गर्भावस्था के दौरान नींद की गोलियों का उपयोग

प्रेगनेंसी में नींद की गोलियों का उपयोग

अनिद्रा या इंसोम्निया गर्भावस्था से जुड़ी एक बेहद आम बीमारी है लेकिन लंबे समय तक इसे बिना इलाज किए नहीं छोड़ना चाहिए। लंबे समय से चली आ रही अनिद्रा की परेशानी गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में डिप्रेशन का कारण बनती है। ऐसे में यदि आप इसका मेडकल इलाज चाहती हों तो कई सुरक्षित नींद की गोलियां बाजार में उपलब्ध हैं।

नींद की गोलियों के प्रकार 

बाजार में कई तरह की नींद की गोलियां मिलती हैं लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसी होती हैं जिनमें नशे की लत के गुण होते हैं:

नींद की गोली नींद लाने में मदद करता है सोए रहने में मदद करता है आदत लग सकती है
डोक्सीपिन (सिलेनोर) हाँ
एस्टाजोलम हाँ हाँ हाँ
ऐसज़ोपिक्लोन(लुनेस्टा) हाँ हाँ हाँ
रामेल्टॉन (रोज़ेरेम) हाँ
टेमाज़ेपाम (रेस्टोरिल) हाँ हाँ हाँ
ट्रायज़ोलम (हालसिओन) हाँ हाँ
ज़ेलेप्लोन (सोनाटा) हाँ हाँ
ज़ोल्पिडेम (एम्बिएन, एडलुअर, इंटरमेज़्ज़ो, ज़ोल्पीमिस्ट) हाँ हाँ
ज़ोल्पिडेम एक्सटेंडेड-रिलीज (एम्बिएन सीआर) हाँ हाँ हाँ

यह टेबल आपको दिखाती है कि कौन सी दवा आपको नींद लाने में मदद करती है या आपको सोते रहने में मदद करती है और कौन सी गोली लेने से आपको इसकी लत लग सकती है। कुछ महिलाएं सो तो जाती हैं, लेकिन उन्हें सोते रहने में समस्या होती है क्योंकि वे बार-बार जागती हैं और आखिरकार नींद से वंचित रह जाती हैं। इसलिए आपके लिए सबसे अच्छा क्या होगा यह चुनना थोड़ा कठिन है अतः डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा बेहतर है।

गर्भवती महिलाओं में नींद को प्रभावित करने वाले कारक

कई कारक हैं जो गर्भवती महिलाओं में नींद के पैटर्न को प्रभावित करते हैं। शुरू में ही इन कारकों का पता चलने पर इन्हें आसानी से खत्म किया जा सकता है। इनमें से मुख्य हैं:

  • एंग्जायटी 
  • जकड़न का अनुभव 
  • शराब का सेवन 
  • असुविधाजनक पोजीशन 
  • सोने से पहले ज्यादा पानी पी लेना 
  • असुविधाजनक कपड़े 

क्या गर्भावस्था के दौरान नींद की गोलियां लेना सुरक्षित है?

नींद की गोलियां किसी को भी ज्यादा समय तक लेने के लिए रेकमेंडेड नहीं होती हैं। लेकिन अगर कोई गर्भवती महिला अनिद्रा से पीड़ित है तो एंटीहिस्टामाइन, डिफेनहाइड्रामाइन और डॉक्सिलमाइन को सुरक्षित माना जाता है। ये दवाएं बेनाड्रील में पाई जाती हैं और नींद को प्रेरित कर सकती हैं।

गर्भवती होने पर नींद की गोलियां लेने के जोखिम और साइड इफेक्ट्स

नींद की गोलियां और गर्भावस्था का संयोजन अच्छा नहीं होता। यही कारण है कि डॉक्टरों द्वारा अनुशंसित नींद की गोलियां बहुत दुर्लभ मामलों में और केवल चरम परिस्थितयों में ही दी जाती हैं। अन्य प्रिस्क्रिप्शन दवाओं जैसे कि बार्बिटुरेट्स रेकमेंड नहीं की जाती है। बार्बिटूरेट्स और बेंज़ोडायज़ेपींस आदि से बच्चे में जन्म दोष जुड़ा होने के मामले मिले हैं, इसलिए गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन स्लीपिंग पिल्स का भी लंबे समय तक उपयोग करने की सलाह नहीं देते हैं।

बेहतर नींद के लिए घरेलू उपचार

बेहतर नींद के लिए कई घरेलू उपचार हैं और ये आपके साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत के लिए भी फायदे पहुँचाते हैं:

