपकी त्वचा पर छोटी लाल नसें अर्थात स्पाइडर नसें दिखने लगती हैं।

आपके बढ़ते शिशु के दबाव के कारण, आपके पैरों की नसों में सूजन आ सकती है और वे बैंगनी या नीले रंग की दिखने लगेंगी। इन्हें वैरिकोज नसें कहा जाता है। इन्हें एकदम से रोकने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन यदि आप चलती-फिरती रहेंगी और लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठने से बचेंगी तो थोड़ा आराम मिलेगा और स्थिति बदतर नहीं होगी । प्रसव के बाद ये सब चला जाएगा ।

वजन बढ़ना

अब जबकि आपको मॉर्निंग सिकनेस या मतली से छुटकारा मिल चुका है तो आपकी भूख भी बढ़ जाएगी, और भले ही अपनी मनपसंद चीज खा लेने के लिए आपका जी ललचा रहा हो, संतुलित आहार लेने की कोशिश करें क्योंकि बहुत अधिक वजन बढ़ना भी सही नहीं है। दूसरी तिमाही के दौरान वजन में सामान्यतः 1 पाउंड या 1/2 किलो प्रति सप्ताह की वृद्धि होती है।

टेस्ट व स्कैन

गर्भावस्था की तीन सर्वाधिक आम समस्याएं हैं प्रीक्लेम्पसिया, गर्भकालीन मधुमेह और उच्च रक्तचाप। प्रीक्लेम्पसिया को नियंत्रित करने के लिए पेशाब में प्रोटीन की मात्रा की जाँच की जाएगी। गर्भावधि मधुमेह के लिए आमतौर पर दूसरी तिमाही के अंत में ग्लूकोज सम्बन्धी जांच की जाती है। 15 से 20वें सप्ताह के दौरान आपको एक और रक्त परीक्षण के लिए जाना होगा, इस दौरान आपके प्रसव की नियत तारीख को सुनिश्चित करने के लिए एक अल्ट्रासाउंड किया जाता है।

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में करने योग्य व्यायाम

गर्भावस्था बेहद थकाऊ हो सकती है, लेकिन कुछ व्यायाम आपकी काफी मदद कर सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करने वाली महिलाओं को पीठ दर्द की समस्या कम से कम होती है, शारीरिक बनावट में निखार आता है और नई ऊर्जा का संचार होता है। यहाँ कुछ व्यायाम दिए जा रहे हैं जो आप कर सकती हैं:

1. पाइल

एक कुर्सी के पीछे समानांतर खड़ी हो जाएं। अब कुर्सी का पिछला हिस्सा पकड़ लें और अपने पैरों के बीच कमर की जितना दूरी बना लें। अपने पेट को अंदर खींचते हुए अपने घुटनों को मोड़ें, अपने धड़ को झुकाए बिना अपने शरीर को नीचे की तरफ धकेलें। अपने पैरों को वापस सीधा करें और यह प्रक्रिया दोहराएं।

2. प्लैंक

पहले अपने घुटनों के बल बैठ जाएं, अपनी कलाई को बिल्कुल सीधे अपने कंधों के समानांतर रखें, और फिर अपने पैरों को सीधा करें। अपने पेट को सीधा रखें और अपनी पीठ को सीधा रखें।

3. कर्ल और लिफ्ट

एक कुर्सी पर बैठें और अपनी पीठ को सीधा रखें। दो वजन ले लें, प्रत्येक का भार लगभग 5 से 7 पाउंड के बीच होना चाहिए। अपनी भुजाओं को मोड़कर अपनी जाँघों के समानांतर रखें। कोहनी को मोड़ते हुए धीरे-धीरे अपनी बाहों को उठाएं और वजन को कंधे की ऊंचाई तक ले जाएं। बाहों को सीधा करें और प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही का आहार

जैसे-जैसे आपका बच्चा बढ़ेगा, आपकी भूख भी बढ़ती जाएगी। आहार में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है ताकि आपके शिशु के विकास में सहायक सभी पोषक तत्व उसे मिलते रहें।

क्या खाएं

  • प्रत्येक दिन के लिए अलग-अलग सब्जियां चुनें। ध्यान रखें कि आपकी प्लेट हमेशा रंग बिरंगे आहार से भरी रहे। दूसरी तिमाही के दौरान फलों को अपने आहार में जरूर शामिल करें।
  • अपने भोजन में ब्रेड, चावल, आलू, पास्ता, और अनाज जैसे कार्बोहाइड्रेट से भरपूर स्टार्चयुक्त साबुत अनाज जरूर शामिल करें।
  • कम वसा वाले डेयरी पदार्थ लें जिससे आपको पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिलता रहे।
  • मांस, मछली, दाल और अंडे जैसे प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं।
  • सप्ताह में एक बार तैलीय मछली अवश्य खाएं जिससे आपके शरीर में ओमेगा 3 की पूर्ति होगी, यह आपके बच्चे के मस्तिष्क के विकास में सहायक होगा।
  • चिप्स और कुकीज जैसे स्नैक्स के बजाय स्वास्थ्यवर्धक स्नैक्स जैसे टोस्ट, फल, सैंडविच आदि खाने का प्रयास करें।

