गर्भावस्था के दौरान आँखें ड्राई होना – कारण और टिप्स

प्रेगनेंसी के दौरान आँखें ड्राई होना - कारण, लक्षण और डॉक्टर से कब मिलें

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के ज्यादातर शारीरिक भागों में बदलाव होते हैं जिनमें आँखें भी शामिल हैं। गर्भावस्था में आँखें ड्राई होना एक आम साइड-इफेक्ट है जिसे ज्यादातर लोग जानते हैं। यह अक्सर पहली तिमाही के अंत में शुरू होता है और पूरी गर्भावस्था व बच्चे के जन्म के बाद तक भी रहता है। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में यह समस्या होना बहुत आम है। आँखों में अन्य बदलाव होने से भी इनमें सूखापन आ जाता है जिसके कारण विशेषकर लेन्स लगाने से इरिटेशन होती है। 

गर्भावस्था के दौरान आँखें ड्राई होने के कारण 

1. हॉर्मोन्स में बदलाव होने के कारण 

आँखें ड्राई होने का सबसे मुख्य कारण हॉर्मोन्स में बदलाव होना भी है और यह विशेषकर एंड्रोजन हॉर्मोन्स कम होने की वजह से होता है। वैसे तो डिलीवरी और नर्सिंग के दौरान इस हॉर्मोन का स्तर स्थिर हो जाता है पर फिर भी कुछ महिलाओं को लगातार आँखों में सूखापन होने का अनुभव होता रहता है। 

2. आँखों में पानी कम उत्पन्न होने की वजह से 

गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोनल बदलावों की वजह से अक्सर आँखों में आंसुओं का उत्पादन कम हो जाता है। यदि आपके आंसू कम मात्रा में निकलते हैं तो इसका मतलब है कि आपकी आँखें ड्राई हो सकती हैं। 

3. ऑयल ग्लैंड का उत्पादन कम होने के कारण 

गर्भावस्था के दौरान ऑयल ग्लांड्स सामान्य से अलग कार्य करते हैं। इन ऑयल्स में बदलाव होने से कभी-कभी लिपिड व ऑयल का उत्पादन रुक जाता है जिससे आँखों में नमी कम हो जाती है। आँखों में लिपिड और ऑयल की कमी होने से आंसुओं की कंसिस्टेंसी बदल जाती है। इसके परिणामस्वरूप आँखों को झपकाने से यह ड्राई होने होती हैं, ऐसा होने के कारण आप अपनी आँखों को रगड़ भी सकती हैं। कुछ समय तक ऑयल ग्लैंड्स को खोलने के लिए आप अपनी आँखों में हॉट कम्प्रेशन का उपयोग कर सकती हैं। 

4. आँखों से ज्यादा पानी निकलने की वजह से 

कुछ महिलाओं की आँखों में ज्यादा आंसू निकलते हैं जो आंसुओं के कम उत्पादन के बिलकुल विपरीत है और यह ज्यादातर महिलाओं में होता है। ऑक्युलर सरफेस में इरिटेशन होने से खराब क्वालिटी के आंसू निकलते हैं ताकि आँखों की इरिटेशन कम हो सके और इनमें नमी आए।

गर्भावस्था के दौरान आँखें ड्राई होने के लक्षण 

यद्यपि इससे कोई भी हानि नहीं होती है पर गर्भावस्था के दौरान आँखें ड्राई होने की वजह से आपको असुविधाएं व इरिटेशन हो सकती है। इसके कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • सुबह उठने के बाद अक्सर आँखें चिपचिपी होती हैं। 
  • आँखें लाल होना और इनमें जलन होना। 
  • कभी-कभी धुंधला दिखाई देना और यह अक्सर आँखें झपकाने से होता है। 
  • आँखों में किरकिरा महसूस होना जो आगे चलकर अधिक गंभीर हो सकता है। 

गर्भावस्था के दौरान आँखें ड्राई होने के लक्षण 

ड्राई आँखों को ठीक करने के टिप्स 

गर्भावस्था के दौरान ड्राई आँखों को ठीक करने के कुछ टिप्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें; 

1. कृत्रिम आंसू (आर्टिफिशियल टियर्स)

ड्राई आँखों की असुविधाएं और इरिटेशन को कम करने के लिए आर्टिफिशियल टियर्स का उपयोग किया जा सकता है। गर्भावस्था व नर्सिंग के दौरान इसका उपयोग करने सुरक्षित है। आर्टिफिशियल टीयर्स से आंसुओं की लिपिड लेयर्स बदल जाती हैं और यह बहुत उपयोगी भी होती हैं। यदि आप लेन्स का उपयोग करती हैं तो आप हमेशा उचित आई ड्रॉप का उपयोग करें जो आँखों में नमी को बढ़ाए (लेन्स री-वेटिंग आई ड्रॉप्स)।

2. वॉर्म कम्प्रेशन 

मेइबोमियन ग्लैंड्स को खोला जा सकता है और आँखों पर आराम से वॉर्म कम्प्रेशन देने से इसमें काफी प्रभाव पड़ता है। आवश्यक जगह पर खून का बहाव सही होने से ग्लैंड्स ठीक हो जाती हैं। 

3. पंक्टल ऑक्ल्यूजन 

आंसुओं की नली (टियर डक्ट्स) को बंद करने को पंक्टल ऑक्ल्यूजन भी कहते हैं और यह एक मेडिकल प्रक्रिया भी है जो पंक्टा को ब्लॉक करती है। आँखों के कोने में एक  छोटी सी ओपनिंग होती है जिसे पंक्टा कहते हैं। जब यह पंक्टा ब्लॉक हो जाते हैं तो आँखों में आगे की तरफ आँसू ज्यादा आने लगते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के लिए पंक्टल ऑक्ल्यूजन एक सुरक्षित प्रक्रिया है। 

डॉक्टर से कब मिलें

यदि आपकी समस्या बढ़ रही है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आपको बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी हो सकता है और इसमें एंटीबायोटिक ड्रॉप्स की जरूरत पड़ती है। यदि इस समस्या की वजह से आपको फ्लैशेस या अस्थिरता महसूस होती है तो यह प्री-एक्लेमप्सिया होने के शुरूआती लक्षण भी हो सकते हैं। यह ब्लड प्रेशर हाई होने की वजह से भी हो सकता है। यदि आपकी रेटिना में अंतर है तो भी आँखों में फ्लैशेस या अस्थिरता महसूस हो सकती है। ऐसे मामलों में आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

गर्भावस्था के दौरान आँखें ड्राई हो जाना बहुत आम है। हालांकि जरूरी है कि आप इसका इलाज खुद से न करें। गर्भावस्था के दौरान आप उसी डॉक्टर से जांच करवाएं जो आपको इस समस्या के लिए सही और सुरक्षित रेमेडीज बता सके। 

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