  1. विशाल बेडरूम: बेडरूम बड़ा और हवादार होना चाहिए। एसी को ज्यादा समय तक चलाएं। इसके बजाय, कमरे को हवादार रखने के लिए पंखे का इस्तेमाल करें क्योंकि ताजी हवा में फीटस तेजी से विकसित होते हैं।
  2. आरामदायक नाइटवियर पहनना: गर्भवती महिलाओं को कॉटन से बने बड़े और आरामदायक नाइटवियर पहनने चाहिए ताकि यह पसीने को सोख लें और हवादार हो। रात में टाइट या कसाव वाले कपड़े आपकी नींद में खलल डाल सकते हैं। इससे आपकी नींद का पैटर्न बाधित होता है और आपको अनिद्रा की समस्या हो सकती है।
  3. सोने से पहले नहाना: 35 से 38 डिग्री सेल्सियस के तापमान में आमतौर पर सोने से पहले नहाने या अपने पैरों को गर्म पानी में डालकर रखने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि यह तनाव को कम करने में मदद करता है, मांसपेशियों को आराम देता है, और सोने से पहले एक अच्छा मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालता है।
  4. शराब पीने से बचें: शराब पीने से आपका नर्वस सिस्टम उत्तेजित होता है और इसे उत्तेजित अवस्था में ही रखता है जो शांत नींद के लिए अच्छा नहीं है। इसके अलावा, किसी भी अन्य पेय की तरह, यदि आप बड़ी मात्रा में शराब का सेवन करती हैं, तो यह आपके ब्लैडर को भर देगी और आपको रात में टॉयलेट जाने के लिए उठना पड़ेगा जो आपकी नींद के लिए उतना अच्छा नहीं है।
  5. सोने से पहले हाई-इंटेंसिटी वाले वर्कआउट से बचें: गर्भावस्था के दौरान हाई-इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज करने से बचना चाहिए क्योंकि यह शरीर से एनर्जी बाहर निकाल देती है, इसे खासकर सोने से पहले करने से पूरी तरह टालना चाहिए। नींद से पहले एक्सरसाइज करने की जरूरत पर केवल आराम से टहलना पर्याप्त है।
  6. सोने से पहले दूध पीना: सोने के लिए जाने से 30 मिनट पहले एक गिलास गर्म दूध पीएं। दूध में मिलने वाले न्यूट्रिएंट्स गर्भवती महिला के साथ-साथ बच्चे के लिए भी अच्छे होते हैं।
  7. संतुलित मानसिकता रखना: यह पुरजोर सुझाव दिया जाता है कि गर्भवती महिलाओं को डर या बहुत चिंता नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह नींद के पैटर्न को बदल सकती है, और नींद में खलल डालती है।
  8. हल्की मालिश: गर्भवती महिला की मालिश करने से मांसपेशियों का तनाव दूर होता है और उसे आराम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि इससे मानसिक तनाव कम होता है जो नींद लाने में मददगार होता है।
  9. कल्पनाशीलता: सोने से पहले एक सपने या आराम के क्षणों की कल्पना नसों को आराम देती है और गर्भवती माओं को नींद लाने में मदद करती है।
  10. स्लीपिंग पोजीशन: कुछ डॉक्टरों का कहना है कि करवट पर सोने से बच्चे के साथ-साथ माँ के शरीर को भी आराम करने में मदद मिलती है, हालांकि बेहतर नींद के लिए गर्भवती महिला का अपने अनुसार सबसे आरामदायक स्थिति चुनना जरूरी है।

डॉक्टरों द्वारा प्रिसक्राइब्ड दवाएं

देश के फार्माकोपिया के अनुसार दवाओं की श्रेणियां होती हैं, लेकिन मूल रूप से, इसे 4 या 5 ग्रुप में बांटा जाता है ताकि इसकी प्रभावकारिता और सुरक्षा को मापा जा सके। दुर्भाग्य से, प्रिस्क्रिप्शन स्लीपिंग पिल्स को सुरक्षित ज़ोन में नहीं रखा गया है। प्रिस्क्रिप्शन नींद की गोलियां एडिक्टिव और प्रकृति में खतरनाक होती हैं और इसे डॉक्टर की देखरेख में लिया जाना चाहिए।

लंबे समय तक अनिद्रा से मानसिक अस्थिरता हो सकती है। लेकिन अगर आप अनिद्रा की शुरुआत में ही थोड़ा ध्यान देने लगें तो कई तरीके हैं जिनसे आप इसके प्रभावों को उलट सकती हैं और स्वस्थ जीवन जी सकती हैं। लेकिन अगर आपको लगता है कि नींद की गोलियां अपरिहार्य हो गई हैं, तो इनके बारे में अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन जरूर करें।

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