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही का आहार

क्या न खाएं

  • लिवर और लिवर के उत्पाद लेने से बचें क्योंकि इनमें पाए जाने वाले विटामिन ए का स्तर खतरनाक होता है।
  • स्वोर्डफिश, शार्क और मार्लिन जैसी कुछ मछलियां न खाएं।
  • कच्चा अंडा, मछली या अधपका मांस न खाएं।
  • अपाश्चुरीकृत पनीर न खाएं।
  • कॉफी नहीं पिएं, लेकिन अगर आपको कॉफी पीने का बहुत मन कर रहा हो, तो आप डिकैफ ले सकती हैं।
  • शराब न लें।

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही की कार्य सूची

अपेक्षित कार्यों की सूची बना लेना सबसे अच्छी आदत है; एक सूची चिकित्सा और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के लिए और दूसरी अन्य कामों के लिए। हमारे पास कुछ सुझाव हैं जिनकी मदद से आप गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान अपना ख्याल रख सकती हैं :

चिकित्सा और स्वास्थ्य सूची

  • अपने डॉक्टर से मिलने का समय निर्धारित करें और इसका पालन सुनिश्चित करें।
  • किसी भी प्रकार की अनावश्यक समस्या से बचने के लिए अपने दांतों का भी ख्याल रखें।
  • प्रेगनेंसी-योग कार्यक्रम में भाग लें या कुछ ऐसे आसन देखें जिन्हे आप घर पर कर सकती हों।
  • स्वस्थ आहार लेती रहें।
  • यह तय करें कि प्रसव के समय आपको दाई की जरूरत तो नहीं पड़ेगी।
  • प्रसूति कक्षाओं की तलाश करें जो गर्भावस्था के बाद के समय के लिए आपको तैयार कर देंगी।
  • अपने वजन पर नजर बनाए रखें। “दो के लिए भोजन” जैसी बातों पर ध्यान न दें और याद रखें कि आपको प्रतिदिन केवल 300 अतिरिक्त कैलोरी का सेवन करना है।
  • अपनी बाईं करवट सोएं क्योंकि इससे गर्भनाल की ओर रक्त-प्रवाह बढ़ता है।
  • यदि फ्लू का मौसम हो तो अपना टीकाकरण करवाएं।

अन्य आवश्यक कामों की सूची

  • मैटरनिटी ड्रेस की खरीदारी करें। गर्भावस्था के शेष समय में आपको सहज रहने की आवश्यकता है क्योंकि आपका शरीर काफी तेजी से बढ़ रहा है।
  • अपने साथी के साथ बैठकर अपने होने वाले बच्चे के नाम पर विचार करें।
  • एक बजट बना लें क्योंकि अभी बच्चे के जन्म से पहले और उसके जन्म के बाद आपको ढेर सारे पैसे खर्च करने पड़ेंगे। इन चीजों की योजना बना लेना ही सही है, ताकि बाद में आपको किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।
  • अपने घर को बेबी-प्रूफ बनाएं और ऐसी वस्तुएं जो बच्चे के अनुकूल न हों, उन्हें हटा दें। आप अपने बच्चे के कमरे को सजाने का लुत्फ  भी उठा सकती हैं।

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में देखभाल

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जो कि निम्नलिखित है:

  • अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित सप्लीमेंट का ही सेवन करें।
  • पेट के बल कभी भी न सोएं, वरना आपके बच्चे का दम घुट सकता है।
  • किसी भी हालत में अपना इलाज खुद न करें, यदि आप बीमार महसूस कर रही हों तो हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
  • भारी वस्तुओं को न उठाएं, न ही बहुत मेहनत वाला काम करें।

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में ध्यान देने योग्य बातें

चेतावनी के कुछ संकेत जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए:

  • रक्तस्राव, जिससे गर्भ अस्थानिक हो सकता है या गर्भपात हो सकता है।
  • बहुत ज्यादा चक्कर आना।
  • तेज ऐंठन या पेट में दर्द।
  • वजन का अप्रत्याशित रूप से बढ़ना या घटना।
  • स्राव का दुर्गंधयुक्त होना या किसी अन्य रंग का जैसे हरा, पीला, स्पष्ट या खूनी होना।
  •  20 सप्ताह की गर्भावस्था में लगातार और भयंकर सिरदर्द, पेट में दर्द और सूजन होना सामान्य है । यह प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण हैं।
  • यदि आपका बच्चा पहले बहुत सक्रिय या ज्यादा घूमता था और अब उसकी गतिविधियां कम हो गई है तो ये चिंता की बात हो सकती है।

ऊपर बताए गए इतने सारे उपाय आपको कभी-कभी भविष्य को लेकर चिंतित और परेशान कर सकते हैं, मगर इन सब चीजों का पालन करते हुए अपना भी ख्याल रखें, संतुलित भोजन करें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, साथ ही साथ आप अगर दैनिक व्यायाम करने के लिए भी कुछ समय निकाल सकें तो आप एकदम स्वस्थ रहेंगी। इस दौरान आपके डॉक्टर आपका मार्गदर्शन करते रहेंगे और आपके प्रश्नों का यथाचित उत्तर देंगे। और अंत में, जब आप अपने बच्चे को अपनी बाहों में भरेंगी तो उस ख़ुशी के आगे इन महीनों की ये सारी समस्याएं कुछ भी नहीं लगेंगी।