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गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन्स का अनियंत्रित होना महिलाओं में एक सबसे आम समस्या है और इस समस्या से अनेक तकलीफें भी हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं में सबसे मुख्य हॉर्मोन एस्ट्रोजन होता है। यह हॉर्मोन गर्भावस्था में महिलाओं के स्वास्थ्य और गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
एस्ट्रोजन क्या है?
हमारे शरीर में बहुत सारे हॉर्मोन्स होते हैं जो शरीर के विकास और इसे बनाए रखने में मदद करते हैं। जिनमें से दो हॉर्मोन्स जेंडर डॉमिनेंट हैं – टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन। यह दोनों हॉर्मोन्स हर किसी में पाए जाते हैं पर महिलाओं में एस्ट्रोजन उनका डॉमिनेंट हार्मोन होता है (पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन डॉमिनेंट होता है)।
आमतौर पर एस्ट्रोजन महिलाओं की प्लेसेंटा और ओवरी में उत्पन्न होते हैं। महिलाओं में एस्ट्रोजन का सबसे मुख्य भाग एस्ट्राडियोल उत्पन्न होता है। यह वास्तव में बच्चे के विकास को सुरक्षित रखने के लिए सबसे जरूरी हॉर्मोन है। यह हॉर्मोन महिलाओं को गर्भवती होने के लिए प्रेरित करता है और बाद में मिसकैरेज से बचाव में मुख्य भूमिका भी निभाता है।
गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन की क्या भूमिका होती है?
गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कुछ भूमिकाएं निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
1. गर्भ में बच्चे को संभालने में मदद करता है
एस्ट्रोजन एक मुख्य हॉर्मोन है जिसमें हॉर्मोन्स के कई सारे कॉम्पोनेन्ट, जैसे एस्ट्राडियोल मौजूद है। इसके बारे में ऊपर भी बताया गया है। महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन जरूरी होता है क्योंकि यह प्लेसेंटा व ओवरी से उत्पन्न होते हैं और साथ ही गर्भावस्था के दौरान मुख्य भूमिका निभाते हैं। यह हॉर्मोन्स गर्भाशय की परत को बनाए रखने में भी मदद करते हैं जिससे बच्चे को सुरक्षित जगह मिल सके। यह अन्य हॉर्मोन्स को रेगुलेट करने में भी मदद करते हैं जो बच्चे के विकास के लिए जरूरी है।
2. फर्टिलिटी संभावना को प्रभावित करता है
मैरीलैंड और मेडिकल सेंटर की स्टडीज के अनुसार गर्भवती महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से बच्चे की फर्टिलिटी में क्षति होने की संभावना होती है। इसी स्टडी में यह भी पता चलता है कि बहुत ज्यादा एस्ट्रोजन हॉर्मोन होने से फर्टिलिटी से संबंधित अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं और इससे मिसकैरेज का खतरा बढ़ सकता है। संतुलित और सही मात्रा में एस्ट्रोजन होने से सिर्फ बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार होने की संभावना ही नहीं बढ़ती है बल्कि उनकी फर्टिलिटी की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
3. गर्भ में पल रहे बच्चे को संभालने में मदद करता है
गर्भवती महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह बच्चे के विकास में मदद करता है ताकि डिलीवरी में कोई भी समस्या न हो और उचित मात्रा में एस्ट्रोजन होने से बच्चा गर्भ में अच्छी तरह से पोषित होता है। गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन का स्तर ज्यादा और कम होने से भ्रूण में न्यूट्रिशन की कमी होने का खतरा बढ़ सकता है।
एस्ट्रोजन टेस्ट कैसे किया जाता है?
एस्ट्रोजन टेस्ट भी आपकी गर्भावस्था के अन्य टेस्ट जैसे ही होता है। यदि आप गर्भवती हैं या नहीं पर फिर भी डॉक्टर आपका यह टेस्ट अलग से भी कर सकते हैं। एस्ट्रोजन के टेस्ट को करने के लिए डॉक्टर आपका थोड़ा सा खून लेंगे और उसमें एस्ट्रोजन के कॉम्पोनेन्ट की जांच करेंगे, इस कॉम्पोनेन्ट को एस्ट्रियल और प्रोटीन को अल्फा फीटो-प्रोटीन या ए.एफ.पी. भी कहा जाता है। डॉक्टर ह्यूमन क्रोनिक गोनाडोट्रोपिन या एच.सी.जी. की जांच भी करते हैं। डॉक्टर आपके खून में यह तीन चीजों की जांच करने के बाद ही एस्ट्रोजन का सही स्तर बता सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन कम होने का प्रभाव
गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन कम होने से पूरी गर्भावस्था और जन्म लेने वाले बच्चे, विशेष रूप से लड़कियों के लिए हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था में एस्ट्रोजन कम होने से निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकते हैं, जैसे;
- मिसकैरेज
- अगर गर्भ में लड़की है तो उसे जन्म से ही एग्स की कमी हो सकती है।
- जन्म के समय से बेबी गर्ल में फर्टिलिटी की समस्याएं हो सकती हैं।
इसके परिणाम कुछ लोगों में ही दिखाई देते हैं इसलिए यदि आपमें एस्ट्रोजन का स्तर कम है तो यह सलाह दी जाती है कि आप इसके खतरों व चुनौतियों के बारे में जानने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भावस्था में एस्ट्रोजन के स्तर और नॉर्मल वैल्यू रेंज में बदलाव
गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन्स का स्तर बढ़ता और घटता रहता है और एस्ट्रोजन के साथ भी कुछ अलग नहीं है। डॉक्टर अक्सर गर्भवती महिलाओं को बार-बार एस्ट्रोजन की जांच करवाने की सलाह नहीं देते हैं क्योंकि वे इसके बढ़ते और घटते स्तर से परेशान हो सकती हैं। आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर आपके एस्ट्रोजन के स्तर की जांच करते हैं और हॉर्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण एक हेल्दी रेंज प्रदान करते हैं। गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन के स्तर की यहाँ कुछ सामान्य रेंजेस निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
पहली तिमाही – 187-2498 पीजी/ मिली (पिकोग्राम पर मिलीलीटर)
दूसरी तिमाही – 1276-7193 पीजी/मिली (पिकोग्राम पर मिलीलीटर)
तीसरी तिमाही – 6138-3461 पीजी/मिली (पिकोग्राम पर मिलीलीटर)
यह याद रखना जरूरी है कि एस्ट्रोजन के स्तर में उतार-चढ़ाव आता रहता है। ऊपर दिए हुए एस्ट्रोजन के रेंजेस सुरक्षित हैं और आप गर्भावस्था के दौरान हर सप्ताह में एस्ट्रोजन के उतार-चढ़ाव की अपेक्षा रख सकती हैं। यदि आपमें रेंज ऊपर दिए हुए काउंट से ज्यादा, कम या समान है तो घबराएं न।
यदि आप गर्भावस्था के खतरे और एस्ट्रोजन के स्तर के बारे में चिंतित हैं तो हम आपको यही सलाह देंगे कि आप इस बारे में डॉक्टर से चर्चा करके अपने डर को कम करें। इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव आम बात है और इसे सिर्फ दवाइयों से ठीक किया जा सकता है।
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